आषाढ़ मास की अमावस्या | अत्यंत ही पुण्यदायिनी तिथि | सूर्य ग्रहण | आषाढ़ अमावस्या | तिथि व मुहूर्त
ashada amavasya good or bad |
मंगलवार-2 जुलाई-2019
मृगशीर्ष नक्षत्र-सुबह 8.13 तक
सुबह 8.14 से आर्द्रा नक्षत्र
हिन्दु कैलेण्डर में नये चन्द्रमा के दिन को अमावस्या कहते हैं। यह एक महत्वपूर्ण दिन होता है क्योंकि कई धार्मिक कृत्य केवल अमावस्या तिथि के दिन ही किये जाते हैं।
अमावस्या जब सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं और अमावस्या जब शनिवार के दिन पड़ती है तो उसे शनि अमावस्या कहते हैं।
पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या के सभी दिन श्राद्ध की रस्मों को करने के लिए उपयुक्त हैं। कालसर्प दोष निवारण की पूजा करने के लिए भी अमावस्या का दिन उपयुक्त होता है।
आषाढ़ अमावस्या मुहूर्त
जुलाई 2, 2019 को 03:07:09 से अमावस्या आरम्भ जुलाई 3, 2019 को 00:47:18 पर अमावस्या समाप्त
धार्मिक दृष्टि से अमावस्या की तिथि का बहुत महत्व है। क्योंकि यह दिन दान-पुण्य और पितरों की शांति के लिए किये जाने वाले तर्पण के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। आषाढ़ मास की अमावस्या को भी खास माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार का आषाढ़ माह हिंदू वर्ष का चौथा महीना होता है। इस दिन पवित्र नदियों, धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करने का विशेष महत्व है।
आषाढ़ अमावस्या व्रत एवं धार्मिक कर्म
हर अमावस्या की भांति आषाढ़ अमावस्या पर भी पितरों के तर्पण का भी विशेष महत्व है। इस दिन किये जाने वाले धार्मिक कर्मकांड इस प्रकार हैं-
● इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें।
● पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
● अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों को स्मरण करें। पीपल की सात परिक्रमा लगाएं।
आषाढ़ अमावस्या का महत्व
हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास हिंदू वर्ष का चौथा महीना होता है। इस महीने की समाप्ति के बाद वर्षा ऋतु प्रारंभ होती है। आषाढ़ अमावस्या दान-पुण्य व पितरों की आत्मा की शांति के लिये किये जाने वाले धार्मिक कर्मों के लिए विशेष फलदायी मानी गई है। इस दिन पवित्र नदी और तीर्थ स्थलों पर स्नान का कई गुना फल मिलता है। धार्मिक रूप से अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या तो शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या शनि अमावस्या कहलाती है।
जो अमावस्या पुष्य, पुनर्वसु या आर्द्रा नक्षत्र से युक्त हो, उसमें पूजित होने से पितृगण बारह वर्षों तक तृप्त रहते हैं।
अमावस्या नारायण की प्रिय तिथियों में से एक है, इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ जरूर करें अगर पाठ कर पाना संभव नहीं तो श्रवण करें।
अगर संभव हो तो किसी तीर्थ क्षेत्र, विशेषकर गंगाजी में स्नान करें और यदि न जा पायें तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें !
अमावस्या के दिन अपने घर की अच्छे से साफ़ सफाई करें, मोटा नमक मिले हुए पानी से घर में पोंछा लगायें, झाले हटायें एवं बिना काम का सामान या तो रद्दी वाले को दें या फेंक दें !
शाम के समय सुगंधित धूप घर में लगायें एवं लक्ष्मी-हृदय स्तोत्र सुनें ! (मोबाइल इत्यादि पर घर में बजाएं )
पितरों का श्राद्ध करें और अगर श्राद्ध करने में असमर्थ हैं तो कम से कम तिल मिश्रित जल अपने पितरों के निमित्त अर्पण करना चाहिए !
अमावस्या के दिन अपने पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन करायें ! अन्न दान, वस्त्र दान एवं तिलदान करें ।
अन्नदान ब्राह्मणों के साथ साथ गरीबों एवं जरुरतमंदों को भी कर सकते हैं, याद रखिये "कलियुग में दान ही प्रधान धर्म माना गया है !"
जरूर करें : गौ सेवा अर्थात देशी गाय को चारा या जो संभव हो जरूर खिलायें, अनंत लाभ होगा, गौ सेवा से हुए लाभ को बताने के लिए शब्द कम पड़ जायेंगे, लेकिन ध्यान दीजियेगा, गाय देशी ही हो ।
कौवों को कुछ भोजन दें, चींटियों के निमित्त आटे एवं शक्कर को मिलाकर किसी पेड़ के निचे रखें, मछलियों को दाना दें।
पितरों के निमित्त एक नारियल बहते जल में प्रवाहित करें एवं उनसे आपके ऊपर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखने की प्रार्थना करें ।
सुबह या शाम के समय पीपल का पूजन, दीपक थोडा बड़ा ले लीजिये, जिससे की दीपक 6-7 घंटे अर्थात लम्बे समय तक जल सके !
भूलियेगा मत: "जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरों का अन्न खाता है उसका महीने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को चला जाता है !"
ashada amavasya importance |
प्रत्येक मास में चंद्रमा की कलाएं घटती और बढ़ती रहती हैं। चंद्रमा की घटती बढ़ती कलाओं से ही प्रत्येक मास के दो पक्ष बनाये गये हैं। जिस पक्ष में चंद्रमा घटती कला का होता है तो उसे कृष्ण पक्ष कहा जाता है और चढ़ती कला के चंद्रमा वाले पक्ष को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। ऐसे में प्रत्येक पक्ष का अंतिम दिन बहुत ही महत्वपूर्ण जाता है। शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन यानि जिस दिन चंद्रमा की कलाएं चढ़ते-चढ़ते चंद्रमा अपने वास्तविक रूप में गोल गोल और दूधिया रोशनी वाला दिखाई दे वह पूर्णिमा कहलाता है तो जब चंद्रमा घटते घटते बिल्कुल समाप्त हो जाये और रात घोर अंधकार वाली हो तो उसे अमावस्या कहते हैं। धार्मिक रूप से अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या तो शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या शनि अमावस्या कहलाती है। आषाढ़ मास की अमावस्या को भी खास माना जाता है।
आषाढ़ अमावस्या (ASHADHA AMAVASYA)
आषाढ़ मास हिंदू पंचांग के अनुसार का हिंदू वर्ष का चौथा महीना माना जाता है। आषाढ़ मास की अमावस्या के पश्चात वर्षा ऋतु का आगमन भी माना जाता है। इस मायने में आषाढ़ अमावस्या का बहुत ही महत्व है। दान-पुण्य व पितरों की आत्मा की शांति के लिये किये जाने वाले अनुष्ठानों के लिये तो यह तिथि चिर-परिचित है ही। अमावस्या के दिन पवित्र नदियों, धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान का भी विशेष महत्व माना जाता है।
2019 में क्यों खास है आषाढ़ अमावस्या (ASHADHA AMAVASYA IN 2019)
2019 में आषाढ़ अमावस्या 2 जुलाई को है। जो जातक अमावस्या को पितृकर्म करना चाहते हैं ज्योतिषाचार्यों के अनुसार उन्हें 2 जुलाई को पितृकर्म संपन्न करवाना चाहिये। अमावस्या तिथि 2 जुलाई को प्रात: 3 बजकर 06 मिनट से आरंभ हो रही है जो कि 3 जुलाई मध्य रात्रि 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगी।
आषाढ़ अमावस्या को लगेगा 2019 का दूसरा सूर्य ग्रहण
आषाढ़ मास की अमावस्या को वर्ष का दूसरा सूर्यग्रहण लगेगा। चूंकि यह ग्रहण मध्यरात्रि के समय लग रहा है इस कारण भारत में इसे नहीं देखा जा सकेगा जिसके कारण भारतीयों पर इसका असर नहीं पड़ेगा। इसी कारण यहां सूतक पर कोई विचार प्रकट नहीं किया गया है।
आषाढ़ अमावस्या तिथि व मुहूर्त (ASHADHA AMAVASYA TITHI MUHURAT)
अमावस्या तिथि – 2 जुलाई 2019
अमावस्या तिथि आरंभ – 03:06 बजे से (2 जुलाई 2019)
अमावस्या तिथि समाप्त – 00:46 बजे तक (3 जुलाई 2019)
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