अक्षय तृतीया पूजा तथा सोना खरीदने सबसे शुभ मुहूर्त | Akshaya Tritiya Puja Shubh Muhurat kab hai 2020
akshaya tritiya shubh muhurat |
🙏🏻 थोड़े से चावल को केसर में रंगकर शंख में डालें। घी का दीपक जलाकर नीचे
लिखे मंत्र का कमल गट्टे की माला से 11 माला जप करें-
🌷 अक्षय तृतीया पूजा मंत्र 🌷
सिद्धि
बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी।
मंत्र
पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
भारतवर्ष में विविध
धर्म, जाति, भाषा या क्षेत्र के अनुसार सांस्कृतिक
विभिन्नताएं प्राप्त होती हैं। बड़े-बड़े त्यौहारों के साथ-साथ कुछ विशेष दिन ऐसे
भी होते हैं, जिन्हें
हमारी धार्मिक एवं सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार अत्यंत सौभाग्यशाली दिवस माना
जाता हैं। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि एक ऐसी ही तिथि हैं, जिसे अत्यंत ही सौभाग्यशाली माना जाता हैं। प्रत्येक वर्ष वैशाख मास के
शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में जब सूर्य तथा चन्द्रमा अपने उच्च प्रभाव में होते
हैं, तथा जब उनका तेज
सर्वोच्च होता हैं, उस तिथि को
सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं। तथा इस शुभ तिथि को ‘अक्षय तृतीया’ अथवा ‘आखा तीज’ कहा जाता हैं। मान्यता हैं कि, इस दिवस जो भी शुभ कार्य किये जाते
हैं, उनका परिणाम सदैव सुखद
ही प्राप्त होता हैं। सनातन हिन्दू धर्म के समस्त पर्वों में अक्षय तृतीया पर्व का
विशेष महत्व हैं। यह पर्व विशेष रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश सहित सम्पूर्ण उत्तर भारतवर्ष में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता हैं।
अक्षय
तृतीया शुभ मुहूर्त 2020
इस वर्ष, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 25 अप्रैल, शनिवार की दोपहर 11 बजकर 51 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 26 अप्रैल, रविवार की दोपहर 01 बजकर 22 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
अतः इस वर्ष,
2020 में, अक्षय तृतीया का पर्व 26 अप्रैल, रविवार के दिवस मनाया जाएगा।
इस वर्ष,
अक्षय तृतीया के शुभ दिवस पर
पूजा करने का शुभ मुहूर्त, 26 अप्रैल, रविवार की
प्रातः 07 बजकर 34
मिनिट से दोपहर 12 बजकर 24 मिनिट तक का रहेगा।
अक्षय तृतीया के अन्य महत्वपूर्ण समय इस प्रकार हैं-
26 अप्रैल 2020, रविवार
सोना खरीदने का
समय:- 09:11 से 12:24
अभिजित मुहूर्त:- 11:59 से 12:51
राहुकाल:- 17:16 से 18:52
सूर्योदय:- 05:57 सूर्यास्त:- 18:52
चन्द्रोदय:- 08:06 चन्द्रास्त:- 21:59
अक्षय तृतीया सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त
यह तिथि यदि
सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र के दिवस आए तो इस दिवस किए गए दान, जप-तप का फल अत्यंत अधिक बढ़ जाता हैं। इसके
अतिरिक्त यदि यह तृतीया मध्याह्न से पूर्व प्रारम्भ होकर प्रदोष काल तक व्याप्त रहे
तो सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं।
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