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21 October 2019

दिवाली 2019 | 5 दिनों का है यह त्योहार | Diwali Festival Event Names | Deepawali 2019 | Diwali Pooja 2019

दिवाली 2019 | 5 दिनों का है यह त्योहार | Diwali Festival Event Names | Deepawali 2019 | Diwali Pooja 2019

diwali festival 2019
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दिवाली का त्योहार सनातन हिन्दू धर्म का अत्यंत पवित्र तथा सर्वाधिक प्रसिद्ध त्योहार है, दिवाली के इस पावन पर्व को दीपावली, चोपड़ा पूजन या लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। दिवाली के महोत्सव का प्रारंभ धनतेरस से होता है तथा भैया दूज के दिन तक यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
दिवाली के उत्सव के इन पाँच दिनों में माता लक्ष्मीजी सर्वाधिक महत्वपूर्ण देवी होती हैं। पाँचों दिनों में अमावस्या का दिन सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है तथा इसे लक्ष्मी पूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा तथा दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है।
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सूर्यास्त के पश्चात का माना गया है। प्रदोष के समय व्याप्त अमावस्या तिथि दिवाली पूजा के लिए उपयुक्त मानी गई है। अतः प्रदोष काल का समय लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
आज हम आपको बताएंगे, दिवाली के 5 महत्वपूर्ण त्योहारों की तिथियां तथा उन त्योहारों के अन्य नाम-

दिवाली का प्रथम दिवस
धनतेरस (शुक्रवार)      
- 25 October 2019
- २५ अक्तूबर २०१९
अन्य नाम/त्योहार- गोवत्स द्वादशी, वसुबारस, धनत्रयोदशी, धनतेरस पूजा, त्रयोदशी पूजन तथा धन्वन्तरि त्रयोदशी पुजा

दिवाली का द्वितीय दिवस
छोटी दिवाली (शनिवार)     
- 26 October 2019
- २६ अक्तूबर २०१९
अन्य नाम/त्योहार- दीवाली दीपक, यम दीपम, काली चौदस तथा हनुमान पूजा

दिवाली का तृतीय दिवस
दिवाली (रविवार)
- 27 October 2019
- २७ अक्तूबर २०१९
अन्य नाम/त्योहार- दिपावली, दीवाली लक्ष्मी पूजा, नरक चतुर्दशी, तमिल दीपावली, लक्ष्मी पूजा, दीवाली पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा, बंगाल की काली पूजा तथा अमावस्या लक्ष्मी पूजा

दिवाली का चतुर्थ दिवस
गोवर्धन पूजा (सोमवार)      
- 28 October 2019
- २८ अक्तूबर २०१९
अन्य नाम/त्योहार- गोवर्धन पूजा, अमावस्या दीवाली स्नान, दीवाली देवपूजा, गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा, प्रतिपदा गोवर्धन पूजा, द्यूत क्रीडा तथा गुजराती नया साल

दिवाली का पंचम दिवस
भाईदूज (मंगलवार)   
- 29 October 2019
- २९ अक्तूबर २०१९
अन्य नाम/त्योहार- भैया दूज, द्वितीया भैया दूज, भाऊ बीज तथा यम द्वितीया

इन पाँच प्रमुख त्योहारों के उपरांत 01 नवम्बर शुक्रवार के शुभ दिवस लाभ पञ्चमी का पर्व मनाया जाएगा, जिसके अन्य नाम - सौभाग्य पंचमी या लाभ पांचम है, जिसे मुख्यतः गुजरात राज्य के व्यापारियों द्वारा व्यापार वृद्धि तथा लक्ष्मी प्राप्ति के उद्देश्य से मनाया जाता हैं।

04 November 2018

धनतेरस 2018 | धन तेरस पूजन तथा धन प्राप्ति मंत्र | Dhanvantari Puja Vidhi in Hindi | Dhanteras Puja #Dhanteras

धनतेरस 2018 | धन तेरस पूजन तथा धन प्राप्ति मंत्र | Dhanvantari Puja Vidhi in Hindi | Dhanteras Puja #Dhanteras
Dhanvantari Puja Vidhi in Hindi
dhanteras ki puja kaise kare

शुभम करोति कल्याणम |
अरोग्यम धन संपदा |
शत्रु-बुद्धि विनाशायः |
दीपःज्योति नमोस्तुते ॥
आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख | समृद्धि | सौहार्द | शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग करें। 

Dhanteras Ki Puja Kaise Kare



कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। अतः इस दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाता हैं। धन तेरस की पूजा शुभ मुहुर्त में करना श्रेष्ट माना गया हैं। पांच दिनों तक चलने वाले महापर्व दीपावली का प्रारंभ धनतेरस के त्यौहार से होता हैं। धनतेरस सुख | धन तथा समृद्धि का त्योहार माना जाता हैं। इस दिन चिकित्सा के  देवता 'धन्वंतरि' की पूजा की जाती हैं तथा अच्छे स्वास्थ्य की भी कामना की जाती हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार देवताओं तथा राक्षसों के बीच समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु देवताओं को अमर करने हेतु 'भगवान धन्वंतरि' के रूप में प्रकट होकर कलश में अमृत लेकर समुद्र से निकले थे। अतः 'भगवान धन्वंतरि' की पूजा करने से माता लक्ष्मी जी भी अति प्रसन्न होती हैं। भगवान धनवंतरी की चार भुजाएं हैं | जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख तथा चक्र धारण किए हुए हैं तथा दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ अमृत का कलश धारण किए हुए हैं। समुद्र मंथन के समय अत्यंत दुर्लभ तथा कीमती वस्तुओं के अलावा शरद पूर्णिमा का चंद्रमा | कार्तिक द्वादशी के दिन कामधेनु गाय | त्रयोदशी को धनवंतरी तथा कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवती माँ लक्ष्मी जी का समुद्र से अवतरण हुआ था। धनतेरस के दिन लक्ष्मीमाँ की पूजा प्रदोष काल के समय करनी श्रेष्ठ मानी गई हैं | प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता हैं तथा 2 घण्टे 22 मिनट तक व्याप्त रहता हैं। धनतेरस के दिन चांदी खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता हैं क्योंकि चांदी | चंद्रमा का प्रतीक माना जाता हैं तथा चन्द्रमा शीतलता का प्रतिक हैं | अतः चांदी खरीदने से मन में संतोष रूपी धन का वास होता हैं अतः जिसके पास संतोष हैं वह व्यक्ति स्वस्थ | सुखी तथा धनवान हैं। ऐसा माना जाता हैं कि पीतल भगवान धनवंतरी की प्रिय धातु हैं क्योकि अमृत का कलश पीतल का बना हुआ था। अतः धनतेरस के दिन पीतल खरीदना भी शुभ माना गया हैं। मान्यता हैं कि इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ फल प्रदान करती हैं तथा लंबे समय तक कार्यरत रहती हैं तथा शुभ एवं मंगलदायक फल प्रदान करती हैं। मान्यता यह भी हैं की | इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता हैं। धनतेरस के पर्व पर देवी लक्ष्मी जी तथा धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा के साथ साथ देवता यम को दीपदान करके पूजा करने का भी विधान हैं। माना जाता हैं की धनतेरस के त्यौहार पर यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृत्यु का भय नष्ट हो जाता हैं। अतः यमदेव की पूजा करने के पश्चात घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला एक दीपक पूरी रात्रि जलाना चाहिए।

दोस्तों आज हम आपको बताएँगे, धनतेरस के पूजन की सही विधि तथा धन प्राप्ति मंत्र -

धन तेरस पूजा विधि

    घर के पूर्व दिशा या घर के मंदिर के पास साफ सुथरी जगह पर गंगा जल का छिडकाव करें। एक लकड़ी के पीढ़े पर रोली के माध्यम से स्वस्तिक का चिन्ह बनाये। उसके पश्यात एक मिटटी के दिए को उस पीढ़े पर रख कर प्रज्वलित करे। दिए के आस पास तीन बारी गंगा जल का छिडकाव करें। दिए पर रोली का तिलक लगायें। उसके पश्यात तिलक पर कुछ चावल रखें। इसके पश्यात 1 रुपये का सिक्का दिए में डालें। दिए पर थोड़े पुष्प अर्पित कर के दिए को प्रणाम करें। परिवार के सभी सदस्यों को तिलक लगायें। अब उस दिए को अपने घर के प्रवेश द्वार के समीप रखें। उसे दाहिने ओर रखें तथा यह ध्यान दे की दिए की लौं दक्षिण दिशा की तरफ हो।
इसके पश्यात यम देव की पूजा हेतु मिटटी का दिया जलायें तथा धन्वान्तारी पूजा घर में करें तथा आसन पर बैठ कर धन्वान्तारी मंत्र “ॐ धन धनवंतारये नमः” का 108 बार या यथा-संभव जाप करें तथा ध्यान लगा कर यह आह्वाहन करे की “है धन्वान्तारी देवता में यह मन्त्र का उच्चारण अपने चरणों में अर्पित करता हूँ”।

धन्वान्तारी पूजा के पश्यात भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करनी अनिवार्य है। भगवान श्रीगणेश तथा माता लक्ष्मी हेतु मिटटी के दियें प्रज्वलित करे तथा धुप जलाकर उनकी पूजा करें। भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी के चरणों में फूल चढायें तथा मिठाई का भोग लगायें।


इसके पश्यात शुभ मुहुर्त में घर की तिजोरी में तेरह दीपक जला कर कुबेर जी का पूजन करना चाहिए। देव कुबेर का ध्यान करते हुए, भगवान कुबेर को फूल चढाएं तथा उनका ध्यान लगाकर यह आह्वाहन करे कि, ”हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृ्त शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर का मैं ध्यान करता हूँ”

इसके पश्यात धूप, दीप, नैवैद्ध से पूजन कर के यह मंत्र का उच्चारण करें-

'यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ।'

इसके पश्यत सात धान्य- गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल तथा मसूर के साथ भगवती का पूजन करना लाभकारी माना गया है। पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प प्रयोग करना उचित है। इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये भोग के रुप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग करे। जीस से आपको स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।



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