इन्दिरा एकादशी कब है 2022 | तिथि व्रत पारण का समय व शुभ मुहूर्त | Indira Ekadashi kab ki hai 2022
वैदिक विधान कहता है की, दशमी को एकाहार, एकादशी में निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना चाहिए। सनातन हिंदू
पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं,
किन्तु अधिकमास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती है। प्रत्येक
एकादशी का भिन्न भिन्न महत्व होता है तथा प्रत्येक एकादशीयों की एक पौराणिक कथा भी
होती है। एकादशियों को वास्तव में मोक्षदायिनी माना जाता है। भगवानजी को एकादशी
तिथि अति प्रिय मानी गई है चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो अथवा शुकल पक्ष की। इसी कारण
एकादशी के दिन व्रत करने वाले भक्तों पर प्रभु की अपार कृपा-दृष्टि सदा बनी रहती
है, अतः प्रत्येक एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने
वाले भगवान श्रीविष्णु जी की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं, एवं रात्री जागरण करते है। किन्तु इन प्रत्येक एकादशियों में से एक ऐसी
एकादशी भी है जो की श्राद्ध पक्ष की एकादशी दिन आती है, तथा
इस एकादशी के व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होती हैं। यह पितरों को
सद्गति देनेवाली एकादशी का नाम इंदिरा एकादशी है। जो की, आश्विन
मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है। इस एकादशी की महत्वपूर्ण बात यह
है कि यह पितृपक्ष में आती है जिस कारण इसका महत्व अत्यंत अधिक हो जाता है।
मान्यता है कि यदि कोई पूर्वज़ जाने-अंजाने हुए अपने पाप कर्मों के कारण यमदेव के
पास अपने कर्मों का दंड भोग रहे हैं, तो इस एकादशी पर
विधिपूर्वक व्रत कर इसके पुण्य को उनके नाम पर दान कर दिया जाये तो उन्हें मोक्ष प्राप्त
हो जाता है तथा मृत्यु के उपरांत व्रती भी बैकुण्ठ में निवास करता है।
इन्दिरा एकादशी व्रत का पारण
एकादशी के व्रत की समाप्ती करने की विधि को पारण कहते
हैं। कोई भी व्रत तब तक
पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत पारण न किया जाए। एकादशी
व्रत के अगले दिन सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता है।
ध्यान
रहे,
१-
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पूर्व करना अति आवश्यक हैं।
२-
यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व समाप्त हो रही हो तो एकादशी व्रत का पारण
सूर्योदय के पश्चात ही करना चाहिए।
३- द्वादशी तिथि के भीतर पारण ना करना पाप करने के समान
माना गया हैं।
४-
एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए।
५-
व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल का होता हैं।
६- व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत
तोड़ने से बचना चाहिए।
७- जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत समाप्त करने से
पूर्व हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी
तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती हैं।
८- यदि जातक, कुछ कारणों से प्रातःकाल
पारण करने में सक्षम नहीं हैं, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण
करना चाहिए।
इस वर्ष, आश्विन
मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 20 सितम्बर, मंगलवार की रात्रि
09 बजकर 26 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 21 सितम्बर, बुधवार की रात्रि 11 बजकर 34 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
अतः इस वर्ष 2022 में इन्दिरा एकादशी का व्रत 21 सितम्बर, बुधवार के दिन किया जाएगा।
इस वर्ष, इन्दिरा एकादशी व्रत का पारण अर्थात व्रत
तोड़ने का शुभ समय, 22 सितम्बर, गुरुवार
की प्रातः 06 बजकर 16 से सायं 08 बजकर 46 मिनिट तक का रहेगा।
द्वादशी तिथि समाप्त होने का समय - मध्य-रात्रि 01:17
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