🕉🌷 निर्जला एकादशी कब है 2024 | एकादशी तिथि व्रत पारण का
समय |
तिथि
व शुभ मुहूर्त | Nirjala Ekadashi 2024🔱
Nirjala Ekadashi Vrat |
।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।।
वैदिक विधान कहता
है की, दशमी को एकाहार, एकादशी में निर्जल एवं निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना
चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं। किन्तु अधिकमास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती है। भगवान को एकादशी तिथि अति प्रिय है चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो अथवा
शुकल पक्ष की। इसी कारण इस दिन व्रत करने वाले भक्तों पर प्रभु की अपार कृपा सदा बनी
रहती है अतः प्रत्येक एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान विष्णु
की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं। किन्तु इन सभी एकादशियों में से एक ऐसी
एकादशी भी है जिसमें व्रत रखकर संपूर्ण वर्ष की सभी एकादशियों जितना पुण्य कमाया
जा सकता है। यह है ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी। जिसे निर्जला एकादशी कहा
जाता है। निर्जला एकादशी
से सम्बन्धित पौराणिक कथा के कारण इसे पाण्डव एकादशी तथा भीमसेनी या
भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पद्मपुराण के अनुसार निर्जला एकादशी
व्रत के प्रभाव से जहां मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं अनेक रोगों की
निवृत्ति एवं सुख सौभाग्य में वृद्घि होती है। जो श्रद्धालु वर्ष की सभी चौबीस एकादशियों
का उपवास करने में सक्षम नहीं है, उन्हें केवल निर्जला एकादशी उपवास करना चाहिए क्योंकि निर्जला
एकादशी उपवास करने से अन्य सभी एकादशियों का लाभ प्राप्त हो जाता हैं। मान्यता है कि
इस दिन व्रत रखने, पूजा तथा दान करने से जातक, जीवन में सुख-समृद्धि का भोग करते हुए अंत समय में मोक्ष को प्राप्त करता है। निर्जला
एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष के दौरान किया जाता है। अंग्रेजी
कैलेण्डर के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत मई अथवा जून के महीने में होता है। यह व्रत
सभी पापों का नाश करने वाला तथा मन में जल संरक्षण की भावना को उजागर करता है।
एकादशी के व्रत की समाप्ती करने की विधि को पारण कहते
हैं। कोई भी व्रत तब तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत
पारण न किया जाए। एकादशी व्रत के
अगले दिन सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता है।
ध्यान रहे,
१.
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त
होने से पहले करना अति आवश्यक है।
२.
यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले
समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही होता है।
३.
द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने
के समान होता है।
४.
एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान
भी नहीं करना चाहिए।
५.
व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय
प्रातःकाल होता है।
६.
व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के
दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।
७.
जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत समाप्त
करने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर
द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती है।
८.
यदि, कुछ कारणों की वजह से जातक प्रातःकाल
पारण करने में सक्षम नहीं है, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण करना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत 2024
इस वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की
एकादशी तिथि 17 जून, सोमवार की प्रातः 04 बजकर 43 मिनिट से
प्रारम्भ हो कर, 18 जून, मंगलवार की प्रातः 06 बजकर 24 मिनिट तक
व्याप्त रहेगी।
अतः इस वर्ष 2024 में निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून, मंगलवार के दिवस किया जाएगा।
इस वर्ष, निर्जला एकादशी
व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 19 जून, बुधवार की प्रातः 05 बजकर 44 मिनिट से 07
बजकर 27 मिनिट तक का रहेगा।
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