21 June 2018

निर्जला एकादशी कब है 2018 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | भीम एकादशी 2018 | nirjala ekadashi 2018

निर्जला एकादशी कब है 2018 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | भीम एकादशी 2018


nirjala ekadashi 2018, nirjala ekadashi kab hai, nirjala ekadashi vrat paran, nirjala ekadashi 2018 in Hindi, nirjala ekadashi date 2018, nirjala ekadashi in 2018, nirjala ekadashi kab hai, bhim ekadashi 2018 date, nirjala ekadashi 2018 iskcon, nirjala ekadashi vrat Vidhi, निर्जला एकादशी 2018, शुभ मुहूर्त, २०१८, निर्जला एकादशी, निर्जला एकादशी 2018, तिथि व मुहूर्त, Nirjala Ekadashi Tithi Muhurat 2018, , एकादशी तिथि पारण का समय, Nirjala Ekadashi, Ekadashi Parana Times, About Nirjala Ekadashi, व्रत पारण



           वैदिक विधान कहता है की, दशमी को एकाहार, एकादशी में निर्जल एवं निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं। किन्तु अधिकमास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती है। भगवान को एकादशी तिथि अति प्रिय है चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो अथवा शुकल पक्ष की। इसी कारण इस दिन व्रत करने वाले भक्तों पर प्रभु की अपार कृपा सदा बनी रहती है अतः प्रत्येक एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं। किन्तु इन सभी एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी है जिसमें व्रत रखकर संपूर्ण वर्ष की सभी एकादशियों जितना पुण्य कमाया जा सकता है। यह है ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी। जिसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। निर्जला एकादशी से सम्बन्धित पौराणिक कथा के कारण इसे पाण्डव एकादशी तथा भीमसेनी या भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पद्मपुराण के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत के प्रभाव से जहां मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं अनेक रोगों की निवृत्ति एवं सुख सौभाग्य में वृद्घि होती है। जो श्रद्धालु वर्ष की सभी चौबीस एकादशियों का उपवास करने में सक्षम नहीं है, उन्हें केवल निर्जला एकादशी उपवास करना चाहिए क्योंकि निर्जला एकादशी उपवास करने से अन्य सभी एकादशियों का लाभ प्राप्त हो जाता हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने, पूजा तथा दान करने से जातक, जीवन में सुख-समृद्धि का भोग करते हुए अंत समय में मोक्ष को प्राप्त करता है। निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष के दौरान किया जाता है। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत मई अथवा जून के महीने में होता है। यह व्रत सभी पापों का नाश करने वाला तथा मन में जल संरक्षण की भावना को उजागर करता है।
           एकादशी के व्रत की समाप्ती करने की विधि को पारण कहते हैं। कोई भी व्रत तब तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत पारण न किया जाए। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता है।

ध्यान रहे,
१.             एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है।   
२.             यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही होता है।
३.             द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।
४.             एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए।
५.             व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है।
६.             व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।
७.             जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत समाप्त करने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती है।
८.             यदि, कुछ कारणों की वजह से जातक प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण करना चाहिए।

इस वर्ष, ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि २३ जून, रात्री ०३ बजकर १९ मिनिट से प्रारम्भ हो कर, २४ जून रात्री ०३ बजकर ५२ मिनिट तक व्याप्त रहेग।

अतः इस वर्ष 2018 में निर्जला एकादशी का व्रत 23 जून, शनिवार के दिन किया जाएगा।  

निर्जला एकादशी पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 24 जून, रविवार के दिन, दोपहर 1 बजकर 51 से 4 बजकर 28 मिनिट तक रहेगा।

निर्जला एकादशी
२३वाँ  जून २०१८ शनिवार


निर्जला एकादशी पारण

पारण (व्रत तोड़ने का) शुभ समय-
24 जून 2018, रविवार,
13:51 से 16:28

एकादशी तिथि प्रारम्भ = 23 जून 2018 को 03:19 बजे
एकादशी तिथि समाप्त = 24 जून 2018 को 03:52 बजे


No comments:

Post a Comment