वट सावित्री व्रत अमावस्या पूजन शुभ मुहूर्त | अखंड सौभाग्य के लिए वटवृक्ष की पूजा |
Amavasya Vat Savitri Vrat Puja kab hai 2020
जय
माता दी।
सर्वप्रथम आपको वट
सावित्री व्रत की हार्दिक शुभकामनाएँ। आपको माताजी सुख-सौभाग्य के साथ-साथ
संस्कारी संतान प्रदान करें।
सनातन हिन्दू धर्म
में प्रत्येक मास की अमावस्या को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया हैं। किन्तु, ज्येष्ठ मास की अमावस्या अन्य अमावस्याओ में अति पावन मानी जाती हैं। अतः सम्पूर्ण भारत
वर्ष में सुहागिन महिलाओं द्वारा ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री का
दिव्य व्रत किया जाता हैं। यह व्रत, वट पूर्णिमा व्रत के
समान ही रखा जाता हैं। वट सावित्री व्रत उत्तर भारत में विशेष रूप से ज्येष्ठ
अमावस्या को रखा जाता हैं। वहीं, गुजरात, महाराष्ट्र व दक्षिण भारत में महिलाएं
ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर वट सावित्री व्रत रखती हैं। स्कंद पुराण एवं
भविष्योत्तर पुराण के अनुसार तो वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को रखाना
चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का स्नान-दान आदि के लिये
अत्यंत विशेष महत्व हैं। मान्यता हैं कि इस दिन गंगा स्नान के पश्चात पूजा-अर्चना
कर, दान दक्षिणा देने से
समस्त मनोकामनाएं शीघ्र पूरी हो जाती हैं।
वट सावित्री व्रत
के दिन वट वृक्ष की पूजा करने का विधान हैं। मान्यता के अनुसार वटवृक्ष के नीचे
सती सावित्री ने अपने पातिव्रत के बल से यमराज से अपने मृत पति को पुनः जीवित करवा
लिया था। उस समय से ही वट-सावित्री नामक यह व्रत मनाया जाने लगा था। इस दिवस
महिलाएँ अपने अखण्ड सौभाग्य तथा जीवन के कल्याण हेतु यह व्रत करती हैं। ज्येष्ठ अमावस्या
को वट सावित्री व्रत के रूप में मनाया जाता हैं अतः वट पूर्णिमा व्रत पूजा विधि के
अनुसार ही वट सावित्री का व्रत किया जाता हैं।
धार्मिक ग्रंथों
के अनुसार, वटवृक्ष की
जड़ों में ब्रह्मा, तने
में भगवान विष्णु तथा डालियों एवं पत्तियों में भगवान शिव का निवास स्थान माना
जाता हैं। वटवृक्ष के दर्शन, स्पर्श
तथा सेवा से व्रती के प्रत्येक पाप नष्ट
होते हैं, दुःख, समस्याएँ तथा रोग दूर हो जाते हैं। अतः इस वृक्ष को रोपने से अक्षय पुण्य का संचय
होता हैं। वैशाख आदि जैसे पुण्य मासों में इस वृक्ष की जड में जल अर्पण करने से प्रत्येक
पापों का नाश होता हैं तथा विविध प्रकार की सुख-सम्पदा प्राप्त होती हैं। वट सावित्री व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं तथा
वट की पूजा के पश्चात सती सावित्री की कथा अवश्य ही सुनती, सुनाती या पढ़ती हैं। यह कथा सुनने, सुनाने तथा वाचन करने मात्र से ही सौभाग्यवती महिलाओं की अखंड सौभाग्य की
मनोकामना पूर्ण होती हैं।
वट सावित्री व्रत (ज्येष्ठ अमावस्या) शुभ पूजा मुहूर्त 2020
इस वर्ष, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 21
मई, गुरुवार की रात्रि 09 बजकर 35 मिनिट से
प्रारम्भ हो कर, 22 मई, शुक्रवार की रात्रि
11 बजकर 08 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
अतः वर्ष, 2020 में, वट सावित्री
व्रत तथा ज्येष्ठ अमावस्या का उपवास 22 मई, शुक्रवार के दिन
रखा जायेगा।
अमावस्या वट सावित्री
व्रत पूजन करने का शुभ मुहूर्त 22 मई, शुक्रवार के दिन मध्याह्नपूर्व में प्रातः 09:19 से 10:44 तथा
गोधूलि बेला में साँय 17:24 से 18:58 तक का रहेगा।
वट सावित्री व्रत के अन्य महत्वपूर्ण समय इस प्रकार हैं-
22 मई 2020, शुक्रवार
अभिजित मुहूर्त:- 11:57 से 12:50
राहुकाल:- 10:44 से 12:24
सूर्योदय:-
05:43 सूर्यास्त:- 19:05
चन्द्रोदय:- 05:33 चन्द्रास्त:- 18:49
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