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18 August 2024

रक्षा बंधन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है 2024 Raksha Bandhan Rakhi Bandhne ka Shubh Muhurat kab hai ?

रक्षा बंधन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है 2024 Raksha Bandhan Rakhi Bandhne ka Shubh Muhurat kab hai ? 

rakhi bandhne ka shubh muhurat kab hai 2024
Raksha Bandhan 2024 Muhurat

रक्षा बन्धन भद्रा अन्त समय - दोपहर 01 बजकर 31 मिनिट
रक्षा बन्धन भद्रा पूँछ - 09:51 से 10:53
रक्षा बन्धन भद्रा मुख - 10:53 से 12:37
 

रक्षाबन्धन मन्त्रः (Raksha Bandhan Mantra)

येन बद्धो वली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वा रक्षबध्नामी रक्षे माचल माचल ॥
Yen Baddho bali raja danvendro mahabal,
ten twam RakshBadhnami rakshe machalmachal.
The meaning of Raksha Mantra - "I tie you with the same Raksha thread which tied the most powerful, the king of courage, the king of demons, Bali. O Raksha (Raksha Sutra), please don't move and keep fixed throughout the year."
 
येन=जिसके द्वारा  बद्धो= प्रतिबद्ध हुए, बली राजा= राजा बलि, दानवेन्द्रो=दानवों के राजामहाबल: = महाबलशाली,
तेन= उसी प्रतिबद्धता के सूत्र द्वारा  त्वाम=तुम्हे  अनुबध्नामि= मैं भी उसी रक्षा सूत्र मे बनाता हूँ, रक्षे=हे रक्षा सूत्रमा चल=स्थिर रहो  मा चल=स्थिर रहो, चलायमान मत रहो।
 
 
🌷 रक्षाबंधन 🌷
सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम् ।
सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत्।।
 
🙏🏻 इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है ।इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्षभर मनुष्य रक्षित हो जाता हैं। (भविष्य पुराण)
 
🌷 Shubh Muhurat for Raksha Bandhan 2024:
In this video, we present the specific shubh muhurat for Raksha Bandhan 2024. This muhurat is considered auspicious for performing the rituals, tying the sacred thread, and exchanging gifts. Following this muhurat can add an extra layer of positivity to this already special occasion.
 
🌷 Importance of Muhurat:
Choosing the right muhurat is an age-old tradition in Hindu culture. It is believed that certain timings hold specific energies, and by aligning our actions with these timings, we can enhance the positive outcomes of our endeavors.
 

🌷 रक्षाबंधन की संस्कृत में शुभकामनाएं

 
मम भ्राता!
प्रार्थयामहे भव शतायु: ईश्वर सदा त्वाम् च रक्षतु।
पुण्य कर्मणा कीर्तिमार्जय जीवनम् तव भवतु सार्थकम् ।।
अर्थ
मेरे भैया!
प्रार्थना है की आप सौ साल जीयें, ईश्वर सदा आपकी रक्षा करें,
पुण्य कर्मों से कीर्ति अर्जित करें और इस तरह आपका जीवन सार्थक हो।
 
रक्षाबन्धनस्य हार्दिक्य: शुभकामना:।
अर्थ
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
 
रक्षाबन्धनस्य कोटिश: शुभकामना:।
अर्थ
रक्षाबंधन की कोटि कोटि शुभकामनाएँ।
 
रक्षाबन्धनस्य अनेकश: शुभकामना:।
अर्थ
रक्षाबंधन की अनेक शुभकामनाएँ।
 
भ्राता! त्वं जीव शतं वर्धमान:।
अर्थ
भाई! तुम सौ साल जिओ।
 
भगिनी! त्वं शतं जीव शरदः वर्धमाना।
अर्थ
बहन! तुम सौ साल जिओ।
 
प्रिय भ्राता;
पश्येम शरद: शतं जीवेम शरद: शतं श्रुणुयाम शरद: शतं
प्रब्रवाम शरद: शतमदीना: स्याम शरद: शतं भूयश्च शरद: शतात् ।
रक्षाबन्धनस्य हार्दिक्य: शुभकामना:।
अर्थ
मेरे भैया,
सौ वर्षों तक आँखों का प्रकाश स्पष्ट बना रहे।
आप सौ साल तक जीते रहें; सौ साल तक आपकी बुद्धि समर्थ रहे,
आप ज्ञानी बने रहे; आप सौ साल तक बढ़ते रहें, और बढ़ते रहें;
आपको पोषण मिलता रहे; आप सौ साल तक जीते रहें
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
  
  
रक्षाबंधन का पर्व सनातन भारतवर्ष में मनाये जाने वाले पवित्र तथा प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। रक्षाबंधन का पर्व भाई व बहन के अतुल्य स्नेह के प्रतीक के स्वरूप में भक्ति एवं उत्साह के साथ मनाया जाता हैं, जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं साथ ही अपने भाई की दिर्ध आयु के लिए प्रार्थना करती हैं तथा भाई अपनी बहनकी रक्षा करने का वचन देता हैं। हिंदुओ में रक्षाबंधन का पर्व अत्यंत हर्षोल्लास के साथ, धूमधाम से मनाया जाता हैं। साथ ही सिख, जैन, तथा लगभग सभी भारतीय समुदायों में यह पर्व बिना किसी रुकावट के तथा प्रेम-भाव के साथ मनाया जाता हैं। रक्षाबंधन के पर्व में रक्षा सूत्र अर्थात राखीका सबसे अधिक विशेष महत्व होता हैं। माना जाता हैं की राखीबहन का अपने भाई के प्रति स्नेह व आदर का प्रतीक होती हैं। रक्षाबंधन का त्योहार सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं जो की अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर के महीने में आता हैं। रक्षा बंधन के ठीक आठ दिन के पश्चात भगवान् श्री कृष्ण का जन्मदिन अर्थात श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता हैं।
रक्षाबंधन के शुभ दिवस पर प्रत्येक जातक को चाहिए की वह रक्षा सूत्र को भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष अर्पित कर 108 या उस से भी अधिक बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या शिव के पंचाक्षरी तथा अत्यंत प्रभावशाली मन्त्र “ॐ नमः शिवाय” का जप करें तथा उसके पश्चात ही रक्षा सूत्र को अपने भाईयों की कलाई पर बांधे। ऐसा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती हैं। क्योंकि श्रावण का पवित्र मास सम्पूर्ण प्रकार से भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता हैं।
 

रक्षाबन्धन का शुभ मुहूर्त 2024

इस वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त, सोमवार प्रातः 03 बजकर 04 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 19 अगस्त, सोमवार की ही मध्य-रात्रि 11 बजकर 55 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
 
अतः इस वर्ष 2024 में रक्षा-बंधन का पर्व 19 अगस्त, सोमवार के शुभ दिवस मनाया जाएगा। 
 
इस वर्ष, रक्षाबंधन के त्योहार पर राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त 19 अगस्त, सोमवार की दोपहर 01 बजकर 32 मिनिट से रात्रि 09 बजकर 11 मिनट तक का रहेगा।
 
यह भी ध्यान रहे की,
१.  हिन्दु धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक शुभ कार्यों हेतु भद्रा का त्याग किया जाना चाहिये। अतः भद्रा का समय रक्षा बन्धन के लिये निषिद्ध माना गया हैं।
२.  रक्षा बन्धन के दिन अर्थात 19 अगस्त, सोमवार के दिन भद्रा, दोपहर 01 बजकर 31 मिनिट पर तक व्याप्त रहेगी, यह समय राखी बांधने के लिए उपयुक्त नहीं है।
३.  वैदिक मतानुसार अपराह्न का समय राखी बांधने के लिये सर्वाधिक उपयुक्त माना गया हैं, जो कि हिन्दु समय गणना के अनुसार दोपहर के पश्चात का समय होता हैं, अपराह्न का शुभ मुहूर्त 13:47 से 16:22 तक रहेगा।
४.  यदि अपराह्न का समय भद्रा आदि के कारण उपयुक्त नहीं हैं तो, प्रदोष काल का समय भी रक्षा बन्धन के संस्कार के लिये उपयुक्त माना गया हैं, प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त 18:56 से 21:10।
 
 
रक्षा बन्धन भद्रा अन्त समय - दोपहर 01 बजकर 31 मिनिट
रक्षा बन्धन भद्रा पूँछ - 09:51 से 10:53
रक्षा बन्धन भद्रा मुख - 10:53 से 12:37

25 August 2018

रक्षाबंधन कब है 2018 । रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 2018 । राखी बांधने का शुभ समय रक्षा । बन्धन 2018 । शुभ महूर्त। रक्षाबन्धन मन्त्र एवं भावार्थ । Raksha Bandhan Mantra by Pt VKJ Pandey

रक्षाबंधन कब है 2018 ।  रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 2018 ।  राखी बांधने का शुभ समय रक्षा । बन्धन 2018 । शुभ महूर्त। रक्षाबन्धन मन्त्र एवं भावार्थ । Raksha Bandhan Mantra by Pt VKJ Pandey

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मंत्र
येन बद्धो बलि: राजा दानवेंद्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।
अर्थ
जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे (राखी), तुम अडिग रहना। अपने रक्षा के संकल्प से कभी भी विचलित मत होना।



रक्षाबंधन का पर्व सनातन भारतवर्ष में मनाये जाने वाले पवित्र तथा प्रमुख त्योहारों में से एक है। रक्षाबंधन का पर्व भाई व बहन के अतुल्य स्नेह के प्रतीक के स्वरूप में भक्ति एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमे बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है साथ ही अपने भाई की दिर्ध आयु के लिए प्रार्थना करती हैं तथा भाई अपनी बहनकी रक्षा करने का वचन देता है। हिंदुओ में रक्षाबंधन का पर्व अत्यंत हर्षोल्लास के साथ, धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही सिख, जैन, तथा लगभग सभी भारतीय समुदायों में यह पर्व बिना किसी रुकावट के तथा प्रेम-भाव के साथ मनाया जाता है। रक्षाबंधन के पर्व में रक्षा सूत्र अर्थात “राखी” का सबसे अधिक विशेष महत्व होता है। माना जाता है की “राखी” बहन का अपने भाई के प्रति स्नेह व आदर का प्रतीक होती है। रक्षाबंधन का त्योहार सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो की अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर के महीने में आता है। रक्षा बंधन के ठीक आठ दिन के पश्चात भगवान् श्री कृष्ण का जन्मदिन अर्थात श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

इस वर्ष 2018 में, श्रावण शुक्ल पुर्णिमा की तिथि 25 अगस्त, दोपहर 03 बजकर 16 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 26 अगस्त, साँय 05 बजकर 25 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

अतः इस वर्ष 2018 में रक्षा-बंधन का पर्व 26 अगस्त, रविवार के दिन मनाया जाएगा। 

इस वर्ष 2018 में, रक्षाबंधन के त्योहार पर राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त- 26 अगस्त, रविवार के दिन, दोपहर 02 बजकर 03 से 03 बजकर 38 मिनिट तक का रहेगा।

यह भी ध्यान रहे की,
१.             रक्षा बन्धन के दिन भद्रा सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाने के कारण राखी बांधने का शुभ मुहूर्त प्रातः 06 बजे से ही प्रारम्भ हो जाएगा जो की साँय 5 बजकर 25 मिनिट तक, अर्थात पुर्णिमा तिथि के समाप्ती तक का रहेगा।
२.             वैदिक मतानुसार अपराह्न का समय राखी बांधने के लिये सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है, जो कि हिन्दु समय गणना के अनुसार दोपहर के पश्चात का समय होता है।
३.             हिन्दु मान्यताओं के अनुसार सभी शुभ कार्यों के लिए भद्रा का त्याग करना चाहिये अतः भद्रा का समय रक्षा बन्धन के लिये निषिद्ध माना गया है।
४.             यदि दोपहर के समय भद्रा आदि के कारण से उपयुक्त नहीं होता तो साँय काल का समय भी रक्षा बन्धन के संस्कार के लिये उपयुक्त माना गया है।