14 February 2020

मुंडन मुहूर्त 2020 | मुंडन के लिए शुभ समय शुभ दिन | Mundan Sanskar Muhurat in 2020 | चौलमुंडन | चूड़ाकरण संस्कार

मुंडन मुहूर्त 2020 | मुंडन के लिए शुभ समय शुभ दिन | Mundan Sanskar Muhurat in 2020 | चौलमुंडन | चूड़ाकरण संस्कार

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सनातन हिन्दू धर्म में जन्म के पश्चात प्रत्येक शिशु के गर्भकाल के बाल उतारने की परंपरा हैं, जिसे मुंडन संस्कार कहा जाता हैं। बालकों का मुण्डन 3, 5 तथा 7 आदि विषम वर्षों में किया जाता हैं। वहीं बालिकाओं का चौल कर्म (मुण्डन) संस्कार सम वर्षों में किया जाता हैं। हालांकि कुल परंपरा के अनुसार बच्चों का मुण्डन 1 वर्ष की आयु में भी किया जाता हैं।

मुंडन को लेकर हिन्दू धार्मिक मान्यता हैं कि पूर्व जन्मों के ऋणों से मुक्ति के उद्देश्य से जन्मकालीन केश काटे जाते हैं। वहीं वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार जब बच्चा माँ के पेट में होता हैं तो उसके सिर के बालों में बहुत से हानिकारक बैक्टीरिया लग जाते हैं जो जन्म के पश्चात धोने से भी नहीं निकल पाते हैं अतः बच्चे के जन्म के 1 साल के भीतर एक बार मुंडन अवश्य कराना चाहिए।

मुंडन मुहूर्त के लिए तिथि, नक्षत्र तथा मास विचार

हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ (बड़े बच्चे का मुंडन इस माह में न करें, साथ ही इस माह में जन्म लेने वाले बच्चे का मुंडन भी न करें), आषाढ़ (मुंडन आषाढ़ी एकादशी से पहले करें), माघ तथा फाल्गुन मास में बच्चों का मुण्डन संस्कार कराना चाहिए।
तिथियां में द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी तथा त्रयोदशी मुंडन संस्कार के लिए शुभ मानी जाती हैं।
मुंडन के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार तथा शुक्रवार शुभ दिन माने गये हैं। वहीं शुक्रवार के दिन बालिकाओं को मुंडन नहीं करना चाहिए।
नक्षत्रों में अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, पुनर्वसु, चित्रा, स्वाति, ज्येष्ठ, श्रवण, धनिष्ठा तथा शतभिषा मुंडन संस्कार के लिए शुभ माने गये हैं।
कुछ विद्वानों के अनुसार जन्म मास व जन्म नक्षत्र तथा चंद्रमा के चतुर्थ, अष्टम, द्वादश तथा शत्रु भाव में स्थित होने पर मुंडन निषेध माना गया हैं। वहीं कुछ विद्वान जन्म नक्षत्र या जन्म राशि को मुंडन के लिए शुभ मानते हैं।
द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, षष्टम, सप्तम, नवम या द्वादश राशियों के लग्न या इनके नवांश में मुंडन शुभ होते हैं।

मुंडन संस्कार के लाभ

मुंडन के संदर्भ में यजुर्वेद में उल्लेख हैं कि, मुंडन संस्कार बल, आयु, आरोग्य तथा तेज की वृद्धि के लिए किया जाने वाला अति महत्वपूर्ण संस्कार हैं।
मुण्डन के प्रभाव से बच्चों को दांतों के निकलते समय होने वाला दर्द अधिक परेशान नहीं करता हैं।
मुण्डन के पश्चात बच्चों के शरीर का तापमान सामान्य हो जाता हैं। इससे मस्तिष्क स्थिर रहता हैं, साथ ही बच्चों को शारीरिक तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ नहीं होती हैं।
जन्मकालीन केश उतारे जाने के पश्चात सिर पर धूप पड़ने से विटामिन डी मिलता हैं। इससे कोशिकाओं में रक्त का प्रवाह अच्छी तरह से होता हैं तथा इसके प्रभाव से भविष्य में आने वाले बाल अत्यंत अच्छे होते हैं।

विशेष: मुंडन संस्कार का शुभ मुहूर्त में संपन्न होना शिशु के लिए लाभदायक तथा कल्याणकारी होता हैं, अतः मुंडन संबंधी मुहूर्त के लिए विद्वान ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें या अपनी कुल परंपरा के अनुसार बच्चों का मुण्डन कराएँ।

मुंडन संस्कार का शुभ मुहूर्त 2020

16 जनवरी, गुरुवार
माघ कृष्ण षष्ठी
हस्त नक्षत्र
07:11 से 09:48

17 जनवरी, शुक्रवार
माघ कृष्ण सप्तमी
चित्रा नक्षत्र
07:18 से 07:25

30 जनवरी, गुरुवार
माघ शुक्ल पंचमी
उ. भाद्रपद नक्षत्र
15:02 से 19:08

31 जनवरी, शुक्रवार
माघ शुक्ल षष्ठी
रेवती नक्षत्र
07:04 से 18:14

07 फरवरी, शुक्रवार
माघ शुक्ल त्रयोदशी
पुनर्वसु नक्षत्र
07:06 से 18:24

13 फरवरी, गुरुवार
फाल्गुन कृष्ण पंचमी
हस्त नक्षत्र
07:02 से 20:02

14 फरवरी, शुक्रवार
फाल्गुन कृष्ण षष्ठी
स्वाति नक्षत्र
07:01 से 18:21

17 फरवरी, सोमवार
फाल्गुन कृष्ण नवमी
ज्येष्ठा नक्षत्र
14:36 से 20:06

21 फरवरी, शुक्रवार
फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र
09:13 से 17:21

28 फरवरी, शुक्रवार
फाल्गुन शुक्ल पंचमी
अश्विनी नक्षत्र
06:48 से 19:23

05 मार्च, गुरुवार
फाल्गुन शुक्ल दशमी
आर्द्रा नक्षत्र
11:26 से 18:59

11 मार्च, बुधवार
चैत्र कृष्ण द्वितीया
हस्त नक्षत्र
06:35 से 18:36

13 मार्च, शुक्रवार
चैत्र कृष्ण चतुर्थी
स्वाति नक्षत्र
08:51 से 13:59

25 मार्च, बुधवार
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
रेवती नक्षत्र
09:13 से 17:21

26 मार्च, गुरुवार
चैत्र शुक्ल द्वितीया
रेवती/अश्विनी नक्षत्र
07:06 से 18:24

16 अप्रैल, गुरुवार
वैशाख कृष्ण नवमी
धनिष्ठा नक्षत्र
18:12 से 20:50

17 अप्रैल, शुक्रवार
वैशाख कृष्ण दशमी
उ.भाद्रपद नक्षत्र
05:54 से 07:05

27 अप्रैल, सोमवार
वैशाख शुक्ल चतुर्थी
मृगशिरा नक्षत्र
14:30 से 20:07

29 अप्रैल, बुधवार
वैशाख शुक्ल षष्ठी
पुनर्वसु नक्षत्र
05:42 से 19:58

30 अप्रैल, गुरुवार
वैशाख शुक्ल सप्तमी
पुष्य नक्षत्र
05:41 से 14:39

13 मई, बुधवार
ज्येष्ठा कृष्ण षष्ठी
श्रावण नक्षत्र
05:32 से 19:04

14 मई, गुरुवार
ज्येष्ठा कृष्ण सप्तमी
श्रावण नक्षत्र
05:31 से 06:51

15 मई, शुक्रवार
ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी
धनिष्ठा नक्षत्र
04:02 से 08:23

20 मई, बुधवार
ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी
अश्विनी नक्षत्र
05:28 से 19:19

25 मई, सोमवार
ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया
मृगशिरा नक्षत्र
05:26 से 05:54

27 मई, बुधवार
ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी
पुनर्वसु नक्षत्र
05:25 से 20:28

28 मई, गुरुवार
ज्येष्ठ शुक्ल षष्ठी
पुष्य नक्षत्र
05:25 से 07:27

01 जून, सोमवार
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी
हस्त नक्षत्र
05:24 से 13:16

03 जून, बुधवार
ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी
स्वाति नक्षत्र
05:23 से 06:21

07 जून, रविवार
आषाढ़ कृष्ण द्वितीया
मूल नक्षत्र
05:23 से 19:44

08 जून, सोमवार
आषाढ़ कृष्ण तृतीया
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र
05:23 से 18:21

10 जून, बुधवार
आषाढ़ कृष्ण पंचमी
श्रावण नक्षत्र
05:23 से 10:34

11 जून, गुरुवार
आषाढ़ कृष्ण षष्ठी
धनिष्ठा नक्षत्र
11:28 से 19:29

15 जून, सोमवार
आषाढ़ कृष्ण दशमी
रेवती नक्षत्र
06:29 से 16:31

17 जून, बुधवार
आषाढ़ कृष्ण एकादशी
अश्विनी नक्षत्र
05:23 से 07:04

03 जुलाई, शुक्रवार
ज्येष्ठा नक्षत्र
आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी
07:06 से 18:24

08 जुलाई, बुधवार
धनिष्ठा नक्षत्र
श्रावण कृष्ण तृतीया
05:01 से 09:19

09 जुलाई, गुरुवार
शतभिषा नक्षत्र
श्रावण कृष्ण चतुर्थी
10:12 से 16:56

12 जुलाई, रविवार
रेवती नक्षत्र
श्रावण कृष्ण सप्तमी
08:18 से 21:11

13 जुलाई, सोमवार
रेवती/अश्विनी नक्षत्र
श्रावण कृष्ण अष्टमी
10:29 से 16:48

18 अक्तूबर, रविवार
स्वाती नक्षत्र
आश्विन शुक्ल द्वितीया
07:06 से 15:22

19 अक्तूबर, सोमवार
अनुराधा नक्षत्र
आश्विन शुक्ल तृतीया
08:16 से 14:08

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