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21 September 2017

9 दिन के 9 भोग | माँ दुर्गा देवी जी को किस तिथि पर कौन सा भोग लगाये | Navratri 2018 | Navratra Prasad


9 दिन के 9 भोग | माँ दुर्गा देवी जी को किस तिथि पर कौन सा भोग लगाये | Navratri 2018 | Navratra Prasad

जानिए, नवरात्रि के 9 दिन नवदुर्गाओं को क्या भोग चढ़ाएं जिससे माता प्रसन्न हो तथा आपको आशीर्वाद के रूप में सारी मनोकामनाए पूर्ण करे तथा मनोवांछित फल प्रदान करे






नमस्कार दोस्तों! में विनोद पांडे, आपका हार्दिक स्वागत करता हु!

दोस्तों, स्वयं भोजन करने से पूर्व माताजी को भोग लगाने से मनुष्य के प्रत्येक पापकर्म का नाश हो जाता है तथा उसे पुण्य प्राप्त होता है। कोई भी पूजा माताजी को भोग लगाए बिना अधूरी मानी गयी हैं।
नवरात्र हिन्दुओं का एक पवित्र त्यौहार है। सनातन धर्म में नवरात्री पर्व अत्यंत विशेष महत्व रखता है. इस पावन पर्व पर आप भी दुर्गा माता जी को प्रसन्न कर के उनका पावन आशीर्वाद पाप्त कर सकते है। नवरात्र की पूजा नौ दिनों तक चलती हैं तथा इन नौ दिनों में माताजी के नौ भिन्न-भिन्न स्वरुपों की पूजा की जाती है। माता जी के यह सभी स्वरूपों का भिन्न-भिन्न प्रभाव तथा भिन्न-भिन्न महत्व है।
विनोद पांडे
माँ दुर्गा देवी जी को किस तिथि पर कौन सा भोग लगाये
आइये आज हम आपको बताएँगे की इन नो देवियो को कौन से तिथि पर कौनसा भोग लगाने से वे अत्यंत प्रसन्न होते है तथा अपनी कृपादृष्टी आप पर बना कर, आपकी समस्त मनोकामनाए पूर्ण करते हैं।

1- प्रतिपदा का भोग - नवरात्री का प्रथम दिन माँ शेलपुत्री का होता है
शैलपुत्री माता को सफेद चीजों का भोग लगाये तथा माँ शैलपुत्री के चरणों में गाय का शुध्द घी अर्पित करे ऐसा करने से माँ शैलपुत्री अति प्रसन्न होते है तथा घर के सभी व्यक्ति को रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है
2- द्वितीया का भोग - नवरात्री का द्वितीय दिन माँ ब्रह्मचारणी का होता है
ब्रह्मचारिणी माता को मिश्री, चीनी एवं पंचामृत का भोग लगाये ऐसा करने से व्यक्ति आयुष्यमान होता है तथा स्त्रियों को अखंड-सौभाग्य की प्राप्ति होती है
3- तृतीया का भोग- नवरात्री का तृतीय दिन माँ चंद्रघंटा का होता है
चंद्रघंटा माता को दूध तथा दूधसे बने अन्य पदार्थ जेसे की खीर या मिठाई का भोग लगाएं ऐसा करने से माता जी प्रसन्न होती हैं तथा सभी दुखों का नाश करती हैं तथा आपको सुख-शांति का वरदान देती है
4- चतुर्थी का भोग:- नवरात्री का चतुर्थ दिन माँ कुष्मांडा का होता है
कुष्मांडा माता को घर पर ही बनाये गए मालपुए का भोग लगाएं ऐसा करने से बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ मन शांत रहेने लगता है तथा निर्णय लेने की क्षमता भी अच्छी हो जाती है
5- पंचमी का भोग:- नवरात्री का पांचवा दिन माँ स्कन्दमाता का होता है
स्कंदमाता जी को केले का भोग लगाए ऐसा करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य का लाभ होता है तथा दुर्लभ से दुर्लभ रोगों से भी मुक्ति प्राप्त होती है
6- षष्ठी का भोग:- नवरात्री का छठा दिन माँ कात्यानी का होता है
कात्यायनी माता को मधु अर्थात शहद का भोग लगाए ऐसा करने से सुंदरता की प्राप्ती होती है तथा समाज में आपका व्यक्तित्व प्रभावशाली बन जाता है
7- सप्तमी का भोग:- नवरात्री का सातवा दिन माँ कालरात्रि का होता है
कालरात्रि माता को गुड़ का भोग लगाए ऐसा करने से व्यक्ति को आने वाले शोक तथा संकटो से मुक्ती मिलती है
8- अष्टमी का भोग:- नवरात्री का आठंवा दिन माँ महागौरी का होता है
महागौरी माता को नारियल का भोग लगाएं तथा उस नारियल को घर के सभी सदस्यों के सिर से सात घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें, ऐसा करने से आपकी समस्त मनोकामनाए पूर्ण होगी तथा संतान सुख भी प्राप्त होता है
9- नवमी का भोग:- नवरात्री का नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री का होता है
माँ दुर्गा देवी जी को किस तिथि पर कौन सा भोग लगाये
माँ दुर्गा देवी जी को किस तिथि पर कौन सा भोग लगाये
सिद्धिदात्री माता को तिल का तथा अन्य अनाज का भोग लगाएं ऐसा करने से जीवन में प्रत्येक सुख-शांति तथा वैभव की प्राप्ति होती है तथा अकाल मृत्यु से माता आपकी रक्षा करेगी
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18 September 2017

नवरात्रि 2017 | कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 2017 | आश्विन नवरात्रि | Ghat Sthapana Kalash Sthapana Muhurat


नवरात्रि 2017 | कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 2017 | आश्विन नवरात्रि

Ghat Sthapana Kalash Sthapana Muhurat

        जय माता दी
जय श्री कालका माँ
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नवरात्र हिन्दुओं का एक पवित्र त्यौहार है। नवरात्र की पूजा नौ दिनों तक चलती हैं तथा इन दिनों में माता के नौ रुपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक वर्ष में दो बार नवरात्र आते है, तथा गुप्त नवरात्र भी आते है। पहले नवरात्र का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष से होता है। तथा अगले नवरात्र शारदीय नवरात्रे कहलाते है जो आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरु होकर नवमी तिथि तक रहते है। इन नवरात्रों के बाद दशहरा या विजयादशमी पर्व मनाया जाता है। इस त्यौहार में चाहे सुहागन हो कन्या नौ दिनों का व्रत सभी रखते है। यह त्यौहार गुजरात तथा बंगाल के साथ-साथ पूरे भारत में बड़े ही धूम-धाम एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। दोनों ही नवरात्रों में माता जी का पूजन विधिवत् किया जाता है। देवी का पूजन करने की विधि दोनों ही नवरात्रों में लगभग एक समान रहती है।
हिन्दू धर्म में प्रत्येक पूजा से पहले भगवन गणेश जी की पूजा का विधान है इसलिए नवरात्र की शुभ पूजा से पहले कलश के रूप में श्री गणेश महाराज को स्थापित किया जाता है। नवरात्र के आरंभ की प्रतिपदा तिथि के दिन कलश या घट की स्थापना की जाती है। कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है।
आइये हम आफो बताते है,
शारदीय नवरात्र कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
21 सितम्बर गुरूवार के दिन से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। तथा यह 29 सितम्बर तक रहेंगे। नवरात्र के प्रथम दिन अर्थात 21 सितंबर को माता दुर्गाजी के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होगी। इस दिन सुबह 6 बजकर 3 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट तक का समय अमृत योग है। यदि इस समय आप कलश स्थापना करेंगे तो आपके लिए अत्यंत शुभ होगा। अतः अमृत योग का समय सर्वश्रेष्ट होने से आप कलश स्थापना सुबह 6 बजकर 3 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट तक करे।
कृपया ध्यान दे:-
1.     नवरात्र में देवी पूजा के लिए जो कलश स्थापित किया जाता है वह सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही होना चाहिए। लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
2.     नवरात्र में कलश स्थापना किसी भी समय की जाती है। नवरात्र के प्रारंभ से ही अच्छा समय प्रारंभ हो जाता है अतः यदि जातक शुभ मुहूर्त में घट स्थापना नहीं कर पाता है तो वो पूरे दिन किसी भी समय कलश स्थापित कर सकता है।
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