20 June 2019

क्यों पड़ते है श्री जगन्नाथ भगवान प्रत्येक वर्ष बीमार ...... ???? | bhagwan jagannath kyo padte hai bimar

क्यों पड़ते है श्री जगन्नाथ भगवान प्रत्येक वर्ष बीमार...... ????


bhagwan jagannath
bhagwan jagannath kyo padte hai bimar

उड़ीसा प्रान्त में जगन्नाथ पूरी में एक भक्त रहते थे , श्री माधव दास जी अकेले रहते थे, कोई संसार से इनका लेना देना नही।
क्यूंकि उनका इतना रोग बढ़ गया था की उन्हें पता भी नही चलता था की कब मल मूत्र त्याग देते थे। वस्त्र गंदे हो जाते थे।
एक दिन श्री माधवदासजी ने पूछ लिया प्रभु से –
अब तुम्हारे प्रारब्द्ध में ये 15 दिन का रोग और बचा है, इसलिए 15 दिन का रोग तू मुझे दे दे
15 दिन का वो रोग जगन्नाथ प्रभु ने माधवदास जी से ले लिया
जय जगन्नाथ जी
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अकेले बैठे बैठे भजन किया करते थे, नित्य प्रति श्री जगन्नाथ प्रभु का दर्शन करते थे और उन्ही को अपना सखा मानते थे, प्रभु के साथ खेलते थे।
प्रभु इनके साथ अनेक लीलाए किया करते थे | प्रभु इनको चोरी करना भी सिखाते थे भक्त माधव दास जी अपनी मस्ती में मग्न रहते थे |
एक बार माधव दास जी को अतिसार( उलटी – दस्त ) का रोग हो गया। वह इतने दुर्बल हो गए कि उठ-बैठ नहीं सकते थे, पर जब तक इनसे बना ये अपना कार्य स्वयं करते थे और सेवा किसी से लेते भी नही थे।
कोई कहे महाराजजी हम कर दे आपकी सेवा तो कहते नही मेरे तो एक जगन्नाथ ही है वही मेरी रक्षा करेंगे । ऐसी दशा में जब उनका रोग बढ़ गया वो उठने बेठने में भी असमर्थ हो गये ,
तब श्री जगन्नाथजी स्वयं सेवक बनकर इनके घर पहुचे और माधवदासजी को कहा की हम आपकी सेवा कर दे।
भक्तो के लिए अपने क्या क्या नही किया…
उन वस्त्रो को जगन्नाथ भगवान अपने हाथो से साफ करते थे, उनके पुरे शरीर को साफ करते थे, उनको स्वच्छ करते थे।
कोई अपना भी इतनी सेवा नही कर सके, जितनी जगन्नाथ भगवान ने भक्त माधव दास जी की करी है।
भक्त माधव दास जी पर प्रभु का स्नेह.........
जब माधवदासजी को होश आया,तब उन्होंने तुरंत पहचान लीया की यह तो मेरे प्रभु ही हैं।
“प्रभु आप तो त्रिभुवन के मालिक हो, स्वामी हो, आप मेरी सेवा कर रहे हो आप चाहते तो मेरा ये रोग भी तो दूर कर सकते थे, रोग दूर कर देते तो ये सब करना नही पड़ता”
ठाकुरजी कहते हा देखो माधव! मुझसे भक्तों का कष्ट नहीं सहा जाता,इसी कारण तुम्हारी सेवा मैंने स्वयं की। जो प्रारब्द्ध होता है उसे तो भोगना ही पड़ता है।
अगर उसको काटोगे तो इस जन्म में नही पर उसको भोगने के लिए फिर तुम्हे अगला जन्म लेना पड़ेगा और मै नही चाहता की मेरे भक्त को ज़रा से प्रारब्द्ध के कारण अगला जन्म फिर लेना पड़े,
इसीलिए मैंने तुम्हारी सेवा की लेकिन अगर फिर भी तुम कह रहे हो तो भक्त की बात भी नही टाल सकता
भक्तो के सहायक बन उनको प्रारब्द्ध के दुखो से, कष्टों से सहज ही पार कर देते है प्रभु
आज भी इसलिए जगन्नाथ भगवान होते है बीमार.......
वो तो हो गयी तब की बात पर भक्त वत्सलता देखो आज भी वर्ष में एक बार जगन्नाथ भगवान को स्नान कराया जाता है ( जिसे स्नान यात्रा कहते है )
स्नान यात्रा करने के बाद हर साल 15 दिन के लिए जगन्नाथ भगवान आज भी बीमार पड़ते है।
15 दिन के लिए मंदिर बंद कर दिया जाता है कभी भी जगनाथ भगवान की रसोई बंद नही होती पर इन 15 दिन के लिए उनकी रसोई बंद कर दी जाती है।
भगवान को 56 भोग नही खिलाया जाता , ( बीमार हो तो परहेज़ तो रखना पड़ेगा )
प्रभु को लगाया जाता है काढ़ो का भोग.........
15 दिन जगन्नाथ भगवान को काढ़ो का भोग लगता है | इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक काढ़े का भोग लगाया जाता है। जगन्नाथ धाम मंदिर में तो भगवान की बीमारी की जांच करने के लिए हर दिन वैद्य भी आते हैं।
काढ़े के अलावा फलों का रस भी दिया जाता है। वहीं रोज शीतल लेप भी लगया जाता है। बीमार के दौरान उन्हें फलों का रस, छेना का भोग लगाया जाता है और रात में सोने से पहले मीठा दूध अर्पित किया जाता है।
भगवान जगन्नाथ बीमार हो गए है और अब 15 दिनों तक आराम करेंगे। आराम के लिए 15 दिन तक मंदिरों पट भी बंद कर दिए जाते है और उनकी सेवा की जाती है। ताकि वे जल्दी ठीक हो जाएं।
जिस दिन वे पूरी तरह से ठीक होते है उस दिन जगन्नाथ यात्रा निकलती है, जिसके दर्शन हेतु असंख्य भक्त उमड़ते है। इस वर्ष 14 जुलाई से एक दिन पहले पट खोले जाएंगे।
खुद पे तकलीफ ले कर अपने भक्तो का जीवन सुखमयी बनाये। ऐसे तो सिर्फ मेरे भगवान ही हो सकते है।

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