21 January 2017

स्वावलम्बन अपने पैरो पर खड़े होना ।

स्वावलम्बन----अपने पैरो पर खड़े होना--शब्द अच्छा है; प्रेरक है, पर है अधूरा l

परावलंबन---शब्द उदाशी भरा, गौरव को गिराने वाला l ये दोनो शब्द लूले लंगड़े है l

शब्द तो शही है---परस्परावलंबन l एक दूशरे से मिलकर एक दूशरे को सहयोग दे  lयही जीवन का परम धर्म ही नही चरम शत्य भी हैl

बच्चा प्रसूती गृह से प्यार,सहयोग और प्रेरणा का भूखा है lऔर फिर जिवन की अंतिम सांस तक यहयोग का प्यासा हैl

दुनिया के बड़े से बड़े आदमी भी अपने आप मे सब कुछ नही जानते l हमे एक दूसरे से सीखना है ,आदमी को आदमी से राष्ट्र को राष्ट्र से जाति को जाति सेl

आज पश्चिम सीखा रहा है , पूर्व को भौतिक 🙏🏻विग्यान 🙏🏻यांत्रिकी ,अर्थशास्त्र जैसी अपरा विद्धाये ,पर पूर्व ने , खास तौर पर भारत ने वेदो का 🙏🏻ग्यान🙏🏻दिया बुद्ध वाणी दिया और बापू के रूप मे युद्धाग्नी मे जलते विश्व को अहिंसा के अमृत का दान दिया l

एक बच्चा भी दूसरे बच्चे को 🙏🏻ग्यान🙏🏻दे सकता है---और नही तो क ख ग सिखा सकता है, आवो हम मिल कर सीखे सिखाये और दुनिया को बेहतर बनाये

कम से कम इतना तो कह सकते है

माना कि इस जमी को गुलसन न
कर सके हम l
कुछ खार कम कर दिये है गुजरे जिधर से हम l

जय श्रीकृष्ना🌹

No comments:

Post a Comment