Showing posts with label vat purnima 2019 in marathi. Show all posts
Showing posts with label vat purnima 2019 in marathi. Show all posts

16 June 2019

वट पूर्णिमा व्रत | वट पौर्णिमा पूजा मुहूर्त | Vat Purnima 2019 | वट पूर्णिमा पूजा टाइम | Vat Pornima

वट पूर्णिमा व्रत | वट पौर्णिमा पूजा मुहूर्त | Vat Purnima 2019 | वट पूर्णिमा पूजा टाइम | Vat Pornima


Vat Purnima vrat

सनातन हिन्दू धर्म में प्रत्येक मास की पूर्णिमा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया हैं। किन्तु, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा अन्य सभी पूर्णिमा में अति पावन मानी जाती हैं। भारत के कुछ क्षेत्रों में ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट पूर्णिमा व्रत के रूप में भी मनाया जाता हैं। यह व्रत, वट सावित्री व्रत के समान ही किया जाता हैं। स्कंद पुराण एवं भविष्योत्तर पुराण के अनुसार तो वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को रखा जाता हैं। गुजरात, महाराष्ट्र व दक्षिण भारत में विशेष रूप से महिलाएं ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट सावित्री व्रत रखती हैं। उत्तर भारत में यह ज्येष्ठ अमावस्या को रखा जाता हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा का स्नान-दान आदि के लिये अत्यंत महत्व हैं तथा यह पूर्णिमा भगवान भोलेनाथ के लिए भी जानी जाती हैं। भगवान शंकर के भक्त, अमरनाथ की यात्रा के लिये गंगाजल लेकर, इसी शुभ दिवस पर अपनी यात्रा का प्रारम्भ करते हैं। मान्यता हैं कि इस दिन गंगा स्नान के पश्चात पूजा-अर्चना कर, दान दक्षिणा देने से समस्त मनोकामनाएं शीघ्र पूरी हो जाती हैं।
ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट पूर्णिमा व्रत के रूप में मनाया जाता हैं अतः वट सावित्री व्रत पूजा विधि के अनुसार ही वट पूर्णिमा का व्रत किया जाता हैं। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने का विधान हैं। वट की पूजा के पश्चात कथा अवश्य सुने या पढे।

ज्येष्ठ पूर्णिमा (वट पूर्णिमा व्रत) पूजा मुहूर्त 2019

इस वर्ष, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 16 जून, रविवार की दोपहर 02 बजकर 01 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 17 जून सोमवार की दोपहर 02 बजे तक व्याप्त रहेगी।
        अतः ज्येष्ठ पूर्णिमा व वट पूर्णिमा उपवास 16 जून, रविवार के दिन रखा जायेगा।
        वट पूर्णिमा पूजन करने का शुभ मुहूर्त मध्याह्नपूर्व 09:06 से 10:46 तथा गोधूलि बेला में 14:08 से 15:48 तक का रहेगा।

पूर्णिमा तिथि यदि चतुर्दशी के दिन दोपहर से पहले व सूर्योदय के पश्चात आरंभ हो रही हो तो पूर्णिमा उपवास इसी तिथि को रखा जाता हैं, जबकि पूर्णिमा तिथि अगले दिन अर्थात सूर्योदय के समय जो तिथि हो वही ग्रहण की जाती हैं।