भांग और धतुरा भगवान शिव-शंकर को क्यों हैं प्रिय ?
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भगवान भोलेनाथ के बारे में कहा जाता हैं कि वे भांग और धतूरे जैसी नशीली चीजों का सेवन करते हैं। भगवान् शंकर की तरह ही उन्हें मानने वाले उनके भक्त लोग भी अपने महादेव की तरह आज भी भांग और धतूरे का सेवन करते हैं.
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क्या भगवान शिव हमेशा भांग के नशे में रहते हैं?
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भांग और धतूरे का सेवन शिवरात्रि और होली मैं क्यों किया जाता हैं?
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क्यों सन्यासियों में भी भांग, गांजा-चिलम आदि का इतना प्रचलन है?
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भोलेबाबा का धतूरा और भांग जैसे नशे करने के पीछे की क्या वजह हैं?
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भगवान शिव भांग का सेवन क्यों करते हैं?
भांग और धतुरा भगवान शिव-शंकर को क्यों हैं प्रिय ?
चलिए जानते है सारे सवालो के पीछे
के तीन वैदिक तर्क दिए गए हैं
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१. पहला भांग-धतूरे और गांजा जैसी चीजों को शिव से जोडऩे का एक दार्शनिक कारण है। यह चीजें समाज द्वारा त्यागी गयी श्रेणी में आती हैं, शिवजी का यह संदेश है कि वे उनके साथ भी हैं जो सभ्य समाजों द्वारा त्याग दिए जाते हैं। जो शिव समर्पित हो जाता है, शिव जी उसके हो जाते हैं। और उसका उद्धार करते हैं!
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![](https://4.bp.blogspot.com/-u_VHHBnEAyY/Wawm_0vWZAI/AAAAAAAADAg/F9q8oKO0YbEJmK7WO3cv4GAy4AH5CrZiQCK4BGAYYCw/s320/bhang.jpg)
दोस्तों भावार्थ यह निकलता हैं की भगवान् शिव इस संसार में व्याप्त हर बुराई और
हर नकारात्मक चीज़ को अपने भीतर ग्रहण कर लेते हैं और अपने भक्तो की विष से
रक्षा करते हैं.
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