23 October 2021

करवा चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त | Karwa Chauth ka Shubh Muhurat 2021 | Aaj Chand kitne baje niklega | Karva Chauth Vrat 2021

करवा चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त | Karwa Chauth ka Shubh Muhurat 2021 | Aaj Chand kitne baje niklega | Karva Chauth Vrat 2021 

karwa chauth ka chand kitne baje niklega 2021
Karwa Chauth Shubh Muhurat

हे श्री गणेश भगवान्, हे माँ गौरी,

जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान प्राप्त हुआ,

वैसा ही वरदान संसार की प्रत्येक सुहागिनों को प्राप्त हो।

 

करवा चौथ सनातन हिन्दु धर्म का एक प्रमुख पर्व हैं। यह त्यौहार पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत-वर्ष में भिन्न-भिन्न विधि-विधान तथा भिन्न-भिन्न परंपराओं के साथ धूमधाम से मनाया जाता हैं। करवा चौथ को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ शरद पूर्णिमा से चौथे दिवस अर्थात कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के शुभ दिवस मनाया जाता हैं। वहीं गुजरात, महाराष्ट्र तथा दक्षिणी भारत में करवा चौथ आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता हैं। तथा अङ्ग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व अक्तूबर या नवंबर के महीने में आता है। करवा चौथ के व्रत में सम्पूर्ण शिव-परिवार अर्थात शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी तथा कार्तिकेय जी की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान हैं। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहा जाता हैं, जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण किया जाता है, जल अर्पण करने को ही अर्घ्य देना कहते हैं।

करवा चौथ का पावन व्रत सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपने पति की दिर्ध आयु तथा अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं तथा अविवाहित कन्याएँ भी उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति हेतु करवा चौथ के दिवस निर्जला उपवास रखती हैं तथा चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही अपने व्रत का पारण करती हैं। यह व्रत प्रातः सूर्योदय से पूर्व ४ बजे से प्रारम्भ होकर रात्रि में चंद्र-दर्शन के पश्चात ही संपूर्ण होता हैं। पंजाब तथा हरियाणा में सूर्योदय से पूर्व सरगी के साथ इस व्रत का शुभारम्भ होता हैं। सरगी करवा चौथ के दिवस सूर्योदय से पूर्व किया जाने वाला भोजन होता हैं। जो महिलाएँ इस दिवस व्रत रखती हैं उनकी सासुमाँ उनके लिए सरगी बनाती हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान में इस पर्व पर गौर माता की पूजा की जाती हैं। गौर माता की पूजा के लिए प्रतिमा गौ - माता के गोबर से बनाई जाती हैं।

 

आज हम आपको इस विडियो के माध्यम से बताते हैं, कारवाँ चौथ व्रत की पूजा का अत्यंत शुभ मुहूर्त तथा भारत के प्रत्येक प्रमुख नगरों में करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय-

 

करवा चौथ के दिवस चंद्रमा उदय होने का समय प्रत्येक महिलाओं के लिए अत्यंत विशेष महत्वपूर्ण होता हैं, क्योंकि वे अपने पति की दिर्ध आयु के लिये सम्पूर्ण दिवस निर्जल व्रत रहती हैं तथा केवल उदित सम्पूर्ण चन्द्रमाँ के दर्शन करने के पश्चात ही जल ग्रहण कर सकती हैं। यह मान्यता हैं कि, चन्द्रमाँ को देखे बिना यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाता हैं तथा कोई भी महिला कुछ भी खा नहीं सकती हैं ना ही जल ग्रहण सकती कर हैं। करवा चौथ व्रत तभी पूर्ण माना जाता हैं जब महिला उदित सम्पूर्ण चन्द्रमाँ को एक छलनी में घी का दीपक रखकर देखती हैं तथा चन्द्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करती हैं।

 

इस वर्ष, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 अक्तूबर, रविवार की प्रातः 03 बजकर 01 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 25 अक्तूबर, सोमवार की प्रातः 05 बजकर 43 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

 

अतः इस वर्ष 2021 में करवा चौथ का व्रत 24 अक्तूबर, रविवार के दिन किया जाएगा।

तथा यह व्रत प्रातः 06:28 से साँय 20:27 तक रखना चाहिए।

 

करवा चौथ के व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 24 अक्तूबर, रविवार की साँय 05 बजकर 56 मिनट से 07 बजकर 08 मिनट तक का रहेगा।

करवा चौथ पर चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र तथा वृषभ राशि में रहेंगे। जिसका कारक शुक्र ग्रह होता है, जो की पति-पत्नी के मध्य अटूट प्रेम का कारक है।

 

करवाचौथ के दिवस चन्द्रमाँ का उदय भारतवर्ष में 08 बजकर 27 मिनट पर होने का अनुमान हैं। तथा आपके नगर में करवा चौथ पर चन्द्रोदय का अनुमानित समय कुछ इस प्रकार से हैं -

 

भारत के प्रमुख नगरों में करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय इस प्रकार रहेगा।

अहमदाबाद - 08:46 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

दिल्ली - 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

लखनऊ - 08:09 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

कोलकाता - 07:45 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

मुंबई - 08:53 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

जयपुर - 08:30 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

बैंगलोर - 08.42 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

चेन्नई - 08:33 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

वाराणसी - 08:05 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

नडियाद - 9:14 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

गाज़ियाबाद - 08:20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

गुरुग्राम - 08:22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

फरीदाबाद - 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

मेरठ - 08:19 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

रोहतक - 08:20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

करनाल - 08:20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

हिसार - 08:26 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

सोनीपत - 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

कुरुक्षेत्र - 08:20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

पानीपत - 08:22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

चंडीगढ़ - 08:18 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

अमृतसर - 08:23 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

अंबाला - 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

जालंधर - 08:24 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

पटियाला - 08:22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

लुधियाना - 08:22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

जम्मू - 08:25 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

पंचकूला - 08:18 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

देहरादून - 08:16 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

शिमला - 08:17 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

इंदौर - 08:35 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

ग्वालियर - 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

कानपुर - 08:13 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

प्रयागराज - 08:08 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

उदयपुर - 08:40 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

अजमेर - 08:35 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

जोधपुर - 08:42 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

पटना - 07:55 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

 

In the major cities of India, the time of moonrise on Karva Chauth Vrat 2021 will be like this:-

Ahmedabad - Moonrise at 08:46 mins.

Delhi - 08:21 mins.

Lucknow - 08:09 mins.

Kolkata - 07:45 mins.

Mumbai - 08:53 mins.

Jaipur - 08:30 mins.

Bangalore - 08.42 mins.

Chennai - 08:33 mins.

Varanasi - 08:05 mins.

Nadiad - 9:14 am.

Ghaziabad - 08:20 mins.

Gurugram - 08:22 mins.

Faridabad - 08:21 mins.

Meerut - 08:19 mins.

Rohtak - 08:20 mins.

Karnal - 08:20 mins.

Hisar - 08:26 mins.

Sonipat - 08:21 mins.

Kurukshetra - 08:20 mins.

Panipat - 08:22 minutes.

Chandigarh - 08:18 mins.

Amritsar - 08:23 mins.

Ambala - 08:21 mins.

Jalandhar - 08:24 mins.

Patiala - 08:22 mins.

Ludhiana - 08:22 mins.

Jammu - 08:25 mins.

Panchkula - 08:18 mins.

Dehradun - 08:16 mins.

Shimla - 08:17 minutes.

Indore - 08:35 mins.

Gwalior - 08:21 mins.

Kanpur - 08:13 mins.

Prayagraj - 08:08 mins.

Udaipur - 08:40 mins.

Ajmer - 08:35 mins.

Jodhpur - 08:42 mins.

Patna - 07:55 mins.

 

यदि करवा चौथ के संदर्भ में आपका कोई प्रश्न हैं या आप इस व्रत की अन्य जानकारी चाहते हैं, तो कृपया नीचे टिप्पणी कीजिए।

 

13 October 2021

शारदीय नवरात्रि उपवास कब खोले | नवरात्रि हवन मुहूर्त | कन्या पूजन कब करें | Navratri ka Paran kab hai | Shardiya Navratri Kanya Pujan 2021 नवरात्रि पारण का समय

शारदीय नवरात्रि उपवास कब खोले | नवरात्रि हवन मुहूर्त | कन्या पूजन कब करें | Navratri ka Paran kab hai | Shardiya Navratri Kanya Pujan 2021 नवरात्रि पारण का समय 

kanya puja muhurt shardiya navratri 2021
Navratri ka Paran
नवरात्र सनातनी हिन्दुओं का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रमुख त्यौहार हैं। नवरात्र की पूजा नौ दिनों तक होती हैं तथा इन नौ दिनों में माताजी के नौ भिन्न-भिन्न स्वरूपों की पूजा तथा आराधना पूर्ण भक्तिभाव से की जाती हैं। माताजी के नौ रूप इस प्रकार हैं- माँ शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा माँ, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, माँ महागौरी तथा सिद्धिदात्रि माँ। प्रत्येक वर्ष में मुख्य दो बार नवरात्र आते हैं, तथा गुप्त नवरात्र भी आते हैं।
सम्पूर्ण उत्तरी भारत-वर्ष में शारदीय नवरात्र को अत्यंत श्रद्धा तथा विश्वास के साथ नौ दिनों तक व्रत कर के मनाया जाता हैं। शारदीय नवरात्र को प्रत्येक नवरात्रों में सर्वाधिक प्रमुख तथा महत्वपूर्ण माना जाता हैं। शारदीय नवरात्र से की वर्षा ऋतु समाप्त होती हैं तथा ठंडी के मौसम का प्रारम्भ होता हैं। अतः यह नवरात्र वह समय हैं, जब दो ऋतुओं का मिलन होता हैं। इस संधि काल में ब्रह्मांड से असीम शक्तियां ऊर्जा के स्वरूप में हम तक भूलोक पर पहुँचती हैं। अतः इस समय आध्यात्मिक ऊर्जा ग्रहण करने के लिए लोग विशिष्ट अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में देवी के स्वरूपों की साधना पूर्ण श्रद्धा से की जाती हैं। अतः नवरात्रों में माताजी का पूजन विधिवत् किया जाता हैं। देवी के पूजन करने की विधि दोनों ही नवरात्रों में लगभग एक समान ही रहती हैं। इस त्यौहार पर सुहागन या कन्या, सभी महिलाएं अपने सामर्थ्य अनुसार दो, तीन या सम्पूर्ण नौ दिनों तक का व्रत रखते हैं तथा दसवें दिन कन्या पूजन तथा हवन के पश्चात व्रत खोला जाता हैं अर्थात व्रत का पारण किया जाता हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र का पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता हैं, किन्तु कभी-कभी तिथियों में बदलाव के कारण नवरात्र का पर्व कभी आठ दिनों तक, तो कभी-कभार दस दिनों तक भी मनाया जाता हैं। अपने संकल्प के अनुसार नौ दिन व्रत रहने वाली महिलाएं नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन तथा हवन करते हैं। नवमी के दिन सिद्धिदात्रि देवी की पूजा की जाती हैं तथा नवमी के दिन ही दुर्गा महा-पूजा भी की जाती हैं। नवमी के दिन पंडालों में विशेष पूजा आरती का आयोजन किया जाता हैं तथा भक्तजन अपने परिवार या समूह में विविध प्रकार के आयोजनों से भजन कीर्तन करते हैं। किन्तु, यह भी देखा गया हैं की, कुछ महिलाएं नवमी के दिन नवरात्रि के व्रत का पारण करती हैं तो कुछ नौ दिन तक व्रत रखने के पश्चात दशमी तिथि के दिवस शुभ मुहूर्त में पारण करती हैं।
इस वर्ष अष्टमी तथा नवमी तिथि 2 दोनों दिन व्याप्त हैं, जिस कारण आप प्रत्येक भक्तजनों के पास केवल सामान्य जानकारी तो हैं किन्तु पर्याप्त जानकारी का अभाव हैं की,
अष्टमी या नवमी का व्रत कब किया जाएगा?
कन्या पूजन कब किया जाएगा?
नवरात्रि का हवन कब करना चाहिए?
तथा
नवरात्रि व्रत का पारण कब करें?
अतः इस शंका का हम निवारण करते हैं।
 

नवरात्रि व्रत का पारण

अथ नवरात्रपारणानिर्णयः। सा च दशम्यां कार्या॥
                                -निर्णयसिन्धु
निर्णयसिन्धु, पौराणिक ग्रंथ के अनुसार, शारदीय नवरात्रि पारण तब किया जाना चाहिए जब नवमी तिथि समाप्त हो रही हो तथा दशमी तिथि प्रारम्भ हो रही हो। जैसा कि शास्त्रो में भी उल्लेख प्राप्त होता हैं की, शारदीय नवरात्रि उपवास प्रतिपदा से प्रारम्भ कर के नवमी तिथि तक रखना चाहिए तथा इस दिशा निर्देश का पालन करने हेतु शारदीय नवरात्रि का व्रत समूर्ण नवमी तिथि के दिन तक करना चाहिए।
 

नवरात्रि का पारण

इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 12 अक्तूबर, मंगलवार की प्रातः 09 बजकर 47 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 13 अक्तूबर, बुधवार की प्रातः 08 बजकर 07 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
 
इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 13 अक्तूबर, बुधवार की प्रातः 08 बजकर 07 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 14 अक्तूबर, गुरुवार की प्रातः 06 बजकर 52 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
 
शास्त्रोक्त नियम हैं की, जब नवमी दो तिथियों में हो तथा प्रथम तिथि के मध्याह्न में नवमी हो, तो व्रत या त्योहार उसी दिवस किया जाना चाहिए। किन्तु यदि नवमी दोनों दिनों के मध्याह्न में पड़ रही हो, या जब किसी भी दिन मध्याह्न को नवमी न हो, तो दशमी से युक्त नवमी में व्रत करना चाहिए।
अतः इस वर्ष, 14 अक्तूबर, गुरुवार के दिन मध्याह्न के समय नवमी तिथि रहेगी, किन्तु 15 अक्तूबर, शुक्रवार के दिन नवमी तिथि का क्षय प्रातः ही हो जाएगा। अतः इस वर्ष 2021 में नवरात्रि के दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा एवं सन्धि पूजा 13 अक्तूबर, बुधवार दिन हैं। साथ ही, इस नवरात्रि के नवमी का व्रत 14 अक्तूबर, गुरुवार के दिन ही किया जाएगा तथा महा नवमी, आयुध पूजा तथा नवमी हवन भी 14 अक्तूबर, गुरुवार के दिन ही हैं। जो श्रद्धालु अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं, वे 13 अक्तूबर, बुधवार के दिन ही कर सकते हैं। नवरात्रि का व्रत सायाह्न हवन 14 अक्तूबर, गुरुवार की प्रातः 06 बजकर 24 से सायं 06 बजकर 01 मिनिट तक कर सकते है।
 

शारदीय नवरात्रि के दिव्य व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त  

इस वर्ष, 2021 में, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 14 अक्तूबर, गुरुवार की प्रातः 06 बजकर 52 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 15 अक्तूबर, शुक्रवार की प्रातः 06 बजकर 02 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
अतः शारदीय नवरात्रि के व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 15 अक्तूबर, शुक्रवार की प्रातः 06 बजकर 27 मिनिट के पश्चात का रहेगा।
 
विजयादशमी का पर्व भी 15 अक्तूबर, शुक्रवार के दिवस मनाया जाएगा।
विजयादशमी का विजय मुहूर्त, दोपहर 02 बजकर 09 मिनिट से 02 बजकर 52 मिनिट तक का रहेगा।
 
देवी दुर्गा माँ का विसर्जन भी 15 अक्तूबर 2021, शुक्रवार के शुभ दिवस ही किया जाएगा, जिसका दुर्गा विसर्जन का शुभ मुहूर्त प्रातः 06:24 से 08:43 तक का रहेगा।
 

शारदीय नवरात्रि पारण के दिवस अन्य महत्वपूर्ण समय इस प्रकार हैं-