25 July 2021

सावन का महीना कब से शुरू हैं | श्रावण मास सोमवार व्रत कब से हैं 2021 | Sawan Kab se Start hai

सावन का महीना कब से शुरू हैं | श्रावण मास सोमवार व्रत कब से हैं 2021 | Sawan Kab se Start hai 

mahina somvar kab se start hai 2021
Sawan Kab se Start hai

करपूर गौरम करूणावतारम, संसार सारम भुजगेन्द्र हारम ।
सदा वसंतम हृदयारविंदे, भवम भवानी सहितं नमामि ॥

जिनका शरीर कपूर के समान गोरा हैं, जो करुणा के अवतार हैं, जो शिव संसार के सार अर्थात मूल हैं। तथा जो महादेव सर्पराज को गले के हार के रूप में धारण करते हैं, ऐसे सदैव प्रसन्न रहने वाले भगवान शिव को मैं अपने हृदय कमल में शिव तथा पार्वती के साथ नमस्कार करता हूँ।
 
सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार चतुर्थी, एकादशी, त्रयोदशी-प्रदोष, अमावस्या, पूर्णिमा आदि जैसे अनेक व्रत तथा उपवास किए जाते हैं। किन्तु चातुर्मास को व्रतों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया हैं। चातुर्मास का समय 4 मास की अवधि में होता हैं, जो की आषाढ़ शुक्ल एकादशी अर्थात देवशयनी एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी अर्थात प्रबोधिनी एकादशी तक चलता हैं। चातुर्मास के चार मास इस प्रकार हैं:- श्रावण, भाद्रपद, आश्विन तथा कार्तिक।
चातुर्मास के प्रथम मास को ही श्रावण मास कहा जाता हैं। श्रावण शब्द, श्रवण से बना हैं जिसका अर्थ होता हैं सुनना, अर्थात सुनकर धर्म को समझना। वेदों के ज्ञान को ईश्वर से सुनकर ही ऋषियों ने समस्त प्राणियों को सुनाया था। सावन का महीना भक्तिभाव तथा सत्संग के लिए विशेष होता हैं। सावन के मास में विशेष रूप से भगवान शिव, माता पार्वती तथा श्री कृष्णजी की पूजा-अर्चना की जाती हैं। भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु सम्पूर्ण सावन के मास को अत्यंत शुभ व फलदायक माना जाता हैं। अतः भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु समस्त भक्तगण श्रावण मास के दौरान विभिन्न प्रकार से व्रत तथा उपवास रखते हैं।
श्रावण मास के दौरान समस्त उत्तरी भारत के राज्यों में सोमवार का व्रत अत्यंत शुभ माना जाता हैं। कई भक्त सावन मास के प्रथम सोमवार के दिन से ही सोलह सोमवार उपवास का प्रारम्भ करते हैं। श्रावण मास में प्रत्येक मंगलवार भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती माँ को समर्पित होते हैं। श्रावण मास के दौरान मंगलवार का उपवास मंगल-गौरी व्रत के रूप में जाना जाता हैं।
वैसे तो प्रत्येक सोमवार भगवान शिव की उपासना के लिये उपयुक्त माना जाता हैं किन्तु सावन के सोमवार का महत्व अधिक माना गया हैं। श्रावण के सोमवार व्रत की पूजा भी अन्य सोमवार व्रत के अनुसार की जाती हैं। इस व्रत में केवल एकाहार अर्थात एक समय भोजन ग्रहण करने का संकल्प लिया जाता हैं। भगवान भोलेनाथ तथा माता पार्वती जी की धूप, दीप, जल, पुष्प आदि से पूजा करने का विधान हैं। शिव पूजा के लिये सामग्री में उनकी प्रिय वस्तुएं भांग, धतूरा आदि भी रख सकते हैं। सावन के प्रत्येक सोमवार भगवान शिव को जल अवश्य अर्पित करना चाहिये। रात्रि में भूमि पर आसन बिछा कर शयन करना चाहिये। सावन के पहले सोमवार से आरंभ कर 9 या 16 सोमवार तक लगातार उपवास करना चाहिये तथा उसके पश्चात 9वें या 16वें सोमवार पर व्रत का उद्यापन अर्थात पारण किया जाता हैं। यदि लगातार 9 या 16 सोमवार तक उपवास करना संभव न हो तो आप केवल सावन के चार सोमवार इस व्रत को कर सकते हैं।
 
सावन के सोमवार का व्रत 2021
इस वर्ष, श्रावण सोमवार का व्रत कब से प्रारम्भ हैं तथा कब तक किया जाएगा?
भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों में चंद्र पंचांग के आधार पर श्रावण मास के प्रारम्भ के समय में पंद्रह दिनों का अंतर आ जाता हैं। पूर्णिमांत पंचांग में श्रावण मास अमांत पंचांग से पंद्रह दिन पहले प्रारम्भ हो जाता हैं। अमांत चंद्र पंचांग का प्रयोग गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, कर्नाटक तथा तमिलनाडु में किया जाता हैं, वहीं पूर्णिमांत चंद्र पंचांग का उपयोग उत्तरी भारत के राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार तथा झारखंड में किया जाता हैं। साथ ही, नेपाल तथा उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में तो सावन के सोमवार को सौर पंचांग के अनुसार मनाया जाता हैं। अतः सावन सोमवार की आधी तारीखें दोनों पंचांग में भिन्न-भिन्न होती हैं।
 

सावन सोमवार व्रत 2021

उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, बिहार तथा झारखण्ड के लिए सावन के सोमवार का व्रत
 

श्रावण सोमवार व्रत 2021

 
श्रावण प्रारम्भ
25 जुलाई 2021
रविवार
 
प्रथम श्रावण सोमवार व्रत
26 जुलाई 2021
सोमवार
 
द्वितीय श्रावण सोमवार व्रत
02 अगस्त 2021
सोमवार
 
तृतीय श्रावण सोमवार व्रत
09 अगस्त 2021
सोमवार
 
चतुर्थ श्रावण सोमवार व्रत
16 अगस्त 2021
सोमवार
 
श्रावण समाप्त
22 अगस्त 2021
रविवार
 
सावन सोमवार व्रत 2021
गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, कर्नाटक तथा तमिलनाडु के लिए सावन के सोमवार का व्रत
 
श्रावण प्रारम्भ
09 अगस्त 2021
सोमवार
 
प्रथम श्रावण सोमवार व्रत
09 अगस्त 2021
सोमवार
 
द्वितीय श्रावण सोमवार व्रत
16 अगस्त 2021
सोमवार
 
तृतीय श्रावण सोमवार व्रत
23 अगस्त 2021
सोमवार
 
चतुर्थ श्रावण सोमवार व्रत
30 अगस्त 2021
सोमवार
 
पंचम श्रावण सोमवार व्रत
06 सितम्बर 2021
सोमवार
 
श्रावण समाप्त
07 सितम्बर 2021
मंगलवार

04 July 2021

योगिनी एकादशी कब है 2021 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | Yogini Ekadashi 2021

 योगिनी एकादशी कब है 2021 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | Yogini Ekadashi 2021

yogini ekadashi kab hai 2021
 Yogini Ekadashi 


वैदिक विधान कहता हैं की, दशमी को एकाहार, एकादशी में निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना चाहिए। सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं, किन्तु अधिक मास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती हैं। प्रत्येक एकादशी का भिन्न-भिन्न महत्व होता हैं तथा प्रत्येक एकादशियों की एक पौराणिक कथा भी होती हैं। एकादशियों को वास्तव में मोक्षदायिनी माना गया हैं। भगवान श्री विष्णु जी को एकादशी तिथि अति प्रिय मानी गई हैं चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो अथवा शुक्ल पक्ष की। इसी कारण एकादशी के दिन व्रत करने वाले प्रत्येक भक्तों पर प्रभु की अपार कृपा-दृष्टि सदा बनी रहती हैं, अतः प्रत्येक एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं, साथ ही रात्रि जागरण भी करते हैं। किन्तु इन प्रत्येक एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी हैं, जिसका व्रत रखने से समस्त पाप-कर्मो का नाश हो जाता हैं तथा भूलोक पर परम-सुख तथा परलोक सिधारने पर मोक्ष प्रदान करता हैं। अतः असाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। योगिनी एकादशी व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा हैं योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समकक्ष फल प्रदान करता हैं। किसी भी श्राप से मुक्ति प्राप्त करने हेतु, यह व्रत कल्प-वृक्ष के समान हैं। योगिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से प्रत्येक प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति प्राप्त होती हैं। व्रती के जीवन में समृद्धि तथा आनन्द की प्राप्ति होती हैं।
भगवान श्री हरी विष्णुजी की कृपादृष्टि प्राप्त करने हेतु उनके प्रत्येक परम भक्तों को एकादशी व्रत करने का उपाय बताया जाता हैं। योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से, इस दिवस पूजा तथा दान आदि करने से जातक जीवन में प्रत्येक प्रकार के सुख का भोग करते हुए, अंत समय में मोक्ष को प्राप्त करता हैं तथा व्रती के प्रत्येक प्रकार के पाप-कर्मो का भी नाश हो जाता हैं। योगिनी एकादशी के शुभ दिवस भगवान विष्णु जी के त्रिविक्रम स्वरूप की पूजा की जाती हैं तथा मिश्री का सागार लिया जाता हैं, साथ ही, एकादशी व्रत के सम्पूर्ण समय ॐ नमो भगवते वासुदेवायमंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिये।
 

योगिनी एकादशी व्रत का पारण

एकादशी के व्रत की समाप्ती करने की विधि को पारण कहते हैं। कोई भी व्रत तब तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत पारण न किया जाए। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता हैं।
 
ध्यान रहे,
१- एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पूर्व करना अति आवश्यक हैं।
२- यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व समाप्त हो रही हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही करना चाहिए।
३- द्वादशी तिथि के भीतर पारण ना करना पाप करने के समान माना गया हैं।
४- एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए।
५- व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल का होता हैं।
६- व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।
७- जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत समाप्त करने से पूर्व हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती हैं।
८- यदि जातक, कुछ कारणों से प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं हैं, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण करना चाहिए।
 
इस वर्ष, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 04 जुलाई, रविवार की रात्रि 07 बजकर 55 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 05 जुलाई, सोमवार की रात्रि 10 बजकर 31 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
 
अतः इस वर्ष 2021 में योगिनी एकादशी का व्रत 05 जुलाई, सोमवार के दिन किया जाएगा।
 
इस वर्ष, योगिनी एकादशी पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 06 जुलाई, मंगलवार की प्रातः 06 बजकर 02 से 08 बजकर 38 मिनिट तक रहेगा।
द्वादशी तिथि समाप्त होने का समय - मध्यरात्रि 01:02 बजे