श्रावण पुत्रदा एकादशी कब है 2018 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | Shravan Putrada Ekadashi 2018 #EkadashiVrat
Shravan
Putrada ekadashi kab hai, when is Shravan Putrada
ekadashi, ekadashi kab hai, Shravan Putrada ekadashi 2018, Shravan Putrada ekadashi, Shravan
Putrada ekadashi in hindi, Shravan Putrada ekadashi story, Shravan Putrada ekadasi katha, Shravan
Putrada ekadasi, Shravan Putrada ekadashi vrat vidhi, Shravan Putrada ekadashi katha, श्रावण पुत्रदा
एकादशी व्रत कथा, श्रावण पुत्रदा एकादशी स्टोरी, श्रावण पुत्रदा एकादशी महत्व, श्रावण
पुत्रदा एकादशी कथा, श्रावण पुत्रदा एकादशी की कथा, श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत, Shravan
Putrada ekadashi vrat katha, Shravan Putrada ekadashi fast, Shravan Putrada ekadashi dates, Shravan
Putrada ekadashi puja, ekadashi puja, Shravan
Putrada ekadasi story in Hindi, putrada ekadashi 2018, putrada ekadashi vrat 2018, putrada ekadashi vrat Vidhi, ekadashi vrat
katha, what to eat on putrada ekadashi, putrada
ekadashi 2018 date
इस
वर्ष 2018 में, श्रावण पुत्रदा
एकादशी व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 23 अगस्त, गुरुवार के दिन, प्रातः 6 बजकर 11 से 8 बजकर 38
मिनिट तक रहेगा।
Shlok Vinod Pandey
वैदिक विधान कहता है की, दशमी को एकाहार, एकादशी में निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना चाहिए। हिंदू पंचांग के
अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं। किन्तु अधिकमास की एकादशियों को
मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती है। भगवानजी को एकादशी तिथि अति प्रिय है चाहे वह
कृष्ण पक्ष की हो अथवा शुकल पक्ष की। इसी कारण इस दिन व्रत करने वाले भक्तों पर
प्रभु की अपार कृपा-दृष्टि सदा बनी रहती है अतः प्रत्येक एकादशियों पर हिंदू धर्म
में आस्था रखने वाले भगवान श्रीविष्णु की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं। किन्तु
इन सभी एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी है जिसका व्रत करने से संतानहीन अथवा
पुत्रहीन जातको को संतान सुख की प्राप्ति अति शीघ्र हो जाती है। पुत्र सुख की
प्राप्ति के लिए किए जाने वाले इस व्रत को पुत्रदा एकादशी का व्रत कहा जाता है।
पद्म पुराण के अनुसार जिन दम्पत्तियों को कोई पुत्र नहीं होता उनके लिए पुत्रदा
एकादशी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। प्रत्येक वर्ष में 2 बार पुत्रदा
एकादशी का व्रत, पौष तथा श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी
को किया जाता है। अतः श्रावण तथा पौष मास की एकादशियों का महत्व एक समान ही माना
जाता है। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी दिसम्बर या जनवरी
के महीने में आती है तथा श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी जुलाई या अगस्त के महीने में
आती है। श्रावण मास की शुक्ल एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता है तथा इस
एकादशी को पवित्रोपना एकादशी या पवित्र एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण
एकादशी के व्रत की समाप्ती करने की विधि को
पारण कहते हैं। कोई भी व्रत तब तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत
पारण न किया जाए। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के
पश्चात पारण किया जाता है।
१.
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना
अति आवश्यक है।
२.
यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो
एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही होता है।
३.
द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता
है।
४.
एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए।
५.
व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है।
६.
व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत तोड़ने
से बचना चाहिए।
७.
जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत समाप्त करने से पहले
हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की
पहली एक चौथाई अवधि होती है।
८.
यदि,
कुछ कारणों की वजह से जातक प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण करना चाहिए।
इस वर्ष 2018 में, श्रावण शुक्ल एकादशी तिथि 21 अगस्त, प्रातः 05 बजकर 16 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 22 अगस्त
प्रातः 07 बजकर 40 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
अतः इस वर्ष 2018
में श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत 22 अगस्त, बुधवार के दिन किया जाएगा।
Shlok Vinod Pandey
No comments:
Post a Comment