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    17 June 2019

    योगिनी एकादशी कब है 2019 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | Yogini Ekadashi 2019

    योगिनी एकादशी कब है 2019 | एकादशी तिथि व्रत पारण का समय | तिथि व शुभ मुहूर्त | Yogini Ekadashi 2019

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    yogini ekadashi 2019
            वैदिक विधान कहता है की, दशमी को एकाहार, एकादशी में निराहार तथा द्वादशी में एकाहार करना चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं। किन्तु अधिकमास की एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती है। भगवान को एकादशी तिथि अति प्रिय है चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो अथवा शुकल पक्ष की। इसी कारण इस दिन व्रत करने वाले भक्तों पर प्रभु की अपार कृपा सदा बनी रहती है अतः प्रत्येक एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं। किन्तु इन सभी एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी है जिसमें व्रत रखने से समस्त पाप-कर्मो नाश हो जाता हैं साथ ही यह एकादशी व्रत भूलोक पर परम-सुख तथा परलोक सिधारने पर मोक्ष प्रदान करता है। यह एकादशी व्रत, निर्जला एकादशी के पश्चात तथा देवशयनी एकादशी से पहले आता है जिसे योगिनी एकादशी कहते हैं। योगिनी एकादशी व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समकक्ष फल प्रदान करता है। किसी भी श्राप से मुक्ति प्राप्त करने हेतु यह व्रत कल्प-वृक्ष के समान है। योगिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से प्रत्येक प्रकार के चर्म रोगों की मुक्ति प्राप्त होती है। उत्तरी भारत के पञ्चाङ्ग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष एकादशी तथा गुजरात, महाराष्ट्र व दक्षिणी भारत के पञ्चाङ्ग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी योगिनी एकादशी कहलाती है। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत जून अथवा जुलाई के महीने में होता है।


    योगिनी एकादशी व्रत का पारण

            एकादशी के व्रत की समाप्ती करने की विधि को पारण कहते हैं। कोई भी व्रत तब तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसका विधिवत पारण न किया जाए। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता है।

    ध्यान रहे,
    १. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है।        
    २. यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही होता है।
    ३. द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।
    ४. एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए।
    ५. व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है।
    ६. व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।
    ७. जो भक्तगण व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत समाप्त करने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती है।
    ८. यदि, कुछ कारणों की वजह से जातक प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है, तो उसे मध्यान के पश्चात पारण करना चाहिए।

    इस वर्ष, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 28 जून, प्रातः 06 बजकर 36 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 29 जून प्रातः 06 बजकर 45 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

    अतः इस वर्ष 2019 में योगिनी एकादशी का व्रत 29 जून, शनिवार के दिन किया जाएगा। 

    इस वर्ष 2019 में, योगिनी एकादशी पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 30 जून रविवार के दिन, प्रातः 05 बजकर 44 से 06 बजकर 14 मिनिट तक रहेगा।

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