04 July 2021

योगिनी एकादशी कब है 2021 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | Yogini Ekadashi 2021

 योगिनी एकादशी कब है 2021 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | Yogini Ekadashi 2021

yogini ekadashi kab hai 2021
 Yogini Ekadashi 


वैदिक विधान कहता हैं की, दशमी को एकाहार, एकादशी में निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना चाहिए। सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं, किन्तु अधिक मास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती हैं। प्रत्येक एकादशी का भिन्न-भिन्न महत्व होता हैं तथा प्रत्येक एकादशियों की एक पौराणिक कथा भी होती हैं। एकादशियों को वास्तव में मोक्षदायिनी माना गया हैं। भगवान श्री विष्णु जी को एकादशी तिथि अति प्रिय मानी गई हैं चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो अथवा शुक्ल पक्ष की। इसी कारण एकादशी के दिन व्रत करने वाले प्रत्येक भक्तों पर प्रभु की अपार कृपा-दृष्टि सदा बनी रहती हैं, अतः प्रत्येक एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं, साथ ही रात्रि जागरण भी करते हैं। किन्तु इन प्रत्येक एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी हैं, जिसका व्रत रखने से समस्त पाप-कर्मो का नाश हो जाता हैं तथा भूलोक पर परम-सुख तथा परलोक सिधारने पर मोक्ष प्रदान करता हैं। अतः असाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। योगिनी एकादशी व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा हैं योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समकक्ष फल प्रदान करता हैं। किसी भी श्राप से मुक्ति प्राप्त करने हेतु, यह व्रत कल्प-वृक्ष के समान हैं। योगिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से प्रत्येक प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति प्राप्त होती हैं। व्रती के जीवन में समृद्धि तथा आनन्द की प्राप्ति होती हैं।
भगवान श्री हरी विष्णुजी की कृपादृष्टि प्राप्त करने हेतु उनके प्रत्येक परम भक्तों को एकादशी व्रत करने का उपाय बताया जाता हैं। योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से, इस दिवस पूजा तथा दान आदि करने से जातक जीवन में प्रत्येक प्रकार के सुख का भोग करते हुए, अंत समय में मोक्ष को प्राप्त करता हैं तथा व्रती के प्रत्येक प्रकार के पाप-कर्मो का भी नाश हो जाता हैं। योगिनी एकादशी के शुभ दिवस भगवान विष्णु जी के त्रिविक्रम स्वरूप की पूजा की जाती हैं तथा मिश्री का सागार लिया जाता हैं, साथ ही, एकादशी व्रत के सम्पूर्ण समय ॐ नमो भगवते वासुदेवायमंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिये।
 

योगिनी एकादशी व्रत का पारण

एकादशी के व्रत की समाप्ती करने की विधि को पारण कहते हैं। कोई भी व्रत तब तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत पारण न किया जाए। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता हैं।
 
ध्यान रहे,
१- एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पूर्व करना अति आवश्यक हैं।
२- यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व समाप्त हो रही हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही करना चाहिए।
३- द्वादशी तिथि के भीतर पारण ना करना पाप करने के समान माना गया हैं।
४- एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए।
५- व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल का होता हैं।
६- व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।
७- जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत समाप्त करने से पूर्व हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती हैं।
८- यदि जातक, कुछ कारणों से प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं हैं, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण करना चाहिए।
 
इस वर्ष, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 04 जुलाई, रविवार की रात्रि 07 बजकर 55 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 05 जुलाई, सोमवार की रात्रि 10 बजकर 31 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
 
अतः इस वर्ष 2021 में योगिनी एकादशी का व्रत 05 जुलाई, सोमवार के दिन किया जाएगा।
 
इस वर्ष, योगिनी एकादशी पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 06 जुलाई, मंगलवार की प्रातः 06 बजकर 02 से 08 बजकर 38 मिनिट तक रहेगा।
द्वादशी तिथि समाप्त होने का समय - मध्यरात्रि 01:02 बजे


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