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    21 August 2021

    रक्षा बंधन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है 2021 Raksha Bandhan Rakhi Bandhne ka Shubh Muhurat kab hai

     रक्षा बंधन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है 2021 Raksha Bandhan Rakhi Bandhne ka Shubh Muhurat kab hai

    raksha bandhan ka shubh muhurat kab hai 2021
    Raksha Bandhan


    प्रदोष काल का मुहूर्त

    भद्रा पूँछ

    भद्रा मुख

    भद्रा अन्त समय

     

    रक्षाबन्धन मन्त्रः (Raksha Bandhan Mantra)

    येन बद्धो वली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।

    तेन त्वा रक्षबध्नामी रक्षे माचल माचल ॥

    Yen Baddho bali raja danvendro mahabal,

    ten twam RakshBadhnami rakshe machalmachal.

    The meaning of Raksha Mantra - "I tie you with the same Raksha thread which tied the most powerful, the king of courage, the king of demons, Bali. O Raksha (Raksha Sutra), please don't move and keep fixed throughout the year."

     

    🌷 रक्षाबंधन 🌷

    सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम् ।

    सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत्।।

     

    🙏🏻 इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है ।इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्षभर मनुष्य रक्षित हो जाता हैं। (भविष्य पुराण)

     

    रक्षाबंधन का पर्व सनातन भारतवर्ष में मनाये जाने वाले पवित्र तथा प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। रक्षाबंधन का पर्व भाई व बहन के अतुल्य स्नेह के प्रतीक के स्वरूप में भक्ति एवं उत्साह के साथ मनाया जाता हैं, जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं साथ ही अपने भाई की दिर्ध आयु के लिए प्रार्थना करती हैं तथा भाई अपनी बहनकी रक्षा करने का वचन देता हैं। हिंदुओ में रक्षाबंधन का पर्व अत्यंत हर्षोल्लास के साथ, धूमधाम से मनाया जाता हैं। साथ ही सिख, जैन, तथा लगभग सभी भारतीय समुदायों में यह पर्व बिना किसी रुकावट के तथा प्रेम-भाव के साथ मनाया जाता हैं। रक्षाबंधन के पर्व में रक्षा सूत्र अर्थात राखीका सबसे अधिक विशेष महत्व होता हैं। माना जाता हैं की राखीबहन का अपने भाई के प्रति स्नेह व आदर का प्रतीक होती हैं। रक्षाबंधन का त्योहार सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं जो की अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर के महीने में आता हैं। रक्षा बंधन के ठीक आठ दिन के पश्चात भगवान् श्री कृष्ण का जन्मदिन अर्थात श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता हैं।

    रक्षाबंधन के शुभ दिवस पर प्रत्येक जातक को चाहिए की वह रक्षा सूत्र को भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष अर्पित कर 108 या उस से भी अधिक बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या शिव के पंचाक्षरी तथा अत्यंत प्रभावशाली मन्त्र “ॐ नमः शिवाय” का जप करें तथा उसके पश्चात ही रक्षा सूत्र को अपने भाईयों की कलाई पर बांधे। ऐसा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती हैं। क्योंकि श्रावण का पवित्र मास सम्पूर्ण प्रकार से भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता हैं।

     

    रक्षाबन्धन का शुभ मुहूर्त 2021

    इस वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 21 अगस्त, शनिवार की साँय 07 बजकर 01 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 22 अगस्त, रविवार की साँय 05 बजकर 31 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

     

    अतः इस वर्ष 2021 में रक्षा-बंधन का पर्व 22 अगस्त, रविवार के शुभ दिवस मनाया जाएगा। 

     

    इस वर्ष, रक्षाबंधन के त्योहार पर राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त 22 अगस्त, रविवार की दोपहर 01 बजकर 47 से साँय 04 बजकर 18 मिनिट तक का रहेगा।

     

    यह भी ध्यान रहे की,

    १.  रक्षा बन्धन के दिन भद्रा प्रातः 06 बजकर 16 मिनिट पर समाप्त हो जाने के कारण राखी बांधने का शुभ मुहूर्त प्रातः 06 बजकर 16 मिनिट से साँय 05 बजकर 31 मिनिट तक, अर्थात पूर्णिमा तिथि के समाप्ति तक का रहेगा।

    २.  वैदिक मतानुसार अपराह्न का समय राखी बांधने के लिये सर्वाधिक उपयुक्त माना गया हैं, जो कि हिन्दु समय गणना के अनुसार दोपहर के पश्चात का समय होता हैं।

    ३.  यदि अपराह्न का समय भद्रा आदि के कारण उपयुक्त नहीं हैं तो, प्रदोष काल का समय भी रक्षा बन्धन के संस्कार के लिये उपयुक्त माना गया हैं।

    ४.  हिन्दु धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक शुभ कार्यों हेतु भद्रा का त्याग किया जाना चाहिये। अतः भद्रा का समय रक्षा बन्धन के लिये निषिद्ध माना गया हैं।

    11 August 2021

    नाग पंचमी कब है 2021 | NagPanchami 2021 | पूजन का शुभ मुहूर्त | Nag Panchami kab hai | नागपंचमी किस दिन है

    नाग पंचमी कब है 2021 | NagPanchami 2021 | पूजन का शुभ मुहूर्त | Nag Panchami kab hai | नागपंचमी किस दिन है

    nag panchami kab hai 2021
    Nag Panchami


    श्रीगणेशाय नमः ।

    अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम् ।

    शङ्खपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा ॥ १॥

    एतानि नवनामानि नागानां च महात्मनाम् ।

    सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः ॥ २॥

    तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥ ३॥

    ॥ इति श्रीनवनागनामस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

     

    मंत्र अनुवाद - नौ नाग देवता के नाम अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कंबाला, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक तथा कालिया हैं। यदि प्रतिदिन सुबह नियमित रूप से जप किया जाता हैं, तो आप सभी बुराइयों से सुरक्षित रहेंगे तथा आपको जीवन में विजयी बनाएंगे।

     

    ॐ भुजंगेशाय विद्महे,

    सर्पराजाय धीमहि,

    तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।

     

    हिन्दू धर्म में नागों को अति महत्वपूर्ण स्थान दिया गया हैं। त्रिदेवों में से एक भगवान भोलेनाथ के गले में स्थान पाने वाले नागों की विधिवत पूजा की जाती हैं। पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रुप में मनाया जाता हैं। नाग पंचमी का पर्व हरियाली तीज के दो दिन के पश्चात आता हैं तथा अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नाग पंचमी जुलाई या अगस्त के महीने में आती हैं। गुजरात, महाराष्ट्र तथा दक्षिणी भारत में अमान्त पंचांग के अनुसार नाग पंचमी 15 दिनों के पश्चात अर्थात श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी के दिन मनाई जाती हैं। नाग पंचमी को गुजरात में नाग पाचम के रूप में अधिक जाना जाता हैं तथा यह पर्व कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव से तीन दिन पूर्व मनाया जाता हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार इस दिन नागों की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएँ शीघ्र ही पूर्ण हो जाती हैं। शास्त्रीय विधान हैं कि जो भी व्यक्ति नाग पंचमी के दिन श्रद्धाभाव से नाग देवता की पुजा करता हैं, उस व्यक्ति तथा उसके परिवार को कभी भी सर्प का भय नहीं सताता। श्रावण मास के दौरान नाग देवता की पूजा करने के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता हैं। अतः नाग पंचमी पूजा के शुभ दिवस बारह नागों की पूजा की जाती हैं। नाग पंचमी के दिन नागों को कच्चा दूध अर्पित किया जाता हैं तथा परिवार के रक्षण की प्रार्थना भी की जाती हैं। कुछ जातक नाग पंचमी से एक दिन पूर्व व्रत रखते हैं जिसे नाग चतुर्थी या नागुल चविथी के रूप में जाना जाता हैं। मान्यता यह भी हैं कि नाग पंचमी के दिन नागदेव का दर्शन करना अत्यंत शुभ रहता हैं। भगवान शिव को नागो का देवता माना जाता हैं। कहा जाता हैं की भगवान शिव के आशीर्वाद स्वरूप नाग देवता पृथ्वी को संतुलित करते हुए मानव जीवन की रक्षा करते हैं। अतः नाग पंचमी के दिन, नाग पूजन करने से भगवान शिवजी भी अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

     

    नाग पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त

    इस वर्ष, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि, 12 अगस्त, गुरुवार की दोपहर 03 बजकर 24 मिनिट से प्रारम्भ होकर, 13 अगस्त, शुक्रवार की दोपहर 01 बजकर 42 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

     

    अतः इस वर्ष 2021 में नाग पंचमी का त्योहार 13 अगस्त, शुक्रवार के शुभ दिवस किया जाएगा।

     

    नाग पंचमी पूजा के दिवस नाग पूजन करने का शुभ मुहूर्त, 13 अगस्त, शुक्रवार की प्रातः 05 बजकर 34 मिनिट से 08 बजकर 06 तक का रहेगा।

     

    2021 नाग पंचमी

    सावन माह के दौरान शुक्ल पक्ष पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता हैं। आमतौर पर नाग पंचमी का दिन हरियाली तीज के दो दिन बाद पड़ता हैं। वर्तमान में नाग पंचमी अंग्रेजी कैलेंडर में जुलाई तथा अगस्त के महीने में आती हैं। महिलाएं नाग देवता की पूजा करती हैं तथा इस दिन सांपों को दूध चढ़ाती हैं। महिलाएं अपने भाइयों तथा परिवार की सलामती की प्रार्थना भी करती हैं।