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    01 April 2020

    कैसे करें कन्या पूजन चैत्र नवरात्रि 2020 | लॉक डाउन | नवरात्र के व्रत का समापन | ज्योतिष की सलाह | Navratri Kanya Pujan Vidhi

    कैसे करें कन्या पूजन चैत्र नवरात्रि 2020 | लॉक डाउन | नवरात्र के व्रत का समापन | ज्योतिष की सलाह | Navratri Kanya Pujan Vidhi

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    Navratri Kanya Pujan Vidhi
    नवरात्रि महापर्व का समापन छोटी कन्याओं के पूजन के पश्चात होता हैं। नौ दिनों तक व्रत करने वाले प्रत्येक भक्त कन्या पूजन के पश्चात ही अपना व्रत खोलते हैं। नवरात्र में घरों तथा मंदिरों में कन्याओं का पूजन किया जाता था। किन्तु इस वर्ष विषाणुजन्य महामारी के कारण सम्पूर्ण देश में लॉकडाउन चल रहा हैं, जिस के कारण सामूहिक रूप से कन्या पूजन करना संभव नहीं हैं। इस वर्ष की नवरात्रि में परिस्थितियां अत्यंत भिन्न प्रकार की हैं। मंदिर के कपाट बंद हैं तथा हम सभी घर में ही रहने के लिए विवश हैं। पूजन-अर्चन के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग तथा नेशनल लॉकडाउन के नियमों का पालन भी अति आवश्यक हैं। ऐसे में कन्या पूजन करना, एक चुनौती साबित हो रही हैं।


    प्रत्येक भक्तों के मन में जाने अनजाने यह शंका हैं तथा यह चिंता का विषय हैं कि, इस वर्ष नवरात्रि में कन्या पूजन कैसे किया जाए? कैसे कन्याओं को भोजन करवाया जाए? यह जानकारी हम आपको हमारे इस विडियो के माध्यम से प्रदान करेंगे, मानव कल्याण हेतु यह विडियो अधिक से अधिक शेयर अवश्य करें।

    सर्वप्रथम, अति आवश्यक सूचना।

                                १:-      कृपया ध्यान दे कि यदि आपके घर-परिवार में आपके या किसी भी अन्य सदस्य के संक्रमित होने का संदेह हैं, जैसे की अधिक बुखार, खांसी या जुकाम, तो आप डाक्टर को अवश्य दिखाये, साथ ही, आपके घर का प्रसाद या भोग किसी को भी ना बांटे, यहाँ तक की, गाय को भी न दें। इस बार माताजी से प्रार्थना कर क्षमा मांग लें। माता आप की विवशता अवश्य समझेंगी।
                                २:-      यह सदैव ध्यान रहे की, किसी को संक्रमित करके, आपको पुण्य नहीं प्राप्त होगा, किन्तु आप एक महा-पाप के भागी बन जाएंगे। अतः भूल कर भी ऐसा कभी भी ना करें।
                                ३:-      साथ ही यह भी ध्यान दे की, किसी भी कन्या को घर पर बुलाकर पूजा ना करें, इससे कन्या तथा आपके जीवन को संकट हो सकता हैं।
                                ४:-      विषाणुजन्य आपदा के संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रत्येक महिलाओं की चाहिए की वे, अपने घर की बेटियों को भी कन्या भोज के लिए घर से बाहर ना जाने दें।

    लॉक डाउन में कन्या पूजन

                                १:-      शास्त्र कहते हैं कि, नवरात्रि में 1, 3, 5, 9 या 11 जैसी विषम संख्या में अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्या का पूजन करना चाहिए, यदि संभव हो तो एक ही कन्या का भी पूजन कर सकते हैं। नौ कन्या की जगह एक कन्या को खिलाने से भी संकल्प सिद्ध होता हैं। एक कन्या का पूजन कर शेष कन्याओं के निमित्त पूजन का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प को किसी निर्धन या असहाय परिवार की कन्या को भेंट कर देना चाहिए।
                                २:-      इस बार नवरात्र में जब आप घर के बाहर से कन्याओं को अपने घर में आमंत्रित नहीं कर सकते हैं तो, आप अपने घर की ही छोटी बेटियों, भतीजियों या भांजियों को भोजन करवा कर उनकी पूजा कर सकते हैं। किन्तु, पूजन से पूर्व आप हाथ में जल लेकर यह संकल्प करें कि, “नवरात्र में कन्या पूजन हेतु, मैं अपनी पुत्री को देवी मानकर उनका पूजन कर रहा हूं।” तथा माता रानी से क्षमा प्रार्थना कर लें। पूजन के दौरान कन्या का अपमान ना करें। यह भी ध्‍यान रहे कि, कन्या की आयु 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
                                ३:-      यदि आपके घर में कोई बालक हैं तो, कन्या पूजन में उसे भी बैठाएं। बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता हैं। भगवान शिव ने प्रत्येक शक्ति पीठ में माताजी की सेवा हेतु, बटुक भैरव को तैनात किया हैं। यदि किसी शक्ति पीठ में माताजी के दर्शन के पश्चात भैरव के दर्शन न किए जाएं तो दर्शन अधूरे माने जाते हैं।
                                ४:-      यदि घर में कोई भी छोटी कन्या नहीं हैं तो, आप घर में स्थित मंदिर में माता का पूजन करें तथा उन्हें विभिन्न प्रकार की सामग्री भेंट करें। घर में माता रानी की मूर्ति या प्रतिमा के समक्ष 9 कन्याओं की दक्षिणा रख कर कन्या पूजन करें।
                                ५:-      वर्तमान में मोबाइल के विडियो कॉलिंग या कॉन्फ्रेंसिंग से भी 9 कन्याओं को जोड़ सकते हैं। उनके उपहार या भेंट को संकल्प करके अपने पास रख लें तथा सही समय होने पर उन्हें भिजवा सकते हैं। उनके या उनके अभिभावकों के अकाउंट में ऑनलाइन या PayTM, GooglePay जैसी सुविधाओं से उपहार राशि दे सकते हैं। या तो कन्याओं के उपहार संकल्प करके अपने पास रखें तथा सही समय होने पर उन्हें भिजवा सकते हैं।
                                ६:-      एक थाली लगाकर या आप जो भी निवेदित करना चाहते हैं, वह सामग्री किसी देसी गाय को खिला दें, माना जाता हैं कि, गाय में 33 कोटि देवी-देवता का निवास हैं। जो सामान आपने माता को प्रसाद के रूप में चढ़ाया हैं, उस प्रसाद का कुछ हिस्सा माता का ध्यान करते हुए गाय को खिला दें। इसके पश्चात ही आप तथा परिवार के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करें।
                                ७:-      नवरात्रि में देवी को सुहाग की सामग्री भी चढ़ाई जाती हैं। मान्यता हैं कि इससे सौभाग्य तथा सुख समृद्धि की वृद्धि होती हैं। शास्त्रों में बताया गया हैं कि, माता को सुहाग की सामग्री चढ़ाने के लिए बाहर जाना आवश्यक नहीं हैं। नवरात्रि के दिनों में माता कन्या रूप में, उनकी जितनी भी मूर्तियां हैं, उनमें निवास करती हैं। अतः घर में माता की मूर्ति तथा प्रतिमा के समक्ष एक लाल वस्त्र में चावल, सिंदूर, हल्दी का टुकड़ा, चूड़ियां, बिंदी, काजल तथा कुछ पैसे रखकर माता के सामने रखें तथा उनसे सौभाग्य वृद्धि की प्रार्थना करें तथा लॉकडाउन समाप्त होने के पश्चात आप उसे सुहागिन महिलाओं को जरूर बांटे अथवा स्वयं भी प्रयोग करें।
                                ८:-      इस आपदा के समय कई परिवार को भोजन प्राप्त नहीं हो रहा हैं। कन्या पूजन ना कर पाने की स्थिति में, किसी निर्धन तथा असहाय व्यक्ति को भोजन कराएं। इसका पुण्य भी उतना ही प्राप्त होगा। साथ ही, कन्या पूजन, नवरात्रि के भंडारे तथा माताजी के जागरण आदि में खर्च होने वाले धन को इस विषाणुजन्य आपदा के नाम पर प्रधानमंत्री जी के “पीएम-केयर्स फंड” को दान कर दें। यही माताजी की सच्ची सेवा होगी।
                                ९:-      कन्या पूजन में प्रसाद स्वरूप सूखे नारियल, मखाना, मूंगफली, मिसरी भेंट कर सकते हैं। यह प्रसाद लंबे समय तक टिकते हैं तथा स्थिति सामान्य होने के पश्चात इन्हें किसी कन्या को अथवा माता के मंदिर में भेंट कर सकते हैं।

                          १०:-      कन्या पूजन करने से पूर्व या सुहाग की सामग्री देने से पूर्व आप मन ही मन संकल्प अवश्य लें तथा मां भगवती से पूजा-पाठ तथा हवन पूजन स्वीकार करने की विनती करें। उसके पश्चात सभी जरूरी सामग्री के साथ पूजा-पाठ करें। इस प्रकार घर में रहकर आप कन्या पूजन तथा सुहाग की सामग्री देने की परंपरा का पालन करके पुण्य तथा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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