हरतालिका तीज व्रत, पूजा विधि, कथा, शुभ मुहूर्त समय, कब है 2022 | Hartalika Teej Vrat, Puja Vidhi, Katha Kab Hai Date
'ॐ शिवायै नमः'
से पार्वती का, 'ॐ नमः शिवाय' से शिव का, 'ॐ षण्मुखाय नमः' से स्वामी
कार्तिकेय का, 'ॐ गणेशाय नमः'
से गणेश जी का तथा 'ॐ सोमाय नमः' से चंद्रमा का पूजन करें।
गौरी गणेश के स्वरूपों की पूजा के लिए इस मंत्र का जाप करें –
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥
It means "O beloved consort of Lord Shiva, please
bestow long life of the husband and beautiful sons to your women
devotees". After Goddess Gaura, Lord Shiva, Lord Kartikeya and Lord
Ganesha are worshipped.
इसका अर्थ है
"हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी, कृपया अपनी महिला भक्तों को पति की लंबी उम्र और सुंदर पुत्रों की शुभकामनाएं
दें"। देवी गौरा के बाद, भगवान शिव, भगवान
कार्तिकेय और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
हरतालिका तीज व्रत
तीज का व्रत प्रत्येक
महिलाओं द्वारा मुख्यतः उत्तरी भारत के साथ-साथ सम्पूर्ण विश्व में अत्यंत धूमधाम तथा
पूर्ण श्रद्धा से मनाया जाता हैं। श्रावण तथा भाद्रपद के मास में आने वाली तीन प्रमुख
तीज इस प्रकार हैं:-
1. हरियाली तीज,2. कजरी तीज, तथा
3. हरतालिका तीज
इन तीजों के
अतिरिक्त सम्पूर्ण वर्ष में आने वाली अन्य प्रमुख तीज इस प्रकार हैं- आखा तीज, जिसे अक्षय तृतीया भी कहते हैं तथा गणगौर तृतीया हैं।
हरतालिका तीज के व्रत
को हरतालिका तीजा भी कहा जाता हैं। हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल
पक्ष तृतीया तिथि तथा हस्त नक्षत्र के शुभ दिवस किया जाता हैं। हरतालिका तीज हरियाली तीज से एक माह के पश्चात आती हैं तथा मुख्यतः गणेश
चतुर्थी के एक दिन पूर्व मनाई जाती हैं। यह व्रत अत्यंत
महत्वपूर्ण माना गया हैं। प्रत्येक सौभाग्यवती स्त्री इस व्रत को रखने में अपना
परम सौभाग्य समझती हैं। हरतालिका तीज में भगवान शिव, माता गौरी तथा भगवान श्रीगणेश जी की पूजा का विशेष महत्व
हैं।
हरतालिका तीज व्रत का महत्व
उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार
तथा झारखंड में हरतालिका तीज का व्रत करवाचौथ से भी कठिन माना गया हैं, क्योंकि जहां करवाचौथ में चन्द्र दर्शन करने के पश्चात व्रत सम्पन्न कर
दिया जाता हैं, वहीं हरतालिका
तीज व्रत में सम्पूर्ण दिवस निराहार एवं निर्जल व्रत किया जाता हैं तथा व्रत के अगले
दिवस पूजन के पश्चात ही व्रत का समापन किया जाता हैं। साथ ही एक बार यह व्रत रखने पश्चात
जीवन पर्यन्त इस व्रत को रखना अति आवश्यक हैं। यदि व्रती महिला गर्भवती हो या अत्यंत
गंभीर रोग की स्थिति में हो तो उसके स्थान पर अन्य कोई महिला या उसका जीवनसाथी भी
इस व्रत को रख सकते हैं। गुजरात एवं महाराष्ट्र में भी इस व्रत का पालन किया जाता हैं
तथा अगले दिवस गणेश चतुर्थी के पर्व पर गणेश स्थापन किया जाता हैं। कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश व तमिलनाडु में हरतालिका
तीज को “गौरी हब्बा” के
नाम से जाना जाता हैं व माता गौरी का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु गौरी हब्बा के दिन
दक्षिण भारत की महिलाएँ “स्वर्ण गौरी व्रत” रखती
हैं तथा माता गौरी से सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं।
हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि
हरतालिका पूजा हेतु
प्रातः काल का समय सर्वोत्तम माना गया हैं। यदि किसी कारणवश प्रातःकाल पूजा कर
पाना संभव नहीं हैं तो प्रदोषकाल में भगवान शिव तथा माता पार्वती के साथ देव गणपति
की पूजा करनी चाहिए। हरतालिका तीज की पूजा प्रातः स्नान के पश्चात, नए व सुन्दर वस्त्र पहनकर प्रारम्भ की
जाती हैं। हरतालिका व्रत के दिवस कुंवारी कन्याएं तथा सौभाग्यवती महिलाएँ, भगवान शिव तथा माता पार्वती की मिट्टी या रेत के द्वारा अस्थाई प्रतिमा बनाकर
गौरी-शंकर की विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं तथा सुखी वैवाहिक जीवन तथा संतान की
प्राप्ति हेतु प्रार्थना करती हैं। उसके पश्चात हरतालिका व्रत की कथा को सुना जाता हैं। हरतालिका व्रत के दिवस व्रती महिला को शयन करना निषेध हैं,
अतः उसे रात्रि में भजन-कीर्तन करते हुए
रात्रि जागरण करना चाहिए। प्रातः काल स्नान करने के पश्चात श्रद्धा व भक्ति पूर्वक
किसी सुपात्र सुहागिन महिला को श्रृंगार सामग्री, वस्त्र, खाद्य सामग्री, फल, मिष्ठान तथा यथा शक्ति आभूषण का दान करना
चाहिए।
हरतालिका तीज की पौराणिक व्रत कथा
हरतालिका तीज की
उत्पत्ति व इसके नाम का महत्व पौराणिक कथा में प्राप्त होता हैं। हरतालिका शब्द, हरत व आलिका से
मिलकर बना हैं, जिसका अर्थ क्रमशः अपहरण व स्त्रीमित्र
अर्थात सहेली होता हैं। हरतालिका
अर्थात सहेलियों द्वारा अपहरण करना। हरतालिका तीज की कथा के अनुसार, माता गौरी के पार्वती माँ के स्वरूप में
वे भगवान शिव जी को अपने जीवनसाथी के रूप में चाहती थी, जिस कारण पार्वती माँ ने अत्यंत कठोर तपस्या
की थी। पार्वतीजी की सहेलियां उनका अपहरण कर उन्हें घने जंगल में ले गई थीं। ताकि
पार्वतीजी की इच्छा के विरुद्ध उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से न कर दें। अतः
भगवान शिव जैसा जीवनसाथी प्राप्त करने हेतु कुंवारी कन्या इस व्रत को विधि विधान
से करती हैं साथ ही इस व्रत को करने वाली विवाहित स्त्रियां भी पार्वती जी के समान
ही सुखपूर्वक वैवाहिक जीवन व्यतीत करके अंत में उन्हें शिवलोक की प्राप्ति हो जाती
हैं।
हरतालिका तीज पूजा का शुभ मुहूर्त 2022
इस वर्ष भाद्रपद
माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अगस्त, सोमवार की दोपहर 03 बजकर
20 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 30 अगस्त, मंगलवार की दोपहर 03 बजकर 32 मिनिट
तक व्याप्त रहेगी।
अतः इस वर्ष 2022 में हरतालिका तीज का व्रत 30
अगस्त, मंगलवार के दिन किया जाएगा।
इस वर्ष, हरतालिका तीज व्रत के प्रातःकाल पूजा का शुभ मुहूर्त,
30 अगस्त, मंगलवार की प्रातः 06 बजकर 04 मिनिट से 08 बजकर
41 मिनिट तक का रहेगा।
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