हिन्दू नव वर्ष कब मनाया जाता हैं | हिंदू नव-वर्ष 2019 | Bhartiya Nav Varsh Kab Aata Hai | Hindu Nav Varsh 2019
Bhartiya Nav Varsh Kab Aata Ha |
सर्वप्रथम आपको सम्पूर्ण विश्व के
साथ साथ भारत-वर्ष में अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने वाले अङ्ग्रेज़ी नव-वर्ष
की हार्दिक शुभकामनाए।
यह
नूतन-वर्ष आपके लिए शुभ रहे तथा आपको उज्ज्वल भविष्य प्रदान करें।
आज
के युग में अङ्ग्रेज़ी केलेण्डर का प्रचलन अत्यधिक तथा सर्वव्यापी हो गया हैं, किन्तु उससे भारतीय केलेण्डर का महत्व कभी कम नहीं किया जा सकता हैं। हमारे
प्रत्येक त्यौहार एवं व्रत-उपवास, युग-पुरुषों की जयंती या
पुण्यतिथि, विवाह तथा अन्य शुभ कार्यों के शुभ मुहूर्त आदि सभी
भारतीय केलेण्डर अर्थात हिन्दू पंचांग के अनुसार ही देखे जाते हैं।
सम्पूर्ण
विश्व में नव-वर्ष का उत्सव प्रतिवर्ष 01 जनवरी के दिन ही धूमधाम तथा हर्षोल्लास
के साथ मनाया जाता हैं। यह नव-वर्ष अङ्ग्रेज़ी केलेण्डर के अनुसार मनाया जाता है, किन्तु भारतीय सनातन पंचांग के अनुसार नव-वर्ष चैत्र मास में मनाया जाता हैं।
जिसे नव संवत्सर भी कहा जाता हैं। अङ्ग्रेज़ी केलेण्डर के अनुसार चैत्र मास मार्च
या अप्रैल के महीने में आता हैं। इस दिन को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तथा आंध्र
प्रदेश में उगादी पर्व के रूप में भी मनाया जाता हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का
दिवस ही वासंती नवरात्र का प्रथम दिवस भी होता हैं। पुरातन ग्रथों के अनुसार इसी
दिन सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी।
चैत्र
मास ही नव-वर्ष मनाने के लिए सर्वोत्तम हैं, क्यो की चैत्र
मास में चारो ओर पुष्प खिल जाते हैं, वृक्षो पर नए पत्ते आ
जाते हैं। चारो ओर हरियाली मानो प्रकृति नव-वर्ष मना रही हो। चैत्र मास में सर्दी
जा रही होती हैं, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता हैं।
मनुष्य के लिए यह समय प्रत्येक प्रकार के वस्त्र पहनने के लिए उपयुक्त रहता हैं।
चैत्र मास अर्थात मार्च या अप्रैल में विध्यालयों का परिणाम आता हैं एवं नई कक्षा
तथा नया सत्र प्रारम्भ होता है, अतः चैत्र मास विद्यालयों के
लिए नव-वर्ष ही माना गया हैं। चैत्र मास अर्थात 31 मार्च से 01 अप्रैल के दिन ही
बैंक तथा सरकार नया सत्र प्रारम्भ होता हैं। चैत्र में नया पंचांग आता हैं। जिससे
प्रत्येक भारतीय पर्व, विवाह तथा अन्य महूर्त देखे जाते हैं।
चैत्र मास में ही फसल कटती हैं तथा नया अनाज घर में आता हैं तो किसानो का नया वर्ष
यही हैं। भारतीय नव-वर्ष से प्रथम नवरात्र प्रारम्भ होता हैं जिस से घर-घर मे माता
रानी की पूजा की जाती हैं, जो की वातावरण को शुद्ध तथा
सात्विक बना देते हैं। चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी
संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, गुड़ी पड़वा, उगादि तथा ब्रहम्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से
हैं। इस प्रकार ब्रह्माण्ड से प्रारम्भ कर के सूर्य-चन्द्र आदि की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन चैत्र से ही होते हैं।
भारतीय
सनातन केलेण्डर अर्थात हिन्दू पंचांग की गणना सूर्य तथा चंद्रमा के अनुसार की जाती
हैं। यह सत्य हैं कि विश्व के अन्य प्रत्येक केलेण्डर किसी न किसी रूप में भारतीय पंचांग
का ही अनुसरण करते हैं। मान्यता तो यह भी हैं कि विक्रमादित्य के काल में सर्व
प्रथम भारतीयों द्वारा ही केलेण्डर अर्थात पंचाग का आविष्कार, गणना तथा विकास हुआ था। हिन्दू पंचांग के अनुसार से ही 12 महीनों का एक
वर्ष तथा सप्ताह में सात दिनों का प्रचलन प्रारम्भ हुआ था। कहा जाता हैं कि भारत
से ही युनानियों ने भारतीय पंचांग का विश्व के भिन्न-भिन्न राज्यो में प्रचार तथा
प्रसार किया था।
संवत
केलेण्डर से भी पूर्व लगभग 6,700 ई.पू. हिंदूओं का प्राचीन
सप्तर्षि संवत अस्तित्व में आ चुका था। किन्तु इसका विधि अनुसार प्रारम्भ लगभग 3,100 ई. पू. माना जाता हैं। साथ ही इसी समय में भगवान श्री कृष्ण जी के
जन्म से कृष्ण केलेण्डर का प्रारम्भ भी माना जाता हैं। उसके पश्चात कलियुगी संवत का
भी प्रारम्भ माना गया हैं। विक्रमी संवत का प्रारम्भ 57 ईसवीं पूर्व से माना जाता हैं।
विक्रम संवत को नव संवत्सर भी कहा जाता हैं। संवत्सर पांच प्रकार का होता हैं
जिसमें सूर्य, चंद्र, नक्षत्र, सावन तथा अधिमास का समावेश किया गया हैं। यह 365 दिनों का होता हैं। इसका
आरंभ मेष राशि में सूर्य की संक्राति से होता हैं। वहीं चंद्र वर्ष के मास चैत्र,
वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़
आदि हैं इन महीनों का नाम नक्षत्रों के आधार पर रखा गया हैं। चंद्र वर्ष 354 दिनों
का होता हैं, इसी कारण जो बढ़े हुए 10 दिन होते हैं वे
चंद्रमास ही माने जाते हैं, किन्तु दिन बढ़ने के कारण इन्हें
अधिमास कहा जाता हैं। नक्षत्रों की संख्या 27 हैं इस प्रकार एक नक्षत्र मास भी 27
दिन का ही माना जाता हैं। वहीं सावन वर्ष की अवधि लगभग 360 दिन की होती हैं। इसमें
प्रत्येक महीना 30 दिन का होता हैं।
इस
वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि 05 अप्रैल, दोपहर 02 बनकर 20
मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 06 अप्रैल दोपहर 03 बजकर 23 मिनिट
तक व्याप्त रहेगी।
अतः इस वर्ष भारतीय हिन्दू नव वर्ष 06 अप्रैल शनिवार के दिन मनाया जाएगा।
01 जनवरी के दिन सम्पूर्ण विश्व में नव-वर्ष मनाया जाता हैं, किन्तु भारत एक विशाल तथा कृषि प्रधान देश हैं अतः भारत में विभिन्न
क्षेत्रो में मौसम तथा संस्कृति एवं परंपराओं के आधार पर भिन्न-भिन्न नव-वर्ष
मनाया जाता हैं। जो की इस प्रकार हैं-
नवसंवत्सर- चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा
उगाडी- तेलगू नव-वर्ष
गुड़ी पड़वा- मराठी तथा कोंकनी नव-वर्ष
बैसाखी- पंजाबी नव-वर्ष
पुथंडु- तमिल नव-वर्ष
बोहाग बिहू- असामी नव-वर्ष
पोहलाबोईशाख- बंगाली नव-वर्ष
बेस्तु वर्ष- गुजराती नव-वर्ष
विषु- मलयालम नव-वर्ष
नवरेह- कश्मीरी नव-वर्ष
हिजरी-इस्लामिक नव-वर्ष
hindu ka naya saal kab aata hai |
No comments:
Post a Comment