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31 October 2024

दिवाली पूजा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त समय 2024 Deepavali Pooja Lakshmi Pujan ka Shubh Muhurat Time 2024

🪔💥 दिवाली पूजा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त समय 2024 Deepavali Pooja Lakshmi Pujan ka Shubh Muhurat Time  💥🪔

lakshmi pujan ka samay 2024
Deepavali Pooja Lakshmi Pujan ka Shubh Muhurat

 Auspicious time for Lakshmi Pujan on Deepawali in other major cities of India

Laxmi Puja Muhurat in other cities

31 OCTOBER, THURSDAY

18:52 to 20:35 - Ahmedabad

18:54 to 20:33 - Pune

18:57 to 20:36 - Mumbai

18:51 to 20:34 - Nadiad

18:47 to 20:21 - Bengaluru

 

01 NOVEMBER, FRIDAY

17:36 to 18:16 - New Delhi

17:42 to 18:16 - Chennai

17:44 to 18:16 - Jaipur

17:44 to 18:16 - Hyderabad

17:37 to 18:16 - Gurugram

17:35 to 18:16 - Chandigarh

17:45 to 18:16 - Kolkata

17:35 to 18:16 - Noida

 


ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे

विष्णु पत्न्यै च धीमहि

तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात् ॥

 

शुभम करोति कल्याणम

अरोग्यम धन संपदा

शत्रु-बुद्धि विनाशायः

दीपःज्योति नमोस्तुते ॥

 

असतो मा सद्गमय।

तमसो मा ज्योतिर्गमय।

मृत्योर्मा अमृतं गमय।

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

अनुवाद:- असत्य से सत्य की ओर

अंधकार से प्रकाश की ओर

मृत्यु से अमरता की ओर हमें ले जाओ।

ॐ शांति शांति शांति।।

 

🪔💥 आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ। 💥🪔

🕉🌷 आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग करें। 🚩💐

लक्ष्मी बीज मन्त्र

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥

Om Hreem Shreem Lakshmibhayo Namah

 

ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।

Om Shreeng Mahalaxmaye Namah।।

 


दिवाली का पर्व सनातन हिन्दू धर्म का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रसिद्ध त्योहार है, तथा इस पर्व को दिपावली, लक्ष्मी पूजा, अमावस्या लक्ष्मी पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा, बंगाल की काली पूजा, दिवाली स्नान, दिवाली देवपूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा तथा दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।

         जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान बनाने वाला यह त्यौहार सम्पूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ संपूर्ण जगत में अत्यंत उत्साह एवं धूमधाम से मनाया जाता हैं। दीपावली के त्यौहार की तैयारी प्रत्येक व्यक्ति कई दिन पूर्व ही आरंभ कर देते हैं, जिसका प्रारम्भ घर को स्वच्छ तथा पवित्र करने से किया जाता हैं, क्योंकि, दिवाली के दिवस शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की विधि-पूर्वक पूजा की जाती हैं, तथा माँ लक्ष्मीजी वही निवास करती हैं जहाँ स्वच्छता होती हैं।

         दिवाली के दिवस भगवान श्री गणेश जी तथा माता लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए उपयुक्त समय प्रदोष काल का माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता है तथा लगभग २ घण्टे २२ मिनट तक व्याप्त रहता है। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार श्री महालक्ष्मी पूजन हेतु शुभ समय प्रदोष काल से प्रारम्भ हो कर अर्ध-रात्रि तक व्याप्त रहने वाली अमावस्या तिथि को श्रेष्ठ माना गया है। अतः प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अतः प्रदोष के समय व्याप्त पूर्ण अमावस्या तिथि दिवाली की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है।

 

अतः हम आपको बताएंगे,

 

🪔 दिवाली की पूजा का अत्यंत शुभ मुहूर्त 2024 🪔

इस वर्ष, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 31 अक्तूबर, गुरुवार की दोपहर 03 बजकर 52 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 01 नवम्बर, शुक्रवार की साँय 06 बजकर 16 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

 

         इस वर्ष दिवाली के दिनांक को लेकर सभी भक्तजनों के बीच अत्यंत उलझन की स्थिति है। क्योंकि, इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या दो दिन है। ऐसे में असमंजस है कि दिवाली का त्योहार 31 अक्तूबर के दिन है या 01 नवंबर के दिन। देखिये, उदयातिथि के अनुसार अधिकांश स्थान पर 01 नवंबर,  शुक्रवार के दिन दिवाली मनाई जाएगी। 01 नवम्बर, शुक्रवार के दिन सम्पूर्ण उत्तर भारत में साँय 17:46 से 20:11 तक प्रदोष काल व्याप्त रहेगा।

         साथ ही, शास्त्र में लिखा है की - न नन्दा होलिका दाहो न नंदा दीपमालिका।

जिसका अर्थ होता है की, नंदा अर्थात प्रतिपदा तिथि में न होलिका दहन होता है और न दीपोत्सव मनाया जाता है। दीपावली लक्ष्मी पूजन का पर्व कार्तिक कृष्ण अमावस्या को सूर्यास्त पश्चात प्रदोष काल में ही श्री गणेश, देवी लक्ष्मी माँ, सरस्वती माता, माँ महाकाली तथा श्री कुबेर देव आदि भगवान के पूजन करने का विशेष महत्व है। 31 अक्तूबर के दिन प्रदोष काल एवं पूर्ण रात्रि में, अमावस्या तिथि मिल रही है, जो देवी लक्ष्मी माँ का पूजन के लिए शास्त्र सम्मत व श्रेष्ठ है।

 


अतः इस वर्ष 2024 में, दिवाली पूजा का त्योहार 31 अक्तूबर, गुरुवार तथा 01 नवम्बर, शुक्रवार दोनों दिनों ही मनाया जाएगा। भारत के दक्षिणी-पश्चिमी राज्यों में 31 अक्तूबर, गुरुवार के दिन दीवाली रहेगी। तथा जोधपुर , उदयपुर, अहमदाबाद, वडोदरा, नासिक, कोल्हापुर, बैंगलोर तथा कोयंबटूर से उत्तर-पूर्व के ओर के बाकी भारत के समस्त राज्यों में 01 नवम्बर, शुक्रवार के दिन दीपावली मनाई जाएगी।

 

दोनों दिनों के पुजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार है।

 

31 अक्तूबर, गुरुवार की साँय 06 बजकर 55 से रात्रि 08 बजकर 41 मिनिट तक का रहेगा।

प्रदोष काल - 18:05 से 20:36

वृषभ काल - 18:57 से 20:56

 

और

 

01 नवम्बर, शुक्रवार की साँय 05 बजकर 46 से रात्रि 06 बजकर 16 मिनिट तक का रहेगा।

प्रदोष काल - 17:46 से 20:11

वृषभ काल - 18:27 से 20:19


भारत के अन्य प्रमुख शहरों में दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

अन्य शहरों में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त

31 अक्तूबर, गुरुवार

18:52 से 20:35 - अहमदाबाद

18:54 से 20:33 - पुणे

18:57 से 20:36 - मुम्बई

18:51 से 20:34 - नडियाद

18:47 से 20:21 - बेंगलूरु

 

01 नवम्बर, शुक्रवार

17:36 से 18:16 बजे - नई दिल्ली

17:42 से 18:16 बजे - चेन्नई

17:44 से 18:16 बजे - जयपुर

17:44 से 18:16 बजे - हैदराबाद

17:37 से 18:16 बजे - गुरुग्राम

17:35 से 18:16 बजे - चण्डीगढ़

17:45 से 18:16 बजे - कोलकाता

17:35 से 18:16 बजे - नोएडा

 

हमारे द्वारा बताए गए इस प्रदोष काल तथा स्थिर लग्न के सम्मिलित शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन तथा स्वास्थ्य का लाभ होता है तथा व्यक्ति के व्यापार तथा आय में अति वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो माँ लक्ष्मीजी घर में सदा के लिए वास करते है। अतः लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।

 


Auspicious time for Lakshmi Pujan on Deepawali in other major cities of India

Laxmi Puja Muhurat in other cities

31 OCTOBER, THURSDAY

18:52 to 20:35 - Ahmedabad

18:54 to 20:33 - Pune

18:57 to 20:36 - Mumbai

18:51 to 20:34 - Nadiad

18:47 to 20:21 - Bengaluru

 

01 NOVEMBER, FRIDAY

17:36 to 18:16 - New Delhi

17:42 to 18:16 - Chennai

17:44 to 18:16 - Jaipur

17:44 to 18:16 - Hyderabad

17:37 to 18:16 - Gurugram

17:35 to 18:16 - Chandigarh

17:45 to 18:16 - Kolkata

17:35 to 18:16 - Noida

27 October 2019

दीपावली पूजन की विधि और सामग्री | Diwali Puja Vidhi in Hindi 2019 | Dipawali Maha Laxmi Poojan Mantra

दीपावली पूजन की विधि और सामग्री | Diwali Puja Vidhi in Hindi 2019 | Dipawali Maha Laxmi Poojan Mantra

diwali puja vidhi in hindi
diwali puja vidhi in hindi
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे

विष्णु पत्न्यै च धीमहि

तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्॥

शुभम करोति कल्याणम,
अरोग्यम धन संपदा, ।
शत्रु-बुद्धि विनाशायः,
दीपःज्योति नमोस्तुते ॥
आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग करें।

लक्ष्मी बीज मन्त्र

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
Om Hreem Shreem Lakshmibhayo Namah

ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।
Om Shreeng Mahalaxmaye Namah।।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या
दिवाली का पर्व सनातन हिन्दू धर्म का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रसिद्ध त्योहार है, तथा इस पर्व को दिपावली, लक्ष्मी पूजा, अमावस्या लक्ष्मी पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा, बंगाल की काली पूजा, दिवाली स्नान, दिवाली देवपूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा तथा दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
        जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान बनाने वाला यह त्यौहार अत्यंत उत्साह एवं धूमधाम से सम्पूर्ण भारतवर्ष के साथ साथ सपूर्ण जगत में मनाया जाता हैं। दीपावली के त्यौहार की तैयारी सभी व्यक्ति कई दिन पहले से ही करते हैं, जिसका प्रारम्भ घर की साफ-सफाई से किया जाता हैं, क्योंकि, दिवाली के दिन शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की विधि-पूर्वक पूजा की जाती हैं, तथा माँ लक्ष्मीजी वहीँ निवास करती हैं जहाँ स्वच्छता होती हैं।
Diwali Puja Vidhi at Home
Diwali Puja Vidhi 
        दिवाली के दिन गणेश तथा लक्ष्मी पूजा करने के लिए उपयुक्त महूर्त प्रदोष काल का होता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता है तथा लगभग २ घण्टे २२ मिनट तक व्याप्त रहता है। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार श्री महालक्ष्मी पूजन हेतु शुभ समय प्रदोष काल से प्रांरम्भ हो कर अर्ध-रात्री तक व्याप्त रहने वाली अमावस्या तिथि को श्रेष्ठ माना गया है। अतः प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेस्ठ है। अतः प्रदोष के समय व्याप्त पूर्ण अमावस्या तिथि दिवाली की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है।
दीवाली के पर्व पर तथा अन्य किसी भी शुभ दिवस पर माता लक्ष्मी, देवी सरस्वती जी एवं भगवान् गणेशजी की पूजा विशेष विधी से करने से सुख-समृद्धि, बुद्धि तथा धन की प्राप्ति होती है तथा घर में शांति व् प्रगति का वरदान भी प्राप्त होता है।

पूजा हेतु पूजन सामग्री

चौकी, लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा, रोली, कुमकुम, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी तथा तांबे के दीपक, रुई, मौलि, नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूँ, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, घृत, पंचामृत, दूध, मेवा, बताशे, गंगाजल, जनेऊ, पिला वस्त्र, लाल वस्त्र, इत्र, खील, चौकी, कलश, शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का तथा प्रसाद हेतु मिष्ठान्न

प्रात:काल देवपूजन-

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान के पश्चात् मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का तोरण बांधे, द्वार के दोनों ओर केले के पत्ते भी लगाएं, तत्पश्चात् देवताओं का आवाहन कर धूप, दीप, नैवेद्य आदि पँचोपचार-विधि से पूजन करें। पूजन में सर्वप्रथम भगवान् श्रीगणेश जी का पूजन करें।

पूजन तैयारी

पूजा में सर्वप्रथम एक चौकी पर पिला वस्त्र बिछा कर उस पर माता लक्ष्मी, देवी सरस्वती व भगवान् गणेश की चित्र या प्रतिमा इस प्रकार विराजमान करें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा के ओर रहे। यह ध्यान दे की माता लक्ष्मीजी, भगवान् गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक माना जाता है।
दो बड़े दीपक ले। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अतिरिक्त एक दीपक भगवान् गणेशजी के पास रखें।
मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर पिला वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें।

थालियों की व्यवस्था

थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें-

प्रथम थाली- ग्यारह दीपक,
द्वितीय थाली- खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान,
तृतीय थाली- फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
इन थालियों के सामने यजमान बैठे। यजमान के परिवार के सदस्य उनकी बाईं ओर बैठें। कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे।

पूजा की विधि

सर्वप्रथम पवित्रीकरण करें।

हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल लेकर उसे प्रतिमा के ऊपर यह मंत्र पढ़ते हुए छिड़कें।
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥

इसके पश्चात् इसी तरह से स्वयं को तथा पूजा की सामग्री को भी इसी तरह जल छिड़ककर पवित्र कर लें।


अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें तथा यह मंत्र का उच्चारण करे-
 पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥

माता पृथ्वी को प्रणाम करके तथा उनसे क्षमा प्रार्थना करते हुए मंत्र उच्चारण करे-
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय माता देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः।

अब आचमन करें

पुष्प, चम्मच या अंजुलि से एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए तथा बोलिए-
ॐ केशवाय नमः
तथा दोबारा एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए तथा बोलिए-
ॐ नारायणाय नमः
तथा एक तीसरी बूंद पानी की मुंह में छोड़िए तथा बोलिए-
ॐ वासुदेवाय नमः

इसके पश्यात ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुए हाथों को खोलें तथा अंगूठे के मूल से होंठों को पोंछकर हाथों को धो लें। पुनः तिलक लगाने के प्राणायाम व अंग न्यास आदि करें। आचमन करने से विद्या-तत्व, आत्म-तत्व तथा बुद्धि-तत्व का शोधन हो जाता है तथा तिलक व अंग न्यास से मनुष्य पूजा के लिए पवित्र हो जाता है।

ध्यान व संकल्प विधि

आचमन आदि के पश्चात् आंखें बंद करके मन को स्थिर कीजिए तथा तीन बार गहरी सांस लीजिए अर्थात प्राणायाम कीजिए क्योंकि भगवान के साकार रूप का ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है इसके पश्यात पूजा के प्रारंभ में स्वस्तिवाचन किया जाता है। उसके लिए हाथ में पुष्प, अक्षत तथा थोड़ा जल लेकर स्वतिनः इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए परम पिता परमात्मा को प्रणाम किया जाता है। इसके पश्यात पूजा का संकल्प किया जाता है। संकल्प हर एक पूजा में प्रधान होता है।
vkj pandey, Vinod Pandey
Happy Diwali Wishesh
इस पूरी प्रक्रिया के पश्चात् मन को शांत कर आंखें बंद करें तथा लक्ष्मी माता को मन ही मन प्रणाम करें। इसके पश्चात् हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प करें। संकल्प के लिए हाथ में अक्षत, पुष्प तथा जल ले लीजिए। साथ में एक रूपए का सिक्का या यथासंभव धन भी ले लें। इन सब को हाथ में लेकर संकल्प करें कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर माता लक्ष्मी, देवी सरस्वती तथा भगवान् गणेशजी की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों।

पूजन विधि

Diwali Puja Vidhi at home
Diwali Puja Vidhi
सर्वप्रथम भगवान गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। तत्पश्चात कलश पूजन करें इसके पश्यात नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में थोड़ा सा जल, अक्षत तथा पुष्प ले लीजिए तथा नवग्रह स्तोत्र का जाप करे। इसके पश्चात् भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है। इन सभी के पूजन के पश्चात् 16 मातृकाओं को गंध, अक्षत व पुष्प प्रदान करते हुए पूजन करें। पूरी प्रक्रिया मौलि लेकर गणपति, माता लक्ष्मी व सरस्वती को अर्पण कर तथा स्वयं के हाथ पर भी बंधवा लें। अब सभी देवी-देवताओं के तिलक लगाकर स्वयं को भी तिलक लगवाएं।
अब आनंदचित्त से निर्भय होकर माता महालक्ष्मी जी की पूजा प्रारंभ करे तथा उनकी प्रतिमा के आगे 7, 11 या 21 दीपक जलाएं। माता को श्रृंगार सामग्री अर्पण करें। माता को भोग लगा कर उनकी आरती करें। श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त व कनकधारा स्रोत का पाठ करें। इस तरह से आपकी पूजा पूर्ण होती है।
क्षमा-प्रार्थना करें
पूजा पूर्ण होने के पश्चात् माता से जाने-अनजाने हुए सभी भूलों के लिए क्षमा-प्रार्थना करें। उन्हें कहें-
हे माता, ना मैं आह्वान करना जानता हूँ, ना विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया तथा भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो। यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे आप भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों।

दीपमाला प्रज्जवलन विधि

सूर्यास्त के पश्चात् माता लक्ष्मी के समक्ष दीपमाला का प्रज्जवलन करें। घर के मुख्य द्वार पर दीपमाला लगाएं। दीपमाला प्रज्जवलन के समय यह मन्त्र का उच्चारण करें।
शुभं करोतु कल्याणं आरोग्यं सुख सम्पदाम।
शत्रुबुद्धि विनाशाय दीपज्योति नमोस्तुते॥

कृपया ध्यान दे
1- पूजन हेतु परिवार के सभी सदस्य का होना उचित माना गया है। 
2-     माताजी को पुष्प में कमल व गुलाब अति प्रिय है। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं। सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र का प्रयोग इनकी पूजा में अवश्य करें। अनाज में चावल तथा मिठाई में घर में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई या हलवा, शिरा का नैवेद्य उपयुक्त है।
3.     प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इनको शीघ्र प्रसन्न करता है। अन्य सामग्री में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का पूजन में उपयोग करना चाहिए।
4- माता लक्ष्मीजी के पूजन की सामग्री आपके अपने सामर्थ्य के अनुसार होना चाहिए। किन्तु लक्ष्मीजी को कुछ वस्तुएँ अत्यंत प्रिय हैं। उनका उपयोग करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इनका उपयोग करना आवश्यक है। वस्त्र में माता जी का प्रिय वस्त्र लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी वस्त्र है।      
5- लक्ष्मी माता जी को प्रसन्न करने हेतु, श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त व कनकधारा स्रोत का पाठ करे

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एक दंत दयावंत चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहेमुसे की सवारी।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
पान चढ़े फूल चढ़े तथा चढ़े मेवा।
लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा।। 
जय गणेश देवाजय गणेश जय गणेश देवा। 
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

क्ष्मीजी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवतहर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता
सूर्य चद्रंमा ध्यावतनारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्याताऋद्धि सिद्धी धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभाव प्रकाशनीभवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता
सब सभंव हो जातामन नहीं घबराता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभवसब तुमसे आता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिनकोई नहीं पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आंनद समातापाप उतर जाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता
तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता....x

26 October 2019

दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त | Diwali Puja ka Shubh Muhurat Time | Laxmi Pujan Auspicious Time

दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त | Diwali Puja ka Shubh Muhurat Time | Laxmi Pujan Auspicious Time

diwali pujan shubh muhurat 2019
diwali pujan shubh muhurat time 2019


ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे
विष्णु पत्न्यै च धीमहि
तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्॥

शुभम करोति कल्याणम |
अरोग्यम धन संपदा |
शत्रु-बुद्धि विनाशायः |
दीपःज्योति नमोस्तुते ॥

असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अनुवाद:- असत्य से सत्य की ओर।
अंधकार से प्रकाश की ओर।
मृत्यु से अमरता की ओर हमें ले जाओ।
ॐ शांति शांति शांति।।

आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग करें।
लक्ष्मी बीज मन्त्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
Om Hreem Shreem Lakshmibhayo Namah

ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।
Om Shreeng Mahalaxmaye Namah।।

diwali puja shubh muhurat time 2019
diwali pujan time
दिवाली का पर्व सनातन हिन्दू धर्म का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रसिद्ध त्योहार है, तथा इस पर्व को दिपावली, लक्ष्मी पूजा, अमावस्या लक्ष्मी पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा, बंगाल की काली पूजा, दिवाली स्नान, दिवाली देवपूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा तथा दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
        जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान बनाने वाला यह त्यौहार सम्पूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ संपूर्ण जगत में अत्यंत उत्साह एवं धूमधाम से मनाया जाता हैं। दीपावली के त्यौहार की तैयारी प्रत्येक व्यक्ति कई दिन पूर्व ही आरंभ कर देते हैं, जिसका प्रारम्भ घर को स्वच्छ तथा पवित्र करने से किया जाता हैं, क्योंकि, दिवाली के दिवस शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की विधि-पूर्वक पूजा की जाती हैं, तथा माँ लक्ष्मीजी वही निवास करती हैं जहाँ स्वच्छता होती हैं।
        दिवाली के दिवस भगवान श्री गणेश जी तथा माता लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए उपयुक्त समय  प्रदोष काल का माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता है तथा लगभग २ घण्टे २२ मिनट तक व्याप्त रहता है। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार श्री महालक्ष्मी पूजन हेतु शुभ समय प्रदोष काल से प्रारम्भ हो कर अर्ध-रात्रि तक व्याप्त रहने वाली अमावस्या तिथि को श्रेष्ठ माना गया है। अतः प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अतः प्रदोष के समय व्याप्त पूर्ण अमावस्या तिथि दिवाली की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है।

अतः हम आपको बताएंगे दिवाली की पूजा करने के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त-

इस वर्ष, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 27 अक्तूबर, रविवार की दोपहर 12 बजकर 23 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 28 अक्तूबर, सोमवार के दिन 09 बजकर 08 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

अतः इस वर्ष 2019 में, दिवाली पूजा का त्योहार 27 अक्तूबर, रविवार के दिन मनाया जाएगा।

        इस वर्ष, दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त, 27 अक्तूबर, रविवार की साँय 06 बजकर 47 से रात्रि  08 बजकर 19 मिनिट तक का रहेगा।

हमारे द्वारा बताए गए इस त्रयोदशी तिथि, प्रदोष काल तथा स्थिर लग्न के सम्मिलित शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन तथा स्वास्थ्य का लाभ होता है तथा व्यक्ति के व्यापार तथा आय में अति वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो माँ लक्ष्मीजी घर में सदा के लिए वास करते है। अतः लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।

दीपावली के दिवस अन्य शुभ समय

27 अक्तूबर, रविवार
प्रदोष काल मुहूर्त - 17:46 से 20:18
वृषभ काल मुहूर्त - 18:57 से 20:21
अभिजित मुहूर्त - 11:49 से 12:32
चौघड़िया मुहूर्त - 17:48 से 19:23 शुभ तथा
                       19:24 से 21:00 अमृत
सूर्योदय - 06:34   सूर्यास्त - 17:46
चन्द्रोदय - 05:22  चन्द्रास्त - 17:36
राहुकाल : 16:24 से 17:46