17 October 2025

🪔 2025 दीवाली पूजा और दीपावली पूजा कैलेण्डर | सम्पूर्ण तिथि, मुहूर्त और पर्व जानकारी

🪔 2025 दीवाली पूजा और दीपावली पूजा कैलेण्डर | सम्पूर्ण तिथि, मुहूर्त और पर्व जानकारी

🪔 2025 दीवाली पूजा मुहूर्त और पर्व जानकारी
दीपावली पूजा कैलेण्डर


🌺 2025 दीवाली पूजा और दीपावली पूजा कैलेण्डर | सम्पूर्ण तिथि, मुहूर्त और पर्व जानकारी

🌺 2025 दीवाली पूजा और दीपावली पूजा कैलेण्डर

सम्पूर्ण पाँचदिवसीय उत्सव की तिथि, मुहूर्त और ज्योतिषीय महत्व

Diwali 2025 Festival Image

भारत का सबसे प्रकाशमय और पवित्र पर्व दीपावली (Diwali 2025), वर्ष 2025 में अपार उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व पाँच दिनों तक चलता है और हर दिन का धार्मिक व ज्योतिषीय महत्व होता है।

🌼 दिन 1 – गोवत्स द्वादशी / वसुबारस (17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार)

दीपावली का प्रारम्भ गोवत्स द्वादशी से होता है, जिसे वसुबारस भी कहा जाता है। इस दिन गौ माता और बछड़े की पूजा होती है। महिलाएँ संतान एवं परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यह दिन मातृत्व और पालन-पोषण की पवित्र भावना का प्रतीक है।

💰 दिन 2 – धनतेरस / धनत्रयोदशी (18 अक्टूबर 2025, शनिवार)

यह दिन धन की देवी महालक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन सोना, चाँदी, बर्तन और रत्न खरीदने की परंपरा है। साथ ही यम दीपदान का विशेष महत्व है।

🕯 धनतेरस पूजा मुहूर्त 2025

विवरणसमय / तिथि
मुख्य पूजा मुहूर्त07:31 PM – 08:28 PM
प्रदोष काल05:59 PM – 08:28 PM
वृषभ काल07:31 PM – 09:29 PM
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ18 अक्टूबर, 12:18 PM
त्रयोदशी तिथि समाप्त19 अक्टूबर, 01:51 PM

⚫ दिन 3 – काली चौदस / नरक चतुर्दशी / हनुमान पूजा (19 अक्टूबर 2025, रविवार)

यह दिन नकारात्मक शक्तियों के नाश और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक है। कुछ स्थानों पर इसे भूत चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान हनुमान, माँ काली और महाकाल की पूजा की जाती है।

🪔 दिन 4 – लक्ष्मी पूजा / दीपावली (20 अक्टूबर 2025, सोमवार)

यह मुख्य दीपावली का दिन है। घरों को दीपों से सजाया जाता है, देवी महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है। व्यापारी वर्ग इस दिन चोपड़ा पूजा कर नए बही-खाते पूजते हैं।

🌟 लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 2025

विवरणसमय / तिथि
मुख्य पूजा मुहूर्त07:23 PM – 08:27 PM
प्रदोष काल05:57 PM – 08:27 PM
वृषभ काल07:23 PM – 09:21 PM
अमावस्या प्रारम्भ20 अक्टूबर, 03:44 PM
अमावस्या समाप्त21 अक्टूबर, 05:54 PM

🌙 निशीथ काल मुहूर्त (मध्यरात्रि पूजा हेतु)

11:47 PM – 12:37 AM (21 अक्टूबर)

जो भक्त मध्यरात्रि पूजा को सर्वोच्च मानते हैं, उनके लिए यह मुहूर्त अत्यंत शुभ है।

🌙 दिन 5 – गोवर्धन पूजा / अन्नकूट (22 अक्टूबर 2025, बुधवार)

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना का स्मरण किया जाता है। अन्नकूट में सैकड़ों व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र में इसे बलि प्रतिपदा और गुजराती नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।

❤️ दिन 6 – भैया दूज / यम द्वितीया (23 अक्टूबर 2025, गुरुवार)

दीवाली पर्व का समापन भैया दूज पर होता है। बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनके दीर्घायु जीवन की कामना करती हैं। यह दिन यमराज और उनकी बहन यमी के स्नेह का प्रतीक है।

✨ दीवाली पर्व का आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व

दीपावली केवल प्रकाश का पर्व नहीं बल्कि यह आत्मिक जागरण, धन-संवृद्धि, कर्माराधना और सदाचार का प्रतीक है। देवी महालक्ष्मी, भगवान गणेश, माँ सरस्वती और माँ काली की पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है।

🌟 दीवाली पूजा के ज्योतिषीय विशेष मुहूर्त (चौघड़िया योग)

कालयोगसमय
अपराह्नचर, लाभ, अमृत03:44 PM – 05:57 PM
सायाह्नचर05:57 PM – 07:31 PM
रात्रिलाभ10:38 PM – 12:12 AM
उषाकालशुभ, अमृत, चर01:45 AM – 06:26 AM

🌸 निष्कर्ष

दीपावली 2025 श्रद्धा, समृद्धि और उजास का संगम बनेगी। यह पर्व हमें सिखाता है — “एक दीपक की लौ भी अंधकार को मिटा सकती है।” जब हर घर में दीप जलेंगे, तो केवल रोशनी ही नहीं, बल्कि सौभाग्य, शांति और प्रेम का प्रकाश भी फैलेगा।

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05 June 2025

🕉🌷 निर्जला एकादशी कब है 2025 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | Nirjala Ekadashi 2025🔱

🕉🌷 निर्जला एकादशी कब है 2025 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | Nirjala Ekadashi 2025🔱

nirjala ekadashi 2025 date time
nirjala ekadashi vrat kab hai 2025 date time
 

🌷 ।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।। 🌷

💥 वैदिक विधान कहता है की, दशमी को एकाहार, एकादशी में निर्जल एवं निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं। भगवान को एकादशी तिथि अति प्रिय है चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो अथवा शुकल पक्ष की।

💥 निर्जला एकादशी पाण्डव एकादशी तथा भीमसेनी या भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पद्मपुराण के अनुसार व्रत के प्रभाव से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं अनेक रोगों की निवृत्ति एवं सुख सौभाग्य में वृद्घि होती है। 


🌷 ।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।। 🌷

       

वैदिक विधान कहता है की, दशमी को एकाहार, एकादशी में निर्जल एवं निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं। किन्तु अधिकमास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती है। भगवान को एकादशी तिथि अति प्रिय है चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो अथवा शुकल पक्ष की। इसी कारण इस दिन व्रत करने वाले भक्तों पर प्रभु की अपार कृपा सदा बनी रहती है अतः प्रत्येक एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं। किन्तु इन सभी एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी है जिसमें व्रत रखकर संपूर्ण वर्ष की सभी एकादशियों जितना पुण्य कमाया जा सकता है। यह है ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी। जिसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। निर्जला एकादशी से सम्बन्धित पौराणिक कथा के कारण इसे पाण्डव एकादशी तथा भीमसेनी या भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पद्मपुराण के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत के प्रभाव से जहां मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं अनेक रोगों की निवृत्ति एवं सुख सौभाग्य में वृद्घि होती है। जो श्रद्धालु वर्ष की सभी चौबीस एकादशियों का उपवास करने में सक्षम नहीं है, उन्हें केवल निर्जला एकादशी उपवास करना चाहिए क्योंकि निर्जला एकादशी उपवास करने से अन्य सभी एकादशियों का लाभ प्राप्त हो जाता हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने, पूजा तथा दान करने से जातक, जीवन में सुख-समृद्धि का भोग करते हुए अंत समय में मोक्ष को प्राप्त करता है। निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष के दौरान किया जाता है। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत मई अथवा जून के महीने में होता है। यह व्रत सभी पापों का नाश करने वाला तथा मन में जल संरक्षण की भावना को उजागर करता है।

             एकादशी के व्रत की समाप्ती करने की विधि को पारण कहते हैं। कोई भी व्रत तब तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत पारण न किया जाए। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता है।

 


ध्यान रहे,

१.            एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है।     

२.            यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही होता है।

३.            द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।

४.            एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए।

५.            व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है।

६.            व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।

७.            जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत समाप्त करने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती है।

८.            यदि, कुछ कारणों की वजह से जातक प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण करना चाहिए।

 

निर्जला एकादशी व्रत 2025

इस वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 05 जून, गुरुवार की मध्य-रात्रि 02 बजकर 15 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 07 जून, शनिवार की प्रातः 04 बजकर 47 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

 

अतः इस वर्ष 2025 में निर्जला एकादशी का व्रत 06 जून, शुक्रवार के दिवस किया जाएगा।

साथ ही वैष्णव अर्थात गौण निर्जला एकादशी का व्रत 07 जून, शनिवार के दिवस किया जाएगा।

 

इस वर्ष, निर्जला एकादशी व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 07 जून, शनिवार की दोपहर 01 बजकर 57 मिनिट से 04 बजकर 34 मिनिट तक का रहेगा।

साथ ही वैष्णव अर्थात गौण निर्जला एकादशी का व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 08 जून, रविवार की प्रातः 06 बजकर 01 मिनिट से 07 बजकर 16 मिनिट तक का रहेगा।

पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय - दोपहर 11:25

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - प्रातः 07:16

 

 


वैष्णव (गौण) निर्जला एकादशी - 23 मई 2024, रविवार

दूजी (वैष्णव) एकादशी के लिए पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय 24 मई 2025, सोमवार की प्रातः 05:57 से 08:34

द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व समाप्त हो रही हैं।

 

निर्जला एकादशी व्रत OLD 2024

इस वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 05 जून, गुरुवार की मध्य-रात्रि 02 बजकर 15 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 07 जून, शुक्रवार की प्रातः 04 बजकर 47 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

 

अतः इस वर्ष 2025 में निर्जला एकादशी का व्रत 06 जून, शुक्रवार के दिवस किया जाएगा।

 

इस वर्ष, निर्जला एकादशी व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 07 जून, शनिवार की दोपहर 01 बजकर 57 मिनिट से 04 बजकर 34 मिनिट तक का रहेगा।

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - प्रातः 07:27

 

हरि वासर समाप्त होने का समय – 05:27