वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कहाँ लगाएं केलेण्डर 2019 | Best Direction to Hang Calendar 2019 | Auspicious Placement New Calendar
Best Direction for new Calendar |
भारतीय वास्तु शास्त्र में नए केलेण्डर लगाने की सही विधि का वर्णन
प्राप्त होता हैं। सही दिशा में सही केलेण्डर लगाने से परिवार में प्रगति निरंतर होती
रहती हैं। वास्तु के अनुसार पुराने केलेण्डर को वर्ष परिवर्तित होते ही तुरंत हटा
देना चाहिए। नए वर्ष में शीघ्र ही नया केलेण्डर लगाना चाहिए। जिस से आपको नए वर्ष
में पुराने वर्ष से भी अधिक शुभ अवसरों की प्राप्ति सदेव होती रहे।
समय के सूचक केलेण्डर नए वर्ष के साथ ही परिवर्तनशील होते हैं। तारीख,
वर्ष, समय यह सब आगे बढ़ते रहते हैं तथा आपको
भी निरंतर आगे बढ़ते रहने को प्रेरित करते हैं। नया वर्ष लगते ही प्रत्येक घर में केलेण्डर
बदल जाता हैं। केलेण्डर हमारे जीवन को परोक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। क्यो की, घर में लगे केलेण्डर के साथ साथ सम्पूर्ण प्रकृति भी सकारात्मक तथा
नकारात्मक रूप से हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं। यदि सपूर्ण वर्ष अच्छे योग, जीवन में शुभता तथा लाभ चाहते हैं, तो घर में केलेण्डर
को वास्तु के अनुसार ही लगाना चाहिए। जो की इस प्रकार हैं-
📅 वास्तु के अनुसार नया केलेण्डर उत्तर, पश्चिम,
उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा की दीवार पर लगाना शुभ फल प्रदान करता हैं।
आर्थिक सुधार के लिए केलेण्डर को उत्तर दिशा में, पारिवारिक
कलह की समाप्ति के लिए पश्चिम दिशा, भाग्य वृद्धि के लिए
उत्तर-पूर्व तथा स्वास्थ्य सुधार के लिए पूर्व दिशा में केलेण्डर को लगाना चाहिए।
📅
पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य हैं, जो स्वयं
प्रतिनिधित्व, संचालन तथा नेतृत्व के देवता हैं। अतः पूर्व दिशा
में लगा हुआ केलेण्डर, आपके जीवन में प्रगति लाता हैं। लाल अथवा
गुलाबी रंग के कागज पर उगते हुए सूर्य या अन्य
भगवान की तस्वीरों वाला केलेण्डर पूर्व दिशा में लगाने से आपके जीवन में प्रगति
तथा तरक्की के अवसरो को बढ़ावा प्राप्त होता हैं। सूर्यदेव कुशल संचालन के गुणों को
विकसित करने वाले देवता हैं। साथ ही सूर्योदय की दिशा भी पूर्व ही होती हैं। अतः पूर्व
दिशा में केलेण्डर रखना अत्यंत शुभ माना गया हैं। आप अपने आराध्य देव या कुलदेव,
बच्चों की तस्वीर या कोई अन्य प्रेरणादायी तस्वीरों वाला केलेण्डर पूर्व
दिशा में लगा सकते हैं। केलेण्डर पर गुलाबी तथा लाल रंगो का अधिक प्रयोग उत्तम
माना गया हैं।
📅
उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दिशा होती हैं। उत्तर दिशा का केलेण्डर
सुख-समृद्धि तथा धन को बढ़ाने वाला माना गया हैं। इस दिशा में खेत, हरियाली, समुद्र, नदी, झरने आदि की तस्वीरों वाला केलेण्डर लगाना चाहिए। केलेण्डर पर सफ़ेद तथा हरे
रंगो का अधिक प्रयोग उत्तम माना गया हैं। साथ ही विवाह की तस्वीरें तथा नव-युवको की
तस्वीरों वाला केलेण्डर भी इस दिशा में लगाना ठीक रहेगा।
📅
पश्चिम दिशा बहाव की दिशा होती हैं। इस दिशा में केलेण्डर लगाने से समस्त
कार्यों में शीघ्रता आती हैं। प्रत्येक प्रकार की कार्यक्षमता भी बढ़ती हैं।
पश्चिम दिशा का जो कोना उत्तर की ओर हो अर्थात उत्तर-पश्चिम के कोने पर केलेण्डर
लगाना अच्छा माना गया हैं। साथ ही ध्यान रहे, दक्षिण दिशा से
जुडे़ हुए कोने में केलेण्डर नहीं लगाना चाहिए। पश्चिम दिशा में केलेण्डर लगाने से
आपके रुके हुए कई कार्य शीघ्र ही पूर्ण हो जाते हैं। यदि आपके जीवन में कुछ नए, अच्छे या मनचाहे परिवर्तन नहीं हो रहे, तो आपको पश्चिम
दिशा में केलेण्डर लगाना चाहिए। केलेण्डर पर पीले तथा लाल रंगो का अधिक प्रयोग
उत्तम माना गया हैं। इस दिशा में माता लक्ष्मी, देवी गायत्री
तथा गणेश जी की तसवीरों वाला केलेण्डर लगाना उचित रहता हैं।
📅 दक्षिण की दिशा ठहराव तथा नकारात्मक ऊर्जा की दिशा मानी गई हैं। इस दिशा
में समय सूचक वस्तुओं, जैसे की धड़ी या केलेण्डर को रखना अत्यंत
अशुभ माना जाता हैं। ऐसा करने से घर के प्रत्येक सदस्यों की तरक्की के अवसर थम से जाते
हैं। इसका दुष्ट-प्रभाव घर के मुखिया के स्वास्थ्य पर भी दिखाई हैं। साथ ही ऐसा
करना आपकी तथा आपके परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा को भी हानी पहुँच सकता हैं।
📅 घर में केवल सफ़ेद, लाल, गुलाबी, हरे या पीले रंगो वाले पृष्ठों से बने हुये केलेण्डर का उपयोग करना
चाहिए। ऐसे केलेण्डर सदेव शुभ माने जाते हैं। इनके अलावा अन्य रंगो के केलेण्डर
वर्जित माने गए हैं। ऐसे वर्जित केलेण्डर को बहती नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।
📅
कई बार ऐसा देखा गया हैं की पुराने केलेण्डर से या उसमे छपी किसी
तस्वीर से लगाव हो जाने के कारण उसे दीवार से हटाया नहीं जाता हैं या उसे किसी
अन्य कमरे में भी लगा दीया जाता हैं। अध्यात्म में समय पानी के प्रकार सदेव गतिमान
रहता हैं। यह आगे बढ़ते हुए उस परिवर्तन का प्रतीक हैं जहाँ पीछे रह गई बातों का
वर्तमान में कोई अस्तित्व नहीं रहता हैं। सामान्य भाषा-प्रयोग में इसे नवीनीकरण
कहते हैं। जिस प्रकार शरीर की मृत त्वचा आपकी कांति को छीपा कर रखती हैं, उसी प्रकार यह पुरानी यादें हमारे विकास को सदेव बाधित करती रहती हैं। अतः
वास्तु में पुराने केलेण्डर लगाए रखना अच्छा नहीं माना गया हैं। यह प्रगति के
अवसरों को कम करता हैं। बीते वर्ष के साथ बीती बातों में ही आपको अटका सकता हैं, चाहे वे यादें सुखद हो या दुखद। अतः पुराने केलेण्डर को घर से हटा देना
चाहिए तथा नए वर्ष में नया केलेण्डर लगाना चाहिए। जिससे नए वर्ष में पुराने वर्ष
से भी अधिक शुभ अवसरों की प्राप्ति निरंतर होती रहे तथा बीते वर्ष से भी अधिक स्वर्णिम
यादों की तस्वीरें नए वर्ष में हम बना पाएँ।
📅 वास्तुशास्त्र के अनुसार केलेण्डर को घर के मुख्य द्वार के सामने या
प्रवेश द्वार पर नहीं लगाना चाहिए। इसका कारण हैं की, द्वार से
प्रवाहित होने वाली ऊर्जा आपके केलेण्डर को प्रभावित कर सकती हैं। साथ ही तेज हवा
चलने से केलेण्डर तेजी से हिलने के कारण अपने स्थान से नीचे गिर सकता हैं तथा उसके
पृष्ठ स्वतः उलट-पलट हो सकते हैं। जो कि अशुभ माना जाता हैं। यदि आपके घर का मुख
दक्षिण में है, तब तो इस बात का आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए
तथा मुख्य द्वार पर केलेण्डर भूलकर भी नहीं लगाना चाहिए।
📅 ऐसा देखा गया हैं की, आप लोग कई बार केलेण्डर पर
छपी तस्वीरों पर ध्यान नहीं दिया करते हैं। यदि केलेण्डर में संतों, महापुरुषों तथा भगवान के श्रीचित्र अंकित हों, तो यह
अधिक से अधिक पुण्यदायी तथा आनंददायी माना जाता हैं। कई बार केलेण्डर के पृष्ठों
में जंगली या हिंसक जानवरों तथा दुःखी चेहरों की तस्वीरें दी गई होती हैं। इस
प्रकार की तस्वीरें घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं। ऐसे किसी केलेण्डर
को भी घर में नहीं लगाना चाहिए।
अंत में एक और बात, आज
के आधुनिक युग में अपनी मन-पसंद से केलेण्डर बनवाने का भी प्रचलन प्रारम्भ हो गया हैं।
ऐसी स्थिति में आपके घर के बच्चों की तस्वीर या विवाह की सुंदर तस्वीर तथा सुखमय
बिताए हुए अन्य अच्छे पलो की तस्वीर का प्रयोग करना अच्छा सिद्ध होगा।
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