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17 October 2017

Dhanteras Katha in Hindi | Dhanteras Real Story in Hindi | Dhanteras 2017



धनतेरस 2017 | धनतेरस कथा | Dhanteras Katha in Hindi | Dhanteras Story in Hindi | Dhanteras 2017





सम्पूर्ण भारत में कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि के दिन धनतेरस का पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास से मनाया जाता है। देव धनवन्तरी के साथ-साथ इस दिन, माता लक्ष्मी जी तथा धन के देवता कुबेर जी के पूजन विधान है। तथा इस पर्व पर यमदेव को भी दीपदान किया जाता है। इस दिन यमदेव की पूजा करने के विषय में मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है।

दोस्तों आज हम आपको बताएँगे धनतेरस की प्रचलित कथा

एक राज्य में एक अत्यंत बलवान राजा रहता था, कई वर्षों तक कड़ी प्रतिक्षा तथा भगवान् से प्रार्थना करने के पश्यात उसे पुत्र संतान का सुख प्राप्त हुआ। राजा के पुत्र के भविष्य के बारे में राज्य के ज्योतिषी ने बताया कि,यदि बालक विवाह करता है, तो उसके चार दिन पश्यात ही इसकी अकाल मृ्त्यु हो जायेगी।
ज्योतिषी की यह भविष्य-वाणी सुनकर राजा चिंतित हो गए तथा उनको अत्यंत दु:ख हुआ, तथा राजा ने एसी घटना से बचने के लिये राजकुमार को एसी जगह पर भेज दिया, जहां आस-पास कोई स्त्री न रहती हो, किन्तु, एक दिन वहां एक अत्यंत सुन्दर राजकुमारी का आगमन हुवा, राजकुमार तथा राजकुमारी दोनों एक दूसरे को देख कर मोहित हो गये, तथा उन्होने आपस में विवाह कर लिया।
ज्योतिषी की भविष्यवाणी के अनुसार ठीक चार दिन पश्यात यमदूत राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचें। यमदूत को देख कर राजकुमार की धर्म-पत्नी अर्थात वह राजकुमारी विलाप करने लगी। यमदूतो से यह देखा न गया तथा वे यमराज से विनती करने लगे की राजकुमार के प्राण बचाने का कोई उपाय सूचित करे। इस पर यमराज जी ने कहा की जो प्राणी कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात में मेरा पूजन करके दीप माला से दक्षिण दिशा की ओर ज्योत वाला दीपक जलायेगा, उसे कभी अकाल मृ्त्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाये जाते है।



धनतेरस | धन तेरस पूजन तथा धन प्राप्ति मंत्र | Dhanvantari Puja Vidhi in Hindi | Dhanteras Puja


धनतेरस 2017 | धन तेरस पूजन तथा धन प्राप्ति मंत्र | Dhanvantari Puja Vidhi in Hindi | Dhanteras Puja





स्कन्द पुराण के अनुसार, धन तेरस की पूजा शुभ मुहुर्त में सही विधि से करने से मंवांचित फल की प्राप्ति होती है, हिन्दू धर्म में धनतेरस के त्यौहार को सुख-समृद्धि, यश तथा वैभव का पर्व माना जाता है। इस दिन चिकित्सा के देवता 'धनवंतरि' की पूजा की जाती है तथा अच्छे स्वास्थ्य की भी कामना की जाती है। 'धनवंतरि' की पूजा करने से माता लक्ष्मी जी भी अति प्रसन्न होती हैं। धनतेरस के पर्व पर देवी लक्ष्मी जी तथा धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा है तथा देवता यम को दीपदान करके पूजा करने का भी विधान है।    

दोस्तों आज हम आपको बताएँगे, धनतेरस के पूजन की सही विधि तथा धन प्राप्ति मंत्र -

धन तेरस पूजा विधि

    घर के पूर्व दिशा या घर के मंदिर के पास साफ सुथरी जगह पर गंगा जल का छिडकाव करें। एक लकड़ी के पीढ़े पर रोली के माध्यम से स्वस्तिक का चिन्ह बनाये। उसके पश्यात एक मिटटी के दिए को उस पीढ़े पर रख कर प्रज्वलित करे। दिए के आस पास तीन बारी गंगा जल का छिडकाव करें। दिए पर रोली का तिलक लगायें। उसके पश्यात तिलक पर कुछ चावल रखें। इसके पश्यात 1 रुपये का सिक्का दिए में डालें। दिए पर थोड़े पुष्प अर्पित कर के दिए को प्रणाम करें। परिवार के सभी सदस्यों को तिलक लगायें। अब उस दिए को अपने घर के प्रवेश द्वार के समीप रखें। उसे दाहिने ओर रखें तथा यह ध्यान दे की दिए की लौं दक्षिण दिशा की तरफ हो।
इसके पश्यात यम देव की पूजा हेतु मिटटी का दिया जलायें तथा धन्वान्तारी पूजा घर में करें तथा आसन पर बैठ कर धन्वान्तारी मंत्र ॐ धन धनवंतारये नमः” का 108 बार या यथा-संभव जाप करें तथा ध्यान लगा कर यह आह्वाहन करे की है धन्वान्तारी देवता में यह मन्त्र का उच्चारण अपने चरणों में अर्पित करता हूँ।

धन्वान्तारी पूजा के पश्यात भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करनी अनिवार्य है। भगवान श्रीगणेश तथा माता लक्ष्मी हेतु मिटटी के दियें प्रज्वलित करे तथा धुप जलाकर उनकी पूजा करें। भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी के चरणों में फूल चढायें तथा मिठाई का भोग लगायें।


इसके पश्यात शुभ मुहुर्त में घर की तिजोरी में तेरह दीपक जला कर कुबेर जी का पूजन करना चाहिए। देव कुबेर का ध्यान करते हुए, भगवान कुबेर को फूल चढाएं तथा उनका ध्यान लगाकर यह आह्वाहन करे कि, ”हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृ्त शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर का मैं ध्यान करता हूँ”

इसके पश्यात धूप, दीप, नैवैद्ध से पूजन कर के यह मंत्र का उच्चारण करें-

'यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ।'

इसके पश्यत सात धान्य- गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल तथा मसूर के साथ भगवती का पूजन करना लाभकारी माना गया है। पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प प्रयोग करना उचित है। इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये भोग के रुप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग करे। जीस से आपको स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।