02 July 2019

नवरात्र कलश स्थापना शुभ मुहूर्त | गुप्त नवरात्र 2019 | Ghat Sthapana kab hai | Gupt Navratra 2019

नवरात्र कलश स्थापना शुभ मुहूर्त | गुप्त नवरात्र 2019 | Ghat Sthapana kab hai | Gupt Navratra 2019
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       ॥  जय माता दी 
जय श्री कालका माँ

नमो देवी महाविद्ये नमामि चरणौ तव।
सदा ज्ञानप्रकाशं में देहि सर्वार्थदे शिवे॥
        सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी।
        त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः॥
         
नवरात्र हिन्दुओं का अत्यंत पवित्र तथा प्रमुख त्यौहार हैं। देवी दुर्गा माँ को शक्ति का प्रतीक माना जाता हैं। मान्यता हैं कि, माताजी स्वयं ही इस चराचर संसार में शक्ति का संचार निरंतर करती रहती हैं। देवी भागवत पुराण के अनुसार प्रत्येक वर्ष में मुख्य दो बार नवरात्र आते हैं, तथा अन्य गुप्त नवरात्र भी आते हैं। प्रथम नवरात्र का प्रारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से होता हैं। तथा अगले नवरात्र शारदीय नवरात्रे कहलाते हैं, जो आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होकर नवमी तिथि तक रहते हैं। वहीं, गुप्त नवरात्र माघ, पौष तथा आषाढ़ के मास में मनाए जाते हैं। नवरात्र की पूजा नौ दिनों तक होती हैं तथा इन नौ दिनों में माताजी के नौ भिन्न-भिन्न स्वरुपों की पूजा की जाती हैं। माताजी के नौ रूप इस प्रकार हैं- माँ शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा माँ, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, माँ महागौरी तथा सिद्धिदात्रि माँ। ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती हैं। गुप्त नवरात्र के दौरान साधक महाविद्या अर्थात तंत्र साधना के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी तथा कमला देवी की पूजा करते हैं।
जब चातुर्मास में भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होते हैं तब देव शक्तियां क्षीण होने लगती हैं। उस समय पृथ्वी पर रुद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढ़ने लगता हैं इन विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की जाती हैं। इस समय आध्यात्मिक ऊर्जा ग्रहण करने के लिए लोग विशिष्ट अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में देवी के स्वरूपों की साधना पूर्ण श्रद्धा से की जाती हैं। मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान देवी के पूजन करने की विधि अन्य नवरात्र के समान ही रहती हैं। नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा को घटस्थापना कर प्रतिदिन दोनों पहर मां दुर्गा की पूजा की जाती हैं। अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं के पूजन के साथ व्रत का उद्यापन किया जाता हैं अर्थात व्रत का पारण किया जाता हैं।
नवरात्र के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का संकल्प किया जाता हैं। अतः व्रत का संकल्प लेते समय उसी प्रकार संकल्प लें, जीतने दिन आपको व्रत रखना हैं। व्रत-संकल्प के पश्चात ही घट-स्थापना की विधि प्रारंभ की जाती हैं। घट-स्थापना सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में ही करना चाहिए, ऐसा करने से घर में सुख, शांति तथा समृद्धि व्याप्त रहती हैं।
हिन्दू धर्म में प्रत्येक पूजा से पूर्व भगवान गणेश जी की पूजा का विधान हैं, अतः नवरात्र की शुभ पूजा से पूर्व कलश के रूप में श्री गणेश महाराज को स्थापित किया जाता हैं। नवरात्र के आरंभ की प्रतिपदा तिथि के दिन कलश या घट की स्थापना की जाती हैं। कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता हैं।

कलश स्थापना करते समय इन विशेष नियमो का ध्यान अवश्य रखना चाहिए-

कृपया ध्यान दे:-

1.  नवरात्र में देवी पूजा के लिए जो कलश स्थापित किया जाता हैं, वह सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही होना चाहिए। लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग पूजा में नहीं करना चाहिए।
2.  नवरात्र में कलश स्थापना किसी भी समय किया जा सकता हैं। नवरात्र के प्रारंभ से ही अच्छा समय प्रारंभ हो जाता हैं, अतः यदि जातक शुभ मुहूर्त में घट स्थापना नहीं कर पाते हैं तो वे सम्पूर्ण दिवस किसी भी समय कलश स्थापित कर सकते हैं।
3.  कलश स्थापना करने से पूर्व, अपने घर में देवी माँ का स्वागत करने के लिए, घर की साफ-सफाई अच्छे से करनी चाहिए।
4.  नवरात्रों में माँ भगवती की आराधना “दुर्गा सप्तसती” से की जाती हैं, परन्तु यदि समयाभाव हैं तो भगवान् शिव रचित “सप्तश्लोकी दुर्गा” का पाठ अत्यंत ही प्रभाव शाली हैं एवं दुर्गा सप्तसती का पाठ सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाला हैं।
5.  नवरात्रि के दौरान सात्विक जीवन व्यतीत करना चाहिए। अतः नवरात्रि के दौरान भूमि शयन करना चाहिए तथा सात्त्विक आहार, जैसे कि आलू, कुट्टू का आटा, दूध-दही तथा फल आदि ग्रहण करना चाहिए।

गुप्त नवरात्रि 2019
इस वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 02 जुलाई, मंगलवार की मध्यरात्रि 12 बजकर 45 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 03 जुलाई, बुधवार की रात्रि 10 बजकर 04 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
अतः इस वर्ष 2019 में गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ 03 जुलाई, बुधवार के दिन से हो रहा हैं। तथा यह नवरात्र 11 जुलाई, गुरुवार तक रहेंगे।
नवरात्र के प्रथम दिन अर्थात 03 जुलाई, बुधवार के दिन माता दुर्गाजी के प्रथम स्वरूप माँ शैलपुत्री की पूजा होगी। पार्वती तथा हेमवती भी माँ शैलपुत्री के अन्य नाम हैं।
इस वर्ष 2019 में देवी दुर्गा माताजी का आगमन नाव पर होगा तथा उनका प्रस्थान मनुष्य के सवारी पर होगा।

गुप्त नवरात्रि घटस्थापना (कलश स्थापना) मुहूर्त
इस वर्ष, 2019 में, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घट-स्थापना अर्थात कलश स्थापना करने का शुभ मुहूर्त, 03 जुलाई, बुधवार की प्रातः 05 बजकर 44 मिनिट से 06 बजकर 47 मिनिट तक का रहेगा। यदि इस सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में आप कलश स्थापना करेंगे तो यह अति लाभदायक एवं शुभ फलदायक सिद्ध होगा।

नवरात्रि पारण
इस वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 10 जुलाई, बुधवार की मध्यरात्रि 02 बजकर 02 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 11 जुलाई, गुरुवार की मध्यरात्रि 01 बजकर 02 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
अतः इस वर्ष, गुप्त नवरात्रि व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 11 जुलाई, गुरुवार की प्रातः 05 बजकर 54 मिनिट के पश्चात का रहेगा।

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