11 October 2020

परमा एकादशी कब हैं 2020 | तिथि व्रत पारण का समय व शुभ मुहूर्त | Parama Ekadashi kab hai 2020

परमा एकादशी कब हैं 2020 | तिथि व्रत पारण का समय व शुभ मुहूर्त | Parama Ekadashi kab hai 2020 

parama ekadashi kab hai
parama ekadashi kab hai

वैदिक विधान कहता हैं की, दशमी को एकाहार, एकादशी में निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना चाहिए। सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं, किन्तु अधिक मास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती हैं। प्रत्येक एकादशी का भिन्न-भिन्न महत्व होता हैं तथा प्रत्येक एकादशियों की एक पौराणिक कथा भी होती हैं। एकादशियों को वास्तव में मोक्षदायिनी माना गया हैं। भगवान श्री विष्णु जी को एकादशी तिथि अति प्रिय मानी गई हैं चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो अथवा शुक्ल पक्ष की। इसी कारण एकादशी के दिन व्रत करने वाले प्रत्येक भक्तों पर प्रभु की अपार कृपा-दृष्टि सदा बनी रहती हैं, अतः प्रत्येक एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं, साथ ही रात्रि जागरण भी करते हैं। किन्तु इन प्रत्येक एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी हैं, जिसका परम पुण्यकारी व्रत करने से परम दुर्लभ सिद्धियों की प्राप्ति होती हैं। अतः अधिक मास के कृष्ण पक्ष की इस एकादशी को “परमा एकादशी” कहा जाता हैं, इस परम पुण्यदायिनी एकादशी को परम एकादशी, पुरुषोत्तमी एकादशी या हरिवल्लभा एकादशी के नाम से भी कहा जाता हैं। सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार परमा एकादशी का व्रत जो मास अधिक हो जाता हैं, उस पर निर्भर करता हैं। अतः परमा एकादशी का उपवास करने हेतु, कोई चन्द्र मास निर्धारित नहीं होता हैं। अधिक मास को मलमास, पुरुषोत्तम मास या लीप का महीना भी कहा जाता हैं। जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता हैं। किन्तु इस मास में पूजा, जप-तप एवं व्रत तथा उपवास करना अत्यंत ही शुभ माना गया हैं। अधिक मास में परम एकादशी पड़ने के कारण ही इस एकादशी का महत्व कई गुना अधिक बढ़ जाता हैं। पुराणों में परम एकादशी व्रत का पुण्यफल अश्वमेध यज्ञ के समान ही बताया गया हैं। इस शुभ दिवस भगवान विष्णु की पूजा करने से दुर्लभ सिद्धियों की प्राप्ति होती हैं। यह एकादशी, धन की दाता तथा सुख-ऐश्वर्य की जननी परम पावन एवं दुख तथा दरिद्रता का दमन करने वाली एकादशी मानी गयी हैं। इस एकादशी में स्वर्ण का दान, विद्या दान, अन्न दान, भूमि दान तथा गौ-दान करना अति उत्तम माना गया हैं। परमा एकादशी का व्रत भगवान श्री हरी विष्णु जी को अति प्रिय हैं, अतः इस व्रत का विधि पूर्वक पालन करने वाला व्रती जीवनपर्यंत सुख का भोग कर के मरणोपरांत विष्णु लोक को जाता हैं तथा प्रत्येक प्रकार के यज्ञों, व्रतों एवं तपस्या का फल भी प्राप्त करता हैं। परम एकादशी के शुभ दिवस, जो भी भक्त, भगवान विष्णु जी की विधिवत पूजा करता हैं तथा व्रत रखता हैं, उसके जीवन के प्रत्येक कष्ट स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं तथा उसे जीवन में प्रत्येक प्रकार के सुखों की प्राप्ति हो जाती हैं। परमा एकादशी व्रत के दिवस भगवान विष्णु जी के “पुरुषोत्तम स्वरूप” की पूजा की जाती हैं तथा इस दिवस “सावां” अर्थात “मुन्यन्न” (तिन्नी का चावल) का सागार लेना चाहिए।

 

परमा एकादशी व्रत का पारण

एकादशी के व्रत की समाप्ती करने की विधि को पारण कहते हैं। कोई भी व्रत तब तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत पारण ना किया जाए। एकादशी व्रत के अगले दिवस सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता हैं।

 

ध्यान रहे,

१- एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पूर्व करना अति आवश्यक हैं।

२- यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व समाप्त हो रही हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही करना चाहिए।

३- द्वादशी तिथि के भीतर पारण ना करना पाप करने के समान माना गया हैं।

४- एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए।

५- व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल का होता हैं।

६- व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।

७- जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत समाप्त करने से पूर्व हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती हैं।

८- यदि जातक, कुछ कारणों से प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं हैं, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण करना चाहिए।

 

इस वर्ष अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 12 अक्तूबर, सोमवार की साँय 04 बजकर 38 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 13 अक्तूबर, मंगलवार की दोपहर 02 बजकर 35 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

 

अतः इस वर्ष 2020 में परमा अर्थात परम एकादशी का व्रत 13 अक्तूबर, मंगलवार के दिन किया जाएगा।

 

इस वर्ष, परमा एकादशी व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 14 अक्तूबर, बुधवार की प्रातः 06 बजकर 28 मिनिट से 08 बजकर 44 मिनिट तक का रहेगा।

द्वादशी समाप्त होने का समय - दोपहर 11:51