15 May 2020

सुंदरकांड पाठ करने की विधि | सुन्दरकाण्ड का पाठ | Sunderkand ka Path kaise kare Vidhi in Hindi

सुंदरकांड पाठ करने की विधि | सुन्दरकाण्ड का पाठ | Sunderkand ka Path kaise kare Vidhi in Hindi

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हनुमान स्तुति:-

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्

दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्

रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

 

यदि आप इस पूर्ण स्तुति पढ़ने में असमर्थ या समय का अभाव हैं तो आप यह हनुमानजी के अत्यंत प्रभावशाली तथा चमत्कारी सरल श्लोक से पूजा प्रारम्भ कर सकते है।

ॐ मनोजवं मारुततुल्य वेगम्, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।

वातात्मजं वानर युथमुख्यं, श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये।।

 

दीन दयाल बिरिदु संभारी।

हरहु नाथ मम् संकट भारी॥

भावार्थ - हे मेरे प्रभु श्री राम! दिन-दुखियों पर दया करना आपकी कीर्ति हैं तथा मैं दीन हूँ अतः आपकी उस प्रसिद्धि को याद करके, हे नाथ! मेरे समस्त भारी संकट को दूर कीजिए।

My lord is all sufficient, yet recalling your vow of kindness to the afflicted, relieve, o master, my grievous distress.

 

गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरित मानस का एक अध्याय “सुन्दरकाण्ड” हैं। जिसमें हनुमानजी की उपलब्धि, सफलता तथा सिद्धि का वर्णन किया गया हैं। सनातन हिन्दू धर्म में श्री रामभक्त हनुमानजी को प्रसन्न करने के कई उपाय हैं, जिनमें सुंदरकांड का पाठ कर के हनुमानजी का स्मरण करना सर्वाधिक प्रभावी उपाय माना गया हैं। ऐसी मान्यता हैं कि जो जातक लगातार 41 सप्ताह तक प्रत्येक मंगलवार या शनिवार के शुभ दिवस सुंदरकांड का विधिपूर्वक पाठ, पूर्ण श्रद्धा के साथ करते हैं, उनके बड़े से बड़े कार्य सहज ही तथा बिना किसी बाधा के शीघ्र ही सिद्ध हो जाते हैं तथा उन्हें हनुमानजी की विशेष कृपादृष्टि भी प्राप्त होती हैं।

सुंदरकांड का पाठ करने से जातक को मानसिक शांति प्राप्त होती हैं। घर से प्रत्येक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती हैं। भक्त का आत्मविश्वास भी बढ़ने लगता हैं। सुंदरकांड पाठ स्वयं में अद्भुत शक्ति रखने वाला हैं, जो जातक नियमित रूप से यह पाठ करता हैं, वह हनुमानजी के आशीर्वाद से ऊपरी बाधाओं से पीड़ित रोगी को ठीक करने में सक्षम होने लगता हैं। किसी भी शुभ कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व सुंदरकांड पाठ करना अति लाभकारी माना गया हैं।

संकट किसी भी प्रकार का हो चाहे वह जादू-टोना से सम्बंधित हो या कोई असाध्य रोग से सम्बंधित, सुंदरकांड के नियमित पाठ के प्रयोग से प्रत्येक प्रकार के संकट नष्ट होते हैं। पाठ करने वाला जातक प्रत्येक प्रकार के सुख को प्राप्त करता हैं साथ में वह सदैव प्रसन्नचित्त रहने लगता हैं। पारिवारिक कलह, रोग से मुक्ति, नकारात्मक शक्ति से छुटकारा, व्यवसाय में प्रगति आदि विविध प्रकार के संकटों में भी सुंदरकांड का पाठ करने से शीघ्र ही लाभ प्राप्त होता हैं।

 

सुंदरकांड पाठ करने की विधि

सुंदरकांड के पाठ को मंगलवार, शनिवार या श्रावण मास में प्रतिदिन करना अत्यंत शुभ माना गया हैं। सुंदरकांड पाठ पूर्ण करने में लगभग 2 घंटे का समय लगता हैं, अतः शांत हो कर, स्वच्छ आसान पर बैठकर तथा पूर्ण श्रद्धा के साथ सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। पाठ करते समय ध्यान भगवान श्री राम तथा हनुमानजी के चरणों में रखना चाहिए।

 

दो विधि से आप सुंदरकांड पाठ को कर सकते हैं

)  सम्पूर्ण पूजा विधि - इस विधि में सुंदरकांड पाठ करने से पूर्व प्रत्येक सनातन देवी-देवताओं का आह्वान तथा पूजन किया जाता हैं। इस विधि को आप किसी योग्य जानकार पंडित जी के माध्यम से ही पूर्ण करा सकते हैं।

)  सरल पूजा विधि - सुंदरकांड पाठ करने की एक संक्षिप्त तथा अत्यंत ही सरल किन्तु प्रभावशाली विधि हैं जिसके विषय में आपको इस विडियो के माध्यम से आपको विस्तारपूर्वक बताते हैं -

 

सुंदरकांड पाठ की पूजन सामग्री

भगवान के लिए लाल वस्त्र

श्रीराम दरबार की या हनुमानजी की मूर्ति अथवा प्रतिमा

श्री रामचरित मानस

शालिग्राम भगवान की मूर्ति

पुष्प तथा पुष्पमाला

एक पात्र में जल

धूप, दीप तथा घी

अक्षत

चंदन रोली

प्रसाद के लिए मिष्ठान तथा ऋतुफल

 

सुंदरकांड पाठ की सरल विधि

घर के पूर्व दिशा को स्वच्छ कर के, गंगाजल से पवित्र कर लें, इसके पश्चात एक चौकी की स्थापना करें। चौकी पर एक नया लाल वस्त्र बिछाए। इसके पश्चात श्रीराम दरबार की या हनुमानजी की मूर्ति अथवा प्रतिमा चौकी पर स्थापित करें। चौकी ठीक सामने आसन बिछाकर बैठ जाये तथा पूजा सामग्री को अपने पास रख ले। अब पहले घी का दीपक प्रज्वलित करें व धूप आदि लगाये। अब राम दरबार फोटो में प्रत्येक देवों को तिलक करें। रामचरित मानस को तिलक करें। अक्षत अर्पित करें। पुष्प अर्पित करें तथा मीठा अर्पित करें, जल के छीटें लगायें।

 

अब दायें हाथ में थोडा जल, अछत तथा पुष्प लेकर इस प्रकार से संकल्प ले -

ॐ श्री विष्णु -ॐ श्री विष्णु ॐ श्री विष्णु, हे प्रभु, मैं (अपना नाम बोले) गोत्र (अपना गोत्र बोले) अपने (जो कार्य हो या प्रार्थना हो वह बोले) कार्य की सिद्धि हेतु सुंदरकांड के पाठ करने का कार्य कर रहा हूँ, हे परमेश्वर, मेरे कार्य में मुझे पूर्ण सहायता प्रदान करें तथा आपकी कृपा से, मेरा कार्य बिना किसी बाधा के शीघ्र पूर्ण करें। ऐसा कहते हुए जल अछत तथा पुष्प को भूमि पर छोड़ दे तथा पुनः बोले ॐ श्री विष्णु -ॐ श्री विष्णु ॐ श्री विष्णु।

इसके पश्चात सर्वप्रथम देवता श्री गणेश जी के स्तुति मंत्र द्वारा उनका स्मरण करें।

स्तुति मंत्र इस प्रकार हैं-

भगवान श्री गणेश स्तुति मंत्र :-

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय,

लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय

नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय,

गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

भक्तार्तिनाशनपराय गनेशाश्वराय,

सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय।

विद्याधराय विकटाय च वामनाय,

भक्त प्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते॥

नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नम:,

नमस्ते रुद्राय्रुपाय करिरुपाय ते नम:॥

विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारणे,

भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक॥

लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय,

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति,

भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति।

विद्याप्रत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति,

तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव॥

गणेशपूजने कर्म यन्न्यूनमधिकं कृतम,

तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोड़स्तु सदा मम॥

 

यदि आप इस पूर्ण स्तुति पढ़ने में असमर्थ या समय का अभाव हैं तो आप यह गणेश जी के अत्यंत प्रभावशाली तथा चमत्कारी सरल श्लोक से पूजा प्रारम्भ कर सकते है।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

अर्थात :- हे टेढ़ी सूँड वाले, हे विशाल देह वाले, करोड़ों सूर्यों जैसे दीप्त भगवान, मेरे प्रत्येक कार्य आपकी कृपा से सदा निर्विघ्न रूप से पूर्ण हों।

या तो 3 बार बोलिए- ॐ महागणाधिपतये नमः॥ ॐ महागणाधिपतये नमः॥ ॐ महागणाधिपतये नमः॥

 

इसके पश्चात आप अपने कुल देवता, पित्र देवता तथा ग्राम देवता का स्मरण करें। उसके पश्चात तीन बार भगवान श्री राम का नाम ले। रामजी की जय जय कार लगाए। इसके पश्चात हनुमानजी के स्तुति मंत्र द्वारा हनुमानजी का स्मरण करें।

स्तुति मंत्र इस प्रकार हैं-

हनुमान स्तुति मंत्र:-

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्

दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्

रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

 

यदि आप इस पूर्ण स्तुति पढ़ने में असमर्थ या समय का अभाव हैं तो आप यह हनुमानजी के अत्यंत प्रभावशाली तथा चमत्कारी सरल श्लोक से पूजा प्रारम्भ कर सकते है।

ॐ मनोजवं मारुततुल्य वेगम्, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।

वातात्मजं वानर युथमुख्यं, श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये।।

अर्थात :- हे मनोहर, वायु की गति से भी तेज चलने वाले, प्रत्येक इन्द्रियों को वश में करने वाले, बुद्धिमानों में सर्वश्रेष्ठ, हे वायु पुत्र, हे वानर सेनापति, हे श्री रामदूत, हे श्री राम चन्द्र के परम भक्त, हनुमानजी आपको मेरा प्रणाम। हम सभी आपके शरणागत है।

 

इतना करने के उपरान्त अब आप सुंदरकांड का पाठ प्रारम्भ करें। सुंदरकांड पाठ बिना अशुद्धि के लयबद्धता के साथ मध्यम-मध्यम स्वर में करना उचित माना जाता हैं। बीच-बीच में दोहे पूर्ण होने पर “राम सिया राम सिया राम जय-जय रामया “मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सु दशरथ अजिर बिहारी।।इस प्रकार से बीच-बीच में अधिक से अधिक भगवान श्री राम का स्मरण संपुट चौपाइयों के माध्यम से करना चाहिए। ध्यान दे, जितना अधिक आप सुंदरकांड के समय भगवान श्री रामजी का नाम लेंगे उतना ही आपको अधिक लाभ प्राप्त होगा। सुंदरकांड पाठ पूर्ण होने पर हनुमान चालीसा तथा हनुमानजी तथा श्रीरामजी की आरती करें तथा प्रसाद ग्रहण करें एवं प्रसाद प्रत्येक श्रद्धालुओं में वितरित करें।


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