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    25 February 2018

    2018 में होलिका दहन कब है | शास्त्रोक्त नियम होली कब है? 2018 होली शुभ समय होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम

    2018 में होलिका दहन कब है | शास्त्रोक्त नियम होली कब है? 2018 होली शुभ समय होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम



    होली हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जिसे पुरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिन्दु धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, होलिका दहन, जिसे होलिका दीपक तथा छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो, तभी मनाना चाहिये। पूर्णिमा तिथि के पूर्वाद्ध में भद्रा व्याप्त होती है, सभी शुभ कार्य भद्रा में वर्जित होते है। अतः इस समय होलिका पूजा तथा होलिका दहन नहीं करना चाहिये। यदि भद्रा पूँछ प्रदोष से पहले तथा मध्य रात्रि के पश्चात व्याप्त हो तो उसे होलिका दहन के लिये नहीं लिया जा सकता क्योंकि होलिका दहन का मुहूर्त सूर्यास्त तथा मध्य रात्रि के बीच ही निर्धारित किया जाता है।
    होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्यौहार के मुहूर्त से अधिक महवपूर्ण तथा आवश्यक है। यदि किसी अन्य त्यौहार की पूजा उपयुक्त समय पर न की जाये तो मात्र पूजा के लाभ से वर्जित होना पड़ेगा परन्तु होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह दुर्भाग्य तथा पीड़ा देती है।
    हमारे द्वारा बताया गया मुहूर्त धर्म-शास्त्रों के अनुसार निर्धारित श्रेष्ठ मुहूर्त है। यह मुहूर्त सदेव भद्रा मुख का त्याग करके निर्धारित होता है।

    होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम
    फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है। इसके लिए मुख्यतः दो नियम ध्यान में रखने चाहिए -
    1.   पहला, उस दिन भद्रान हो। भद्रा का ही एक दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो कि 11 करणों में से एक है। एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है।
    2.   दूसरा, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। सरल शब्दों में कहें तो उस दिन सूर्यास्त के पश्यात के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी आवश्यक है।

    होलिका दहन के मुहूर्त के लिए यह बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिये -
    भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये। धर्मसिन्धु में भी इस मान्यता का समर्थन किया गया है। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट का स्वागत करने के जैसा है जिसका परिणाम न केवल दहन करने वाले को बल्कि शहर तथा देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता है। किसी-किसी साल भद्रा पूँछ प्रदोष के पश्यात तथा मध्य रात्रि के बीच व्याप्त ही नहीं होती तो ऐसी स्थिति में प्रदोष के समय होलिका दहन किया जा सकता है। कभी दुर्लभ स्थिति में यदि प्रदोष तथा भद्रा पूँछ दोनों में ही होलिका दहन सम्भव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिये।
    वर्ष 2018 में होलिका दहन 1 मार्च 2018 को किया जाएगा जबकि रंगवाली होली 2 मार्च 2018 को खेली जाएगी।
    होलिका दहन मुहूर्त
    1, मार्च, 2018 (बृहस्पतिवार)
    पूर्णिमा तिथि आरंभ- सुबह 08:57 (1 मार्च)
    पूर्णिमा तिथि समाप्त- सुबह 06:21 (2 मार्च)
    होलिका दहन मुहूर्त :
    साय 18:25:47 से साय 20: 47:49 तक
    अवधि : कुल 2 घंटे 22 मिनट
    भद्रा पुँछा : साय 16:02:15 से 16:58:14 तक
    भद्रा मुखा : साय  17:04:14 से 18:24:48 तक
    रंगवाली होली, जिसे धुलण्डी के नाम से भी जाना जाता है, होलिका दहन के पश्चात ही मनायी जाती है जो 2 मार्च के दिन आयेगी तथा इसी दिन को होली खेलने के लिये मुख्य दिन माना जाता है।
    आप सभी दर्शक-मित्रोको होली की हार्दिक शुभकामनायें।


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