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31 October 2024

दिवाली पूजा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त समय 2024 Deepavali Pooja Lakshmi Pujan ka Shubh Muhurat Time 2024

🪔💥 दिवाली पूजा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त समय 2024 Deepavali Pooja Lakshmi Pujan ka Shubh Muhurat Time  💥🪔

lakshmi pujan ka samay 2024
Deepavali Pooja Lakshmi Pujan ka Shubh Muhurat

 Auspicious time for Lakshmi Pujan on Deepawali in other major cities of India

Laxmi Puja Muhurat in other cities

31 OCTOBER, THURSDAY

18:52 to 20:35 - Ahmedabad

18:54 to 20:33 - Pune

18:57 to 20:36 - Mumbai

18:51 to 20:34 - Nadiad

18:47 to 20:21 - Bengaluru

 

01 NOVEMBER, FRIDAY

17:36 to 18:16 - New Delhi

17:42 to 18:16 - Chennai

17:44 to 18:16 - Jaipur

17:44 to 18:16 - Hyderabad

17:37 to 18:16 - Gurugram

17:35 to 18:16 - Chandigarh

17:45 to 18:16 - Kolkata

17:35 to 18:16 - Noida

 


ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे

विष्णु पत्न्यै च धीमहि

तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात् ॥

 

शुभम करोति कल्याणम

अरोग्यम धन संपदा

शत्रु-बुद्धि विनाशायः

दीपःज्योति नमोस्तुते ॥

 

असतो मा सद्गमय।

तमसो मा ज्योतिर्गमय।

मृत्योर्मा अमृतं गमय।

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

अनुवाद:- असत्य से सत्य की ओर

अंधकार से प्रकाश की ओर

मृत्यु से अमरता की ओर हमें ले जाओ।

ॐ शांति शांति शांति।।

 

🪔💥 आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ। 💥🪔

🕉🌷 आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग करें। 🚩💐

लक्ष्मी बीज मन्त्र

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥

Om Hreem Shreem Lakshmibhayo Namah

 

ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।

Om Shreeng Mahalaxmaye Namah।।

 


दिवाली का पर्व सनातन हिन्दू धर्म का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रसिद्ध त्योहार है, तथा इस पर्व को दिपावली, लक्ष्मी पूजा, अमावस्या लक्ष्मी पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा, बंगाल की काली पूजा, दिवाली स्नान, दिवाली देवपूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा तथा दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।

         जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान बनाने वाला यह त्यौहार सम्पूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ संपूर्ण जगत में अत्यंत उत्साह एवं धूमधाम से मनाया जाता हैं। दीपावली के त्यौहार की तैयारी प्रत्येक व्यक्ति कई दिन पूर्व ही आरंभ कर देते हैं, जिसका प्रारम्भ घर को स्वच्छ तथा पवित्र करने से किया जाता हैं, क्योंकि, दिवाली के दिवस शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की विधि-पूर्वक पूजा की जाती हैं, तथा माँ लक्ष्मीजी वही निवास करती हैं जहाँ स्वच्छता होती हैं।

         दिवाली के दिवस भगवान श्री गणेश जी तथा माता लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए उपयुक्त समय प्रदोष काल का माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता है तथा लगभग २ घण्टे २२ मिनट तक व्याप्त रहता है। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार श्री महालक्ष्मी पूजन हेतु शुभ समय प्रदोष काल से प्रारम्भ हो कर अर्ध-रात्रि तक व्याप्त रहने वाली अमावस्या तिथि को श्रेष्ठ माना गया है। अतः प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अतः प्रदोष के समय व्याप्त पूर्ण अमावस्या तिथि दिवाली की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है।

 

अतः हम आपको बताएंगे,

 

🪔 दिवाली की पूजा का अत्यंत शुभ मुहूर्त 2024 🪔

इस वर्ष, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 31 अक्तूबर, गुरुवार की दोपहर 03 बजकर 52 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 01 नवम्बर, शुक्रवार की साँय 06 बजकर 16 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

 

         इस वर्ष दिवाली के दिनांक को लेकर सभी भक्तजनों के बीच अत्यंत उलझन की स्थिति है। क्योंकि, इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या दो दिन है। ऐसे में असमंजस है कि दिवाली का त्योहार 31 अक्तूबर के दिन है या 01 नवंबर के दिन। देखिये, उदयातिथि के अनुसार अधिकांश स्थान पर 01 नवंबर,  शुक्रवार के दिन दिवाली मनाई जाएगी। 01 नवम्बर, शुक्रवार के दिन सम्पूर्ण उत्तर भारत में साँय 17:46 से 20:11 तक प्रदोष काल व्याप्त रहेगा।

         साथ ही, शास्त्र में लिखा है की - न नन्दा होलिका दाहो न नंदा दीपमालिका।

जिसका अर्थ होता है की, नंदा अर्थात प्रतिपदा तिथि में न होलिका दहन होता है और न दीपोत्सव मनाया जाता है। दीपावली लक्ष्मी पूजन का पर्व कार्तिक कृष्ण अमावस्या को सूर्यास्त पश्चात प्रदोष काल में ही श्री गणेश, देवी लक्ष्मी माँ, सरस्वती माता, माँ महाकाली तथा श्री कुबेर देव आदि भगवान के पूजन करने का विशेष महत्व है। 31 अक्तूबर के दिन प्रदोष काल एवं पूर्ण रात्रि में, अमावस्या तिथि मिल रही है, जो देवी लक्ष्मी माँ का पूजन के लिए शास्त्र सम्मत व श्रेष्ठ है।

 


अतः इस वर्ष 2024 में, दिवाली पूजा का त्योहार 31 अक्तूबर, गुरुवार तथा 01 नवम्बर, शुक्रवार दोनों दिनों ही मनाया जाएगा। भारत के दक्षिणी-पश्चिमी राज्यों में 31 अक्तूबर, गुरुवार के दिन दीवाली रहेगी। तथा जोधपुर , उदयपुर, अहमदाबाद, वडोदरा, नासिक, कोल्हापुर, बैंगलोर तथा कोयंबटूर से उत्तर-पूर्व के ओर के बाकी भारत के समस्त राज्यों में 01 नवम्बर, शुक्रवार के दिन दीपावली मनाई जाएगी।

 

दोनों दिनों के पुजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार है।

 

31 अक्तूबर, गुरुवार की साँय 06 बजकर 55 से रात्रि 08 बजकर 41 मिनिट तक का रहेगा।

प्रदोष काल - 18:05 से 20:36

वृषभ काल - 18:57 से 20:56

 

और

 

01 नवम्बर, शुक्रवार की साँय 05 बजकर 46 से रात्रि 06 बजकर 16 मिनिट तक का रहेगा।

प्रदोष काल - 17:46 से 20:11

वृषभ काल - 18:27 से 20:19


भारत के अन्य प्रमुख शहरों में दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

अन्य शहरों में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त

31 अक्तूबर, गुरुवार

18:52 से 20:35 - अहमदाबाद

18:54 से 20:33 - पुणे

18:57 से 20:36 - मुम्बई

18:51 से 20:34 - नडियाद

18:47 से 20:21 - बेंगलूरु

 

01 नवम्बर, शुक्रवार

17:36 से 18:16 बजे - नई दिल्ली

17:42 से 18:16 बजे - चेन्नई

17:44 से 18:16 बजे - जयपुर

17:44 से 18:16 बजे - हैदराबाद

17:37 से 18:16 बजे - गुरुग्राम

17:35 से 18:16 बजे - चण्डीगढ़

17:45 से 18:16 बजे - कोलकाता

17:35 से 18:16 बजे - नोएडा

 

हमारे द्वारा बताए गए इस प्रदोष काल तथा स्थिर लग्न के सम्मिलित शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन तथा स्वास्थ्य का लाभ होता है तथा व्यक्ति के व्यापार तथा आय में अति वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो माँ लक्ष्मीजी घर में सदा के लिए वास करते है। अतः लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।

 


Auspicious time for Lakshmi Pujan on Deepawali in other major cities of India

Laxmi Puja Muhurat in other cities

31 OCTOBER, THURSDAY

18:52 to 20:35 - Ahmedabad

18:54 to 20:33 - Pune

18:57 to 20:36 - Mumbai

18:51 to 20:34 - Nadiad

18:47 to 20:21 - Bengaluru

 

01 NOVEMBER, FRIDAY

17:36 to 18:16 - New Delhi

17:42 to 18:16 - Chennai

17:44 to 18:16 - Jaipur

17:44 to 18:16 - Hyderabad

17:37 to 18:16 - Gurugram

17:35 to 18:16 - Chandigarh

17:45 to 18:16 - Kolkata

17:35 to 18:16 - Noida

24 October 2022

दिवाली पूजा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त समय 2022 Deepavali Pooja Lakshmi Pujan ka Shubh Muhurat Time

दिवाली पूजा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त समय 2022 Deepavali Pooja Lakshmi Pujan ka Shubh Muhurat Time 

lakshmi pujan shubh muhurat time 2022
Diwali Lakshmi Puja

ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे
विष्णु पत्न्यै च धीमहि
तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात् ॥
 
शुभम करोति कल्याणम
अरोग्यम धन संपदा
शत्रु-बुद्धि विनाशायः
दीपःज्योति नमोस्तुते ॥
 
असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अनुवाद:- असत्य से सत्य की ओर
अंधकार से प्रकाश की ओर
मृत्यु से अमरता की ओर हमें ले जाओ।
ॐ शांति शांति शांति।।
 
आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग करें।
लक्ष्मी बीज मन्त्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
Om Hreem Shreem Lakshmibhayo Namah
 
ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।
Om Shreeng Mahalaxmaye Namah।।
 
दिवाली का पर्व सनातन हिन्दू धर्म का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रसिद्ध त्योहार है, तथा इस पर्व को दिपावली, लक्ष्मी पूजा, अमावस्या लक्ष्मी पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा, बंगाल की काली पूजा, दिवाली स्नान, दिवाली देवपूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा तथा दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
        जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान बनाने वाला यह त्यौहार सम्पूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ संपूर्ण जगत में अत्यंत उत्साह एवं धूमधाम से मनाया जाता हैं। दीपावली के त्यौहार की तैयारी प्रत्येक व्यक्ति कई दिन पूर्व ही आरंभ कर देते हैं, जिसका प्रारम्भ घर को स्वच्छ तथा पवित्र करने से किया जाता हैं, क्योंकि, दिवाली के दिवस शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की विधि-पूर्वक पूजा की जाती हैं, तथा माँ लक्ष्मीजी वही निवास करती हैं जहाँ स्वच्छता होती हैं।
        दिवाली के दिवस भगवान श्री गणेश जी तथा माता लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए उपयुक्त समय प्रदोष काल का माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता है तथा लगभग २ घण्टे २२ मिनट तक व्याप्त रहता है। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार श्री महालक्ष्मी पूजन हेतु शुभ समय प्रदोष काल से प्रारम्भ हो कर अर्ध-रात्रि तक व्याप्त रहने वाली अमावस्या तिथि को श्रेष्ठ माना गया है। अतः प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अतः प्रदोष के समय व्याप्त पूर्ण अमावस्या तिथि दिवाली की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है।
 

अतः हम आपको बताएंगे दिवाली की पूजा करने के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त-

इस वर्ष, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 24 अक्तूबर, सोमवार की साँय 05 बजकर 27 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 25 अक्तूबर, मंगलवार की साँय 04 बजकर 18 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
 
अतः इस वर्ष 2022 में, दिवाली पूजा का त्योहार 24 अक्तूबर, सोमवार के दिन मनाया जाएगा।
 
        इस वर्ष, दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त, 24 अक्तूबर, सोमवार की साँय 07 बजकर 09 से रात्रि 08 बजकर 24 मिनिट तक का रहेगा।
        इस दिवस दिवाली, नरक चतुर्दशी, तमिल दीपावली, लक्ष्मी पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा तथा काली पूजा की जाएगी।
 
हमारे द्वारा बताए गए इस प्रदोष काल तथा स्थिर लग्न के सम्मिलित शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन तथा स्वास्थ्य का लाभ होता है तथा व्यक्ति के व्यापार तथा आय में अति वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो माँ लक्ष्मीजी घर में सदा के लिए वास करते है। अतः लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।
 

दीपावली के दिवस अन्य शुभ समय

24 अक्तूबर 2022, सोमवार
प्रदोष काल मुहूर्त - 17:54 से 20:25
वृषभ काल मुहूर्त - 19:08 से 21:08
अभिजित मुहूर्त - 11:48 से 12:34
चौघड़िया मुहूर्त - 16:28 से 17:54 अमृत - सर्वोत्तम
सूर्योदय - 06:28   सूर्यास्त - 17:54
चन्द्रोदय - 05:58  चन्द्रास्त - 17:20
राहुकाल - 05:53 से 09:19
 
भारत के अन्य प्रमुख शहरों में दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
07:23 से 08:35 - पुणे                   06:53 से 08:16 - नई दिल्ली
07:06 से 08:13 - चेन्नई                 07:02 से 08:23 - जयपुर
07:06 से 08:17 - हैदराबाद             06:54 से 08:17 - गुरुग्राम
06:51 से 08:16 - चण्डीगढ़            06:19 से 07:35 - कोलकाता
07:26 से 08:39 - मुम्बई                 07:16 से 08:23 - बेंगलूरु
07:21 से 08:38 - अहमदाबाद         06:52 से 08:15 - नोएडा
 

Auspicious time for Lakshmi Pujan on Deepawali in other major cities of India

07:23 to 08:35 - Pune               06:53 to 08:16 - New Delhi
07:06 to 08:13 - Chennai          07:02 to 08:23 - Jaipur
07:06 to 08:17 - Hyderabad      06:54 to 08:17 - Gurugram
06:51 to 08:16 - Chandigarh     06:19 to 07:35 - Kolkata
07:26 to 08:39 - Mumbai          07:16 to 08:23 - Bangalore
07:21 to 08:38 - Ahmedabad     06:52 to 08:15 - Noida
 

Other auspicious Times on the Day of Diwali 2022

24 October 2022, Monday
Pradosh Kaal Muhurta - 17:54 to 20:25
Vrishabha Kaal Muhurta - 19:08 to 21:08
Abhijit Muhurta - 11:48 to 12:34
Choghadiya Muhurta - 16:28 to 17:54 Amrit - Best
Sunrise - 06:28 Sunset - 17:54
Moonrise - 05:58 Moonset - 17:20
Rahukaal - 05:53 to 09:19

26 October 2019

दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त | Diwali Puja ka Shubh Muhurat Time | Laxmi Pujan Auspicious Time

दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त | Diwali Puja ka Shubh Muhurat Time | Laxmi Pujan Auspicious Time

diwali pujan shubh muhurat 2019
diwali pujan shubh muhurat time 2019


ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे
विष्णु पत्न्यै च धीमहि
तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्॥

शुभम करोति कल्याणम |
अरोग्यम धन संपदा |
शत्रु-बुद्धि विनाशायः |
दीपःज्योति नमोस्तुते ॥

असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अनुवाद:- असत्य से सत्य की ओर।
अंधकार से प्रकाश की ओर।
मृत्यु से अमरता की ओर हमें ले जाओ।
ॐ शांति शांति शांति।।

आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग करें।
लक्ष्मी बीज मन्त्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
Om Hreem Shreem Lakshmibhayo Namah

ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।
Om Shreeng Mahalaxmaye Namah।।

diwali puja shubh muhurat time 2019
diwali pujan time
दिवाली का पर्व सनातन हिन्दू धर्म का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रसिद्ध त्योहार है, तथा इस पर्व को दिपावली, लक्ष्मी पूजा, अमावस्या लक्ष्मी पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा, बंगाल की काली पूजा, दिवाली स्नान, दिवाली देवपूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा तथा दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
        जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान बनाने वाला यह त्यौहार सम्पूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ संपूर्ण जगत में अत्यंत उत्साह एवं धूमधाम से मनाया जाता हैं। दीपावली के त्यौहार की तैयारी प्रत्येक व्यक्ति कई दिन पूर्व ही आरंभ कर देते हैं, जिसका प्रारम्भ घर को स्वच्छ तथा पवित्र करने से किया जाता हैं, क्योंकि, दिवाली के दिवस शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की विधि-पूर्वक पूजा की जाती हैं, तथा माँ लक्ष्मीजी वही निवास करती हैं जहाँ स्वच्छता होती हैं।
        दिवाली के दिवस भगवान श्री गणेश जी तथा माता लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए उपयुक्त समय  प्रदोष काल का माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता है तथा लगभग २ घण्टे २२ मिनट तक व्याप्त रहता है। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार श्री महालक्ष्मी पूजन हेतु शुभ समय प्रदोष काल से प्रारम्भ हो कर अर्ध-रात्रि तक व्याप्त रहने वाली अमावस्या तिथि को श्रेष्ठ माना गया है। अतः प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अतः प्रदोष के समय व्याप्त पूर्ण अमावस्या तिथि दिवाली की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है।

अतः हम आपको बताएंगे दिवाली की पूजा करने के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त-

इस वर्ष, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 27 अक्तूबर, रविवार की दोपहर 12 बजकर 23 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 28 अक्तूबर, सोमवार के दिन 09 बजकर 08 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

अतः इस वर्ष 2019 में, दिवाली पूजा का त्योहार 27 अक्तूबर, रविवार के दिन मनाया जाएगा।

        इस वर्ष, दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त, 27 अक्तूबर, रविवार की साँय 06 बजकर 47 से रात्रि  08 बजकर 19 मिनिट तक का रहेगा।

हमारे द्वारा बताए गए इस त्रयोदशी तिथि, प्रदोष काल तथा स्थिर लग्न के सम्मिलित शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन तथा स्वास्थ्य का लाभ होता है तथा व्यक्ति के व्यापार तथा आय में अति वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो माँ लक्ष्मीजी घर में सदा के लिए वास करते है। अतः लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।

दीपावली के दिवस अन्य शुभ समय

27 अक्तूबर, रविवार
प्रदोष काल मुहूर्त - 17:46 से 20:18
वृषभ काल मुहूर्त - 18:57 से 20:21
अभिजित मुहूर्त - 11:49 से 12:32
चौघड़िया मुहूर्त - 17:48 से 19:23 शुभ तथा
                       19:24 से 21:00 अमृत
सूर्योदय - 06:34   सूर्यास्त - 17:46
चन्द्रोदय - 05:22  चन्द्रास्त - 17:36
राहुकाल : 16:24 से 17:46

21 October 2019

दिवाली 2019 | 5 दिनों का है यह त्योहार | Diwali Festival Event Names | Deepawali 2019 | Diwali Pooja 2019

दिवाली 2019 | 5 दिनों का है यह त्योहार | Diwali Festival Event Names | Deepawali 2019 | Diwali Pooja 2019

diwali festival 2019
diwali festival event names 2019
दिवाली का त्योहार सनातन हिन्दू धर्म का अत्यंत पवित्र तथा सर्वाधिक प्रसिद्ध त्योहार है, दिवाली के इस पावन पर्व को दीपावली, चोपड़ा पूजन या लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। दिवाली के महोत्सव का प्रारंभ धनतेरस से होता है तथा भैया दूज के दिन तक यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
दिवाली के उत्सव के इन पाँच दिनों में माता लक्ष्मीजी सर्वाधिक महत्वपूर्ण देवी होती हैं। पाँचों दिनों में अमावस्या का दिन सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है तथा इसे लक्ष्मी पूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा तथा दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है।
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सूर्यास्त के पश्चात का माना गया है। प्रदोष के समय व्याप्त अमावस्या तिथि दिवाली पूजा के लिए उपयुक्त मानी गई है। अतः प्रदोष काल का समय लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
आज हम आपको बताएंगे, दिवाली के 5 महत्वपूर्ण त्योहारों की तिथियां तथा उन त्योहारों के अन्य नाम-

दिवाली का प्रथम दिवस
धनतेरस (शुक्रवार)      
- 25 October 2019
- २५ अक्तूबर २०१९
अन्य नाम/त्योहार- गोवत्स द्वादशी, वसुबारस, धनत्रयोदशी, धनतेरस पूजा, त्रयोदशी पूजन तथा धन्वन्तरि त्रयोदशी पुजा

दिवाली का द्वितीय दिवस
छोटी दिवाली (शनिवार)     
- 26 October 2019
- २६ अक्तूबर २०१९
अन्य नाम/त्योहार- दीवाली दीपक, यम दीपम, काली चौदस तथा हनुमान पूजा

दिवाली का तृतीय दिवस
दिवाली (रविवार)
- 27 October 2019
- २७ अक्तूबर २०१९
अन्य नाम/त्योहार- दिपावली, दीवाली लक्ष्मी पूजा, नरक चतुर्दशी, तमिल दीपावली, लक्ष्मी पूजा, दीवाली पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा, बंगाल की काली पूजा तथा अमावस्या लक्ष्मी पूजा

दिवाली का चतुर्थ दिवस
गोवर्धन पूजा (सोमवार)      
- 28 October 2019
- २८ अक्तूबर २०१९
अन्य नाम/त्योहार- गोवर्धन पूजा, अमावस्या दीवाली स्नान, दीवाली देवपूजा, गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा, प्रतिपदा गोवर्धन पूजा, द्यूत क्रीडा तथा गुजराती नया साल

दिवाली का पंचम दिवस
भाईदूज (मंगलवार)   
- 29 October 2019
- २९ अक्तूबर २०१९
अन्य नाम/त्योहार- भैया दूज, द्वितीया भैया दूज, भाऊ बीज तथा यम द्वितीया

इन पाँच प्रमुख त्योहारों के उपरांत 01 नवम्बर शुक्रवार के शुभ दिवस लाभ पञ्चमी का पर्व मनाया जाएगा, जिसके अन्य नाम - सौभाग्य पंचमी या लाभ पांचम है, जिसे मुख्यतः गुजरात राज्य के व्यापारियों द्वारा व्यापार वृद्धि तथा लक्ष्मी प्राप्ति के उद्देश्य से मनाया जाता हैं।

04 November 2018

धनतेरस 2018 | धनतेरस कथा | Dhanteras Katha in Hindi | Dhanteras Puja Story in Hindi | Dhanteras 2018 #DhanTeras

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Dhanteras Puja Story
 सम्पूर्ण भारत में कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि के दिन धनतेरस का पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास से मनाया जाता है। देव धनवन्तरी के साथ-साथ इस दिन, माता लक्ष्मी जी तथा धन के देवता कुबेर जी के पूजन विधान है। तथा इस पर्व पर यमदेव को भी दीपदान किया जाता है। इस दिन यमदेव की पूजा करने के विषय में मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है।

दोस्तों आज हम आपको बताएँगे धनतेरस की प्रचलित कथा
 एक राज्य में एक अत्यंत बलवान राजा रहता था, कई वर्षों तक कड़ी प्रतिक्षा तथा भगवान् से प्रार्थना करने के पश्यात उसे पुत्र संतान का सुख प्राप्त हुआ। राजा के पुत्र के भविष्य के बारे में राज्य के ज्योतिषी ने बताया कि,यदि बालक विवाह करता है, तो उसके चार दिन पश्यात ही इसकी अकाल मृ्त्यु हो जायेगी।
ज्योतिषी की यह भविष्य-वाणी सुनकर राजा चिंतित हो गए तथा उनको अत्यंत दु:ख हुआ, तथा राजा ने एसी घटना से बचने के लिये राजकुमार को एसी जगह पर भेज दिया, जहां आस-पास कोई स्त्री न रहती हो, किन्तु, एक दिन वहां एक अत्यंत सुन्दर राजकुमारी का आगमन हुवा, राजकुमार तथा राजकुमारी दोनों एक दूसरे को देख कर मोहित हो गये, तथा उन्होने आपस में विवाह कर लिया।
ज्योतिषी की भविष्यवाणी के अनुसार ठीक चार दिन पश्यात यमदूत राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचें। यमदूत को देख कर राजकुमार की धर्म-पत्नी अर्थात वह राजकुमारी विलाप करने लगी। यमदूतो से यह देखा न गया तथा वे यमराज से विनती करने लगे की राजकुमार के प्राण बचाने का कोई उपाय सूचित करे। इस पर यमराज जी ने कहा की जो प्राणी कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात में मेरा पूजन करके दीप माला से दक्षिण दिशा की ओर ज्योत वाला दीपक जलायेगा, उसे कभी अकाल मृ्त्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाये जाते है।