05 September 2017

अगर सुबह लिया हनुमान जी का नाम तो पूरे दिन भोजन नही मिलेगा




अगर सुबह लिया हनुमान जी का नाम

तो पूरे दिन भोजन नही मिलेगा


जय श्री राम | जय हनुमान !

नमस्कार ! में विनोद पांडे, आप सभी भक्तो का हार्दिक स्वागत करता हु, आपके अपने YouTube चेंनल पर!







दोस्तों आप सभी सोच रहे होंगे की भगवान शिव के रुद्रावतार, श्री बजरंगबली को सनातन हिन्दू धर्म में साहस, शक्ति, भक्ति एवं निस्वार्थ सेवा के लिए जाना जाता है। पौराणिक ग्रन्थ रामायण में हनुमान जी को भगवान श्री राम का सबसे बड़ा भक्त बताया गया है। इनकी आराधना करने से मनोवांछित वरदान प्राप्त होता है, भय दूर होता है तथा सारे संकट क्षण में ही समाप्त हो जाते हैं।
   किन्तु आज हम आपको बताएंगे की हनुमान जी नाम सुबह क्यों नहीं लेना चाहिए!
  
दोस्तों बात सुन्दर कांड की हैं, जब हनुमानजी समुद्र पार करके माता सीता की खोज में लंका पहुँचे, वहा दशानन-रावण के छोटे भाई विभीषण भेसे उनकी भेट हुई। विभीषण ने हनुमानजी से एक साधारण-सा प्रश्न किया कि हे पवनपुत्र!, भगवान राम क्या कभी मुझ पर कृपा करेंगे? रावण मेरे भ्राता हैं, मेरा शरीर तामसी अर्थात राक्षसी हैं! क्या यह जानते हुए भी वो इस संसार से मुझे मुक्ति दिलायेंगे?
यह प्रश्न सुनकर हनुमान जी ने यह उत्तर दिया की :- हे विभीषण! महाराज, आप संशय क्यों कर रहे हैं? सुनिए, प्रभु की यही रीति है कि, वे सेवक पर सदा ही प्रेम किया करते हैं। …. भला कहिए, मैं ही कौन बड़ा कुलीन हूँ? चंचल वानर हूँ! हे विभीषण प्रातःकाल जो हम लोगों (बंदरों) का नाम ले ले तो उस दिन उसे भोजन न मिले। जब मुझ जैसे वानर कुल में पैदा हुए एक वानर को श्री राम जी ने शरण दे दी, अपना दास स्वीकार कर लिया तब भला वे आपको क्यों नहीं अपनाएंगे, आप तो एक इंसान हैं, वो जरूर आपकी सहायता करेंगे।

दोस्तों आइये हम आपको सुन्दरकाण्ड की वह चोपाई बताते है-
।। चोपाई ।।
प्रात लेइ जो नाम हमारा। तेहि दिन ताहि मिलै अहारा ।।
Praat lehi jo naam hamara,   tehi din tahin na mile aahhara.
अर्थ- श्री हनुमान जी स्वयं कहते हैं की प्रातःकाल अर्ताथ सुबह सवेरे जो कोई हम लोगोंका अर्थात बंदरोंकी प्रजातिका नाम ले लेगा तो उस दिन उसे पूरे दिन भोजन नही मिलेगा।




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