शारदीय नवरात्रि उपवास कब खोले | नवरात्रि हवन मुहूर्त | कन्या पूजन कब करें | Navratri ka Paran kab hai | Shardiya Navratri Kanya Pujan 2021 नवरात्रि पारण का समय
Navratri ka Paran |
नवरात्र सनातनी हिन्दुओं का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रमुख त्यौहार हैं। नवरात्र
की पूजा नौ दिनों तक होती हैं तथा इन नौ दिनों में माताजी के नौ भिन्न-भिन्न स्वरूपों
की पूजा तथा आराधना पूर्ण भक्तिभाव से की जाती हैं। माताजी के नौ रूप इस प्रकार
हैं- माँ शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी,
चंद्रघंटा, कुष्मांडा माँ, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि,
माँ महागौरी तथा सिद्धिदात्रि माँ।
प्रत्येक वर्ष में मुख्य दो बार नवरात्र आते हैं, तथा गुप्त नवरात्र भी आते हैं।
सम्पूर्ण उत्तरी भारत-वर्ष में शारदीय नवरात्र को अत्यंत श्रद्धा तथा विश्वास के साथ नौ दिनों तक व्रत कर के मनाया जाता हैं। शारदीय नवरात्र को प्रत्येक नवरात्रों में सर्वाधिक प्रमुख तथा महत्वपूर्ण माना जाता हैं। शारदीय नवरात्र से की वर्षा ऋतु समाप्त होती हैं तथा ठंडी के मौसम का प्रारम्भ होता हैं। अतः यह नवरात्र वह समय हैं, जब दो ऋतुओं का मिलन होता हैं। इस संधि काल में ब्रह्मांड से असीम शक्तियां ऊर्जा के स्वरूप में हम तक भूलोक पर पहुँचती हैं। अतः इस समय आध्यात्मिक ऊर्जा ग्रहण करने के लिए लोग विशिष्ट अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में देवी के स्वरूपों की साधना पूर्ण श्रद्धा से की जाती हैं। अतः नवरात्रों में माताजी का पूजन विधिवत् किया जाता हैं। देवी के पूजन करने की विधि दोनों ही नवरात्रों में लगभग एक समान ही रहती हैं। इस त्यौहार पर सुहागन या कन्या, सभी महिलाएं अपने सामर्थ्य अनुसार दो, तीन या सम्पूर्ण नौ दिनों तक का व्रत रखते हैं तथा दसवें दिन कन्या पूजन तथा हवन के पश्चात व्रत खोला जाता हैं अर्थात व्रत का पारण किया जाता हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र का पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता हैं, किन्तु कभी-कभी तिथियों में बदलाव के कारण नवरात्र का पर्व कभी आठ दिनों तक, तो कभी-कभार दस दिनों तक भी मनाया जाता हैं। अपने संकल्प के अनुसार नौ दिन व्रत रहने वाली महिलाएं नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन तथा हवन करते हैं। नवमी के दिन सिद्धिदात्रि देवी की पूजा की जाती हैं तथा नवमी के दिन ही दुर्गा महा-पूजा भी की जाती हैं। नवमी के दिन पंडालों में विशेष पूजा आरती का आयोजन किया जाता हैं तथा भक्तजन अपने परिवार या समूह में विविध प्रकार के आयोजनों से भजन कीर्तन करते हैं। किन्तु, यह भी देखा गया हैं की, कुछ महिलाएं नवमी के दिन नवरात्रि के व्रत का पारण करती हैं तो कुछ नौ दिन तक व्रत रखने के पश्चात दशमी तिथि के दिवस शुभ मुहूर्त में पारण करती हैं।
इस वर्ष अष्टमी तथा नवमी तिथि 2 दोनों दिन व्याप्त हैं, जिस कारण आप प्रत्येक भक्तजनों के पास केवल सामान्य जानकारी तो हैं किन्तु पर्याप्त जानकारी का अभाव हैं की,
अष्टमी या नवमी का व्रत कब किया जाएगा?
कन्या पूजन कब किया जाएगा?
नवरात्रि का हवन कब करना चाहिए?
तथा
नवरात्रि व्रत का पारण कब करें?
अतः इस शंका का हम निवारण करते हैं।
-निर्णयसिन्धु
निर्णयसिन्धु, पौराणिक
ग्रंथ के अनुसार, शारदीय
नवरात्रि पारण तब किया जाना चाहिए जब नवमी तिथि समाप्त हो रही हो तथा दशमी तिथि
प्रारम्भ हो रही हो। जैसा कि शास्त्रो में भी उल्लेख प्राप्त होता हैं की, शारदीय नवरात्रि उपवास प्रतिपदा से प्रारम्भ
कर के नवमी तिथि तक रखना चाहिए तथा इस दिशा निर्देश का पालन करने हेतु शारदीय
नवरात्रि का व्रत समूर्ण नवमी तिथि के दिन तक करना चाहिए।
इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 13 अक्तूबर, बुधवार की प्रातः 08 बजकर 07 मिनिट से
प्रारम्भ हो कर, 14 अक्तूबर,
गुरुवार की प्रातः 06 बजकर 52 मिनिट
तक व्याप्त रहेगी।
शास्त्रोक्त नियम हैं की, जब नवमी दो तिथियों में हो तथा प्रथम तिथि के मध्याह्न में नवमी हो, तो व्रत या त्योहार उसी दिवस किया जाना
चाहिए। किन्तु यदि नवमी दोनों दिनों के मध्याह्न में पड़ रही हो, या जब किसी भी दिन मध्याह्न को नवमी न हो,
तो दशमी से युक्त नवमी में व्रत करना
चाहिए।
अतः इस वर्ष, 14 अक्तूबर, गुरुवार के दिन मध्याह्न के समय नवमी तिथि रहेगी, किन्तु 15 अक्तूबर, शुक्रवार के दिन नवमी तिथि का क्षय प्रातः ही हो जाएगा। अतः इस वर्ष 2021 में नवरात्रि के दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा एवं सन्धि पूजा 13 अक्तूबर, बुधवार दिन हैं। साथ ही, इस नवरात्रि के नवमी का व्रत 14 अक्तूबर, गुरुवार के दिन ही किया जाएगा तथा महा नवमी, आयुध पूजा तथा नवमी हवन भी 14 अक्तूबर, गुरुवार के दिन ही हैं। जो श्रद्धालु अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं, वे 13 अक्तूबर, बुधवार के दिन ही कर सकते हैं। नवरात्रि का व्रत सायाह्न हवन 14 अक्तूबर, गुरुवार की प्रातः 06 बजकर 24 से सायं 06 बजकर 01 मिनिट तक कर सकते है।
शारदीय नवरात्रि के दिव्य व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष, 2021 में,
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी
तिथि 14 अक्तूबर,
गुरुवार की प्रातः 06 बजकर 52 मिनिट
से प्रारम्भ हो कर, 15 अक्तूबर,
शुक्रवार की प्रातः 06 बजकर 02 मिनिट
तक व्याप्त रहेगी।
अतः शारदीय नवरात्रि के व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 15 अक्तूबर, शुक्रवार की प्रातः 06 बजकर 27 मिनिट के पश्चात का रहेगा।
विजयादशमी का पर्व भी 15 अक्तूबर, शुक्रवार के दिवस मनाया जाएगा।
विजयादशमी का विजय मुहूर्त, दोपहर 02 बजकर 09 मिनिट से 02 बजकर 52 मिनिट तक का रहेगा।
देवी दुर्गा माँ का विसर्जन भी 15 अक्तूबर 2021, शुक्रवार
के शुभ दिवस ही किया जाएगा, जिसका दुर्गा विसर्जन का शुभ मुहूर्त
प्रातः 06:24 से 08:43 तक का रहेगा।
सम्पूर्ण उत्तरी भारत-वर्ष में शारदीय नवरात्र को अत्यंत श्रद्धा तथा विश्वास के साथ नौ दिनों तक व्रत कर के मनाया जाता हैं। शारदीय नवरात्र को प्रत्येक नवरात्रों में सर्वाधिक प्रमुख तथा महत्वपूर्ण माना जाता हैं। शारदीय नवरात्र से की वर्षा ऋतु समाप्त होती हैं तथा ठंडी के मौसम का प्रारम्भ होता हैं। अतः यह नवरात्र वह समय हैं, जब दो ऋतुओं का मिलन होता हैं। इस संधि काल में ब्रह्मांड से असीम शक्तियां ऊर्जा के स्वरूप में हम तक भूलोक पर पहुँचती हैं। अतः इस समय आध्यात्मिक ऊर्जा ग्रहण करने के लिए लोग विशिष्ट अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में देवी के स्वरूपों की साधना पूर्ण श्रद्धा से की जाती हैं। अतः नवरात्रों में माताजी का पूजन विधिवत् किया जाता हैं। देवी के पूजन करने की विधि दोनों ही नवरात्रों में लगभग एक समान ही रहती हैं। इस त्यौहार पर सुहागन या कन्या, सभी महिलाएं अपने सामर्थ्य अनुसार दो, तीन या सम्पूर्ण नौ दिनों तक का व्रत रखते हैं तथा दसवें दिन कन्या पूजन तथा हवन के पश्चात व्रत खोला जाता हैं अर्थात व्रत का पारण किया जाता हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र का पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता हैं, किन्तु कभी-कभी तिथियों में बदलाव के कारण नवरात्र का पर्व कभी आठ दिनों तक, तो कभी-कभार दस दिनों तक भी मनाया जाता हैं। अपने संकल्प के अनुसार नौ दिन व्रत रहने वाली महिलाएं नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन तथा हवन करते हैं। नवमी के दिन सिद्धिदात्रि देवी की पूजा की जाती हैं तथा नवमी के दिन ही दुर्गा महा-पूजा भी की जाती हैं। नवमी के दिन पंडालों में विशेष पूजा आरती का आयोजन किया जाता हैं तथा भक्तजन अपने परिवार या समूह में विविध प्रकार के आयोजनों से भजन कीर्तन करते हैं। किन्तु, यह भी देखा गया हैं की, कुछ महिलाएं नवमी के दिन नवरात्रि के व्रत का पारण करती हैं तो कुछ नौ दिन तक व्रत रखने के पश्चात दशमी तिथि के दिवस शुभ मुहूर्त में पारण करती हैं।
इस वर्ष अष्टमी तथा नवमी तिथि 2 दोनों दिन व्याप्त हैं, जिस कारण आप प्रत्येक भक्तजनों के पास केवल सामान्य जानकारी तो हैं किन्तु पर्याप्त जानकारी का अभाव हैं की,
अष्टमी या नवमी का व्रत कब किया जाएगा?
कन्या पूजन कब किया जाएगा?
नवरात्रि का हवन कब करना चाहिए?
तथा
नवरात्रि व्रत का पारण कब करें?
अतः इस शंका का हम निवारण करते हैं।
नवरात्रि व्रत का पारण
अथ नवरात्रपारणानिर्णयः। सा च दशम्यां कार्या॥-निर्णयसिन्धु
नवरात्रि का पारण
इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 12 अक्तूबर, मंगलवार की प्रातः 09 बजकर 47 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 13 अक्तूबर, बुधवार की प्रातः 08 बजकर 07 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।अतः इस वर्ष, 14 अक्तूबर, गुरुवार के दिन मध्याह्न के समय नवमी तिथि रहेगी, किन्तु 15 अक्तूबर, शुक्रवार के दिन नवमी तिथि का क्षय प्रातः ही हो जाएगा। अतः इस वर्ष 2021 में नवरात्रि के दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा एवं सन्धि पूजा 13 अक्तूबर, बुधवार दिन हैं। साथ ही, इस नवरात्रि के नवमी का व्रत 14 अक्तूबर, गुरुवार के दिन ही किया जाएगा तथा महा नवमी, आयुध पूजा तथा नवमी हवन भी 14 अक्तूबर, गुरुवार के दिन ही हैं। जो श्रद्धालु अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं, वे 13 अक्तूबर, बुधवार के दिन ही कर सकते हैं। नवरात्रि का व्रत सायाह्न हवन 14 अक्तूबर, गुरुवार की प्रातः 06 बजकर 24 से सायं 06 बजकर 01 मिनिट तक कर सकते है।
शारदीय नवरात्रि के दिव्य व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष, 2021 में,
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी
तिथि 14 अक्तूबर,
गुरुवार की प्रातः 06 बजकर 52 मिनिट
से प्रारम्भ हो कर, 15 अक्तूबर,
शुक्रवार की प्रातः 06 बजकर 02 मिनिट
तक व्याप्त रहेगी।अतः शारदीय नवरात्रि के व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 15 अक्तूबर, शुक्रवार की प्रातः 06 बजकर 27 मिनिट के पश्चात का रहेगा।
विजयादशमी का विजय मुहूर्त, दोपहर 02 बजकर 09 मिनिट से 02 बजकर 52 मिनिट तक का रहेगा।
शारदीय नवरात्रि पारण के दिवस अन्य महत्वपूर्ण समय इस प्रकार हैं-
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