मोक्षदा एकादशी कब है 2019 | एकादशी व्रत पारण का
समय तिथि व शुभ मुहूर्त | Mokshada Ekadashi Vrat 2019 #EkadashiVrat
Mokshada Ekadashi |
वैदिक विधान
कहता हैं की, दशमी
को एकाहार, एकादशी में निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना
चाहिए। सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं, किन्तु अधिकमास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती हैं। प्रत्येक
एकादशी का भिन्न भिन्न महत्व होता हैं तथा प्रत्येक एकादशीयों की एक पौराणिक कथा
भी होती हैं। एकादशियों को वास्तव में मोक्षदायिनी माना जाता हैं। भगवान
श्रीविष्णु जी को एकादशी तिथि अति प्रिय मानी गई हैं चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो
अथवा शुकल पक्ष की। इसी कारण एकादशी के दिन व्रत करने वाले प्रत्येक भक्तों पर
प्रभु की अपार कृपा-दृष्टि सदा बनी रहती हैं, अतः प्रत्येक
एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान श्रीविष्णु जी की पूजा करते
हैं तथा व्रत रखते हैं, साथ ही रात्री जागरण भी करते हैं।
किन्तु इन प्रत्येक एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी हैं जिस दिन भगवान श्री
कृष्ण जी ने महाभारत के युद्ध के प्रारम्भ होने से पूर्व कुरुक्षेत्र की पावन धरा
पर महारथी अर्जुन को मानव जीवन को नई दिशा प्रदान करने वाली “गीता” का उपदेश दिया
था। यह अनेकों पापों को नष्ट करने वाली एकादशी मोक्षदा एकादशी के नाम से प्रसिद्ध
हैं। मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती
हैं। मोक्षदा एकादशी को वैकुण्ठ एकादशी तथा धनुर्मास की एकादशी के नाम से भी जाना
जता हैं। इस दिन व्रत के फल में मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं, जिसके लिए प्रत्येक मनुष्य जन्म-जन्मांतर से घोर प्रतीक्षा करता हैं। इस
दिन भगवान कृष्ण के मुख से पवित्र भगवत गीता का जन्म हुआ था। अतः मोक्षदा एकादशी
के दिन ही गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता हैं, जिस कारण
इसका महत्व कई गुना अधिक हो जाता हैं। इस दिन श्री कृष्ण तथा गीता का पूजन अत्यंत
शुभ फलदायक माना गया हैं। इस पवित्र दिवस ब्राह्मण-भोज तथा दान-आदि कार्य करने से
विशेष फलो की प्राप्ती होती हैं। इस दिन भगवान श्री दामोदर की पूजा पूर्ण विधिवत, धूप, दीप नैवेद्ध आदि से भक्ति पूर्वक करनी चाहिए।
मोक्षदा एकादशी के व्रत के प्रभाव से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। भूलोक
पर मनुष्य अवतार में सभी से जाने-अंजाने कुछ पापकर्म हो जाते हैं। यदि आप इन
पापकर्मों का प्रायश्चित करना चाहते हैं तो मोक्षदा एकादशी के व्रत का पालन आपको
अवश्य करना चाहिए।
मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण
एकादशी के व्रत की समाप्ती करने की विधि को पारण कहते
हैं। कोई भी व्रत तब
तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत पारण ना किया जाए। एकादशी
व्रत के अगले दिवस सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता हैं।
ध्यान रहे,
१. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त
होने से पूर्व करना अति आवश्यक हैं।
२. यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व
समाप्त हो रही हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही करना चाहिए।
३. द्वादशी तिथि के भीतर पारण ना करना पाप
करने के समान माना गया हैं।
४. एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान
भी नहीं करना चाहिए।
५. व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय
प्रातःकाल का होता हैं।
६. व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के
दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।
७. जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत
समाप्त करने से पूर्व हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि
वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती हैं।
८. यदि जातक, कुछ कारणों से प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं हैं, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण करना चाहिए।
इस
वर्ष, मार्गशीर्ष मास
के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 07 दिसम्बर, शनिवार की प्रातः 06 बजकर 34 मिनिट से
प्रारम्भ हो कर, 08 दिसम्बर, रविवार की प्रातः 08 बजकर 28 मिनिट तक व्याप्त
रहेगी।
अतः
इस वर्ष 2019 में मोक्षदा एकादशी का व्रत 08 दिसम्बर, रविवार के दिन किया जाएगा।
इस
वर्ष, मोक्षदा
एकादशी व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 09 दिसम्बर, सोमवार की प्रातः 06 बजकर 01 मिनिट से 08 बजकर
04 मिनिट तक का रहेगा।
द्वादशी तिथि समाप्त होने का समय - 09:54
दुर्मुहूर्त - 15:19 - 15:52
राहुकाल - 15:14 - 16:34
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