वैदिक शिव पूजन एवं महाशिवरात्रि पूजा विधि । Lord Shiva Pooja ।
Mahashivratri Pooja Vidhi In Hindi
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महाशिवरात्रि का पावन पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह महापर्व साधकों को मनोवांछित फल , धन , सौभाग्य , समृद्धि , संतान व आरोग्यता प्रदान करता है। महाशिवरात्रि व्रत में उपवास करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। महाशिवरात्रि पर्व पर भक्त - गण अनेक प्रकार से भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विविध उपाय करते हैं। इस दिन शिव भक्त - गण शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का विधि-पूर्वक पूजन करते हैं एवं शिव - लिंग पर बेल - पत्र अर्पित करते है तथा रात्रि में जागरण करते हैं।
किन्तु यह उपाय प्रत्येक जन- साधारण के लिए सरल नहीं होते। शिवरात्रि पर कुछ भक्त-गण मंदिर में, तो कुछ घर पर ही विधि - विधान से पूजा करना पसंद करते हैं। इस दिन भीड़ के कारण मंदिर में विधि - विधान से पूजा करना संभव नहीं हो पाता।
आज हम आपको बताएँगे मनोकामना पूर्ति हतु वैदिक शिव पूजन एवं महाशिवरात्रि पूजा विधि, जिससे आप घर पर ही महाशिवरात्रि का पूजन अत्यंत आसान विधि से कर पाएंगे। यह पूजन विधि जितनी आसान है उतनी ही सिद्ध तथा मनोवांछित फलदायी भी है। भगवान शिव अत्यंत सरल स्वभाव के देवता माने गए हैं, अत : उन्हें सरलतम तरीकों से ही प्रसन्न किया जा सकता है तथा जिनसे भगवान शिव आपकी प्रत्येक मनोकामना अवश्य पूर्ण करेंगे।
» वैदिक शिव पूजन विधि -
1- प्रात : काल स्नान करें
महाशिवरात्रि वाले दिन प्रात : काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भोलेनाथ के व्रत का संकल्प लें। इस दिन हो सकें तो पूजन से पहले तथा पूजन के पश्यात अर्थात सम्पूर्ण दिवस ॐ नम : शिवाय मंत्र का मन ही मन जाप करते रहें। भगवान से सुख - समृद्धि के लिए कामना करें।
2- पूजन प्रारम्भ
सर्वप्रथम भगवान भोलेनाथ की पूजा हेतु स्वच्छ एवं शुद्ध आसन पर बैठकर जल से आचमन करें। इसके पश्यात यज्ञोपवित ( जनेऊ ) धारण कर अपने शरीर को शुद्ध करें। तत्पश्चात आसन की शुद्धि करें। पूजन - सामग्री को यथास्थान रखकर , धूप तथा रक्षादीप प्रज्ज्वलित कर लें।
3- स्वस्ति पाठ
महाशिवरात्रि पूजन के दूसरे चरण में स्वस्ति पाठ करें। जो इस प्रकार है -
स्वस्ति - पाठ -
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा : , स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा : ,
स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु।
भगवान से प्रार्थना करें कि मेरे पूजन को सफल बनाये तथा मुझसे कोई कमी रह जाए तो अज्ञानी बालक समझकर क्षमा करें।
4- पूजन का संकल्प लें
पूजा के तीसरे चरण में पूजन का संकल्प कर भगवान श्रीगणेश तथा गौरी - माता पार्वती का स्मरण कर पूजन प्रारंभ करे। यदि आप रूद्राभिषेक , लघुरूद्र , महारूद्र आदि विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं , तो आपको नवग्रह , कलश , षोडश - मात्रका का भी पूजन करना चाहिए।
5- शिव परिवार का पूजन
पूजन का संकल्प लेने से पूर्व सम्पूर्ण शिव - परिवार का पूजन करना अनिवार्य है। अर्थात पहले भगवान श्रीगणेश तथा माता पार्वतीजी का पूजन करें। इसके पश्यात नन्दीश्वर , वीरभद्र , कार्तिकेय ( स्त्रियां कार्तिकेय का पूजन ना करें ) तथा सर्प का संक्षिप्त पूजन करें। ध्यान रखें कि स्त्रियों को कार्तिकेय का पूजन नहीं करना चाहिए।
6- बिल्वपत्र अर्पित करें
हाथ में बिल्वपत्र तथा अक्षत ( चावल ) लेकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए उन्हें अर्पित करें। बिल्वपत्र अर्पित करने से पहले उन पर ॐ नम : शिवाय मंत्र लिखें। 5 , 11 या 21 बिल्वपत्र अर्पित करने के पश्यात भोलेनाथ को आसन , आचमन , स्नान , दही - स्नान , घी - स्नान , शहद - स्नान व शक्कर - स्नान कराएं।
7- पंचामृत से स्नान
भगवान को पंचामृत ( दूध , दही , घी , शहद तथा शक्कर का मिश्रण ) से स्नान कराएं तथा सुगंध - स्नान ( इत्र ) तथा इसके पश्यात शुद्ध जल से स्नान कराएं। अब प्रभु को वस्त्र अर्पित करें तथा जनेऊ चढाएं। अब इत्र ,
अक्षत , पुष्प - माला , बिल्वपत्र , धतूरा तथा भांग चढाएं।
8- फल तथा दक्षिणा अर्पित करें
अब हाथ धोकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर विभिन्न प्रकार के मौसमी फल तथा दक्षिणा अर्पित करें। इसके पश्यात एक साफ़ थाली में धूप - दीप के साथ कपूर प्रज्ज्वलित कर भगवान् भोले की आरती ( ॐ जय शिव ओंकारा वाली शिव - आरती ) करें।
9- क्षमा याचना करें।
पूजन पूरा होने के पश्यात प्रभु के सामने क्षमा याचना अत्यंत आवश्यक है। क्षमा याचना के लिए यह मंत्र का जाप करें तथा अक्षत व फूल अर्पित करें।
क्षमा मंत्र :
आह्वानं ना जानामि , ना जानामि तवार्चनम ,
पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर : ।
10- भगवान से प्रार्थना
क्षमा याचना में भक्त भोलेनाथ से प्रार्थना करते हुए कहता है कि “ हे प्रभु मैं ज्यादा तो कुछ नहीं जानता किन्तु मैंने अपनी क्षमता तथा सामथ्र्य से ज्यादा किया है , इसलिए हे प्रभु आप इसे स्वीकार कीजिए तथा मुझ पर अपनी कृपा बनाए रखें। ”
इस प्रकार घर में पूरी श्रद्धा के साथ साधारण पूजन भी किया जाए तो भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। महाशिवरात्रि पर संक्षिप्त रूप से पूजन करने से भी भगवान शिव प्रसन्न होकर आपके समस्त मनोरथ पूर्ण करेंगे।
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