धनतेरस 2018 | धनतेरस कथा | Dhanteras Katha in Hindi | Dhanteras Puja Story in Hindi | Dhanteras 2018
सम्पूर्ण भारत में कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि
के दिन धनतेरस का पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास से मनाया जाता है। देव धनवन्तरी के साथ-साथ
इस दिन, माता लक्ष्मी जी तथा धन के देवता कुबेर जी
के पूजन विधान है। तथा इस पर्व पर यमदेव को भी दीपदान किया जाता है। इस दिन यमदेव
की पूजा करने के विषय में मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय
मृ्त्यु का भय नहीं रहता है।
दोस्तों आज हम आपको बताएँगे धनतेरस की प्रचलित कथा
एक राज्य में एक अत्यंत बलवान राजा रहता था, कई वर्षों तक कड़ी प्रतिक्षा तथा भगवान् से प्रार्थना करने के पश्यात उसे पुत्र संतान का सुख प्राप्त हुआ। राजा के पुत्र के भविष्य के बारे में राज्य
के ज्योतिषी ने बताया कि,यदि बालक विवाह करता है, तो उसके चार दिन पश्यात ही इसकी अकाल मृ्त्यु हो जायेगी।
ज्योतिषी की यह भविष्य-वाणी सुनकर राजा चिंतित हो गए तथा उनको
अत्यंत दु:ख हुआ, तथा राजा ने एसी घटना से बचने के लिये
राजकुमार को एसी जगह पर भेज दिया, जहां आस-पास कोई स्त्री न रहती हो, किन्तु, एक दिन वहां एक अत्यंत सुन्दर राजकुमारी का आगमन हुवा, राजकुमार तथा राजकुमारी दोनों एक दूसरे को देख कर मोहित हो गये, तथा उन्होने आपस में विवाह कर लिया।
ज्योतिषी की भविष्यवाणी के अनुसार ठीक चार दिन पश्यात यमदूत
राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचें। यमदूत को देख कर राजकुमार की धर्म-पत्नी अर्थात
वह राजकुमारी विलाप करने लगी। यमदूतो से यह देखा न गया तथा वे यमराज से विनती करने
लगे की राजकुमार के प्राण बचाने का कोई उपाय सूचित करे। इस पर यमराज जी ने कहा की
जो प्राणी कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात में मेरा पूजन करके दीप माला से
दक्षिण दिशा की ओर ज्योत वाला दीपक जलायेगा, उसे कभी अकाल मृ्त्यु का भय नहीं रहेगा।
तभी से इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाये जाते है।
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