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26 October 2019

दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त | Diwali Puja ka Shubh Muhurat Time | Laxmi Pujan Auspicious Time

दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त | Diwali Puja ka Shubh Muhurat Time | Laxmi Pujan Auspicious Time

diwali pujan shubh muhurat 2019
diwali pujan shubh muhurat time 2019


ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे
विष्णु पत्न्यै च धीमहि
तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्॥

शुभम करोति कल्याणम |
अरोग्यम धन संपदा |
शत्रु-बुद्धि विनाशायः |
दीपःज्योति नमोस्तुते ॥

असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अनुवाद:- असत्य से सत्य की ओर।
अंधकार से प्रकाश की ओर।
मृत्यु से अमरता की ओर हमें ले जाओ।
ॐ शांति शांति शांति।।

आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग करें।
लक्ष्मी बीज मन्त्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
Om Hreem Shreem Lakshmibhayo Namah

ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।
Om Shreeng Mahalaxmaye Namah।।

diwali puja shubh muhurat time 2019
diwali pujan time
दिवाली का पर्व सनातन हिन्दू धर्म का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रसिद्ध त्योहार है, तथा इस पर्व को दिपावली, लक्ष्मी पूजा, अमावस्या लक्ष्मी पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा, बंगाल की काली पूजा, दिवाली स्नान, दिवाली देवपूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा तथा दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
        जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान बनाने वाला यह त्यौहार सम्पूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ संपूर्ण जगत में अत्यंत उत्साह एवं धूमधाम से मनाया जाता हैं। दीपावली के त्यौहार की तैयारी प्रत्येक व्यक्ति कई दिन पूर्व ही आरंभ कर देते हैं, जिसका प्रारम्भ घर को स्वच्छ तथा पवित्र करने से किया जाता हैं, क्योंकि, दिवाली के दिवस शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की विधि-पूर्वक पूजा की जाती हैं, तथा माँ लक्ष्मीजी वही निवास करती हैं जहाँ स्वच्छता होती हैं।
        दिवाली के दिवस भगवान श्री गणेश जी तथा माता लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए उपयुक्त समय  प्रदोष काल का माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता है तथा लगभग २ घण्टे २२ मिनट तक व्याप्त रहता है। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार श्री महालक्ष्मी पूजन हेतु शुभ समय प्रदोष काल से प्रारम्भ हो कर अर्ध-रात्रि तक व्याप्त रहने वाली अमावस्या तिथि को श्रेष्ठ माना गया है। अतः प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अतः प्रदोष के समय व्याप्त पूर्ण अमावस्या तिथि दिवाली की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है।

अतः हम आपको बताएंगे दिवाली की पूजा करने के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त-

इस वर्ष, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 27 अक्तूबर, रविवार की दोपहर 12 बजकर 23 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 28 अक्तूबर, सोमवार के दिन 09 बजकर 08 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

अतः इस वर्ष 2019 में, दिवाली पूजा का त्योहार 27 अक्तूबर, रविवार के दिन मनाया जाएगा।

        इस वर्ष, दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त, 27 अक्तूबर, रविवार की साँय 06 बजकर 47 से रात्रि  08 बजकर 19 मिनिट तक का रहेगा।

हमारे द्वारा बताए गए इस त्रयोदशी तिथि, प्रदोष काल तथा स्थिर लग्न के सम्मिलित शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन तथा स्वास्थ्य का लाभ होता है तथा व्यक्ति के व्यापार तथा आय में अति वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो माँ लक्ष्मीजी घर में सदा के लिए वास करते है। अतः लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।

दीपावली के दिवस अन्य शुभ समय

27 अक्तूबर, रविवार
प्रदोष काल मुहूर्त - 17:46 से 20:18
वृषभ काल मुहूर्त - 18:57 से 20:21
अभिजित मुहूर्त - 11:49 से 12:32
चौघड़िया मुहूर्त - 17:48 से 19:23 शुभ तथा
                       19:24 से 21:00 अमृत
सूर्योदय - 06:34   सूर्यास्त - 17:46
चन्द्रोदय - 05:22  चन्द्रास्त - 17:36
राहुकाल : 16:24 से 17:46

20 October 2019

श्री अहोई अष्टमी व्रत की संध्या कालीन पुजा का शुभ मुहूर्त | Shri Ahoi Ashtami Puja Shubh Muhurat 2019

श्री अहोई अष्टमी व्रत की संध्या कालीन पुजा का शुभ मुहूर्त | Shri Ahoi Ashtami Puja Shubh Muhurat 2019

ahoi ashtami puja 2019
ahoi ashtami puja shubh muhurat 2019
करवा चौथ के पश्चात, अहोई माता के व्रत रूप में सम्पूर्ण उत्तरी भारत में एक प्रमुख त्यौहार मनाया जाता हैं। जैसे कि करवा चौथ पति की दीर्घ आयु के लिए किया जाता हैं, उसी प्रकार अहोई अष्टमी संतान की खुशहाली के लिए किया जाता हैं। अहोई अष्टमी के दिवस प्रत्येक संतानवती महिलाएँ अपने संतान की भलाई तथा उसकी लम्बी आयु की कामना हेतु उषाकाल अर्थात प्रातः सूर्योदय से प्रारम्भ कर गोधूलि बेला अर्थात संध्याकाल तक उपवास करती हैं। करवा चौथ के समान अहोई अष्टमी का दिवस भी कठोर उपवास का दिवस होता हैं तथा बहुत सी महिलाएँ सम्पूर्ण दिवस जल तक ग्रहण नहीं करती हैं। संध्याकाल में आकाश में तारों का दर्शन करने के पश्चात ही यह व्रत तोड़ा जाता हैं। साथ में, यह भी देखा गया हैं की, कई महिलाएँ चन्द्रमा के दर्शन करने के पश्चात ही यह व्रत को तोड़ती हैं, किन्तु इसका अनुसरण करना अत्यंत कठिन होता हैं, क्योंकि अहोई अष्टमी के दिवस रात में चन्द्रोदय अत्यंत देरी से होता हैं।

करवा चौथ के समान अहोई अष्टमी का व्रत अधिकतर उत्तरी-भारत में अधिक प्रसिद्ध हैं। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिवस किया जाता हैं तथा अहोई अष्टमी व्रत का दिवस करवा चौथ के चार दिवस पश्चात तथा दीवाली पूजा से आठ दिवस पूर्व आता हैं। साथ ही, अङ्ग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार यह व्रत अक्तूबर या नवम्बर के महीने में आता है। अहोई अष्टमी का दिवस अहोई आठें के नाम से भी जाना जाता हैं क्योंकि यह व्रत अष्टमी तिथि, जो कि महीने का आठवाँ दिवस होता हैं। अहोई का अर्थ एक प्रकार से यह भी होता हैं की, "अनहोनी से बचाना"। अतः अहोई अष्टमी का पर्व मुख्यतः अपनी संतान की लम्बी आयु की कामना तथा उसके रक्षण के लिये किया जाता हैं। इस व्रत के विषय में एक ध्यान देने योग्य बात यह भी हैं कि इस व्रत को उसी वार को किया जाता हैं, जिस वार को दिपावली हों।

अहोई अष्टमी व्रत के संध्या कालीन पुजा का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 21 अक्तूबर, सोमवार की प्रातः 06 बजकर 44 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 22 अक्तूबर, मंगलवार की प्रातः 05 बजकर 25 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

अतः इस वर्ष 2019 में अहोई अष्टमी का व्रत 21 अक्तूबर, सोमवार के दिवस किया जाएगा।

इस वर्ष, अहोई अष्टमी व्रत की संध्या कालीन पुजा का शुभ मुहूर्त, 21 अक्तूबर, सोमवार की संध्या 05 बजकर 51 मिनिट से 07 बजकर 04 मिनिट तक का रहेगा।
साथ ही तारों को देखने का समय साँय 06 बजकर 11 मिनिट तथा चन्द्रोदय मध्यरात्रि 11 बजकर 57 मिनिट के पश्चात का होगा।

12 October 2019

शरद पूर्णिमा व्रत 2019 | शरद पूर्णिमा पूजा शुभ मुहूर्त | शरद पूर्णिमा कब है | चंद्रोदय का समय कब है | Sharad Purnima Vrat

शरद पूर्णिमा व्रत 2019 | शरद पूर्णिमा पूजा शुभ मुहूर्त | शरद पूर्णिमा कब है | चंद्रोदय का समय कब है | Sharad Purnima Vrat

sharad purnima 2019
sharad purnima ka vrat

शरद पूर्णिमा की रात्रि माता लक्ष्मी जी को मनाने का मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये।
        प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः॥


शरद पूर्णिमा का स्‍थान हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह पूर्णिमा अन्‍य पूर्णिमा की तुलना में अति लोकप्रिय हैं। जिस रात्री आकाश से चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होकर धरती पर अमृत बरसाता हैं, उसी आश्विन मा के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता हैं। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता हैं।
शरद पूर्णिमा के दिवस चंद्रमा, माता लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु जी के पूजन करने का विधान हैं। कहा जाता हैं कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से व्रती की प्रत्येक मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण हो जाती हैं तथा संतानों को लंबी आयु का वरदान भी प्राप्त होता हैं। मान्यता हैं कि शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर, आसमान से अमृत की बरसात करता हैं। माना जाता हैं कि 16 कलाओं वाला पुरुष ही सर्वोत्तम पुरुष हैं। कहा जाता हैं कि भगवान श्री विष्‍णु जी के अवतार श्रीकृष्‍ण 16 कलाओं के साथ अवतरित हुये थे, एवं भगवान श्रीराम के पास 12 कलाएं थीं। साथ ही शरद पूर्णिमा के पर्व पर खीर बनाकर उसे आकाश के नीचे रखने की भी परंपरा हैं, अतः इस रात्रि में खीर को खुले आकाश में रखा जाता हैं तथा 12 बजे के पश्चात उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता हैं। ऐसी मान्‍यता हैं कि इस खीर में आकाश से गिरने वाला अमृत आ जाता हैं तथा यह खीर कई प्रकार के रोगों को नष्ट करने की शक्ति रखती हैं। एक प्रमुख बात यह भी हैं कि शरद पूर्णिमा की रात्रि, चंद्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक निकट आ जाता हैं।
  

शरद पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष, शरद पूर्णिमा के लिए पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 13 अक्तूबर, रविवार की दोपहर 12 बजकर 36 मिनिट पर होगा। तथा पूर्णिमा तिथि का समापन 14 अक्तूबर, सोमवार की दोपहर 02 बजकर 38 मिनिट पर होगा।
अतः इस वर्ष, 2019 में, शरद पूर्णिमा का व्रत 13 अक्तूबर, रविवार के दिन किया जाएगा।

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय 13 अक्तूबर, रविवार की संध्या 06 बजकर 03 मिनिट पर होगा।
भगवान जी को भोग लगाने का शुभ समय मध्यरात्रि 12 बजे का रहेगा।

11 November 2018

Labh Pancham 2018 | शुभ मुहूर्त | लाभ पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त | Labh Panchami Pujan Shubh Muhurat 2018

Labh Pancham 2018 | शुभ मुहूर्त | लाभ पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त | Labh Panchami Pujan Shubh Muhurat 2018

Labh Pancham
Labh Panchami Pujan Shubh Muhurat
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे,
विष्णु पत्न्यै च धीमहि,
तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्॥

शुभम करोति कल्याणम,
अरोग्यम धन संपदा।
शत्रु-बुद्धि विनाशायः,
दीपःज्योति नमोस्तुते॥

        आप सभी को सपरिवार लाभ पंचमी के पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपके जीवन को लाभ पंचमी का पर्व सुख, समृद्धि, शांति तथा अपार खुशियाँ प्रदान करें।

लक्ष्मी बीज मन्त्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
Om Hreem Shreem Lakshmibhayo Namah॥

ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।
Om Shreeng Mahalaxmaye Namah।।
सम्पूर्ण भारत में कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिवस लाभ पंचमी मनाई जाती है। लाभ पंचमी को लाभ पंचम, सौभाग्य पंचमी तथा सौभाग्य लाभ पंचमी भी कहा जाता है। यह त्यौहार मुख्यतः गुजरात राज्य में मनाया जाता है। यह त्योहार व्यापारियों तथा व्यवसायियों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। कहा जाता है कि इस दिवस भगवान के दर्शन व पूजा करने से व्यवसायियों तथा उनके परिजनों को लाभ तथा अच्छा भाग्य प्राप्त होता है।
लाभ पंचमी के शुभ दिवस पर विशेष मंत्र जाप द्वारा भगवान श्री गणेश का आवाहन किया जाता हैं जिससे शुभ फलों की प्राप्ति संभव हो जाती है। कार्यक्षेत्र, नौकरी तथा व्यवसाय में समृद्धि की कामना की पूर्ति होती है। इस दिन भगवान् श्री गणेश जी के साथ भगवान शिव का स्मरण करना विशेष शुभफलदायी माना गया है। सुख-सौभाग्य तथा मंगल कामना को लेकर किया जाने वाला सौभगय पंचमी का व्रत सभी की इच्छाओं को पूर्ण करता है।
गुजरात राज्य में अधिकतर दुकान मालिकों तथा व्यापारियों द्वारा दिवाली उत्सव के पश्यात लाभ पंचमी पर अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को दोबारा से शुरू किया जाता है। दिवाली के अगले दिवस ही गुजराती नववर्ष मनाया जाता है। अतः गुजरात में, 4 दिनों की छुट्टी के पश्यात, लाभ पंचमी नववर्ष का प्रथम कामकाजी दिवस माना जाता है। इस दिवस व्यापारि गण, नया बही-खाता भी प्रारंभ करते है जिसकी बाईं ओर शुभ तथा दाईं ओर लाभ लिखा जाता है तथा प्रथम पृष्ठ के केंद्र में एक स्वास्तिक को रेखांकित किया जाता हैं।
       इस वर्ष 2018 में, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 11 नवम्बर, रविवार की मध्य-रात्री 11 बजकर 44 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 12 नवम्बर, सोमवार की मध्य-रात्री 01 बजकर 50 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
अतः इस वर्ष लाभ पंचमी का त्योहार 12 नवम्बर, सोमवार के दिन मनाया जाएगा।
        इस वर्ष 2018 में, लाभ पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त, 12 नवम्बर, सोमवार के दिन प्रातः 06 बजकर 48 से 08 बजकर 04 मिनिट तथा 09 बजकर 28 से 10 बजकर 22 मिनिट तक का रहेगा।
        08 बजकर 05 मिनिट से 09 बजकर 27 कालवेला का अशुभ समय होने से धनहानी हो सकती हैं, तथा हमारे द्वारा बताए गए शुभ मुहूर्त में पूजा करने से आपके तथा आपके परिजनों के जीवन में धन, व्यापार तथा स्वास्थ्य का लाभ होता है साथ ही आय में भी वृद्धि होती है।

श्री गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए यह मन्त्र का जाप करना चाहिए।
गणेश मंत्र
लम्बोदरं महाकायं गजवक्त्रं चतुर्भुजम्।
आवाहयाम्यहं देवं गणेशं सिद्धिदायकम्।।
भगवान् शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यह मन्त्र का जाप करना चाहिए।
शिव मंत्र
त्रिनेत्राय नमस्तुभ्यं उमादेहार्धधारिणे।
त्रिशूलधारिणे तुभ्यं भूतानां पतये नम:।।

17 October 2017

धनतेरस 2017 | शुभ मुहूर्त | धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त | Dhanteras Pujan Muhurat 2017 | Auspicious Time



धनतेरस 2017 | शुभ मुहूर्त | धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त | Dhanteras Pujan Muhurat 2017 | Auspicious Time

धनतेरस पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त





Auspicious Time for Dhanteras Puja
17th
October 2017
(Tuesday)

Dhanteras Puja Muhurat = 19:34 to 20:26
Duration - 0 Hours 51 Mins
Pradosh Kaal - 17:55 to 20:26
Vrishabha Kaal - 19:34 to 21:32
Trayodashi Tithi Starts - 00:26 on 17-Oct-2017
Trayodashi Tithi Ends - 00:08 on 18-Oct-2017
 
धन तेरस की पूजा शुभ मुहुर्त में करना श्रेष्ट माना गया है, पांच दिनों तक चलने वाले महापर्व दीपावली का प्रारंभ धनतेरस के त्यौहार से होता है। धनतेरस सुख, धन तथा समृद्धि का त्योहार माना जाता है। इस दिन चिकित्सा के देवता 'धनवंतरि' की पूजा की जाती है तथा अच्छे स्वास्थ्य की भी कामना की जाती है। स्कन्द पुराण के अनुसार देवताओं तथा राक्षसों के बीच समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु देवताओं को अमर करने हेतु 'धनवंतरि' के रूप में प्रकट होकर कलश में अमृत लेकर समुद्र से निकले थे। इसलिए 'धनवंतरि' की पूजा करने से माता लक्ष्मी जी भी अति प्रसन्न होती हैं। धनतेरस के दिन चांदी खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि चांदी, चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है तथा चन्द्रमा शीतलता का प्रतिक है, इसलिए चांदी खरीदने से मन में संतोष रूपी धन का वास होता है अतः जिसके पास संतोष है वह व्यक्ति स्वस्थ, सुखी तथा धनवान है। धनतेरस के पर्व पर देवी लक्ष्मी जी तथा धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा है तथा देवता यम को दीपदान करके पूजा करने का भी विधान है। माना जाता है की धनतेरस के त्यौहार पर यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृत्यु का भय नष्ट हो जाता है।
दोस्तों, आज हम आपको बताएँगे धनतेरस की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त-

इस वर्ष धन तेरस का त्यौहार मंगलवार के दिन, कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष त्रयोदशी अर्थात 17 अक्टूबर 2017 को मनाया जाएगा।
त्रयोदशी की तिथि का प्रारंभ १७ अक्तूबर रात्रि १२ बजकर २६ मिनिट से हो कर १८ अक्टूबर रात्रि १२ बजकर 8 मिनट तक रहेगा।

धनतेरस की पूजा हेतु शुभ मुहूर्त कुल 52 मिनिट का शाम 07:24 से 08:16 तक रहेगा।

इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन तथा स्वास्थ्य का लाभ होता है तथा व्यक्ति की आयु में वृद्धि होती है।




Auspicious Time for Dhanteras Puja
17th
October 2017
(Tuesday)

Dhanteras Puja Muhurta = 19:34 to 20:26
Duration = 0 Hours 52 Mins
Pradosh Kaal = 17:55 to 20:26

Trayodashi Tithi Starts = 00:26 on 17/Oct/2017
Trayodashi Tithi Ends = 00:08 on 18/Oct/2017