• About Vinod Pandey
  • Contact Us
  • Priveacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms of Service
  • Pages

    03 June 2020

    वट पूर्णिमा व्रत पूजन शुभ मुहूर्त | वटपौर्णिमा पूजा टाइम | Vat Purnima Vrat Puja kab hai 2020

    वट पूर्णिमा व्रत पूजन शुभ मुहूर्त | वटपौर्णिमा पूजा टाइम | Vat Purnima Vrat Puja kab hai 2020

    vat purnima vrat kab hai 2020
    vat pornima vrat 

    जय माता दी।

    सर्वप्रथम आपको वट सावित्री व्रत की हार्दिक शुभकामनाएँ। आपको माताजी सुख-सौभाग्य के साथ-साथ संस्कारी संतान प्रदान करें।

     

    सनातन हिन्दू धर्म में प्रत्येक मास की पूर्णिमा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया हैं। किन्तु, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा अन्य प्रत्येक पूर्णिमा में अति पावन मानी जाती हैं। अतः भारत वर्ष में सुहागिन महिलाओं द्वारा ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के शुभ दिवस वट पूर्णिमा का दिव्य व्रत मनाया जाता हैं। यह व्रत, वट सावित्री व्रत के समान ही किया जाता हैं। स्कंद पुराण एवं भविष्योत्तर पुराण के अनुसार तो वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को रखा जाता हैं। गुजरात, महाराष्ट्र व दक्षिण भारत में विशेष रूप से महिलाएं ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट सावित्री व्रत रखती हैं। उत्तर भारत में यह ज्येष्ठ अमावस्या को रखा जाता हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा का स्नान-दान आदि के लिये अत्यंत महत्व हैं तथा यह पूर्णिमा भगवान भोलेनाथ के लिए भी जानी जाती हैं। भगवान शंकर के भक्त, अमरनाथ की यात्रा के लिये गंगाजल लेकर, इसी शुभ दिवस पर अपनी यात्रा का प्रारम्भ करते हैं। मान्यता हैं कि इस दिन गंगा स्नान के पश्चात पूजा-अर्चना कर, दान दक्षिणा देने से समस्त मनोकामनाएं शीघ्र पूरी हो जाती हैं।

    वट पूर्णिमा व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा करने का विधान हैं। मान्यता के अनुसार वटवृक्ष के नीचे सती सावित्री ने अपने पातिव्रत के बल से यमराज से अपने मृत पति को पुनः जीवित करवा लिया था। उस समय से ही वट-पूर्णिमा नामक यह व्रत मनाया जाने लगा था। इस दिवस महिलाएँ अपने अखण्ड सौभाग्य तथा जीवन के कल्याण हेतु यह व्रत करती हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट पूर्णिमा व्रत के रूप में मनाया जाता हैं अतः वट सावित्री व्रत पूजा विधि के अनुसार ही वट पूर्णिमा का व्रत किया जाता हैं।

    धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, वटवृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु तथा डालियों एवं पत्तियों में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता हैं। वटवृक्ष के दर्शन, स्पर्श तथा सेवा से व्रती के प्रत्येक  पाप नष्ट होते हैं, दुःख, समस्याएँ तथा रोग दूर हो जाते हैं। अतः इस वृक्ष को रोपने से अक्षय पुण्य का संचय होता हैं। वैशाख तथा ज्येष्ठ आदि जैसे पुण्य मासों में इस वृक्ष की जड में जल अर्पण करने से प्रत्येक पापों का नाश होता हैं तथा विविध प्रकार की सुख-सम्पदा प्राप्त होती हैं। वट पूर्णिमा व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं तथा वट की पूजा के पश्चात सती सावित्री की कथा अवश्य ही सुनती, सुनाती या पढ़ती हैं। यह कथा सुनने, सुनाने तथा वाचन करने मात्र से ही सौभाग्यवती महिलाओं की अखंड सौभाग्य की मनोकामना पूर्ण होती हैं।

     

    ज्येष्ठ पूर्णिमा (वट पूर्णिमा व्रत) पूजा मुहूर्त 2020

    इस वर्ष, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 05 जून, शुक्रवार की प्रातः 03 बजकर 15 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 05 जून, शुक्रवार की ही मध्यरात्रि 12 बजकर 41 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

     

    अतः इस वर्ष 2020 में, ज्येष्ठ पूर्णिमा व वट पूर्णिमा उपवास 05 जून, शुक्रवार के दिन रखा जायेगा।

     

    इस वर्ष, वट पूर्णिमा पूजन करने का शुभ मुहूर्त 05 जून, शुक्रवार के दिन मध्याह्नपूर्व 09:04 से 10:43 तथा गोधूलि बेला में 12:27 से 14:07 तक का रहेगा।

     

    वट पूर्णिमा व्रत के अन्य महत्वपूर्ण समय इस प्रकार हैं-

    05 जून 2020, शुक्रवार

    अभिजित मुहूर्त:-  11:59 से 12:53

    राहुकाल:-  10:44  से 12:26

    सूर्योदय:- 05:40    सूर्यास्त:- 19:11

    चन्द्रोदय:- 06:50 चन्द्रास्त:- अगले दिन 05:59


    No comments:

    Post a Comment