शिवरात्रि
कब है | निशीथ काल मुहूर्त 2020 Shivratri Kab hai
Kitne Tarikh ko | शिवरात्रि तिथि
shivratri kab hai |
शिवरात्रि भगवान शिव के सम्मान में मासिक
रूप से मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है, और विशेष रूप से, शिव के
विवाह के दिन का प्रतीक है।
पूजा के मंत्रः-
ॐ नमः शिवाय का जाप या मनन श्रद्धा व ध्यान से।
बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्रः-
नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च
नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय
च नमो घृश्णवे॥
शिवरात्रि शिव तथा शक्ति के अभिशरण का विशेष पर्व है। प्रत्येक
मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है।
अमांत पञ्चाङ्ग के अनुसार माघ मास की मासिक शिवरात्रि को महा
शिवरात्रि कहते हैं। परन्तु पूर्णिमांत पञ्चाङ्ग के अनुसार फाल्गुन मास की मासिक शिवरात्रि
को महा शिवरात्रि कहते हैं। दोनों पञ्चाङ्ग में यह चन्द्र मास की नामाकरण प्रथा है
जो इसे अलग-अलग करती है। हालाँकि दोनों, पूर्णिमांत तथा अमांत पञ्चाङ्ग एक ही दिन
महा शिवरात्रि के साथ सभी शिवरात्रियों को मानते हैं।
शिवरात्रि व्रत प्राचीन काल से प्रचलित है। हिन्दु पुराणों में
हमें शिवरात्रि व्रत का उल्लेख मिलता हैं। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार महा शिवरात्रि
के दिन मध्य रात्रि में भगवान शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। प्रथम समय शिव लिंग
की पूजा भगवान विष्णु तथा ब्रह्माजी द्वारा की गयी थी। अतः महा शिवरात्रि को भगवान
शिव के जन्मदिन के रूप में जाना जाता है तथा श्रद्धालु लोग शिवरात्रि के दिन शिव लिंग
की पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, इन्द्राणी, सरस्वती,
गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती तथा रति ने भी शिवरात्रि का व्रत
किया था।
जो श्रद्धालु मासिक शिवरात्रि का व्रत करना चाहते है, वह इसे महा शिवरात्रि से आरम्भ कर सकते हैं तथा एक वर्ष तक कायम रख सकते हैं। यह
माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि के व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा द्वारा कोई
भी मुश्किल तथा असंभव कार्य पूरे किये जा सकते हैं। श्रद्धालुओं को शिवरात्रि के दौरान
जागी रहना चाहिए तथा रात्रि के दौरान भगवान शिव की पूजा करना चाहिए। अविवाहित महिलाएँ
इस व्रत को विवाहित होने हेतु एवं विवाहित महिलाएँ अपने विवाहित जीवन में सुख तथा शान्ति
बनाये रखने के लिए इस व्रत को करती है।
मासिक शिवरात्रि अगर मंगलवार के दिन पड़ती है तो वह बहुत ही शुभ
होती है। शिवरात्रि पूजन मध्य रात्रि के दौरान किया जाता है। मध्य रात्रि को निशिता
काल के नाम से जाना जाता है तथा यह दो घटी के लिए प्रबल होती है। प्रत्येक शिवरात्रि
के व्रत के लिए शिव पूजन करने के लिए निशिता काल शुभ मुहूर्त को सूचीबद्ध करता है।
भगवान शिव को उनके भोला-भाले स्वभाव के कारण भोलेनाथ के नाम
से भी जाना जाता है।
23 जनवरी गुरुवार मासिक
शिवरात्रि 00:12 से 01:05
21 फरवरी शुक्रवार महा
शिवरात्रि 00:15 से 01:06
22 मार्च रविवार मासिक
शिवरात्रि 00:09 से 00:57
21 अप्रैल मंगलवार मासिक
शिवरात्रि 00:03 से 00:48
20 मई बुधवार मासिक
शिवरात्रि 00:02 से 00:45
19 जून शुक्रवार मासिक
शिवरात्रि 00:07 से 00:50
18 जुलाई शनिवार मासिक
शिवरात्रि 00:41 से 00:55
17 अगस्त सोमवार मासिक
शिवरात्रि 00:08 से 00:53
15 सितम्बर मंगलवार मासिक
शिवरात्रि 23:58 से 00:46
15 अक्तूबर गुरुवार मासिक
शिवरात्रि 23:48 से 00:38
13 नवम्बर शुक्रवार मासिक
शिवरात्रि 23:45 से 00:38
13 दिसम्बर रविवार मासिक
शिवरात्रि 23:55 से 00:44
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