24 March 2024

होलिका दहन पूजा का कब शुभ मुहूर्त है 2024 | Holika Dahan ka Shubh Muhurat Samay Time 2024

होलिका दहन पूजा का कब शुभ मुहूर्त है 2024 | Holika Dahan ka Shubh Muhurat Samay Time 2024

holika dahan ka samay time 2024
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होली हिन्दुओं के प्रमुख एवं महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक हैं, जिसे सम्पूर्ण भारतवर्ष में अत्यंत उत्साह तथा धूम-धाम के साथ मनाया जाता हैं। हिन्दु धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, होलिका दहन को होलिका दीपक तथा छोटी होली के नाम से भी जाना जाता हैं। होलिका दहन का दिवस अर्थात फाल्गुन मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि को फाल्गुन पूर्णिमा कहते हैं। हिन्दू धर्म में फाल्गुन पूर्णिमा का धार्मिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक महत्व अत्यंत अधिक हैं। इस दिवस सूर्योदय से प्रारम्भ कर चंद्रोदय तक व्रत-उपवास भी किया जाता हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा का उपवास रखने से प्रत्येक मनुष्य के समस्त दुखों का नाश होता हैं तथा उस भक्त को भगवान श्री हरी विष्णुजी की विशेष कृपादृष्टि प्राप्त होती हैं।

सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार होलिका दहन का मुहूर्त किसी अन्य त्यौहार के मुहूर्त से अधिक महत्वपूर्ण तथा अति आवश्यक हैं। यदि किसी अन्य त्यौहार की पूजा उपयुक्त समय पर ना की जाये तो मात्र पूजा के लाभ से वर्जित होना पड़ता हैं किन्तु होलिका दहन की पूजा यदि अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह एक दुर्भाग्य तथा भारी पीड़ा का कारण बनाता हैं।

हमारे द्वारा बताया गया मुहूर्त धर्म-शास्त्रों के अनुसार निर्धारित किया हुआ श्रेष्ठ मुहूर्त हैं। यह मुहूर्त सदैव भद्रा मुख का त्याग करके निर्धारित होता हैं।

होली के पर्व को सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो, तभी मनाना चाहिये। पूर्णिमा तिथि के पूर्वार्ध में भद्रा व्याप्त होती हैं, प्रत्येक शुभ कार्य भद्रा में वर्जित होते हैं। अतः इस समय होलिका पूजा तथा होलिका दहन नहीं करना चाहिये। यदि भद्रा पूँछ प्रदोष से पहले तथा मध्य रात्रि के पश्चात व्याप्त हो तो उसे होलिका दहन के लिये नहीं लिया जा सकता क्योंकि होलिका दहन का मुहूर्त सूर्यास्त तथा मध्य रात्रि के बीच ही निर्धारित किया जाता हैं।

 


होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम

फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता हैं, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता हैं। जिसके लिए मुख्यतः दो नियम ध्यान में रखने चाहिए -

1.   प्रथम, उस दिन भद्रान हो। भद्रा का ही एक दूसरा नाम विष्टि करण भी हैं, जो कि 11 करणो में से एक हैं। एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता हैं।

2.   द्वितीय, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। सरल शब्दों में कहें तो उस दिन सूर्यास्त के पश्चात के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी आवश्यक हैं।

 

होलिका दहन के मुहूर्त के लिए यह बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिये -

भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती हैं। यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पूर्व समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो, तब होलिका दहन करना चाहिये। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो, तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता हैं। किन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये। धर्मसिन्धु में भी इस मान्यता का समर्थन किया गया हैं। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट का स्वागत करने के जैसा हैं, जिसका परिणाम न केवल दहन करने वाले को किन्तु नगर तथा देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता हैं। किसी-किसी वर्ष भद्रा पूँछ प्रदोष के पश्चात तथा मध्य रात्रि के बीच व्याप्त ही नहीं होती हैं, तो ऐसी स्थिति में प्रदोष के समय होलिका दहन किया जा सकता हैं। कभी दुर्लभ स्थिति में यदि प्रदोष तथा भद्रा पूँछ दोनों में ही होलिका दहन सम्भव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिये।

 

होलिका दहन मुहूर्त 2024

इस वर्ष, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च, रविवार के दिन 09 बजकर 54 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 25 मार्च, सोमवार की दोपहर 12 बजकर 29 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

 

अतः इस वर्ष 2024 में होलिका दहन 24 मार्च, रविवार के दिन किया जाएगा।

 

इस वर्ष, होलिका दहन का शुभ समय, 24 मार्च, रविवार की रात्रि 11 बजकर 12 मिनिट से मध्य-रात्रि 12 बजकर 32 मिनिट तक का रहेगा।

भद्रा पूँछ - 18:33 से 19:53

भद्रा मुख - 19:53 से 22:06

इस वर्ष प्रदोषकाल के दौरान होलिका दहन भद्रा के साथ होगा।

 

रंगवाली होली

रंगवाली होली, जिसे धुलण्डी के नाम से भी जाना जाता हैं, वह होलिका दहन के पश्चात ही मनायी जाती हैं, जो की 25 मार्च, सोमवार के दिन आयेगी तथा इसी दिन को होली खेलने के लिये मुख्य दिन माना जाता हैं।


🎨आप सभी दर्शक-मित्र को हमारी ओर से होली की हार्दिक शुभकामनाएँ। 🌷

 


होलिका दहन का इतिहास

होली का वर्णन बहुत पहले से हमें देखने को मिलता हैं। प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में 16वीं शताब्दी का चित्र मिला हैं जिसमें होली के पर्व को उकेरा गया हैं। ऐसे ही विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता हैं। कुछ लोग मानते हैं कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी ख़ुशी में गोपियों ने उनके साथ होली खेली थी।

 

होलिका दहन की पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं भजता, तो वह क्रुद्ध हो उठा तथा अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए; क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुँचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत -- होलिका जलकर भस्म हो गयी तथा भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान हैं। होली का पर्व संदेश देता हैं कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं।

07 March 2024

महाशिवरात्रि पर शुभ मुहूर्त 2024 : दिव्यता के अद्वितीय रात्रि | Auspicious time on Mahashivratri : Unique night of divinity 2024

 ** महाशिवरात्रि पर शुभ मुहूर्त: दिव्यता के अद्वितीय रात्रि **


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महाशिवरात्रि, हिंदुओं के विशेष पर्वों में से एक है, जिसे भगवान शिव की अनुग्रह और उनकी पूजा के लिए मनाया जाता है। इस पवित्र रात्रि को और भी अधिक महत्त्वपूर्ण बनाते हैं शुभ मुहूर्त, जिनके दौरान पूजा करने से अनुमानित लाभ होता है। इस ब्लॉग में, हम महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त के बारे में चर्चा करेंगे, ताकि आप इस अद्वितीय रात्रि को सबसे अच्छे तरीके से मना सकें।

** महाशिवरात्रि के महत्व **

महाशिवरात्रि को मनाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा और ध्यान का विशेष महत्त्व है। यह दिन भगवान शिव की अराधना, भक्ति और ध्यान में लगाने का सर्वोत्तम समय माना जाता है। इसके साथ ही, इस रात्रि को मनाने से व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है।

** महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त **

महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त का महत्व अत्यंत उच्च होता है। इसके दौरान शिव पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यहाँ हम आपको 2024 में महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त की जानकारी दे रहे हैं:
महाशिवरात्रि का त्योहार इस साल 8 मार्च को मनाया जाएगा। पंचांग अनुसार महाशिवरात्रि पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त 9 मार्च को 12:07 AM से 12:56 AM तक रहेगा।
अमृत चौघड़िया मुहूर्त : मध्य रात्रि 2 बजकर 1 मिनट से 3 बजकर 33 मिनट तक। शुभ चौघड़िया मुहूर्त : मध्यरात्रि 12 बजकर 29 मिनट से 2 बजकर 1 मिनट तक। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी पर भ्रमण करने के लिए आते हैं।

** महत्त्वपूर्ण सूचना: **

- इन मुहूर्तों के दौरान भगवान शिव की पूजा, ध्यान, मंत्र जप और अर्चना की जा सकती है।
- पूजा के लिए शिवलिंग की स्थापना करें और उसे दूध, बेलपत्र, धातूरा, बिल्व पत्र आदि से समर्पित करें।
- योग्य मंत्रों का जाप करें और भगवान शिव की आराधना में लगे रहें।
महाशिवरात्रि के इस पवित्र पर्व पर, इन शुभ मुहूर्तों का उपयोग करके आप अपने जीवन को धार्मिक और मानवीय गुणों से संगठित कर सकते हैं। इस दिन भगवान शिव की कृपा आपके साथ रहे और आपको