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जिनका शरीर कपूर के समान गोरा हैं, जो करुणा के
अवतार हैं, जो शिव संसार के सार अर्थात मूल हैं। तथा जो महादेव सर्पराज को गले के हार के
रूप में धारण करते हैं, ऐसे सदैव प्रसन्न रहने वाले भगवान शिव को मैं अपने
हृदय कमल में शिव तथा पार्वती के साथ नमस्कार करता हूँ।
सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार चतुर्थी, एकादशी, त्रयोदशी-प्रदोष, अमावस्या, पूर्णिमा आदि
जैसे अनेक व्रत तथा उपवास किए जाते हैं। किन्तु चातुर्मास को व्रतों के लिए अत्यंत
महत्वपूर्ण माना गया हैं। चातुर्मास का समय 4 मास की अवधि में होता हैं, जो की आषाढ़
शुक्ल एकादशी अर्थात ‘देवशयनी एकादशी’ से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी अर्थात ‘प्रबोधिनी एकादशी’ तक चलता हैं। चातुर्मास के चार मास इस
प्रकार हैं:- श्रावण, भाद्रपद, आश्विन तथा कार्तिक।
चातुर्मास के प्रथम मास को ही श्रावण मास कहा जाता हैं।
श्रावण शब्द, श्रवण से बना हैं जिसका अर्थ होता हैं
सुनना, अर्थात सुनकर धर्म को समझना। वेदों के ज्ञान
को ईश्वर से सुनकर ही ऋषियों ने समस्त प्राणियों को सुनाया था। सावन का महीना
भक्तिभाव तथा सत्संग के लिए विशेष होता हैं। सावन के मास में विशेष रूप से भगवान
शिव, माता पार्वती तथा श्री कृष्णजी की पूजा-अर्चना की जाती हैं। भगवान शिव का
आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु सम्पूर्ण सावन के मास को अत्यंत शुभ व फलदायक माना
जाता हैं। अतः भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु समस्त भक्तगण श्रावण मास के दौरान
विभिन्न प्रकार से व्रत तथा उपवास रखते हैं।
श्रावण मास के दौरान समस्त उत्तरी भारत के राज्यों
में सोमवार का व्रत अत्यंत शुभ माना जाता हैं। कई भक्त सावन मास के प्रथम सोमवार के
दिन से ही सोलह सोमवार उपवास का प्रारम्भ करते हैं। श्रावण मास में प्रत्येक मंगलवार
भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती माँ को समर्पित होते हैं। श्रावण मास के दौरान
मंगलवार का उपवास मंगल-गौरी व्रत के रूप में जाना जाता हैं।
वैसे तो प्रत्येक सोमवार भगवान शिव की उपासना के
लिये उपयुक्त माना जाता हैं किन्तु सावन के सोमवार का महत्व अधिक माना गया हैं। श्रावण
के सोमवार व्रत की पूजा भी अन्य सोमवार व्रत के अनुसार की जाती हैं। इस व्रत में
केवल एकाहार अर्थात एक समय भोजन ग्रहण करने का संकल्प लिया जाता हैं। भगवान
भोलेनाथ तथा माता पार्वती जी की धूप, दीप, जल, पुष्प आदि से पूजा करने का विधान हैं। शिव
पूजा के लिये सामग्री में उनकी प्रिय वस्तुएं भांग, धतूरा आदि भी रख सकते हैं। सावन के प्रत्येक
सोमवार भगवान शिव को जल अवश्य अर्पित करना चाहिये। रात्रि में भूमि पर आसन बिछा कर
शयन करना चाहिये। सावन के पहले सोमवार से आरंभ कर 9 या 16 सोमवार तक लगातार उपवास करना चाहिये तथा
उसके पश्चात 9वें या 16वें सोमवार पर व्रत का उद्यापन अर्थात पारण किया जाता हैं। यदि लगातार 9 या 16 सोमवार तक उपवास
करना संभव न हो तो आप केवल सावन के चार सोमवार इस व्रत को कर सकते हैं।
सावन के सोमवार का व्रत 2023
इस वर्ष, श्रावण सोमवार का व्रत कब से प्रारम्भ हैं तथा कब तक किया जाएगा?
भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों में चंद्र पंचांग के
आधार पर श्रावण मास के प्रारम्भ के समय में पंद्रह दिनों का अंतर आ जाता हैं।
पूर्णिमांत पंचांग मेंश्रावण मास अमांत पंचांग से पंद्रह दिन पहले
प्रारम्भ हो जाता हैं। अमांत चंद्र पंचांग का प्रयोग गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, कर्नाटक तथा
तमिलनाडु मेंकिया जाता हैं, वहीं पूर्णिमांत चंद्र पंचांग का उपयोग उत्तरी भारत
के राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार तथा झारखंड में किया जाता हैं। साथ ही, नेपाल तथा उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों मेंतो सावन के सोमवार को
सौर पंचांग के अनुसार मनाया जाता हैं। अतः सावन सोमवार की आधी तारीखें दोनों पंचांग
में भिन्न-भिन्न होती हैं।
सावन (श्रावण) सोमवार
व्रत कब से कब तक 2023
उत्तर भारत- उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, बिहार तथा झारखण्ड के लिए सावन के सोमवार का
व्रत
श्रावण प्रारम्भ (उत्तर भारत) 04 जुलाई, मंगलवार प्रथम श्रावण सोमवार व्रत 10 जुलाई, सोमवार द्वितीय श्रावण सोमवार व्रत 17 जुलाई, सोमवार श्रावण अधिक मास प्रारम्भ 18 जुलाई, मंगलवार श्रावण अधिक प्रथम सोमवार व्रत 24 जुलाई, सोमवार श्रावण अधिक द्वितीय सोमवार व्रत 31 जुलाई, सोमवार श्रावण अधिक तृतीय सोमवार व्रत 07 अगस्त, सोमवार श्रावण अधिक चतुर्थ सोमवार व्रत 14 अगस्त, सोमवार श्रावण अधिक मास समाप्त 16 अगस्त, बुधवार तृतीय श्रावण सोमवार व्रत 21 अगस्त, सोमवार चतुर्थ श्रावण सोमवार व्रत 28 अगस्त, सोमवार श्रावण समाप्त (उत्तर भारत) 31 अगस्त, बृहस्पतिवार श्रावण समाप्त
सावन सोमवार व्रत 2023
गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, कर्नाटक तथा तमिलनाडु के लिए सावन के सोमवार
का व्रत
श्रावण प्रारम्भ (दक्षिण भारत) 18 जुलाई, मंगलवार श्रावण अधिक प्रथम सोमवार व्रत 24 जुलाई, सोमवार श्रावण अधिक द्वितीय सोमवार व्रत 31 जुलाई, सोमवार श्रावण अधिक तृतीय सोमवार व्रत 07 अगस्त, सोमवार श्रावण अधिक चतुर्थ सोमवार व्रत 17 अगस्त, सोमवार श्रावण अधिक मास समाप्त 16 अगस्त, बुधवार प्रथम श्रावण सोमवार व्रत 21 अगस्त, सोमवार द्वितीय श्रावण सोमवार व्रत 28 अगस्त, सोमवार तृतीय श्रावण सोमवार व्रत 04 सितम्बर, सोमवार चतुर्थ श्रावण सोमवार व्रत 11 सितम्बर, सोमवार श्रावण समाप्त (दक्षिण भारत) 15 सितम्बर, शुक्रवार
संकष्टी
चतुर्थी व्रत के दिन चन्द्रोदय का समय 2023 Aaj Chand Nikalne kitne baje
niklega | Chandrodaya ka Samay
sakat chauth chand kitne baje niklega
🌷 विघ्नों
तथा मुसीबते दूर करने के लिए 🌷
👉 कृष्ण
पक्ष की चतुर्थी। 🙏🏻 शिव पुराण में आता है कि प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (पूनम के पश्चात)
के दिन प्रातः श्री गणेशजी का पूजन करें तथा रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना
करके अर्घ्य दें तथा ये मंत्र बोलें : 🌷 ॐ गं
गणपते नमः । 🌷 ॐ
सोमाय नमः ।
🌷 चतुर्थी तिथि विशेष 🌷
🙏🏻 चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान
गणेशजी हैं। 📆 हिन्दू
कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं। 🙏🏻 पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते
हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। 🙏🏻 शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः
पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥ ➡ “ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की
पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली तथा एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली
होती है ।
🌷 कोई
कष्ट हो तो 🌷
🙏🏻 हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई
कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर
सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी
(मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में
ये बार-बार कष्ट तथा समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों | 👉🏻 छः मंत्र इस प्रकार हैं – 🌷 ॐ
सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे
मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे । 🌷 ॐ
दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये । 🌷 ॐ
मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न
रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें । 🌷 ॐ
प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को
भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है तथा अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती
है । तथा जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी
स्थायी होती है । 🌷 ॐ अविघ्नाय
नम: 🌷 ॐ
विघ्नकरत्र्येय नम: हिन्दु के अनुसार प्रत्येक चंद्र मास
में दो चतुर्थी होती हैं। सनातन हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार चतुर्थी तिथि भगवान
गणेश की तिथि हैं। अमावस के पश्चात आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक
चतुर्थी कहते हैं तथा पूर्णिमा के पश्चात आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को
संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। चतुर्थी के दिन सुबह
में गणपतिजी का पूजन करें तथा रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य
दें तथा ये मंत्र बोलें : 🌷ॐ गं गणपते नमः । 🌷ॐ सोमाय नमः ।
🌷चतुर्थी तिथि विशेष 🌷
🙏🏻 चतुर्थी तिथि के स्वामी
भगवान गणेशजी हैं। 📆हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो #चतुर्थी होती
है। 🙏🏻 पूर्णिमा के बाद आने
वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। 🙏🏻 शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा
चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥ ➡ “ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी
तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली तथा एक पक्षतक
उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।
संकष्टी
चतुर्थी व्रत 2023 चन्द्रोदय का समय
जनवरी 10,
2023, मंगलवार सकट चौथ लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी 08:41 पी एम माघ, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 12:09 पी एम, जनवरी 10 समाप्त - 02:31 पी एम, जनवरी 11 फरवरी 9, 2023,
बृहस्पतिवार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 09:18 पी एम फाल्गुन, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 06:23 ए एम, फरवरी 09 समाप्त - 07:58 ए एम, फरवरी 10 मार्च 11,
2023, शनिवार भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी 10:03 पी एम चैत्र, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 09:42 पी एम, मार्च 10 समाप्त - 10:05 पी एम, मार्च 11 अप्रैल 9,
2023, रविवार विकट संकष्टी चतुर्थी 10:02 पी एम वैशाख, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 09:35 ए एम, अप्रैल 09 समाप्त - 08:37 ए एम, अप्रैल 10 मई 8, 2023, सोमवार एकदन्त संकष्टी चतुर्थी 10:04 पी एम ज्येष्ठ, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 06:18 पी एम, मई 08 समाप्त - 04:08 पी एम, मई 09 जून 7, 2023, बुधवार कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी 10:50 पी एम आषाढ़, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 12:50 ए एम, जून 07 समाप्त - 09:50 पी एम, जून 07 जुलाई 6, 2023,
बृहस्पतिवार गजानन संकष्टी चतुर्थी 10:12 पी एम श्रावण, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 06:30 ए एम, जुलाई 06 समाप्त - 03:12 ए एम, जुलाई 07 अगस्त 4, 2023,
शुक्रवार विभुवन संकष्टी चतुर्थी 09:20 पी एम श्रावण, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 12:45 पी एम, अगस्त 04 समाप्त - 09:39 ए एम, अगस्त 05 सितम्बर 3,
2023, रविवार बहुला चतुर्थी हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी 08:57 पी एम भाद्रपद, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 08:49 पी एम, सितम्बर 02 समाप्त - 06:24 पी एम, सितम्बर 03 अक्टूबर 2,
2023, सोमवार विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 08:05 पी एम आश्विन, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 07:36 ए एम, अक्टूबर 02 समाप्त - 06:11 ए एम, अक्टूबर 03 नवम्बर 1,
2023, बुधवार करवा चौथ वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी 08:15 पी एम कार्तिक, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 09:30 पी एम, अक्टूबर 31 समाप्त - 09:19 पी एम, नवम्बर 01 नवम्बर 30,
2023, बृहस्पतिवार गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 07:54 पी एम मार्गशीर्ष, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 02:24 पी एम, नवम्बर 30 समाप्त - 03:31 पी एम, दिसम्बर 01 दिसम्बर 30,
2023, शनिवार अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 08:36 पी एम पौष, कृष्ण चतुर्थी प्रारम्भ - 09:43 ए एम, दिसम्बर 30 समाप्त - 11:55
ए एम, दिसम्बर
31
Sankashti Chaturthi fast 2023
moonrise time
January 10, 2023, Tuesday Sakat Chauth Lambodar Sankashti Chaturthi 08:41 p.m. Magha, Krishna Chaturthi Starts - 12:09 PM, Jan 10 Ends - 02:31 PM, Jan 11 February 9, 2023, Thursday Dwijapriya Sankashti Chaturthi 09:18 p.m. Falgun, Krishna Chaturthi Starts - 06:23 am, Feb 09 Ends - 07:58 am, Feb 10 March 11, 2023, Saturday Bhalchandra Sankashti Chaturthi 10:03 p.m. Chaitra, Krishna Chaturthi Starts - 09:42 PM, March 10 Ends - 10:05 PM, March 11 April 9, 2023, Sunday Vikat Sankashti Chaturthi 10:02 p.m. Vaishakh, Krishna Chaturthi Starts - 09:35 am, Apr 09 Ends - 08:37 am, Apr 10 May 8, 2023, Monday Ekdant Sankashti Chaturthi 10:04 p.m. Jyestha, Krishna Chaturthi Starts - 06:18 PM, May 08 Ends - 04:08 PM, May 09 June 7, 2023, Wednesday Krishna Pingal Sankashti Chaturthi 10:50 p.m. Ashada, Krishna Chaturthi Starts - 12:50 AM, Jun 07 Ends - 09:50 PM, Jun 07 July 6, 2023, Thursday Gajanan Sankashti Chaturthi 10:12 p.m. Shravan, Krishna Chaturthi Starts - 06:30 am, Jul 06 Ends - 03:12 am, Jul 07 August 4, 2023, Friday Vibhuvan Sankashti Chaturthi 09:20 p.m. Shravan, Krishna Chaturthi Starts - 12:45 PM, Aug 04 Ends - 09:39 am, Aug 05 September 3, 2023, Sunday bahula chaturthi Heramb Sankashti Chaturthi 08:57 p.m. Bhadrapada, Krishna Chaturthi Starts - 08:49 PM, Sep 02 Ends - 06:24 PM, Sep 03 October 2, 2023, Monday Vighnaraj Sankashti Chaturthi 08:05 p.m. Ashwin, Krishna Chaturthi Begins - 07:36 am, Oct 02 Ends - 06:11 am, Oct 03 November 1, 2023, Wednesday karwa chauth Vakratunda Sankashti Chaturthi 08:15 p.m. Kartik, Krishna Chaturthi Starts - 09:30 PM, October 31 Ends - 09:19 PM, Nov 01 November 30, 2023, Thursday Ganadeep Sankashti Chaturthi 07:54 p.m. Marshish, Krishna Chaturthi Begins - 02:24 PM, November 30 Ends - 03:31 PM, December 01 December 30, 2023, Saturday Akhurath Sankashti Chaturthi 08:36 p.m. Poush, Krishna Chaturthi Starts - 09:43 am, December 30 Ends - 11:55 am, Dec 31
दिवाली
पूजा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त समय 2022Deepavali PoojaLakshmiPujanka Shubh Muhurat Time
Diwali Lakshmi Puja
ॐ श्री महालक्ष्म्यै
च विद्महे विष्णु पत्न्यै
च धीमहि तन्नो लक्ष्मी:
प्रचोदयात् ॥ शुभम करोति कल्याणम। अरोग्यम धन संपदा॥ शत्रु-बुद्धि विनाशायः। दीपःज्योति नमोस्तुते ॥ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमय। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अनुवाद:-असत्य से सत्य की ओर अंधकार से प्रकाश की ओर मृत्यु से अमरता की ओर हमें ले जाओ। ॐ शांति शांति शांति।। आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ। आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग
करें। लक्ष्मी बीज मन्त्र ॐ ह्रीं श्रीं
लक्ष्मीभयो नमः॥ Om Hreem Shreem Lakshmibhayo Namah॥ ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै
नमः।। Om Shreeng Mahalaxmaye
Namah।। दिवाली का पर्व
सनातन हिन्दू धर्म का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रसिद्ध त्योहार है, तथा इस पर्व को दिपावली, लक्ष्मी पूजा, अमावस्या लक्ष्मी पूजा,
केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा,
बंगाल की काली पूजा, दिवाली स्नान, दिवाली देवपूजा,
लक्ष्मी-गणेश पूजा तथा दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है।
दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। जीवन
को अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान बनाने वाला यह त्यौहार सम्पूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ संपूर्ण जगत में अत्यंत उत्साह एवं धूमधाम से मनाया जाता हैं।दीपावली के त्यौहार की तैयारी प्रत्येक व्यक्ति कई दिन पूर्व ही आरंभ कर देते हैं, जिसका प्रारम्भ घर को स्वच्छ तथा पवित्र करने से किया जाता हैं, क्योंकि, दिवाली के दिवस शुभ मुहूर्त में माता
लक्ष्मी की विधि-पूर्वक पूजा की जाती हैं, तथा
माँ लक्ष्मीजी वही निवास करती हैं जहाँ स्वच्छता होती हैं। दिवाली
के दिवस भगवान श्री गणेश जी तथा माता लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए उपयुक्त समय प्रदोष
काल का माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता है तथा लगभग २
घण्टे २२ मिनट तक व्याप्त रहता है। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार श्री महालक्ष्मी पूजन
हेतु शुभ समय प्रदोष काल से प्रारम्भ हो कर अर्ध-रात्रि तक व्याप्त रहने वाली अमावस्या
तिथि को श्रेष्ठ माना गया है। अतः प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ
है। अतः प्रदोष के समय व्याप्त पूर्ण अमावस्या तिथि दिवाली की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण
होती है।
अतः हम
आपको बताएंगे दिवाली की पूजा करने के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त-
इस वर्ष,कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 24 अक्तूबर,सोमवार की साँय 05 बजकर 27 मिनिट से प्रारम्भ हो कर,25 अक्तूबर, मंगलवार की साँय 04 बजकर 18 मिनिट तक व्याप्त रहेगी। अतः इस वर्ष 2022 में,दिवाली पूजा का त्योहार 24 अक्तूबर,सोमवारके दिन मनाया जाएगा। इस वर्ष, दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त,24 अक्तूबर,सोमवार की साँय 07 बजकर 09 से रात्रि 08 बजकर
24 मिनिट तक का रहेगा। इस दिवस दिवाली, नरक चतुर्दशी, तमिल दीपावली,
लक्ष्मी पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा,
शारदा पूजा तथाकाली पूजा की जाएगी। हमारे द्वारा बताए गए
इस प्रदोष काल तथा स्थिर लग्न के सम्मिलित शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन तथा
स्वास्थ्य का लाभ होता है तथा व्यक्ति के व्यापार तथा आय में अति वृद्धि होती है। ऐसा
माना जाता है कि यदि स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो माँ लक्ष्मीजी घर
में सदा के लिए वास करते है। अतः लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।
दीपावली
के दिवस अन्य शुभ समय
24 अक्तूबर 2022,
सोमवार प्रदोष काल मुहूर्त
- 17:54 से 20:25 वृषभ काल मुहूर्त -
19:08 से 21:08 अभिजित मुहूर्त -
11:48 से 12:34 चौघड़िया मुहूर्त - 16:28
से 17:54 अमृत - सर्वोत्तम सूर्योदय - 06:28 सूर्यास्त - 17:54 चन्द्रोदय - 05:58 चन्द्रास्त - 17:20 राहुकाल - 05:53 से
09:19 भारत के अन्य प्रमुख शहरों में दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 07:23 से 08:35 - पुणे 06:53
से 08:16 - नई दिल्ली 07:06 से 08:13 - चेन्नई 07:02
से 08:23 - जयपुर 07:06 से 08:17 - हैदराबाद 06:54
से 08:17 - गुरुग्राम 06:51 से 08:16 - चण्डीगढ़ 06:19
से 07:35 - कोलकाता 07:26 से 08:39 - मुम्बई 07:16
से 08:23 - बेंगलूरु 07:21 से 08:38 - अहमदाबाद 06:52
से 08:15 - नोएडा
Auspicious time for Lakshmi Pujan on Deepawali in othermajor cities of India
07:23
to 08:35 - Pune 06:53
to 08:16 - New Delhi 07:06
to 08:13 - Chennai 07:02
to 08:23 - Jaipur 07:06
to 08:17 - Hyderabad 06:54
to 08:17 - Gurugram 06:51
to 08:16 - Chandigarh 06:19
to 07:35 - Kolkata 07:26
to 08:39 - Mumbai 07:16
to 08:23 - Bangalore 07:21
to 08:38 - Ahmedabad 06:52
to 08:15 - Noida
Other auspicious TimesontheDay ofDiwali 2022
24
October 2022, Monday Pradosh
Kaal Muhurta - 17:54 to 20:25 Vrishabha
Kaal Muhurta - 19:08 to 21:08 Abhijit
Muhurta - 11:48 to 12:34 Choghadiya
Muhurta - 16:28 to 17:54 Amrit - Best Sunrise
- 06:28 Sunset - 17:54 Moonrise
- 05:58 Moonset - 17:20 Rahukaal
- 05:53 to 09:19
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त समय 2022 | Dhanteras Pujan ShubhMuhurat Timekab hai 2022 | Auspicious Timeof DhanTeras
Dhanteras Puja
कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन
के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम
से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने
का निर्णय लिया है। शुभम करोति कल्याणम, अरोग्यम धन संपदा, । शत्रु-बुद्धि विनाशायः, दीपःज्योति नमोस्तुते॥
आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ। आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग
करें। यक्षाय
कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य
समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी
तिथि के शुभ दिवस भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। अतः इस दिन को धनतेरस के नाम से जाना
जाता हैं। धनतेरस की पूजा को धनत्रयोदशी, धन्वन्तरि त्रयोदशी तथा यम दीपम के नाम
से भी जाना जाता है। धन तेरस की पूजा शुभ मुहूर्त में करना अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता
हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि स्थिर लग्न के दौरान धनतेरस पूजा की जाये तो माता लक्ष्मीजी
आपके घर में ठहर जाती है। पांच दिनों तक चलने वाले महापर्व इस दीपावली का प्रारंभ धनतेरस
के त्यौहार से होता हैं। धनतेरस सुख, सौभाग्य, धन-सम्पदा तथा समृद्धि का त्योहार माना जाता
हैं। इस दिन चिकित्सा तथा आयुर्वेद के देवता 'धन्वंतरि' की पूजा की जाती हैं। साथ ही, अच्छे स्वास्थ्य की भी कामना
की जाती हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार देवताओं तथा राक्षसों के मध्य समुद्र मंथन के
समय भगवान विष्णु जी ही देवताओं को अमर करने हेतु समुद्र से हाथों में कलश के भीतर
अमृत लेकर 'भगवान धन्वंतरि' के रूप में प्रकट निकले थे। अतः 'भगवान धन्वंतरि' की पूजा करने से माता लक्ष्मी जी भी अति प्रसन्न होती हैं। भगवान धन्वंतरि की चार
भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख तथा चक्र
धारण किए हुए हैं तथा दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ अमृत का कलश धारण किए हुए हैं।
समुद्र मंथन के समय अत्यंत दुर्लभ तथा कीमती वस्तुओं के साथ-साथ शरद पूर्णिमा का चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी के दिन कामधेनु गाय, त्रयोदशी के दिन धन्वंतरि तथा कार्तिक मास
की अमावस्या तिथि के पावन दिन भगवती माँ लक्ष्मी जी का समुद्र से अवतरण हुआ था। धनतेरस
के दिन लक्ष्मी माँ की पूजा प्रदोष काल के समय करनी श्रेष्ठ मानी गई हैं, प्रदोष काल का समय सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता हैं तथा 2 घण्टे 22 मिनट
तक व्याप्त रहता हैं। धनतेरस के दिन चांदी खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता हैं क्योंकि
चांदी, चंद्रमा का प्रतीक माना जाता हैं तथा चन्द्रमा
शीतलता का प्रतीक हैं, अतः चांदी खरीदने से मन में संतोष रूपी धन
का वास होता हैं अतः जिसके पास संतोष हैं वह व्यक्ति स्वस्थ, सुखी तथा धनवान हैं। ऐसा माना जाता हैं कि पीतल भगवान धन्वंतरि की प्रिय धातु हैं
क्योंकि अमृत का कलश पीतल का बना हुआ था। अतः धनतेरस के दिन पीतल खरीदना भी शुभ माना
गया हैं। मान्यता हैं कि इस दिन खरीदी गई कोई भी सामग्री सदैव धन्वंतरि फल प्रदान करती
हैं तथा लंबे समय तक कार्यरत रहती हैं। मान्यता यह भी हैं की, इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृद्धि
करता हैं। धनतेरस के पर्व पर देवी लक्ष्मी जी तथा धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा
के साथ-साथ यमदेव को दीपदान करके पूजा करने का भी विधान हैं। माना जाता हैं की धनतेरस
के त्यौहार पर मृत्यु के देवता यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृत्यु का भय नष्ट
हो जाता हैं। अतः यमदेव की पूजा करने के पश्चात परिवार के किसी भी सदस्य के असामयिक
मृत्यु-घात से बचने के लिए यमराज के लिए घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख
वाला एक दीपक सम्पूर्ण रात्रि जलाना चाहिए।
धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि
22 अक्तूबर, शनिवार की साँय 06 बजकर 02 मिनिट से
प्रारम्भ हो कर, 23 अक्तूबर, रविवार की साँय 06 बजकर 03
मिनिट तक व्याप्त रहेगी। अतः इस वर्ष 2022 में, धनतेरस पूजा का त्योहार 22 अक्तूबर, शनिवारके दिन मनाया जाएगा। इस दिवस धनतेरस, धनत्रयोदशी, धन्वन्तरि त्रयोदशी, यम दीपम का त्योहार मनाया जाएगा।
इस वर्ष, धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त, 22 अक्तूबर, शनिवार की साँय 07 बजकर 18 से रात्रि 08
बजकर 25 मिनिट तक का रहेगा। हमारे द्वारा बताए गए इस त्रयोदशी तिथि, प्रदोष काल तथा स्थिर लग्न के सम्मिलित शुभ मुहूर्त में
पूजा करने से धन तथा स्वास्थ्य का लाभ होता हैं तथा जातक की आयु में वृद्धि होती हैं।
धनतेरस के दिवस अन्य शुभ समय
22 अक्तूबर, शनिवार वृषभ काल मुहूर्त - साँय 19:16 से 21:14 प्रदोष काल - साँय 17:56 से 20:26 चोघड़िया मुहूर्त - 21:04 से 22:37 लाभ (उत्तम) सूर्योदय - 06:27 सूर्यास्त
- 17:56 चन्द्रोदय - 03:21 चन्द्रास्त
- 16:12 राहुकाल - प्रातः 09:19 से 10:45 अभिजित मुहूर्त - दोपहर 11:48 से 12:34
भारत के प्रमुख शहरों में धनत्रयोदशी पूजन का शुभ
मुहूर्त
अन्य शहरों में धनत्रयोदशी मुहूर्त 2022 07:31 से 08:36 - पुणे 07:01 से 08:17 - नई दिल्ली 07:13 से 08:13 - चेन्नई 07:10 से 08:24 - जयपुर 07:14 से 08:18 - हैदराबाद 07:02 से 08:18 - गुरुग्राम 06:59 से 08:18 - चण्डीगढ़ 05:05 से 06:03, 23 अक्तूबर - कोलकाता 07:34 से 08:40 - मुम्बई 07:24 से 08:24 - बेंगलुरु 07:29 से 08:39 - अहमदाबाद 07:00 से 08:16 - नोएडा
Auspicious time for worshiping Dhantrayodashi in major cities of
India
Dhantrayodashi
Muhurta 2022 in other cities 07:31
to 08:36 - Pune 07:01
to 08:17 - New Delhi 07:13
to 08:13 - Chennai 07:10
to 08:24 - Jaipur 07:14
to 08:18 - Hyderabad 07:02
to 08:18 - Gurugram 06:59
to 08:18 - Chandigarh 05:05
to 06:03 PM, 23October - Kolkata 07:34
to 08:40 - Mumbai 07:24
to 08:24 - Bangalore 07:29
to 08:39 - Ahmedabad 07:00
to 08:16 - Noida
जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान प्राप्त हुआ,
वैसा ही वरदान संसार की प्रत्येक सुहागिनों को प्राप्त
हो।
करवा चौथ सनातन हिन्दु
धर्म का एक प्रमुख पर्व हैं। यह त्यौहार पंजाब, उत्तर प्रदेश,
हरियाणा, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के साथ-साथ
सम्पूर्ण भारत-वर्ष में भिन्न-भिन्न विधि-विधान तथा भिन्न-भिन्न परंपराओं के साथ धूमधाम
से मनाया जाता हैं। करवा चौथ को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों
के अनुसार करवा चौथ शरद पूर्णिमा से चौथे दिवस अर्थात कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष
की चतुर्थी के शुभ दिवस मनाया जाता हैं। वहीं गुजरात, महाराष्ट्र
तथा दक्षिणी भारत में करवा चौथ आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता
हैं। तथा अङ्ग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व अक्तूबर या नवंबर के महीने में आता
है। करवा चौथ के व्रत में सम्पूर्ण शिव-परिवार अर्थात शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी
तथा कार्तिकेय जी की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान हैं। करवा या करक मिट्टी के
पात्र को कहा जाता हैं, जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण किया
जाता है, जल अर्पण करने को ही अर्घ्य देना कहते हैं।
करवा चौथ का पावन व्रत
सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपने पति की दिर्ध आयु तथा अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए
रखती हैं तथा अविवाहित कन्याएँ भी उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति हेतु करवा चौथ के दिवस
निर्जला उपवास रखती हैं तथा चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही अपने व्रत का पारण करती हैं।
यह व्रत प्रातः सूर्योदय से पूर्व ४ बजे से प्रारम्भ होकर रात्रि में चंद्र-दर्शन के
पश्चात ही संपूर्ण होता हैं। पंजाब तथा हरियाणा
में सूर्योदय से पूर्व सरगी के साथ इस व्रत का शुभारम्भ होता हैं। सरगी करवा चौथ
के दिवस सूर्योदय से पूर्व किया जाने वाला भोजन होता हैं। जो महिलाएँ इस दिवस व्रत
रखती हैं उनकी सासुमाँ उनके लिए सरगी बनाती हैं। वहीं, उत्तर
प्रदेश तथा राजस्थान में इस पर्व पर गौर माता की पूजा की जाती हैं। गौर माता की
पूजा के लिए प्रतिमा गौ - माता के गोबर से बनाई जाती हैं।
आज हम आपको इस विडियो
के माध्यम से बताते हैं, कारवाँ चौथ व्रत की पूजा का अत्यंत
शुभ मुहूर्त तथा भारत के प्रत्येक प्रमुख नगरों में करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय-
करवा चौथ के दिवस चंद्रमा
उदय होने का समय प्रत्येक महिलाओं के लिए अत्यंत विशेष महत्वपूर्ण होता हैं,
क्योंकि वे अपने पति की दिर्ध आयु के लिये सम्पूर्ण दिवस निर्जल व्रत रहती हैं तथा
केवल उदित सम्पूर्ण चन्द्रमाँ के दर्शन करने के पश्चात ही जल ग्रहण कर सकती हैं। यह
मान्यता हैं कि, चन्द्रमाँ को देखे बिना यह व्रत पूर्ण नहीं माना
जाता हैं तथा कोई भी महिला कुछ भी खा नहीं सकती हैं ना ही जल ग्रहण सकती कर हैं।
करवा चौथ व्रत तभी पूर्ण माना जाता हैं जब महिला उदित सम्पूर्ण चन्द्रमाँ को एक छलनी
में घी का दीपक रखकर देखती हैं तथा चन्द्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथों से जल
ग्रहण करती हैं।
इस वर्ष, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 12
अक्तूबर, बुधवार की मध्यरात्रि 01 बजकर 59 मिनिट से प्रारम्भ
हो कर, 14 अक्तूबर, शुक्रवार की प्रातः
03 बजकर 08 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
अतः इस वर्ष 2022 में करवा चौथ का व्रत13 अक्तूबर, बुधवार के दिन किया जाएगा।
तथा यह व्रत प्रातः
06:23 से साँय 20:27 तक रखना चाहिए।
करवा चौथ के व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 13 अक्तूबर, बुधवार की साँय 06 बजकर 04 मिनट से 07 बजकर 18 मिनट तक का रहेगा।
करवा चौथ पर चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र तथा वृषभ राशि में रहेंगे।जिसका
कारक शुक्र ग्रह होता है, जो की पति-पत्नी के मध्य अटूट प्रेम का कारक है।
करवाचौथ के दिवस चन्द्रमाँ का उदय भारतवर्ष में 08 बजकर 27 मिनट पर होने
का अनुमान हैं। तथा आपके नगर में करवा चौथ पर चन्द्रोदय
का अनुमानित समय कुछ इस प्रकार से हैं -
भारत
के प्रमुख नगरों में करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय इस प्रकार रहेगा।
अहमदाबाद
- 08:46 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
दिल्ली
- 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
लखनऊ
- 08:09 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
कोलकाता
- 07:45 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
मुंबई
- 08:53 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
जयपुर
- 08:30 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
बैंगलोर
- 08.42 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
चेन्नई
- 08:33 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
वाराणसी
- 08:05 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
नडियाद - 9:14 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
गाज़ियाबाद
- 08:20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
गुरुग्राम
- 08:22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
फरीदाबाद
- 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
मेरठ
- 08:19 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
रोहतक
- 08:20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
करनाल
- 08:20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
हिसार
- 08:26 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
सोनीपत
- 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
कुरुक्षेत्र
- 08:20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
पानीपत
- 08:22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
चंडीगढ़
- 08:18 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
अमृतसर
- 08:23 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
अंबाला
- 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
जालंधर
- 08:24 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
पटियाला
- 08:22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
लुधियाना
- 08:22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
जम्मू
- 08:25 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
पंचकूला
- 08:18 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
देहरादून
- 08:16 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
शिमला
- 08:17 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
इंदौर
- 08:35 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
ग्वालियर
- 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
कानपुर
- 08:13 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
प्रयागराज
- 08:08 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
उदयपुर
- 08:40 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
अजमेर
- 08:35 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
जोधपुर
- 08:42 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
पटना
- 07:55 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
In
the major cities of India, the time of moonrise on Karva Chauth Vrat 2022 will
be like this :-
Ahmedabad
- Moonrise at 08:46 mins.
Delhi
- 08:21 mins.
Lucknow
- 08:09 mins.
Kolkata
- 07:45 mins.
Mumbai
- 08:53 mins.
Jaipur
- 08:30 mins.
Bangalore
- 08.42 mins.
Chennai
- 08:33 mins.
Varanasi
- 08:05 mins.
Nadiad
- 9:14 am.
Ghaziabad
- 08:20 mins.
Gurugram
- 08:22 mins.
Faridabad
- 08:21 mins.
Meerut
- 08:19 mins.
Rohtak
- 08:20 mins.
Karnal
- 08:20 mins.
Hisar
- 08:26 mins.
Sonipat
- 08:21 mins.
Kurukshetra
- 08:20 mins.
Panipat
- 08:22 minutes.
Chandigarh
- 08:18 mins.
Amritsar
- 08:23 mins.
Ambala
- 08:21 mins.
Jalandhar
- 08:24 mins.
Patiala
- 08:22 mins.
Ludhiana
- 08:22 mins.
Jammu
- 08:25 mins.
Panchkula
- 08:18 mins.
Dehradun
- 08:16 mins.
Shimla
- 08:17 minutes.
Indore
- 08:35 mins.
Gwalior
- 08:21 mins.
Kanpur
- 08:13 mins.
Prayagraj
- 08:08 mins.
Udaipur
- 08:40 mins.
Ajmer
- 08:35 mins.
Jodhpur
- 08:42 mins.
Patna
- 07:55 mins.
यदि
करवा चौथ के संदर्भ में आपका कोई प्रश्न हैं या आप इस व्रत की अन्य जानकारी चाहते
हैं, तो कृपया नीचे टिप्पणी कीजिए।