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12 April 2021

चैत्र नवरात्र कलश स्थापना शुभ मुहूर्त | Ghatasthapana kab hai | Chaitra Navratra Kalash Sthapana 2021

चैत्र नवरात्र कलश स्थापना शुभ मुहूर्त | Ghatasthapana kab hai | Chaitra Navratra Kalash Sthapana 2021

navratri kalash sthapana shubh muhurat 2021
Chaitra Navratra Kalash Sthapana


 

🚩 ॥ जय माता दी ॥ 🚩

🌺 जय श्री कालका माँ 🙏

 

नमो देवी महाविद्ये नमामि चरणौ तव।

सदा ज्ञानप्रकाशं में देहि सर्वार्थदे शिवे॥

 

सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी।

त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः॥

 

वर्ष में ४ नवरात्रियाँ होती हैं 🌷

🙏🏻 जिनमें से २ नवरात्रियाँ गुप्त होती हैं -

माघ शुक्ल पक्ष की प्रथम ९ तिथियाँ

चैत्र मास की रामनवमी के समय आती हैं वो ९ तिथियाँ

आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष के ९ दिन

अश्विन महीने की दशहरे के पहले आने वाली ९ तिथियाँ

  

नवरात्र हिन्दुओं का अत्यंत पवित्र तथा प्रमुख त्यौहार हैं। नवरात्र की पूजा नौ दिनों तक होती हैं तथा इन नौ दिनों में माताजी के नौ भिन्न-भिन्न स्वरुपों की पूजा की जाती हैं। माताजी के नौ रूप इस प्रकार हैं- माँ शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा माँ, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, माँ महागौरी तथा सिद्धिदात्रि माँ। प्रत्येक वर्ष में मुख्य दो बार नवरात्र आते हैं, तथा गुप्त नवरात्र भी आते हैं। प्रथम नवरात्र का प्रारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से होता हैं। तथा अगले नवरात्र शारदीय नवरात्रे कहलाते हैं, जो आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होकर नवमी तिथि तक रहते हैं।

सम्पूर्ण उत्तरी भारत-वर्ष में चैत्र नवरात्र को अत्यंत श्रद्धा तथा विश्वास के साथ, पूर्ण भक्तिभाव से मनाया जाता हैं। चैत्र नवरात्र को प्रत्येक नवरात्रों में सर्वाधिक प्रमुख तथा महत्वपूर्ण माना जाता हैं। चैत्र नवरात्र से ठंडी की ऋतु समाप्त होती हैं तथा गर्मियों के मौसम का प्रारम्भ होता हैं। इस प्रकार इस नवरात्र समय पर प्रकृति माँ, एक प्रमुख जलवायु के परिवर्तन से गुजरती हैं। अतः यह नवरात्र वह समय हैं, जब दो विपरीत ऋतुओ का मिलन होता हैं। इस संधि काल मे ब्रह्मांड से असीम शक्तियां ऊर्जा के स्वरूप में हम तक भूलोक पर पहुँचती हैं। इस समय आध्यात्मिक ऊर्जा ग्रहण करने के लिए लोग विशिष्ट अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में देवी के स्वरूपों की साधना पूर्ण श्रद्धा से की जाती हैं। अतः नवरात्रों में माताजी का पूजन विधिवत् किया जाता हैं। देवी के पूजन करने की विधि दोनों ही नवरात्रों में लगभग एक समान ही रहती हैं। इस त्यौहार पर सुहागन या कन्या, सभी महिलाए अपने सामर्थ्य अनुसार दो, तीन या सम्पूर्ण नौ दिनों तक का व्रत रखते हैं तथा दसवें दिन कन्या पूजन के पश्चात व्रत खोला जाता हैं अर्थात व्रत का पारण किया जाता हैं। नवरात्र के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का संकल्प किया जाता हैं। अतः व्रत का संकल्प लेते समय उसी प्रकार संकल्प लें, जीतने दिन आपको व्रत रखना हैं। व्रत-संकल्प के पश्चात ही घट-स्थापना की विधि प्रारंभ की जाती हैं। घट-स्थापना सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में ही करना चाहिए, ऐसा करने से घर में सुख, शांति तथा समृद्धि व्याप्त रहती हैं।

हिन्दू धर्म में प्रत्येक पूजा से पूर्व भगवान गणेश जी की पूजा का विधान हैं, अतः नवरात्र की शुभ पूजा से पहले कलश के रूप में श्री गणेश महाराज को स्थापित किया जाता हैं। नवरात्र के आरंभ की प्रतिपदा तिथि के दिन कलश या घट की स्थापना की जाती हैं। कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता हैं।

 

कलश स्थापना करते समय इन विशेष नियमो का ध्यान अवश्य रखना चाहिए-

कृपया ध्यान दे:-

1. नवरात्र में देवी पूजा के लिए जो कलश स्थापित किया जाता हैं, वह सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही होना चाहिए। लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग पूजा में नहीं करना चाहिए।

2. नवरात्र में कलश स्थापना किसी भी समय किया जा सकता हैं। नवरात्र के प्रारंभ से ही अच्छा समय प्रारंभ हो जाता हैं, अतः यदि जातक शुभ मुहूर्त में घट स्थापना नहीं कर पाते हैं तो वे सम्पूर्ण दिवस किसी भी समय कलश स्थापित कर सकते हैं।

3. कलश स्थापना करने से पूर्व, अपने घर में देवी माँ का स्वागत करने के लिए, घर की साफ-सफाई अच्छे से करनी चाहिए।

4. नवरात्रों में माँ भगवती की आराधना “दुर्गा सप्तसती” से की जाती हैं, परन्तु यदि समयाभाव हैं तो भगवान् शिव रचित “सप्तश्लोकी दुर्गा” का पाठ अत्यंत ही प्रभाव शाली हैं एवं दुर्गा सप्तसती का पाठ सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाला हैं।

5. नवरात्रि के दौरान सात्विक जीवन व्यतीत करना चाहिए। अतः नवरात्रि के दौरान भूमि शयन करना चाहिए तथा सात्त्विक आहार, जैसे कि आलू, कुट्टू का आटा, दूध-दही तथा फल आदि ग्रहण करना चाहिए।

 

चैत्र नवरात्रि 2021 कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल, सोमवार की प्रातः 08 बजकर 01 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 13 अप्रैल, मंगलवार के दिन 10 बजकर 16 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

 

अतः इस वर्ष 2021 में चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 13 अप्रैल, मंगलवार के शुभ दिवस से हो रहा हैं। तथा यह नवरात्र 21 अप्रैल, बुधवार तक रहेंगे।

 

शुभारंभ/प्रारंभ:- 13 अप्रैल, मंगलवार

समापन/समाप्त:- 21 अप्रैल, बुधवार

 

नवरात्र के प्रथम दिन अर्थात 13 अप्रैल, मंगलवार के दिन को माता दुर्गाजी के प्रथम स्वरूप माँ शैलपुत्री की पूजा होगी। पार्वती तथा हेमवती भी माँ शैलपुत्री के अन्य नाम हैं।

 

इस वर्ष 2021 में देवी दुर्गा माताजी का आगमन घोड़े की सवारी पर होगा तथा उनका प्रस्थान हाथी की सवारी पर होगा।

 

चैत्र नवरात्रि घटस्थापना (कलश स्थापना) मुहूर्त

इस वर्ष, चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, 13 अप्रैल, मंगलवार की प्रातः 06 बजकर 11 मिनिट से 10 बजकर 16 मिनिट तक विष्कम्भ योग में रहेगा। यदि इस समय आप कलश स्थापना करेंगे तो यह अति शुभ फलदायक सिद्ध होगा।

 
चैत्र नवरात्रि के महत्वपूर्ण मुहूर्त-

13 अप्रैल 2021

अभिजित मुहूर्त:- 12:02 से 12:53

राहुकाल:- 15:37 से 17:12

सूर्योदय:- 06:08 सूर्यास्त:- 18:47

चन्द्रोदय:- 06:55 चन्द्रास्त:- 19:55

 

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धन्यवाद!

 

18 September 2017

नवरात्रि 2017 | कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 2017 | आश्विन नवरात्रि | Ghat Sthapana Kalash Sthapana Muhurat


नवरात्रि 2017 | कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 2017 | आश्विन नवरात्रि

Ghat Sthapana Kalash Sthapana Muhurat

        जय माता दी
जय श्री कालका माँ
नमस्कार दोस्तों! में विनोद पांडे, आपका हार्दिक स्वागत करता हु, आपके अपने youtube चेंनल पर!





नवरात्र हिन्दुओं का एक पवित्र त्यौहार है। नवरात्र की पूजा नौ दिनों तक चलती हैं तथा इन दिनों में माता के नौ रुपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक वर्ष में दो बार नवरात्र आते है, तथा गुप्त नवरात्र भी आते है। पहले नवरात्र का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष से होता है। तथा अगले नवरात्र शारदीय नवरात्रे कहलाते है जो आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरु होकर नवमी तिथि तक रहते है। इन नवरात्रों के बाद दशहरा या विजयादशमी पर्व मनाया जाता है। इस त्यौहार में चाहे सुहागन हो कन्या नौ दिनों का व्रत सभी रखते है। यह त्यौहार गुजरात तथा बंगाल के साथ-साथ पूरे भारत में बड़े ही धूम-धाम एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। दोनों ही नवरात्रों में माता जी का पूजन विधिवत् किया जाता है। देवी का पूजन करने की विधि दोनों ही नवरात्रों में लगभग एक समान रहती है।
हिन्दू धर्म में प्रत्येक पूजा से पहले भगवन गणेश जी की पूजा का विधान है इसलिए नवरात्र की शुभ पूजा से पहले कलश के रूप में श्री गणेश महाराज को स्थापित किया जाता है। नवरात्र के आरंभ की प्रतिपदा तिथि के दिन कलश या घट की स्थापना की जाती है। कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है।
आइये हम आफो बताते है,
शारदीय नवरात्र कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
21 सितम्बर गुरूवार के दिन से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। तथा यह 29 सितम्बर तक रहेंगे। नवरात्र के प्रथम दिन अर्थात 21 सितंबर को माता दुर्गाजी के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होगी। इस दिन सुबह 6 बजकर 3 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट तक का समय अमृत योग है। यदि इस समय आप कलश स्थापना करेंगे तो आपके लिए अत्यंत शुभ होगा। अतः अमृत योग का समय सर्वश्रेष्ट होने से आप कलश स्थापना सुबह 6 बजकर 3 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट तक करे।
कृपया ध्यान दे:-
1.     नवरात्र में देवी पूजा के लिए जो कलश स्थापित किया जाता है वह सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही होना चाहिए। लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
2.     नवरात्र में कलश स्थापना किसी भी समय की जाती है। नवरात्र के प्रारंभ से ही अच्छा समय प्रारंभ हो जाता है अतः यदि जातक शुभ मुहूर्त में घट स्थापना नहीं कर पाता है तो वो पूरे दिन किसी भी समय कलश स्थापित कर सकता है।
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