10 August 2022

रक्षा बंधन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है 2022 Raksha Bandhan Rakhi Bandhne ka Shubh Muhurat kab hai

rakhi bandhan rakhi bandhne muhurat 2022
Rakhi Bandhne ka Shubh Muhurat 

 रक्षा बंधन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है 2022 Raksha Bandhan Rakhi Bandhne ka Shubh Muhurat kab hai

रक्षाबन्धन मन्त्रः (Raksha Bandhan Mantra)

येन बद्धो वली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वा रक्षबध्नामी रक्षे माचल माचल ॥
Yen Baddho bali raja danvendro mahabal,
ten twam RakshBadhnami rakshe machalmachal.
The meaning of Raksha Mantra - "I tie you with the same Raksha thread which tied the most powerful, the king of courage, the king of demons, Bali. O Raksha (Raksha Sutra), please don't move and keep fixed throughout the year."
 

🌷 रक्षाबंधन 🌷

सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम् ।
सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत्।।
 
🙏🏻 इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है ।इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्षभर मनुष्य रक्षित हो जाता हैं। (भविष्य पुराण)
 
रक्षाबंधन का पर्व सनातन भारतवर्ष में मनाये जाने वाले पवित्र तथा प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। रक्षाबंधन का पर्व भाई व बहन के अतुल्य स्नेह के प्रतीक के स्वरूप में भक्ति एवं उत्साह के साथ मनाया जाता हैं, जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं साथ ही अपने भाई की दिर्ध आयु के लिए प्रार्थना करती हैं तथा भाई अपनी बहनकी रक्षा करने का वचन देता हैं। हिंदुओ में रक्षाबंधन का पर्व अत्यंत हर्षोल्लास के साथ, धूमधाम से मनाया जाता हैं। साथ ही सिख, जैन, तथा लगभग सभी भारतीय समुदायों में यह पर्व बिना किसी रुकावट के तथा प्रेम-भाव के साथ मनाया जाता हैं। रक्षाबंधन के पर्व में रक्षा सूत्र अर्थात राखीका सबसे अधिक विशेष महत्व होता हैं। माना जाता हैं की राखीबहन का अपने भाई के प्रति स्नेह व आदर का प्रतीक होती हैं। रक्षाबंधन का त्योहार सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं जो की अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर के महीने में आता हैं। रक्षा बंधन के ठीक आठ दिन के पश्चात भगवान् श्री कृष्ण का जन्मदिन अर्थात श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता हैं।
रक्षाबंधन के शुभ दिवस पर प्रत्येक जातक को चाहिए की वह रक्षा सूत्र को भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष अर्पित कर 108 या उस से भी अधिक बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या शिव के पंचाक्षरी तथा अत्यंत प्रभावशाली मन्त्र “ॐ नमः शिवाय” का जप करें तथा उसके पश्चात ही रक्षा सूत्र को अपने भाईयों की कलाई पर बांधे। ऐसा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती हैं। क्योंकि श्रावण का पवित्र मास सम्पूर्ण प्रकार से भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता हैं।
 

रक्षाबन्धन का शुभ मुहूर्त 2022

इस वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त, गुरुवार के दिन 10 बजकर 38 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 12 अगस्त, शुक्रवार की प्रातः 07 बजकर 05 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
 
अतः इस वर्ष 2022 में रक्षा-बंधन का पर्व 11 अगस्त, गुरुवार के शुभ दिवस मनाया जाएगा। 
 
इस वर्ष, रक्षाबंधन के त्योहार पर राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त 11 अगस्त, गुरुवार की साँय 08 बजकर 52 से 09 बजकर 12 मिनिट तक का रहेगा।
 

यह भी ध्यान रहे की,

१.  रक्षा बन्धन के दिन भद्रा, 11 अगस्त, गुरुवार की साँय 08 बजकर 51 मिनिट पर समाप्त हो जाने के कारण राखी बांधने का शुभ मुहूर्त साँय 08 बजकर 52 मिनिट से साँय 09 बजकर 12 मिनिट तक, तथा पुनः 12 अगस्त की प्रातः 05 बजकर 52 मिनिट अर्थात सूर्योदय होने के साथ ही प्रारम्भ हो कर प्रातः 07 बजकर 05 मिनिट तक अर्थात पूर्णिमा तिथि के समाप्ति तक का रहेगा।
२.  वैदिक मतानुसार अपराह्न का समय राखी बांधने के लिये सर्वाधिक उपयुक्त माना गया हैं, जो कि हिन्दु समय गणना के अनुसार दोपहर के पश्चात का समय होता हैं।
३.  यदि अपराह्न का समय भद्रा आदि के कारण उपयुक्त नहीं हैं तो, प्रदोष काल का समय भी रक्षा बन्धन के संस्कार के लिये उपयुक्त माना गया हैं।
४.  हिन्दु धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक शुभ कार्यों हेतु भद्रा का त्याग किया जाना चाहिये। अतः भद्रा का समय रक्षा बन्धन के लिये निषिद्ध माना गया हैं।


रक्षाबंधन पर राखी बांधने की संपूर्ण विधि (Raksha Bandhan Par Rakhi Bandhane Ki Sampurn Vidhi)

 
1. रक्षाबंधन के दिन सबसे पहले भाई और बहन को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर लेना चाहिए।
 
2. इसके बाद बहन एक चांदी या स्टील की थाली में रोली, चंदन, अक्षत राखी, मिठाई, घी का दीपक और पानी वाला नारियल लें। जिसके चारो तरफ रोली बंधी हुई हो।
 
3. इसके बाद रक्षाबंधन की इस थाली में घी का दीपक प्रज्वलित करें और फिर सबसे पहले अपने ईष्ट देव की पूजा करके उनकी आरती करें।
 
4. आरती करने के बाद अपने ईष्ट को राखी अर्पित करें। इसके बाद एक चौक बनाए और अपने भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बैठा एक लकड़ी के पटरे पर बैठा दें।
 
5. इसके बाद भाई अपने सिर पर कोई रुमाल या फिर साफ वस्त्र रख ले।
 
6.इसके बाद भाई को रोली और चंदन का तिलक करें और फिर उस तिलक पर अक्षत लगाएं।
 
7. भाई को तिलक करने के बाद उसकी दाहिनी कलाई पर राखी बांधें।
 
8.जब आप अपने भाई को राखी बांध रही हों तो इस मंत्र को अवश्य बोलें।
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः|
तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल ||
 
9. इसके बाद अपने भाई की आरती उतारकर उसे मिठाई खिलाएं और भगवान से उनकी लंबी आयु के लिए प्रार्थना करें।
 
10. इसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार स्वरूप कुछ अवश्य दे और अपनी बहन के पैर अवश्य छुए।

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