17 January 2019

पौष पुत्रदा एकादशी कब हैं 2019 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | Pausha Putrada Ekadashi 2019 #EkadashiVrat

पौष पुत्रदा एकादशी कब हैं 2019 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | Pausha Putrada Ekadashi 2019 #EkadashiVrat


Pausha Putrada Ekadashi vrat in hindi
Pausha Putrada Ekadashi vrat 2019
वैदिक विधान कहता हैं की, दशमी को एकाहार, एकादशी में निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना चाहिए। सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं, किन्तु अधिकमास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती हैं। प्रत्येक एकादशी का भिन्न भिन्न महत्व होता हैं तथा प्रत्येक एकादशीयों की एक पौराणिक कथा भी होती हैं। एकादशियों को वास्तव में मोक्षदायिनी माना गया हैं। भगवान श्रीविष्णु जी को एकादशी तिथि अति प्रिय मानी गई हैं चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो अथवा शुकल पक्ष की। इसी कारण एकादशी के दिन व्रत करने वाले प्रत्येक भक्तों पर प्रभु की अपार कृपा-दृष्टि सदा बनी रहती हैं, अतः प्रत्येक एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान श्रीविष्णु जी की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं, साथ ही रात्री जागरण भी करते हैं। किन्तु इन प्रत्येक एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी हैं जिसका का व्रत प्रतिवर्ष दो बार, पौष तथा श्रावण, के मास में किया जाता हैं। यह व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता हैं। अतः पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी तथा श्रावण मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता हैं। जिन व्यक्तियों को संतान होने में बाधाएं आती हैं अथवा जो व्यक्ति पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखते हैं उनके लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत अत्यंत शुभफलदायक होता हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जो जातक एकादशी का व्रत नियमित रखते हैं उन्हे भगवान् श्री नारायण की विशेष कृपा निरंतर प्राप्त होती रहती हैं। पद्म पुराण के अनुसार सांसारिक सुखों की प्राप्ति तथा पुत्र इच्छुक भक्तों के लिए पुत्रदा एकादशी व्रत को विशेष फलदायक माना जाता हैं। अतः संतानहीन या पुत्र हीन जातको के लिए इस व्रत को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया हैं। इस व्रत के प्रभाव से संतान की रक्षा भी होती हैं। अतः महिला वर्ग में इस व्रत का अत्यंत विशेष प्रचलन तथा महत्व हैं। पौष पुत्रदा एकादशी के देवता सुदर्शन चक्रधारी भगवान श्री विष्णु जी हैं। अतः इस व्रत में भगवान नारायण के बाल-गोपाल स्वरूप का पूजन किया जाता हैं। पौष पुत्रदा एकादशी के व्रत का पालन जो जातक पूर्ण श्रद्धा से करता हैं, उसे भगवान विष्णु से विद्वान, लक्ष्मीवान तथा पुत्रवान होने का वरदान प्राप्त होता हैं।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण

एकादशी के व्रत की समाप्ती करने की विधि को पारण कहते हैं। कोई भी व्रत तब तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत पारण ना किया जाए। एकादशी व्रत के अगले दिवस सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता हैं।

ध्यान रहे,
१- एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पूर्व करना अति आवश्यक हैं।
२- यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व समाप्त हो रही हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही करना चाहिए।
३- द्वादशी तिथि के भीतर पारण ना करना पाप करने के समान माना गया हैं।
४- एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए।
५- व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल का होता हैं।
६- व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।
७- जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत समाप्त करने से पूर्व हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती हैं।
८- यदि जातक, कुछ कारणों से प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं हैं, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण करना चाहिए।


इस वर्ष पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 16 जनवरी, बुधवार की मध्यरात्रि 12 बजकर 03 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 17 जनवरी, गुरुवार की रात्रि 10 बजकर 34 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

अतः इस वर्ष 2019 में पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 17 जनवरी, गुरुवार के दिन किया जाएगा।
               
इस वर्ष, पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 18 जनवरी, शुक्रवार की प्रातः 07 बजकर 16 मिनिट से 09 बजकर 22 मिनिट तक का रहेगा।

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