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    21 August 2022

    अजा एकादशी व्रत कब है 2022 | पारण समय तिथि व शुभ मुहूर्त | Aja Ekadashi Vrat kab hai 2022 date

    अजा एकादशी व्रत कब है 2022 | पारण समय तिथि व शुभ मुहूर्त | Aja Ekadashi Vrat kab hai 2022 date 

    aja ekadashi vrat kab hai
    Aja Ekadashi Vrat

    वैदिक विधान कहता हैं की, दशमी को एकाहार, एकादशी में निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं। किन्तु अधिकमास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती हैं। भगवान जी को एकादशी तिथि अति प्रिय हैं चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो अथवा शुक्ल पक्ष की। इसी कारण इस दिन व्रत करने वाले भक्तों पर प्रभु की अपार कृपा-दृष्टि सदा बनी रहती हैं अतः प्रत्येक एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान श्रीविष्णु की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं। किन्तु इन सभी एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी हैं जिसका व्रत करने मन निर्मल बनता हैं, ह्रदय शुद्ध होता हैं तथा आप सदमार्ग की ओर प्रेरित होते हैं। भाद्रपद की कृष्ण एकादशी के दिन मनाए जाने वाले इस व्रत को अजा एकादशी के व्रत के नाम से जाना जाता हैं। गुजरात, महाराष्ट्र तथा दक्षिणी भारत में यह व्रत श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन आता हैं। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार अजा एकादशी का व्रत अगस्त या सितम्बर के महीने में आता हैं। अजा एकादशी का व्रत समस्त प्रकार के पापों का नाश करने वाला माना गया हैं। जो मनुष्य इस दिन भगवान ऋषिकेश जी की पूजा विधि-विधान तथा सच्चे मन से एवं पवित्र भावना के साथ करते हैं तथा रात्रि जागरण करते हैं उन्हे इस जन्म एवं पूर्व-जन्म के समस्त पाप-कर्मो से मुक्ति प्राप्त होती हैं तथा मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।

    अजा एकादशी व्रत का पारण

            एकादशी के व्रत की समाप्ती करने की विधि को पारण कहते हैं। कोई भी व्रत तब तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत पारण न किया जाए। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता हैं।

     

    ध्यान रहे,

    १- एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पूर्व करना अति आवश्यक हैं।

    २- यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व समाप्त हो रही हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही करना चाहिए।

    ३- द्वादशी तिथि के भीतर पारण ना करना पाप करने के समान माना गया हैं।

    ४- एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए।

    ५- व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल का होता हैं।

    ६- व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।

    ७- जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत समाप्त करने से पूर्व हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती हैं।

    ८- यदि जातक, कुछ कारणों से प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं हैं, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण करना चाहिए।

     

    इस वर्ष, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 22 अगस्त, सोमवार की प्रातः 03 बजकर 35 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 23 अगस्त, मंगलवार की प्रातः 06 बजकर 06 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

     

    अतः इस वर्ष 2022 में अजा एकादशी का व्रत 23 अगस्त, मंगलवार के दिन किया जाएगा।

     

    इस वर्ष, अजा एकादशी व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 24 अगस्त, बुधवार की प्रातः 06 बजकर 08 से 08 बजकर 28 मिनिट तक का रहेगा।

    (द्वादशी तिथि समाप्त होने समय :- 08:30 AM)

    अजा एकादशी व्रत का महत्व

    समस्त उपवासों में अजा एकादशी के व्रत श्रेष्ठतम कहे गए हैं। एकादशी व्रत को रखने वाले व्यक्ति को अपने चित, इंद्रियों, आहार और व्यवहार पर संयम रखना होता हैं। अजा एकादशी व्रत का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता हैं। यह व्रत प्राचीन समय से यथावत चला आ रहा हैं। इस व्रत का आधार पौराणिक, वैज्ञानिक और संतुलित जीवन हैं। इस उपवास के विषय में यह मान्यता हैं कि इस उपवास के फलस्वरुप मिलने वाले फल अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थों में स्नान-दान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक होते हैं। यह उपवास, मन निर्मल करता हैं, ह्रदय शुद्ध करता हैं तथा सदमार्ग की ओर प्रेरित करता हैं।


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