जया एकादशी कब हैं 2020 | एकादशी तिथि व्रत
पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | Jaya Ekadashi 2020 #EkadashiVrat
jaya ekadashi |
वैदिक विधान कहता हैं की, दशमी
को एकाहार, एकादशी में निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना
चाहिए। सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं, किन्तु अधिकमास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती हैं। प्रत्येक
एकादशी का भिन्न भिन्न महत्व होता हैं तथा प्रत्येक एकादशीयों की एक पौराणिक कथा
भी होती हैं। एकादशियों को वास्तव में मोक्षदायिनी माना गया हैं। भगवान श्रीविष्णु
जी को एकादशी तिथि अति प्रिय मानी गई हैं चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो अथवा शुकल पक्ष
की। इसी कारण एकादशी के दिन व्रत करने वाले प्रत्येक भक्तों पर प्रभु की अपार
कृपा-दृष्टि सदा बनी रहती हैं, अतः प्रत्येक एकादशियों पर
हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान श्रीविष्णु जी की पूजा करते हैं तथा व्रत
रखते हैं, साथ ही रात्री जागरण भी करते हैं। किन्तु इन प्रत्येक
एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी हैं जिसका पुण्यकारी व्रत करने से जातक को भूत-प्रेत या पिशाच
जैसी योनियों में जाने का भय नहीं सताता हैं। इस
परम पुण्यकारी एकादशी का नाम जया एकादशी हैं। यह व्रत माघ मास से शुक्ल पक्ष की
एकादशी तिथि के दिन किया जाता हैं। मान्यता हैं कि जया एकादशी के व्रत से जातक भूत, प्रेत,
पिशाच तथा नकारात्मक ऊर्जा आदि से आजीवन मुक्त हो सकता हैं। अतः
इस एकादशी के उपवास को पूर्ण विधि-विधान के अनुसार करना चाहिए। साथ ही,
जया एकादशी का व्रत पूर्ण
श्रद्धापूर्वक रखने से जातक की माता का स्वास्थ्य अच्छा रहता हैं।
जया एकादशी
व्रत के दिन भगवान श्री हरीविष्णु के अवतार ‘श्रीकृष्ण जी’ की विधिपूर्वक
पूजा करने का विधान हैं। हिन्दू धर्मग्रंथो के अनुसार जया एकादशी के दिन व्रत करने
से समस्त वेदों का ज्ञान, यज्ञों तथा विशेष अनुष्ठानों का
पुण्य प्राप्त होता हैं। जया एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक के समस्त पापों का नाश
होता हैं तथा इस व्रत का पुण्य जातक को मरणोपरांत मोक्ष प्रदान करता हैं।
जया एकादशी व्रत का पारण
एकादशी
के व्रत की समाप्ती करने की विधि को पारण कहते हैं। कोई भी व्रत तब
तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत पारण ना किया जाए। एकादशी व्रत के अगले दिवस सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता हैं।
ध्यान रहे,
१- एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पूर्व
करना अति आवश्यक हैं।
२- यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व समाप्त हो रही हो तो
एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही करना चाहिए।
३- द्वादशी तिथि के भीतर पारण ना करना
पाप करने के समान माना गया हैं।
४- एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए।
५- व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल का होता हैं।
६- व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान
के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।
७- जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें
व्रत समाप्त करने से पूर्व हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए।
हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती हैं।
८- यदि जातक, कुछ कारणों से प्रातःकाल
पारण करने में सक्षम नहीं हैं, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण
करना चाहिए।
इस वर्ष माघ
मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 04 फरवरी, मंगलवार
की रात्रि 09 बजकर 48 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 05 फरवरी, बुधवार
की रात्रि 09 बजकर 30 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
अतः इस वर्ष 2020 में जया एकादशी का व्रत 05 फरवरी, बुधवार
के दिन किया जाएगा।
इस वर्ष, जया
एकादशी व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 06 फरवरी, गुरुवार
की प्रातः 07 बजकर 08 मिनिट से 09 बजकर 21 मिनिट तक का रहेगा।
जया एकादशी का व्रत कब किया जाता हैं?
सनातन हिन्दू
पंचाङ्ग के अनुसार जया एकादशी का व्रत सम्पूर्ण भारत-वर्ष में माघ मास के शुक्ल पक्ष
के एकादशी के दिन किया जाता हैं। वहीं, अङ्ग्रेज़ी कलेंडर के अनुसार यह
व्रत जनवरी या फरवरी के महीने में आता हैं।
No comments:
Post a Comment