करवा चौथ का व्रत 2018 | शुभ मुहूर्त | जानिए चन्द्रोदय का समय | Karva Chauth Vrat | कब निकलेगा चांद
हे
श्री गणेश भगवान्, हे माँ गौरी,
जिस
प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान प्राप्त हुआ,
वैसा
ही वरदान संसार की प्रत्येक सुहागिनों को प्राप्त हो।
करवा चौथ सनातन
हिन्दु धर्म का एक प्रमुख पर्व हैं। यह त्यौहार पंजाब, उत्तर
प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश तथा
राजस्थान के साथ साथ सम्पूर्ण भारत में भिन्न भिन्न विधि तथा भिन्न-भिन्न परंपराओ
के साथ मनाया जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ शरद पूर्णिमा से चौथे दिन
अर्थात कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता हैं। वहीं गुजरात,
महाराष्ट्र, तथा दक्षिणी भारत में करवा चौथ आश्विन
मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता हैं। तथा अङ्ग्रेज़ी कलेंडर के अनुसार
यह पर्व अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है। इस दिन सम्पूर्ण शिव-परिवार अर्थात
शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी तथा कार्तिकेय जी की पूजा करने का विधान हैं। यह व्रत सौभाग्यवती
स्त्रियाँ अपने पति की दिर्ध आयु तथा अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं
तथा अविवाहित कन्याए भी उत्तम जीवनसाथि की प्राप्ति हेतु इस दिवस निर्जला उपवास
रखती हैं तथा चंद्रमा को अर्ध्य देकर ही अपने व्रत का पारण करती हैं। यह व्रत प्रातः
सूर्योदय से पूर्व ४ बजे से प्रारम्भ होकर रात्री में चंद्र-दर्शन के पश्चात ही संपूर्ण होता हैं। पंजाब तथा हरियाणा में सूर्योदय
से पूर्व सरगी के साथ इस व्रत का शुभारम्भ होता हैं। सरगी करवा चौथ के दिवस
सूर्योदय से पूर्व किया जाने वाला भोजन होता हैं। जो महिलाएँ इस दिवस व्रत रखती
हैं उनकी सासुमाँ उनके लिए सरगी बनाती हैं। वहीं, उत्तर
प्रदेश तथा राजस्थान में इस पर्व पर गौर माता की पूजा की जाती हैं। गौर माता की
पूजा के लिए प्रतिमा गौ-माता के गोबर से बनाई जाती हैं।
आज हम आपको इस विडियो के माध्यम से बताते
हैं, कारवा चौथ व्रत की पूजा का अत्यंत शुभ मुहूर्त तथा आपके स्थान के अनुसार
चंद्रोदय का समय
करवा चौथ के दिवस चंद्रमा उदय होने का समय
सभी महिलाओं के लिए अत्यंत विशेष महत्वपूर्ण होता हैं क्योंकि वे अपने पति की दिर्ध
आयु के लिये सम्पूर्ण दिवस निर्जल व्रत रखती हैं तथा केवल उदित सम्पूर्ण चन्द्रमाँ
को देखने के पश्चात ही जल ग्रहण कर सकती हैं। यह मान्यता हैं कि, चन्द्रमाँ
देखे बिना यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाता हैं तथा कोई भी महिला कुछ भी खा नहीं सकती
हैं ना ही जल ग्रहण सकती कर हैं। करवा चौथ व्रत तभी पूर्ण माना जाता हैं जब महिला उदित
सम्पूर्ण चन्द्रमाँ को एक छलनी में घी का दीपक रखकर देखती हैं तथा चन्द्रमा को अर्घ्य
देकर अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करती हैं।
इस वर्ष 2018
में, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 27 अक्टूबर, साँय 06 बजकर 37 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 28
अक्टूबर साँय 04 बजकर 54 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
अतः इस वर्ष
2018 में करवा चौथ का व्रत 27 अक्टूबर, शनिवार
के दिन किया जाएगा।
करवा चौथ के व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 27 अक्टूबर, शनिवार के दिन सांय 05 बजकर 41 मिनट से 06 बजकर 44 मिनट तक का रहेगा।
करवाचौथ के दिवस चन्द्रमाँ का उदय भारतवर्ष में 08 बजकर 21 पर होने
का अनुमान हैं। तथा
आपके नगर में करवा चौथ पर
चन्द्रोदय का अनुमानित समय कुछ इस प्रकार से हैं-
अहमदाबाद 9:21 मिनट पर
मुंबई 9:27 मिनट पर
वाराणसी 8:38 मिनट पर
प्रयाग 8:42 मिनट पर
कानपुर 8:47 मिनट पर
आगरा 8:55 मिनट पर
गाजियाबाद 8:54 मिनट पर
मेरठ 8:54 मिनट पर
हरिद्वार 8:49 मिनट पर
देहरादून 8:49 मिनट पर
दिल्ली 8:54 मिनट पर
गुरुग्राम 8:55 मिनट पर
सोनीपत 8:56 मिनट पर
चंड़ीगढ़ 8:52 मिनट पर
अमृतसर 8:59 मिनट पर
जयपुर 9:04 मिनट पर
जोधपुर 9:17 मिनट पर
बिकानेर 9:12 मिनट पर
नडियाद 9:20 मिनट पर
अम्बाला 8:55 मिनट पर
इंदौर 9:09 मिनट पर
भोपाल 8:52 मिनट पर
ग्वालियर 8:51 मिनट पर
कोलकाता 8:19 मिनट पर
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