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02 October 2022

शारदीय नवरात्रि उपवास कब खोले | नवरात्रि हवन मुहूर्त | कन्या पूजन कब करें | Navratri ka Paran kab hai | Shardiya Navratri Kanya Pujan 2022 नवरात्रि पारण का समय

शारदीय नवरात्रि उपवास कब खोले | नवरात्रि हवन मुहूर्त | कन्या पूजन कब करें | Navratri ka Paran kab hai | Shardiya Navratri Kanya Pujan 2022 नवरात्रि पारण का समय 

Shardiya Navratri Kanya Pujan 2022
Shardiya Navratri 
नवरात्र सनातनी हिन्दुओं का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रमुख त्यौहार हैं। नवरात्र की पूजा नौ दिनों तक होती हैं तथा इन नौ दिनों में माताजी के नौ भिन्न-भिन्न स्वरूपों की पूजा तथा आराधना पूर्ण भक्तिभाव से की जाती हैं। माताजी के नौ रूप इस प्रकार हैं- माँ शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा माँ, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, माँ महागौरी तथा सिद्धिदात्रि माँ। प्रत्येक वर्ष में मुख्य दो बार नवरात्र आते हैं, तथा गुप्त नवरात्र भी आते हैं।
सम्पूर्ण उत्तरी भारत-वर्ष में शारदीय नवरात्र को अत्यंत श्रद्धा तथा विश्वास के साथ नौ दिनों तक व्रत कर के मनाया जाता हैं। शारदीय नवरात्र को प्रत्येक नवरात्रों में सर्वाधिक प्रमुख तथा महत्वपूर्ण माना जाता हैं। शारदीय नवरात्र से की वर्षा ऋतु समाप्त होती हैं तथा ठंडी के मौसम का प्रारम्भ होता हैं। अतः यह नवरात्र वह समय हैं, जब दो ऋतुओं का मिलन होता हैं। इस संधि काल में ब्रह्मांड से असीम शक्तियां ऊर्जा के स्वरूप में हम तक भूलोक पर पहुँचती हैं। अतः इस समय आध्यात्मिक ऊर्जा ग्रहण करने के लिए लोग विशिष्ट अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में देवी के स्वरूपों की साधना पूर्ण श्रद्धा से की जाती हैं। अतः नवरात्रों में माताजी का पूजन विधिवत् किया जाता हैं। देवी के पूजन करने की विधि दोनों ही नवरात्रों में लगभग एक समान ही रहती हैं। इस त्यौहार पर सुहागन या कन्या, सभी महिलाएं अपने सामर्थ्य अनुसार दो, तीन या सम्पूर्ण नौ दिनों तक का व्रत रखते हैं तथा दसवें दिन कन्या पूजन तथा हवन के पश्चात व्रत खोला जाता हैं अर्थात व्रत का पारण किया जाता हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र का पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता हैं, किन्तु कभी-कभी तिथियों में बदलाव के कारण नवरात्र का पर्व कभी आठ दिनों तक, तो कभी-कभार दस दिनों तक भी मनाया जाता हैं। अपने संकल्प के अनुसार नौ दिन व्रत रहने वाली महिलाएं नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन तथा हवन करते हैं। नवमी के दिन सिद्धिदात्रि देवी की पूजा की जाती हैं तथा नवमी के दिन ही दुर्गा महा-पूजा भी की जाती हैं। नवमी के दिन पंडालों में विशेष पूजा आरती का आयोजन किया जाता हैं तथा भक्तजन अपने परिवार या समूह में विविध प्रकार के आयोजनों से भजन कीर्तन करते हैं। किन्तु, यह भी देखा गया हैं की, कुछ महिलाएं नवमी के दिन नवरात्रि के व्रत का पारण करती हैं तो कुछ नौ दिन तक व्रत रखने के पश्चात दशमी तिथि के दिवस शुभ मुहूर्त में पारण करती हैं।
इस वर्ष अष्टमी तथा नवमी तिथि 2 दोनों दिन व्याप्त हैं, जिस कारण आप प्रत्येक भक्तजनों के पास केवल सामान्य जानकारी तो हैं किन्तु पर्याप्त जानकारी का अभाव हैं की,
अष्टमी या नवमी का व्रत कब किया जाएगा?
कन्या पूजन कब किया जाएगा?
नवरात्रि का हवन कब करना चाहिए?
तथा
नवरात्रि व्रत का पारण कब करें?
अतः इस शंका का हम निवारण करते हैं।
 

नवरात्रि व्रत का पारण

अथ नवरात्रपारणानिर्णयः। सा च दशम्यां कार्या॥
                                -निर्णयसिन्धु
निर्णयसिन्धु, पौराणिक ग्रंथ के अनुसार, शारदीय नवरात्रि पारण तब किया जाना चाहिए जब नवमी तिथि समाप्त हो रही हो तथा दशमी तिथि प्रारम्भ हो रही हो। जैसा कि शास्त्रो में भी उल्लेख प्राप्त होता हैं की, शारदीय नवरात्रि उपवास प्रतिपदा से प्रारम्भ कर के नवमी तिथि तक रखना चाहिए तथा इस दिशा निर्देश का पालन करने हेतु शारदीय नवरात्रि का व्रत समूर्ण नवमी तिथि के दिन तक करना चाहिए।
 

नवरात्रि का पारण

इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 02 अक्तूबर, रविवार की साँय 06 बजकर 47 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 03 अक्तूबर, सोमवार की साँय 04 बजकर 37 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 03 अक्तूबर, सोमवार की साँय 04 बजकर 37 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 04 अक्तूबर, मंगलवार की दोपहर 02 बजकर 20 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
शास्त्रोक्त नियम हैं की, जब नवमी दो तिथियों में हो तथा प्रथम तिथि के मध्याह्न में नवमी हो, तो व्रत या त्योहार उसी दिवस किया जाना चाहिए। किन्तु यदि नवमी दोनों दिनों के मध्याह्न में पड़ रही हो, या जब किसी भी दिन मध्याह्न को नवमी न हो, तो दशमी से युक्त नवमी में व्रत करना चाहिए।
अतः इस वर्ष, 04 अक्तूबर, मंगलवार के दिन मध्याह्न के समय नवमी तिथि रहेगी, किन्तु 05 अक्तूबर, बुधवार के दिन नवमी तिथि का क्षय दोपहर से पूर्व ही हो जाएगा। अतः इस वर्ष 2022 में नवरात्रि के दुर्गा अष्टमी, सरस्वती पूजा, महागौरी पूजा एवं सन्धि पूजा 03 अक्तूबर, सोमवार दिन हैं। साथ ही, इस नवरात्रि के नवमी का व्रत 04 अक्तूबर, मंगलवार के दिन ही किया जाएगा तथा महा नवमी, आयुध पूजा तथा नवमी हवन भी 04 अक्तूबर, मंगलवार के दिन ही हैं। जो श्रद्धालु अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं, वे 03 अक्तूबर, सोमवार के दिन ही कर सकते हैं। नवरात्रि का व्रत सायाह्न हवन 04 अक्तूबर, मंगलवार की प्रातः 06 बजकर 19 से दोपहर 02 बजकर 20 मिनिट तक कर सकते है।  
 

शारदीय नवरात्रि के दिव्य व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त  

इस वर्ष, 2022 में, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 04 अक्तूबर, मंगलवार की दोपहर 02 बजकर 20 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 05 अक्तूबर, बुधवार की दोपहर 12 बजकर 01 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
अतः शारदीय नवरात्रि के व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 04 अक्तूबर, मंगलवार की दोपहर 02 बजकर 20 मिनिट के पश्चात का रहेगा।
 
विजयादशमी का पर्व 05 अक्तूबर, बुधवार के दिवस मनाया जाएगा।
विजयादशमी का विजय मुहूर्त, दोपहर 02 बजकर 14 मिनिट से 03 बजकर 01 मिनिट तक का रहेगा।
 
देवी दुर्गा माँ का विसर्जन भी 05 अक्तूबर, बुधवार के शुभ दिवस ही किया जाएगा, जिसका दुर्गा विसर्जन का शुभ मुहूर्त प्रातः 06 बजकर 20 मिनिट से 08 बजकर 42 मिनिट तक का रहेगा।
 
श्रवण नक्षत्र 04 अक्तूबर, मंगलवार के दिन 10 बजकर 51 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 05 अक्तूबर, बुधवार के दिन 09 बजकर 15 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
 

शारदीय नवरात्रि पारण के दिवस अन्य महत्वपूर्ण समय इस प्रकार हैं-

04 अक्तूबर 2022, मंगलवार
अभिजित मुहूर्त:- 11:57 से 12:46
राहुकाल:- 17:06 से 18:44
सूर्योदय:- 06: 04 सूर्यास्त:- 18:44
चन्द्रोदय:- 13:19 चन्द्रास्त:- 03:10 (मध्यरात्रि)

01 April 2020

कैसे करें कन्या पूजन चैत्र नवरात्रि 2020 | लॉक डाउन | नवरात्र के व्रत का समापन | ज्योतिष की सलाह | Navratri Kanya Pujan Vidhi

कैसे करें कन्या पूजन चैत्र नवरात्रि 2020 | लॉक डाउन | नवरात्र के व्रत का समापन | ज्योतिष की सलाह | Navratri Kanya Pujan Vidhi

chaitra navratri kanya pujan
Navratri Kanya Pujan Vidhi
नवरात्रि महापर्व का समापन छोटी कन्याओं के पूजन के पश्चात होता हैं। नौ दिनों तक व्रत करने वाले प्रत्येक भक्त कन्या पूजन के पश्चात ही अपना व्रत खोलते हैं। नवरात्र में घरों तथा मंदिरों में कन्याओं का पूजन किया जाता था। किन्तु इस वर्ष विषाणुजन्य महामारी के कारण सम्पूर्ण देश में लॉकडाउन चल रहा हैं, जिस के कारण सामूहिक रूप से कन्या पूजन करना संभव नहीं हैं। इस वर्ष की नवरात्रि में परिस्थितियां अत्यंत भिन्न प्रकार की हैं। मंदिर के कपाट बंद हैं तथा हम सभी घर में ही रहने के लिए विवश हैं। पूजन-अर्चन के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग तथा नेशनल लॉकडाउन के नियमों का पालन भी अति आवश्यक हैं। ऐसे में कन्या पूजन करना, एक चुनौती साबित हो रही हैं।


प्रत्येक भक्तों के मन में जाने अनजाने यह शंका हैं तथा यह चिंता का विषय हैं कि, इस वर्ष नवरात्रि में कन्या पूजन कैसे किया जाए? कैसे कन्याओं को भोजन करवाया जाए? यह जानकारी हम आपको हमारे इस विडियो के माध्यम से प्रदान करेंगे, मानव कल्याण हेतु यह विडियो अधिक से अधिक शेयर अवश्य करें।

सर्वप्रथम, अति आवश्यक सूचना।

                            १:-      कृपया ध्यान दे कि यदि आपके घर-परिवार में आपके या किसी भी अन्य सदस्य के संक्रमित होने का संदेह हैं, जैसे की अधिक बुखार, खांसी या जुकाम, तो आप डाक्टर को अवश्य दिखाये, साथ ही, आपके घर का प्रसाद या भोग किसी को भी ना बांटे, यहाँ तक की, गाय को भी न दें। इस बार माताजी से प्रार्थना कर क्षमा मांग लें। माता आप की विवशता अवश्य समझेंगी।
                            २:-      यह सदैव ध्यान रहे की, किसी को संक्रमित करके, आपको पुण्य नहीं प्राप्त होगा, किन्तु आप एक महा-पाप के भागी बन जाएंगे। अतः भूल कर भी ऐसा कभी भी ना करें।
                            ३:-      साथ ही यह भी ध्यान दे की, किसी भी कन्या को घर पर बुलाकर पूजा ना करें, इससे कन्या तथा आपके जीवन को संकट हो सकता हैं।
                            ४:-      विषाणुजन्य आपदा के संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रत्येक महिलाओं की चाहिए की वे, अपने घर की बेटियों को भी कन्या भोज के लिए घर से बाहर ना जाने दें।

लॉक डाउन में कन्या पूजन

                            १:-      शास्त्र कहते हैं कि, नवरात्रि में 1, 3, 5, 9 या 11 जैसी विषम संख्या में अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्या का पूजन करना चाहिए, यदि संभव हो तो एक ही कन्या का भी पूजन कर सकते हैं। नौ कन्या की जगह एक कन्या को खिलाने से भी संकल्प सिद्ध होता हैं। एक कन्या का पूजन कर शेष कन्याओं के निमित्त पूजन का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प को किसी निर्धन या असहाय परिवार की कन्या को भेंट कर देना चाहिए।
                            २:-      इस बार नवरात्र में जब आप घर के बाहर से कन्याओं को अपने घर में आमंत्रित नहीं कर सकते हैं तो, आप अपने घर की ही छोटी बेटियों, भतीजियों या भांजियों को भोजन करवा कर उनकी पूजा कर सकते हैं। किन्तु, पूजन से पूर्व आप हाथ में जल लेकर यह संकल्प करें कि, “नवरात्र में कन्या पूजन हेतु, मैं अपनी पुत्री को देवी मानकर उनका पूजन कर रहा हूं।” तथा माता रानी से क्षमा प्रार्थना कर लें। पूजन के दौरान कन्या का अपमान ना करें। यह भी ध्‍यान रहे कि, कन्या की आयु 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
                            ३:-      यदि आपके घर में कोई बालक हैं तो, कन्या पूजन में उसे भी बैठाएं। बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता हैं। भगवान शिव ने प्रत्येक शक्ति पीठ में माताजी की सेवा हेतु, बटुक भैरव को तैनात किया हैं। यदि किसी शक्ति पीठ में माताजी के दर्शन के पश्चात भैरव के दर्शन न किए जाएं तो दर्शन अधूरे माने जाते हैं।
                            ४:-      यदि घर में कोई भी छोटी कन्या नहीं हैं तो, आप घर में स्थित मंदिर में माता का पूजन करें तथा उन्हें विभिन्न प्रकार की सामग्री भेंट करें। घर में माता रानी की मूर्ति या प्रतिमा के समक्ष 9 कन्याओं की दक्षिणा रख कर कन्या पूजन करें।
                            ५:-      वर्तमान में मोबाइल के विडियो कॉलिंग या कॉन्फ्रेंसिंग से भी 9 कन्याओं को जोड़ सकते हैं। उनके उपहार या भेंट को संकल्प करके अपने पास रख लें तथा सही समय होने पर उन्हें भिजवा सकते हैं। उनके या उनके अभिभावकों के अकाउंट में ऑनलाइन या PayTM, GooglePay जैसी सुविधाओं से उपहार राशि दे सकते हैं। या तो कन्याओं के उपहार संकल्प करके अपने पास रखें तथा सही समय होने पर उन्हें भिजवा सकते हैं।
                            ६:-      एक थाली लगाकर या आप जो भी निवेदित करना चाहते हैं, वह सामग्री किसी देसी गाय को खिला दें, माना जाता हैं कि, गाय में 33 कोटि देवी-देवता का निवास हैं। जो सामान आपने माता को प्रसाद के रूप में चढ़ाया हैं, उस प्रसाद का कुछ हिस्सा माता का ध्यान करते हुए गाय को खिला दें। इसके पश्चात ही आप तथा परिवार के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करें।
                            ७:-      नवरात्रि में देवी को सुहाग की सामग्री भी चढ़ाई जाती हैं। मान्यता हैं कि इससे सौभाग्य तथा सुख समृद्धि की वृद्धि होती हैं। शास्त्रों में बताया गया हैं कि, माता को सुहाग की सामग्री चढ़ाने के लिए बाहर जाना आवश्यक नहीं हैं। नवरात्रि के दिनों में माता कन्या रूप में, उनकी जितनी भी मूर्तियां हैं, उनमें निवास करती हैं। अतः घर में माता की मूर्ति तथा प्रतिमा के समक्ष एक लाल वस्त्र में चावल, सिंदूर, हल्दी का टुकड़ा, चूड़ियां, बिंदी, काजल तथा कुछ पैसे रखकर माता के सामने रखें तथा उनसे सौभाग्य वृद्धि की प्रार्थना करें तथा लॉकडाउन समाप्त होने के पश्चात आप उसे सुहागिन महिलाओं को जरूर बांटे अथवा स्वयं भी प्रयोग करें।
                            ८:-      इस आपदा के समय कई परिवार को भोजन प्राप्त नहीं हो रहा हैं। कन्या पूजन ना कर पाने की स्थिति में, किसी निर्धन तथा असहाय व्यक्ति को भोजन कराएं। इसका पुण्य भी उतना ही प्राप्त होगा। साथ ही, कन्या पूजन, नवरात्रि के भंडारे तथा माताजी के जागरण आदि में खर्च होने वाले धन को इस विषाणुजन्य आपदा के नाम पर प्रधानमंत्री जी के “पीएम-केयर्स फंड” को दान कर दें। यही माताजी की सच्ची सेवा होगी।
                            ९:-      कन्या पूजन में प्रसाद स्वरूप सूखे नारियल, मखाना, मूंगफली, मिसरी भेंट कर सकते हैं। यह प्रसाद लंबे समय तक टिकते हैं तथा स्थिति सामान्य होने के पश्चात इन्हें किसी कन्या को अथवा माता के मंदिर में भेंट कर सकते हैं।

                      १०:-      कन्या पूजन करने से पूर्व या सुहाग की सामग्री देने से पूर्व आप मन ही मन संकल्प अवश्य लें तथा मां भगवती से पूजा-पाठ तथा हवन पूजन स्वीकार करने की विनती करें। उसके पश्चात सभी जरूरी सामग्री के साथ पूजा-पाठ करें। इस प्रकार घर में रहकर आप कन्या पूजन तथा सुहाग की सामग्री देने की परंपरा का पालन करके पुण्य तथा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।