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    24 October 2022

    दिवाली पूजा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त समय 2022 Deepavali Pooja Lakshmi Pujan ka Shubh Muhurat Time

    दिवाली पूजा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त समय 2022 Deepavali Pooja Lakshmi Pujan ka Shubh Muhurat Time 

    lakshmi pujan shubh muhurat time 2022
    Diwali Lakshmi Puja

    ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे
    विष्णु पत्न्यै च धीमहि
    तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात् ॥
     
    शुभम करोति कल्याणम
    अरोग्यम धन संपदा
    शत्रु-बुद्धि विनाशायः
    दीपःज्योति नमोस्तुते ॥
     
    असतो मा सद्गमय।
    तमसो मा ज्योतिर्गमय।
    मृत्योर्मा अमृतं गमय।
    ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
    अनुवाद:- असत्य से सत्य की ओर
    अंधकार से प्रकाश की ओर
    मृत्यु से अमरता की ओर हमें ले जाओ।
    ॐ शांति शांति शांति।।
     
    आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग करें।
    लक्ष्मी बीज मन्त्र
    ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
    Om Hreem Shreem Lakshmibhayo Namah
     
    ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।
    Om Shreeng Mahalaxmaye Namah।।
     
    दिवाली का पर्व सनातन हिन्दू धर्म का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रसिद्ध त्योहार है, तथा इस पर्व को दिपावली, लक्ष्मी पूजा, अमावस्या लक्ष्मी पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा, बंगाल की काली पूजा, दिवाली स्नान, दिवाली देवपूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा तथा दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
            जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान बनाने वाला यह त्यौहार सम्पूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ संपूर्ण जगत में अत्यंत उत्साह एवं धूमधाम से मनाया जाता हैं। दीपावली के त्यौहार की तैयारी प्रत्येक व्यक्ति कई दिन पूर्व ही आरंभ कर देते हैं, जिसका प्रारम्भ घर को स्वच्छ तथा पवित्र करने से किया जाता हैं, क्योंकि, दिवाली के दिवस शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की विधि-पूर्वक पूजा की जाती हैं, तथा माँ लक्ष्मीजी वही निवास करती हैं जहाँ स्वच्छता होती हैं।
            दिवाली के दिवस भगवान श्री गणेश जी तथा माता लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए उपयुक्त समय प्रदोष काल का माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता है तथा लगभग २ घण्टे २२ मिनट तक व्याप्त रहता है। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार श्री महालक्ष्मी पूजन हेतु शुभ समय प्रदोष काल से प्रारम्भ हो कर अर्ध-रात्रि तक व्याप्त रहने वाली अमावस्या तिथि को श्रेष्ठ माना गया है। अतः प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अतः प्रदोष के समय व्याप्त पूर्ण अमावस्या तिथि दिवाली की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है।
     

    अतः हम आपको बताएंगे दिवाली की पूजा करने के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त-

    इस वर्ष, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 24 अक्तूबर, सोमवार की साँय 05 बजकर 27 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 25 अक्तूबर, मंगलवार की साँय 04 बजकर 18 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
     
    अतः इस वर्ष 2022 में, दिवाली पूजा का त्योहार 24 अक्तूबर, सोमवार के दिन मनाया जाएगा।
     
            इस वर्ष, दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त, 24 अक्तूबर, सोमवार की साँय 07 बजकर 09 से रात्रि 08 बजकर 24 मिनिट तक का रहेगा।
            इस दिवस दिवाली, नरक चतुर्दशी, तमिल दीपावली, लक्ष्मी पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा तथा काली पूजा की जाएगी।
     
    हमारे द्वारा बताए गए इस प्रदोष काल तथा स्थिर लग्न के सम्मिलित शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन तथा स्वास्थ्य का लाभ होता है तथा व्यक्ति के व्यापार तथा आय में अति वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो माँ लक्ष्मीजी घर में सदा के लिए वास करते है। अतः लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।
     

    दीपावली के दिवस अन्य शुभ समय

    24 अक्तूबर 2022, सोमवार
    प्रदोष काल मुहूर्त - 17:54 से 20:25
    वृषभ काल मुहूर्त - 19:08 से 21:08
    अभिजित मुहूर्त - 11:48 से 12:34
    चौघड़िया मुहूर्त - 16:28 से 17:54 अमृत - सर्वोत्तम
    सूर्योदय - 06:28   सूर्यास्त - 17:54
    चन्द्रोदय - 05:58  चन्द्रास्त - 17:20
    राहुकाल - 05:53 से 09:19
     
    भारत के अन्य प्रमुख शहरों में दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
    07:23 से 08:35 - पुणे                   06:53 से 08:16 - नई दिल्ली
    07:06 से 08:13 - चेन्नई                 07:02 से 08:23 - जयपुर
    07:06 से 08:17 - हैदराबाद             06:54 से 08:17 - गुरुग्राम
    06:51 से 08:16 - चण्डीगढ़            06:19 से 07:35 - कोलकाता
    07:26 से 08:39 - मुम्बई                 07:16 से 08:23 - बेंगलूरु
    07:21 से 08:38 - अहमदाबाद         06:52 से 08:15 - नोएडा
     

    Auspicious time for Lakshmi Pujan on Deepawali in other major cities of India

    07:23 to 08:35 - Pune               06:53 to 08:16 - New Delhi
    07:06 to 08:13 - Chennai          07:02 to 08:23 - Jaipur
    07:06 to 08:17 - Hyderabad      06:54 to 08:17 - Gurugram
    06:51 to 08:16 - Chandigarh     06:19 to 07:35 - Kolkata
    07:26 to 08:39 - Mumbai          07:16 to 08:23 - Bangalore
    07:21 to 08:38 - Ahmedabad     06:52 to 08:15 - Noida
     

    Other auspicious Times on the Day of Diwali 2022

    24 October 2022, Monday
    Pradosh Kaal Muhurta - 17:54 to 20:25
    Vrishabha Kaal Muhurta - 19:08 to 21:08
    Abhijit Muhurta - 11:48 to 12:34
    Choghadiya Muhurta - 16:28 to 17:54 Amrit - Best
    Sunrise - 06:28 Sunset - 17:54
    Moonrise - 05:58 Moonset - 17:20
    Rahukaal - 05:53 to 09:19

    22 October 2022

    धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त समय 2022 | Dhanteras Pujan Shubh Muhurat Time kab hai 2022 | Auspicious Time of DhanTeras

    धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त समय 2022 | Dhanteras Pujan Shubh Muhurat Time kab hai 2022 | Auspicious Time of DhanTeras 

    Website dhanteras puja time samay kab hai 2022
    Dhanteras Puja 
    कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
     
    शुभम करोति कल्याणम,
    अरोग्यम धन संपदा,
    शत्रु-बुद्धि विनाशायः,
    दीपःज्योति नमोस्तुते॥
     
    आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग करें।
    यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
    धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
     
    सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के शुभ दिवस भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। अतः इस दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाता हैं। धनतेरस की पूजा को धनत्रयोदशी, धन्वन्तरि त्रयोदशी तथा यम दीपम के नाम से भी जाना जाता है। धन तेरस की पूजा शुभ मुहूर्त में करना अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि स्थिर लग्न के दौरान धनतेरस पूजा की जाये तो माता लक्ष्मीजी आपके घर में ठहर जाती है। पांच दिनों तक चलने वाले महापर्व इस दीपावली का प्रारंभ धनतेरस के त्यौहार से होता हैं। धनतेरस सुख, सौभाग्य, धन-सम्पदा तथा समृद्धि का त्योहार माना जाता हैं। इस दिन चिकित्सा तथा आयुर्वेद के देवता 'धन्वंतरि' की पूजा की जाती हैं। साथ ही, अच्छे स्वास्थ्य की भी कामना की जाती हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार देवताओं तथा राक्षसों के मध्य समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु जी ही देवताओं को अमर करने हेतु समुद्र से हाथों में कलश के भीतर अमृत लेकर 'भगवान धन्वंतरि' के रूप में प्रकट निकले थे। अतः 'भगवान धन्वंतरि' की पूजा करने से माता लक्ष्मी जी भी अति प्रसन्न होती हैं। भगवान धन्वंतरि की चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख तथा चक्र धारण किए हुए हैं तथा दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ अमृत का कलश धारण किए हुए हैं। समुद्र मंथन के समय अत्यंत दुर्लभ तथा कीमती वस्तुओं के साथ-साथ शरद पूर्णिमा का चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी के दिन कामधेनु गाय, त्रयोदशी के दिन धन्वंतरि तथा कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के पावन दिन भगवती माँ लक्ष्मी जी का समुद्र से अवतरण हुआ था। धनतेरस के दिन लक्ष्मी माँ की पूजा प्रदोष काल के समय करनी श्रेष्ठ मानी गई हैं, प्रदोष काल का समय सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता हैं तथा 2 घण्टे 22 मिनट तक व्याप्त रहता हैं। धनतेरस के दिन चांदी खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता हैं क्योंकि चांदी, चंद्रमा का प्रतीक माना जाता हैं तथा चन्द्रमा शीतलता का प्रतीक हैं, अतः चांदी खरीदने से मन में संतोष रूपी धन का वास होता हैं अतः जिसके पास संतोष हैं वह व्यक्ति स्वस्थ, सुखी तथा धनवान हैं। ऐसा माना जाता हैं कि पीतल भगवान धन्वंतरि की प्रिय धातु हैं क्योंकि अमृत का कलश पीतल का बना हुआ था। अतः धनतेरस के दिन पीतल खरीदना भी शुभ माना गया हैं। मान्यता हैं कि इस दिन खरीदी गई कोई भी सामग्री सदैव धन्वंतरि फल प्रदान करती हैं तथा लंबे समय तक कार्यरत रहती हैं। मान्यता यह भी हैं की, इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृद्धि करता हैं। धनतेरस के पर्व पर देवी लक्ष्मी जी तथा धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा के साथ-साथ यमदेव को दीपदान करके पूजा करने का भी विधान हैं। माना जाता हैं की धनतेरस के त्यौहार पर मृत्यु के देवता यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृत्यु का भय नष्ट हो जाता हैं। अतः यमदेव की पूजा करने के पश्चात परिवार के किसी भी सदस्य के असामयिक मृत्यु-घात से बचने के लिए यमराज के लिए घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला एक दीपक सम्पूर्ण रात्रि जलाना चाहिए।
     

    धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त

    इस वर्ष, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 अक्तूबर, शनिवार की साँय 06 बजकर 02 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 23 अक्तूबर, रविवार की साँय 06 बजकर 03 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
     
    अतः इस वर्ष 2022 में, धनतेरस पूजा का त्योहार 22 अक्तूबर, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिवस धनतेरस, धनत्रयोदशी, धन्वन्तरि त्रयोदशी, यम दीपम का त्योहार मनाया जाएगा।
     
    इस वर्ष, धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त, 22 अक्तूबर, शनिवार की साँय 07 बजकर 18 से रात्रि 08 बजकर 25 मिनिट तक का रहेगा।
    हमारे द्वारा बताए गए इस त्रयोदशी तिथि, प्रदोष काल तथा स्थिर लग्न के सम्मिलित शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन तथा स्वास्थ्य का लाभ होता हैं तथा जातक की आयु में वृद्धि होती हैं।
     

    धनतेरस के दिवस अन्य शुभ समय

    22 अक्तूबर, शनिवार
    वृषभ काल मुहूर्त - साँय 19:16 से 21:14
    प्रदोष काल - साँय 17:56 से 20:26
    चोघड़िया मुहूर्त - 21:04 से 22:37 लाभ (उत्तम)
    सूर्योदय - 06:27   सूर्यास्त - 17:56
    चन्द्रोदय - 03:21  चन्द्रास्त - 16:12
    राहुकाल - प्रातः 09:19 से 10:45
    अभिजित मुहूर्त - दोपहर 11:48 से 12:34
     

    भारत के प्रमुख शहरों में धनत्रयोदशी पूजन का शुभ मुहूर्त

    अन्य शहरों में धनत्रयोदशी मुहूर्त 2022
    07:31 से 08:36 - पुणे
    07:01 से 08:17 - नई दिल्ली
    07:13 से 08:13 - चेन्नई
    07:10 से 08:24 - जयपुर
    07:14 से 08:18 - हैदराबाद
    07:02 से 08:18 - गुरुग्राम
    06:59 से 08:18 - चण्डीगढ़
    05:05 से 06:03, 23 अक्तूबर  - कोलकाता
    07:34 से 08:40 - मुम्बई
    07:24 से 08:24 - बेंगलुरु
    07:29 से 08:39 - अहमदाबाद
    07:00 से 08:16 - नोएडा
     

    Auspicious time for worshiping Dhantrayodashi in major cities of India

    Dhantrayodashi Muhurta 2022 in other cities
    07:31 to 08:36 - Pune
    07:01 to 08:17 - New Delhi
    07:13 to 08:13 - Chennai
    07:10 to 08:24 - Jaipur
    07:14 to 08:18 - Hyderabad
    07:02 to 08:18 - Gurugram
    06:59 to 08:18 - Chandigarh
    05:05 to 06:03 PM, 23 October - Kolkata
    07:34 to 08:40 - Mumbai
    07:24 to 08:24 - Bangalore
    07:29 to 08:39 - Ahmedabad
    07:00 to 08:16 - Noida

    12 October 2022

    करवा चौथ व्रत का चांद कितने बजे निकलेगा | शुभ मुहूर्त | Karwa Chauth Vrat ka Shubh Muhurat 2022 | Aaj Chand kitne baje niklega

    करवा चौथ व्रत का चांद कितने बजे निकलेगा | शुभ मुहूर्त | Karwa Chauth Vrat ka Shubh Muhurat 2022 | Aaj Chand kitne baje niklega 

    karwa chauth ka chand kitne baje niklega 2022
    Karwa Chauth Vrat 

    हे श्री गणेश भगवान्, हे माँ गौरी,

    जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान प्राप्त हुआ,

    वैसा ही वरदान संसार की प्रत्येक सुहागिनों को प्राप्त हो।

     

    करवा चौथ सनातन हिन्दु धर्म का एक प्रमुख पर्व हैं। यह त्यौहार पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत-वर्ष में भिन्न-भिन्न विधि-विधान तथा भिन्न-भिन्न परंपराओं के साथ धूमधाम से मनाया जाता हैं। करवा चौथ को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ शरद पूर्णिमा से चौथे दिवस अर्थात कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के शुभ दिवस मनाया जाता हैं। वहीं गुजरात, महाराष्ट्र तथा दक्षिणी भारत में करवा चौथ आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता हैं। तथा अङ्ग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व अक्तूबर या नवंबर के महीने में आता है। करवा चौथ के व्रत में सम्पूर्ण शिव-परिवार अर्थात शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी तथा कार्तिकेय जी की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान हैं। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहा जाता हैं, जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण किया जाता है, जल अर्पण करने को ही अर्घ्य देना कहते हैं।

    करवा चौथ का पावन व्रत सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपने पति की दिर्ध आयु तथा अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं तथा अविवाहित कन्याएँ भी उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति हेतु करवा चौथ के दिवस निर्जला उपवास रखती हैं तथा चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही अपने व्रत का पारण करती हैं। यह व्रत प्रातः सूर्योदय से पूर्व ४ बजे से प्रारम्भ होकर रात्रि में चंद्र-दर्शन के पश्चात ही संपूर्ण होता हैं। पंजाब तथा हरियाणा में सूर्योदय से पूर्व सरगी के साथ इस व्रत का शुभारम्भ होता हैं। सरगी करवा चौथ के दिवस सूर्योदय से पूर्व किया जाने वाला भोजन होता हैं। जो महिलाएँ इस दिवस व्रत रखती हैं उनकी सासुमाँ उनके लिए सरगी बनाती हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान में इस पर्व पर गौर माता की पूजा की जाती हैं। गौर माता की पूजा के लिए प्रतिमा गौ - माता के गोबर से बनाई जाती हैं।

     

    आज हम आपको इस विडियो के माध्यम से बताते हैं, कारवाँ चौथ व्रत की पूजा का अत्यंत शुभ मुहूर्त तथा भारत के प्रत्येक प्रमुख नगरों में करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय-

     

    करवा चौथ के दिवस चंद्रमा उदय होने का समय प्रत्येक महिलाओं के लिए अत्यंत विशेष महत्वपूर्ण होता हैं, क्योंकि वे अपने पति की दिर्ध आयु के लिये सम्पूर्ण दिवस निर्जल व्रत रहती हैं तथा केवल उदित सम्पूर्ण चन्द्रमाँ के दर्शन करने के पश्चात ही जल ग्रहण कर सकती हैं। यह मान्यता हैं कि, चन्द्रमाँ को देखे बिना यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाता हैं तथा कोई भी महिला कुछ भी खा नहीं सकती हैं ना ही जल ग्रहण सकती कर हैं। करवा चौथ व्रत तभी पूर्ण माना जाता हैं जब महिला उदित सम्पूर्ण चन्द्रमाँ को एक छलनी में घी का दीपक रखकर देखती हैं तथा चन्द्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करती हैं।

     

    इस वर्ष, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 12 अक्तूबर, बुधवार की मध्यरात्रि 01 बजकर 59 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 14 अक्तूबर, शुक्रवार की प्रातः 03 बजकर 08 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।

     

    अतः इस वर्ष 2022 में करवा चौथ का व्रत 13 अक्तूबर, बुधवार के दिन किया जाएगा।

    तथा यह व्रत प्रातः 06:23 से साँय 20:27 तक रखना चाहिए।

     

    करवा चौथ के व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 13 अक्तूबर, बुधवार की साँय 06 बजकर 04 मिनट से 07 बजकर 18 मिनट तक का रहेगा।

    करवा चौथ पर चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र तथा वृषभ राशि में रहेंगे। जिसका कारक शुक्र ग्रह होता है, जो की पति-पत्नी के मध्य अटूट प्रेम का कारक है।

     

    करवाचौथ के दिवस चन्द्रमाँ का उदय भारतवर्ष में 08 बजकर 27 मिनट पर होने का अनुमान हैं। तथा आपके नगर में करवा चौथ पर चन्द्रोदय का अनुमानित समय कुछ इस प्रकार से हैं -

     

    भारत के प्रमुख नगरों में करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय इस प्रकार रहेगा।

    अहमदाबाद - 08:46 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    दिल्ली - 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    लखनऊ - 08:09 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    कोलकाता - 07:45 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    मुंबई - 08:53 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    जयपुर - 08:30 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    बैंगलोर - 08.42 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    चेन्नई - 08:33 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    वाराणसी - 08:05 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    नडियाद - 9:14 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    गाज़ियाबाद - 08:20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    गुरुग्राम - 08:22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    फरीदाबाद - 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    मेरठ - 08:19 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    रोहतक - 08:20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    करनाल - 08:20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    हिसार - 08:26 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    सोनीपत - 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    कुरुक्षेत्र - 08:20 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    पानीपत - 08:22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    चंडीगढ़ - 08:18 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    अमृतसर - 08:23 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    अंबाला - 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    जालंधर - 08:24 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    पटियाला - 08:22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    लुधियाना - 08:22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    जम्मू - 08:25 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    पंचकूला - 08:18 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    देहरादून - 08:16 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    शिमला - 08:17 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    इंदौर - 08:35 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    ग्वालियर - 08:21 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    कानपुर - 08:13 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    प्रयागराज - 08:08 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    उदयपुर - 08:40 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    अजमेर - 08:35 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    जोधपुर - 08:42 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

    पटना - 07:55 मिनट पर चंद्रोदय होगा।

     

    In the major cities of India, the time of moonrise on Karva Chauth Vrat 2022 will be like this :-

    Ahmedabad - Moonrise at 08:46 mins.

    Delhi - 08:21 mins.

    Lucknow - 08:09 mins.

    Kolkata - 07:45 mins.

    Mumbai - 08:53 mins.

    Jaipur - 08:30 mins.

    Bangalore - 08.42 mins.

    Chennai - 08:33 mins.

    Varanasi - 08:05 mins.

    Nadiad - 9:14 am.

    Ghaziabad - 08:20 mins.

    Gurugram - 08:22 mins.

    Faridabad - 08:21 mins.

    Meerut - 08:19 mins.

    Rohtak - 08:20 mins.

    Karnal - 08:20 mins.

    Hisar - 08:26 mins.

    Sonipat - 08:21 mins.

    Kurukshetra - 08:20 mins.

    Panipat - 08:22 minutes.

    Chandigarh - 08:18 mins.

    Amritsar - 08:23 mins.

    Ambala - 08:21 mins.

    Jalandhar - 08:24 mins.

    Patiala - 08:22 mins.

    Ludhiana - 08:22 mins.

    Jammu - 08:25 mins.

    Panchkula - 08:18 mins.

    Dehradun - 08:16 mins.

    Shimla - 08:17 minutes.

    Indore - 08:35 mins.

    Gwalior - 08:21 mins.

    Kanpur - 08:13 mins.

    Prayagraj - 08:08 mins.

    Udaipur - 08:40 mins.

    Ajmer - 08:35 mins.

    Jodhpur - 08:42 mins.

    Patna - 07:55 mins.

     

    यदि करवा चौथ के संदर्भ में आपका कोई प्रश्न हैं या आप इस व्रत की अन्य जानकारी चाहते हैं, तो कृपया नीचे टिप्पणी कीजिए।

    02 October 2022

    शारदीय नवरात्रि उपवास कब खोले | नवरात्रि हवन मुहूर्त | कन्या पूजन कब करें | Navratri ka Paran kab hai | Shardiya Navratri Kanya Pujan 2022 नवरात्रि पारण का समय

    शारदीय नवरात्रि उपवास कब खोले | नवरात्रि हवन मुहूर्त | कन्या पूजन कब करें | Navratri ka Paran kab hai | Shardiya Navratri Kanya Pujan 2022 नवरात्रि पारण का समय 

    Shardiya Navratri Kanya Pujan 2022
    Shardiya Navratri 
    नवरात्र सनातनी हिन्दुओं का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रमुख त्यौहार हैं। नवरात्र की पूजा नौ दिनों तक होती हैं तथा इन नौ दिनों में माताजी के नौ भिन्न-भिन्न स्वरूपों की पूजा तथा आराधना पूर्ण भक्तिभाव से की जाती हैं। माताजी के नौ रूप इस प्रकार हैं- माँ शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा माँ, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, माँ महागौरी तथा सिद्धिदात्रि माँ। प्रत्येक वर्ष में मुख्य दो बार नवरात्र आते हैं, तथा गुप्त नवरात्र भी आते हैं।
    सम्पूर्ण उत्तरी भारत-वर्ष में शारदीय नवरात्र को अत्यंत श्रद्धा तथा विश्वास के साथ नौ दिनों तक व्रत कर के मनाया जाता हैं। शारदीय नवरात्र को प्रत्येक नवरात्रों में सर्वाधिक प्रमुख तथा महत्वपूर्ण माना जाता हैं। शारदीय नवरात्र से की वर्षा ऋतु समाप्त होती हैं तथा ठंडी के मौसम का प्रारम्भ होता हैं। अतः यह नवरात्र वह समय हैं, जब दो ऋतुओं का मिलन होता हैं। इस संधि काल में ब्रह्मांड से असीम शक्तियां ऊर्जा के स्वरूप में हम तक भूलोक पर पहुँचती हैं। अतः इस समय आध्यात्मिक ऊर्जा ग्रहण करने के लिए लोग विशिष्ट अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में देवी के स्वरूपों की साधना पूर्ण श्रद्धा से की जाती हैं। अतः नवरात्रों में माताजी का पूजन विधिवत् किया जाता हैं। देवी के पूजन करने की विधि दोनों ही नवरात्रों में लगभग एक समान ही रहती हैं। इस त्यौहार पर सुहागन या कन्या, सभी महिलाएं अपने सामर्थ्य अनुसार दो, तीन या सम्पूर्ण नौ दिनों तक का व्रत रखते हैं तथा दसवें दिन कन्या पूजन तथा हवन के पश्चात व्रत खोला जाता हैं अर्थात व्रत का पारण किया जाता हैं।
    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र का पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता हैं, किन्तु कभी-कभी तिथियों में बदलाव के कारण नवरात्र का पर्व कभी आठ दिनों तक, तो कभी-कभार दस दिनों तक भी मनाया जाता हैं। अपने संकल्प के अनुसार नौ दिन व्रत रहने वाली महिलाएं नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन तथा हवन करते हैं। नवमी के दिन सिद्धिदात्रि देवी की पूजा की जाती हैं तथा नवमी के दिन ही दुर्गा महा-पूजा भी की जाती हैं। नवमी के दिन पंडालों में विशेष पूजा आरती का आयोजन किया जाता हैं तथा भक्तजन अपने परिवार या समूह में विविध प्रकार के आयोजनों से भजन कीर्तन करते हैं। किन्तु, यह भी देखा गया हैं की, कुछ महिलाएं नवमी के दिन नवरात्रि के व्रत का पारण करती हैं तो कुछ नौ दिन तक व्रत रखने के पश्चात दशमी तिथि के दिवस शुभ मुहूर्त में पारण करती हैं।
    इस वर्ष अष्टमी तथा नवमी तिथि 2 दोनों दिन व्याप्त हैं, जिस कारण आप प्रत्येक भक्तजनों के पास केवल सामान्य जानकारी तो हैं किन्तु पर्याप्त जानकारी का अभाव हैं की,
    अष्टमी या नवमी का व्रत कब किया जाएगा?
    कन्या पूजन कब किया जाएगा?
    नवरात्रि का हवन कब करना चाहिए?
    तथा
    नवरात्रि व्रत का पारण कब करें?
    अतः इस शंका का हम निवारण करते हैं।
     

    नवरात्रि व्रत का पारण

    अथ नवरात्रपारणानिर्णयः। सा च दशम्यां कार्या॥
                                    -निर्णयसिन्धु
    निर्णयसिन्धु, पौराणिक ग्रंथ के अनुसार, शारदीय नवरात्रि पारण तब किया जाना चाहिए जब नवमी तिथि समाप्त हो रही हो तथा दशमी तिथि प्रारम्भ हो रही हो। जैसा कि शास्त्रो में भी उल्लेख प्राप्त होता हैं की, शारदीय नवरात्रि उपवास प्रतिपदा से प्रारम्भ कर के नवमी तिथि तक रखना चाहिए तथा इस दिशा निर्देश का पालन करने हेतु शारदीय नवरात्रि का व्रत समूर्ण नवमी तिथि के दिन तक करना चाहिए।
     

    नवरात्रि का पारण

    इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 02 अक्तूबर, रविवार की साँय 06 बजकर 47 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 03 अक्तूबर, सोमवार की साँय 04 बजकर 37 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
    इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 03 अक्तूबर, सोमवार की साँय 04 बजकर 37 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 04 अक्तूबर, मंगलवार की दोपहर 02 बजकर 20 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
    शास्त्रोक्त नियम हैं की, जब नवमी दो तिथियों में हो तथा प्रथम तिथि के मध्याह्न में नवमी हो, तो व्रत या त्योहार उसी दिवस किया जाना चाहिए। किन्तु यदि नवमी दोनों दिनों के मध्याह्न में पड़ रही हो, या जब किसी भी दिन मध्याह्न को नवमी न हो, तो दशमी से युक्त नवमी में व्रत करना चाहिए।
    अतः इस वर्ष, 04 अक्तूबर, मंगलवार के दिन मध्याह्न के समय नवमी तिथि रहेगी, किन्तु 05 अक्तूबर, बुधवार के दिन नवमी तिथि का क्षय दोपहर से पूर्व ही हो जाएगा। अतः इस वर्ष 2022 में नवरात्रि के दुर्गा अष्टमी, सरस्वती पूजा, महागौरी पूजा एवं सन्धि पूजा 03 अक्तूबर, सोमवार दिन हैं। साथ ही, इस नवरात्रि के नवमी का व्रत 04 अक्तूबर, मंगलवार के दिन ही किया जाएगा तथा महा नवमी, आयुध पूजा तथा नवमी हवन भी 04 अक्तूबर, मंगलवार के दिन ही हैं। जो श्रद्धालु अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं, वे 03 अक्तूबर, सोमवार के दिन ही कर सकते हैं। नवरात्रि का व्रत सायाह्न हवन 04 अक्तूबर, मंगलवार की प्रातः 06 बजकर 19 से दोपहर 02 बजकर 20 मिनिट तक कर सकते है।  
     

    शारदीय नवरात्रि के दिव्य व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त  

    इस वर्ष, 2022 में, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 04 अक्तूबर, मंगलवार की दोपहर 02 बजकर 20 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 05 अक्तूबर, बुधवार की दोपहर 12 बजकर 01 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
    अतः शारदीय नवरात्रि के व्रत का पारण अर्थात व्रत तोड़ने का शुभ समय, 04 अक्तूबर, मंगलवार की दोपहर 02 बजकर 20 मिनिट के पश्चात का रहेगा।
     
    विजयादशमी का पर्व 05 अक्तूबर, बुधवार के दिवस मनाया जाएगा।
    विजयादशमी का विजय मुहूर्त, दोपहर 02 बजकर 14 मिनिट से 03 बजकर 01 मिनिट तक का रहेगा।
     
    देवी दुर्गा माँ का विसर्जन भी 05 अक्तूबर, बुधवार के शुभ दिवस ही किया जाएगा, जिसका दुर्गा विसर्जन का शुभ मुहूर्त प्रातः 06 बजकर 20 मिनिट से 08 बजकर 42 मिनिट तक का रहेगा।
     
    श्रवण नक्षत्र 04 अक्तूबर, मंगलवार के दिन 10 बजकर 51 मिनिट से प्रारम्भ हो कर, 05 अक्तूबर, बुधवार के दिन 09 बजकर 15 मिनिट तक व्याप्त रहेगी।
     

    शारदीय नवरात्रि पारण के दिवस अन्य महत्वपूर्ण समय इस प्रकार हैं-

    04 अक्तूबर 2022, मंगलवार
    अभिजित मुहूर्त:- 11:57 से 12:46
    राहुकाल:- 17:06 से 18:44
    सूर्योदय:- 06: 04 सूर्यास्त:- 18:44
    चन्द्रोदय:- 13:19 चन्द्रास्त:- 03:10 (मध्यरात्रि)